बंगालन आंटी का सेक्सी बदन

(Bangalan Aunty ka Sexy Badan)

हैलो दोस्तो, आज आपके लिए पेश है एक छोटी सी प्रेम कहानी… पूरी तरह से काल्पनिक कथा, इसमें सच्चाई का कोई अंश नहीं है और न आप ढूंढने का प्रयास करें।

मेरा नाम आशुतोष है और मैं दिल्ली में रहता हूँ।
यह कहानी करीब 20 साल पहले की है, उस वक़्त मैं स्कूल में पढ़ता था, जिस घर में हम किराए पर रहते थे, उसमें और भी कई लोग किराएदार थे। हमारे पास दो कमरे थे, हमारे साथ वाले दो कमरे खाली थे, जिनमें एक बंगाली परिवार किराए पे रहने आ गया। पति पत्नी और एक छोटी सी 6 महीने की बच्ची।

अंकल अरनब किसी कंपनी में काम करते थे, आंटी कोकिला उर्फ कोकी घर में ही रहती थी। दोनों पति पत्नी अच्छे खासे सुंदर तंदरुस्त थे, आंटी तो कुछ ज़्यादा ही थी। वे भरपूर बदन, थोड़ा सांवला सा रंग, मगर बेहद आकर्षक बंगाली खूबसूरती।
सच कहूँ तो मैं तो कोकी आंटी पे फिदा हो गया।

वो अक्सर माँ के पास आकर बैठ जाती, बातें करती, मैं छुप छुप कर उन्हें देखता। मगर एक बात जो मैंने नोटिस की, वो यह कि कोकी आंटी अपना और अपने कपड़ों का बहुत ख्याल रखती थी, मैंने कभी उनको अस्त व्यस्त कपड़ों में नहीं देखा।
बेशक उनके स्तन बहुत भारी थे, मगर कभी उनका क्लीवेज नहीं देखा, और वो बेटी को अपना दूध भी पिलाती थी, मगर बहुत छुपा कर, मैंने कभी उनके विशाल स्तनों की एक झलक तक नहीं देखी।
मगर मैं चाहता था कि मैं उनके विशाल स्तन देखूँ, बेशक कभी खुले नहीं देखे थे, मगर ब्लाउज़ या साड़ी में पता तो चल ही जाता है कि औरत के स्तन किस आकार के हैं।

ऐसे ही चलते चलते 8-9 महीने बीत गए, हम दोनों घरों में काफी अपनापन हो गया। कोकी आंटी अक्सर मुझसे अपने घर के बाज़ार के छोटे छोटे काम करवाती जिन्हें मैं बड़ी खुशी से भाग भाग के करता।
इसी दौरान मेरा जन्म दिन आ गया। उस दिन शाम को जब घर में छोटी से पार्टी में कोकी आंटी हमारे घर आई तो उन्होंने गोल्डन साड़ी पहनी थी, मगर खास बात यह कि पहली बार मैंने देखा कि कोकी आंटी ने थोड़ा गहरे गले का ब्लाउज़ पहना है, जिसमें से उनका थोड़ा सा क्लीवेज दिख रहा था।

जब उन्होंने मुझे गिफ्ट दिया तो मैंने उनके पाँव छूए तो कोकी आंटी ने मुझे अपने गले से लगा लिया। मेरा कद छोटा था सो मेरा सिर सीधा उनकी छाती से जा लगा, पहली बार मुझे उनके विशाल मगर बहुत ही नर्म नर्म से स्तनों से लगने का सुखद एहसास हुआ।
मेरा दिल चाह रहा था कि मैं बस कोकी आंटी के सीने से ही लगा रहूँ, मगर मेरा यह सुख सिर्फ कुछ सेकेंड्स का ही था, मगर मैं
फिर भी बहुत खुश था।
उस सारी शाम मैं उसी सुखद एहसास में झूमता फिरा।

दिन पर दिन हमारे परिवार एक दूजे के और करीब आते जा रहे थे, मगर मैं सबसे ज़्यादा कोकी आंटी के करीब आ रहा था।
अक्सर शीशे के सामने खड़े होकर मैं अपने प्यार का इज़हार कोकी आंटी से करता था।

एक दिन मैं स्कूल से आया तो अपना खाना खा।कर मैं माँ को बोल गया के गुड़िया के साथ खेलने जा रहा हूँ, जब मैं उनके घर में गया तो देखा कि गुड़िया तो सो रही है और कोकी आंटी बाथरूम में हैं।
पहले तो मैं गुड़िया के पास बैठा रहा, फिर न जाने दिल में क्या आया, उठ कर बाथरूम की ओर चल पड़ा। जब बाथरूम के पास पहुँचा तो देखा बाथरूम का दरवाजा ठीक से बंद नहीं था, थोड़ा सा खुला था, जिसमें से अंदर देखा जा सकता था।

मैं वहीं खड़ा होकर देखने लगा, अंदर कोकी आंटी बैठी अपने बाल धो रही थी, अब उनके बाल थे भी बहुत भारी।
मेरी तरफ उनकी पीठ थी, वो ब्लाउज़ और पेटीकोट पहने थी, पानी से भीगने की वजह से उनके ब्लाउज़ के नीचे पहनी उनकी ब्रा बहुत साफ चमक रही थी और पेटीकोट के नीचे से उनके विशाल गोल चूतड़, जो नीचे बैठे होने की वजह से और भी ज़्यादा गोल और फैले हुये दिख रहे थे।

मैं तो वहीं बुत बन के खड़ा रह गया। न सिर्फ इतना, मैंने यह भी देखा कि मेरी निकर में मेरी लुल्ली भी अपना पूरा आकार ले चुकी थी, मैं उसे धीरे धीरे सहलाने लगा, जिसमें मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मैं दरवाजे के बिल्कुल पास आँख लगा कर बैठ गया ताकि मुझे अंदर ज़्यादा से ज़्यादा दिख सके।

बाल धोकर आंटी ने बालों का जूड़ा बना कर सर पर बांध लिया। उसके बाद उन्होंने अपना ब्लाउज़ खोला, फिर ब्रा उतारी और फिर पेटीकोट भी उतार दिया।उस नज़ारे को मैं बता ही नहीं सकता… एक विशाल सांवला जिस्म मेरे सामने बिल्कुल नंगी हालत में खड़ा था। जिसका मैं एक अंश देखने को तरसता था, अब वो बिल्कुल नंगा बदन मेरे सामने था।
मगर दिक्कत यह थी कि आंटी की पीठ मेरी तरफ थी, मैं उनकी, टाँगें, चूतड़, कमर और पीठ तो देख सकता था मगर सामने से कुछ नहीं दिख पा रहा था।

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सारे कपड़े उतार कर आंटी वाश बेसिन के पास गई, वहाँ उन्होंने शेल्फ से एक सेफ़्टी रेज़र उठाई और फिर एक टब को उल्टा रख के उसके ऊपर बैठ गई।
इस बार उनका चेहरा मेरी तरफ था और मैं अब उनके विशाल स्तन, जिन पर गहरे भूरे रंग के दो निप्पल थे और जिनके चुचूक एक उंगली के आकार के थे, मेरे सामने थे।
विशाल स्तनों के नीचे बड़ा सा सपाट पेट और पेट के नीचे दो चिकनी गुदाज़ जांघों के बीच में फंसी उनकी चूत जिस पे काफी बाल दिख रहे थे।

आंटी टब पे बैठी और अपनी झांट के बाल साफ करने लगी, और मैं बाहर बैठा अपनी लुल्ली को फेंट रहा था।
इससे पहले कि आंटी के बाल साफ होते, मेरे जिस्म में तो जैसे बिजली दौड़ गई हो, मेरा सारा बदन अकड़ गया। मुझे लगा जैसे मेरी जान मेरी लुल्ली से बाहर निकल जाएगी।
मैं बिना कोई आवाज़ किए वही लेट गया मगर फिर भी अंदर देखता रहा।

उसके बाद आंटी अपनी सारी झांट साफ की, मैंने देखा ऊपर से बेशक आंटी की चूत काली थी मगर अंदर से गुलाबी पड़ी थी।
अपनी झांट को अच्छी तरह से साफ करने के बाद कोकी आंटी नहाई, और मैंने बाहर से उनके नंगे बदन के खूब दर्शन किए।

मेरे सामने उन्होंने लिए से अपना बदन साफ किया, फिर ब्रा पहनी, ब्लाउज़ पहना, चड्डी पहनी, पेटीकोट पहना, जब वो वाइपर से फर्श से पानी खींच रही थी तो उनके ब्लाउज़ से दिख रहे क्लीवेज के भी मैंने खूब दर्शन किए।
उनके बाथरूम से निकलने से पहले ही मैं वापिस अपने घर आ गया मगर मुझे इस बात का बहुत डर लग रहा था कि अगर कोकी आंटी ने मुझे देख लिया तो क्या होगा।

इसी डर की वजह से मैं दो दिन उनके घर नहीं गया, मगर मेरे दिल में कोकी आंटी का नंगा बदन बदन ही घूम रहा था तो मैं हिम्मत करके फिर से उनके घर चला गया।

जब मैं उनके घर गया तो देखा सारा घर खाली पड़ा था, मैं देखते देखते कोकी आंटी के बेडरूम में पहुँचा, देखा कि कोकी आंटी चादर में लिपटी बेड पे लेटी हैं।
मैं नमस्ते करके उनके पास ही खड़ा हो गया।

‘गुड़िया कहाँ हैं?’ मैंने पूछा।
‘सो रही है…’ आंटी ने जवाब दिया।
मगर मैंने देखा कि आंटी के चेहरे पर अजीब से भाव थे, जिन्हें मैं समझ नहीं पा रहा था।

‘कहाँ सो रही है?’ मैंने फिर पूछा।
‘मेरे पास चादर में!’ उन्होंने फिर छोटा सा जवाब दिया।
‘मैं देख सकता हूँ उसे?’ मैंने थोड़ा सा डरते हुये पूछा।
‘चादर के अंदर ही देख लो, मगर उसे जगा मत देना!’ आंटी ने कहा।

मैं घूम कर बेड के दूसरी तरफ गया और बेड पे लेट कर मैं जहाँ गुड़िया लेटी थी उसके पास गया। गुड़िया के पास से चादर हटाई और अपना मुख चादर के अंदर किया।
अंदर का नज़ारा तो मैं देख कर अवाक रह गया। चादर के अंदर आंटी बिल्कुल नंगी लेटी थी। ये विशाल गोल गोल उसके बूब्स जिनके गहरे भूरे रंग के निप्पल थे, नीचे बड़ा सा पेट और उसके नीच दो मोटी और भरपूर जांघें, मगर उस वक़्त मैं उनकी चूत नहीं देख पा रहा था।
मैं अभी ठीक से देख भी नहीं पाया था कि आंटी ने भी अपना चेहरा चादर के अंदर कर लिया, मैंने उनकी आँखों में देखा, जो वासना उनकी आँखों में थी उस वक़्त मैं नहीं समझ पाया था, मगर अब मैं उनकी हालत को समझ सकता हूँ।

खैर जब हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे, आंटी ने मेरा एक हाथ पकड़ा और सीधा लेजा कर अपनी चूत पे रख दिया और खुद मेरे हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी।
थोड़ी देर सहलाने से मैं समझ गया कि चूत को कैसे सहलाते हैं, फिर आंटी ने अपना हाथ हटा लिया और मैं खुद ही उनकी चूत सहला रहा था। उनकी चूत के होंठ इतने मोटे थे कि मेरी पूरी हथेली में नहीं समा रहे थे, बल्कि मेरे हाथ की चारों उँगलियाँ मिल कर उनकी चूत का दाना सहला रही थी।

आंटी ने मेरे सर के पीछे हाथ रख के मेरा सर अपने पास किया और खुद ही मेरे होंठ चूसने लगी।
मेरे लिए तो ये सब कुछ नया था, थोड़ा डर सा ज़रूर था मन में मगर मैं फिर भी इस सब का आनन्द ले रहा था। आंटी ने मेरे होंठ चूसे, अपनी जीभ से मेरे होंठ चाटे, इतना ही नहीं अपनी जीभ मेरे सारे मुँह के अंदर तक घुमा दी।

आंटी के इस प्रेम से मेरी लुल्ली भी टाईट हो गई। जब आंटी ने देख लिया कि मैं अब पूरी तरह से उनके वश में हूँ, तो वो उठी और उन्होंने अपने जिस्म से चादर उतार दी और सिर्फ गुड़िया पे चादर रहने दी। वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी बैठी थी और मेरी निगाह उनके बड़े बड़े बूब्स पे अटकी थी।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक बूब पे रखा और बोली- ले दबा कर देख, उस दिन मुझे नहाते हुये छुप छुप के देख रहा था न, आज खुल कर देख!

मैंने अपने दोनों हाथों से उनके दोनों बूब्स पकड़े जो मेरे हाथों के मुक़ाबले बहुत ही बड़े थे, उसके बूब्स दबाने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
सिर्फ यही नहीं मेरे दबाने से उसके बूब्स में से दूध टपकने लगा।

जब मैं उसे बूब्स से खेल रहा था तो उन्होंने मेरी निकर के ऊपर से ही मेरी लुल्ली को पहले को अपने हाथ से पकड़ कर दबा कर देखा, फिर बोली- अरे, तुम्हारा लण्ड तो अकड़ गया, ज़रा बाहर निकाल कर तो दिखा!
और खुद ही मेरे कुछ भी कहने से पहले ही उन्होने खुद ही मेरी निकर की हुक खोली और मेरी निकर और चड्डी दोनों नीचे उतार दी, मेरी लुल्ली को हाथ में पकड़ के सहलाया और बोली- अरे, यह तो छोटी सी है, इससे मेरा क्या बनेगा।

मैंने कहा- अभी तो यह और बड़ा होगा।
वो बोली- अरे पूरा तो अकड़ चुका है अब और कितना बड़ा होगा?
यह कह कर उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़ कर आगे को खींचा और अपने मुँह में ले लिया, और क्या चूसा, मेरा तो जी कर रहा था कि इसी तरह मज़े लेता लेता अगर मैं मर भी जाऊँ तो कोई गम नहीं।

थोड़ा चूसने के बाद वो नीचे लेट गई और मुझे अपने ऊपर लेटने को कहा, जब मैं उनके ऊपर लेट गया तो उन्होंने खुद ही मेरा लण्ड अपनी चूत पे सेट किया और बोली- अब ज़ोर लगा के अंदर डाल!

मैं थोड़ा आगे को हुआ और मेरा लण्ड बड़े आराम से उनकी बड़ी सारी चूत में घुस गया। अब मुझे तो बहुत मज़ा आया क्योंकि मैंने पहली बार अपने लण्ड किसी की चूत में डाला था।

मगर आंटी बोली- अरे बस क्या, यह तो आधे रास्ते तक भी नहीं पहुंचा, चल कोई बात नहीं, तू शुरू कर!
यह कह कर उन्होंने मुझे समझाया कि मुझे कैसे अपनी कमर हिलानी है।
मैंने उनके कहे अनुसार अपने लण्ड को उनकी चूत आगे पीछे चलाना शुरू किया।

‘देखने में तो तेरा लण्ड छोटा सा लगता है पर फिर भी मुझे मज़ा दे रहा है, चल ज़ोर ज़ोर से कर, देखूँ तेरे में कितना दम है।’ आंटी ने कहा तो मैं ज़ोर ज़ोर से आंटी को चोदने लगा।
मैं तो इसको बड़े आराम का या मज़े का काम समझता था, मगर यह तो बड़ी मेहनत का काम निकला। मगर यह बात ज़रूर थी कि आंटी को मुझसे चुद कर मज़ा आ रहा था, वो नीचे लेटी लेटी सिसकारियाँ, आहें, कराहटें भर रही थी।

मैंने अपने दोनों हाथ उसके दोनों बूब्स पर रखे थे, मेरे हाथों के दबाने से उसके बूब्स में बहुत सा दूध टपक रहा था, बहुत सा दूध तो मैंने उसके निप्पल अपने मुँह में लेकर चूस चूस कर पिया। बेशक दूध पीने का कोई मज़ा नहीं था, मगर मुझे उसके बूब्स चूसना बहुत अच्छा लगा।

5-6 मिनट तक मैं उसकी चूत में अपना लण्ड पेलता रहा। उसकी चूत में से बहुत सा पानी आ रहा था,जिस कारण आंटी ने कई बार मेरा लण्ड बाहर निकलवा कर कपड़े से साफ किया और अपनी चूत भी साफ की और मुझे फिर से चोदने को कहा मगर थोड़ी देर में ही आंटी की चूत फिर से पानी से लबालब हो जाती और सच कहूँ तो मुझे भी यह पता नहीं चला कि लण्ड चूत के अंदर भी जा रहा है या नहीं।
बीच बीच में आंटी मुझे चूम लेती या अपनी बाहों में कस कर जकड़ लेती अपनी जीभ से मेरा मुँह, मेरे होंठ चाट जाती, मुझे अच्छा लगता, मैं भी ऐसा ही करता।

सच में औरत औरत ही होती है, उसके जिस्म पर कहीं भी चाट लो… मज़ा ही आता है।
खैर, मुझे सांस चढ़ने लगी तो आंटी बोली- जल्दी से छुटवा दे, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, जल्दी जल्दी और तेज़ कर।
आंटी के कहने पर मैं और ज़ोर से चोदने लगा, बस फिर क्या था मुझे तो लगा जैसा मेरा सारे जिस्म की जान मेरे लण्ड के रास्ते बाहर निकलने वाली है।

‘आ आ आह, कोकी मादरचोद, ये क्या कर दिया तुमने मुझे, साली मैं मर रहा हूँ!’ मेरे मुख से अपने आप निकल गया।
मगर वो मुस्कुरा उठी, और फिर मुझे लगा जैसे मेरे लण्ड से पानी के फव्वारे छूट गए हो, मगर यह पेशाब की तरह पतला नहीं था, बल्कि गाढ़ा था।
मैं कोकी के ऊपर ही लुढ़क गया, उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया।

कितनी देर मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा, थोड़ा संयत हुआ तो मैंने सर उठा कर देखा।
‘वाह रे मेरा राजा, तुमने तो छोटे लण्ड से ही कमाल कर दिया!’ वो बोली।
‘आपको अच्छा लगा?’ मैंने पूछा।
‘बहुत अच्छा लगा, तुम खुश तो मैं खुश, पर ये बात बाहर जा कर किसी को बताना नहीं कि मैंने कोकी आंटी के साथ ये किया!’ उसने मुझे समझाया।
‘अररे नहीं आंटी, किसी को नहीं बताऊंगा, पर ये सब मुझे बहुत अच्छा लगा, क्या हम फिर से ऐसा करेंगे?’ मैंने पूछा।
‘जब तेरा दिल करे मेरे राजा, आज से मैं तेरी गर्ल फ्रेंड, तू मेरा बॉय फ्रेंड, ठीक है, दोनों ज़िंदगी के मज़े लेंगे।’ वो बोली।
‘ठीक है, जानेमन!’ कह कर मैंने उसके होंठों को चूम लिया।

‘अच्छा यह बता तूने मुझे गाली क्यों दी?’ उसने नकली गुस्से का इज़हार करते हुए कहा।
‘मुझे अच्छा लगा, इस लिए!’ मैंने कहा।
‘ फिर से दे…’ वो चहकी।
‘कोकी मदरचोद, साली लण्ड खाएगी मेरा?’ मैंने थोड़ा और बिंदास होकर कहा।
‘खाऊँगी मेरे राजा, रोज़ खाऊँगी, बोल तू मेरा दूध पिएगा?’ उसने मेरी तरफ अपना चूचा बढ़ा कर पूछा।
‘बिल्कुल, यह तो मैं कब से चाहता था, साली कोकी!’ कह कर मैंने उसका चूचा अपने मुँह में लिया और चूसने लगा।
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