आंटी ने सिखाया-4

अमन वर्मा 2014-04-26 Comments

प्रेषक : अमन वर्मा
नमस्ते दोस्तो, मैं अमन वर्मा आपका दोस्त ! आप लोग तो मुझे जानते ही होंगे। आप लोगों ने मेरी अब तक की कहानी पढ़ी और आप लोगों के बहुत ईमेल्स आए। मैं आप सबका शुक्रिया कहना चाहूँगा कि आपने उस कहानी को इतना पसंद किया। मैं आप लोगों से माफी माँगता हूँ कि मुझे इस कहानी को लिखने में इतना समय लगा, समय का थोड़ा अभाव था इसलिए मैं लिख ना पाया।
जिन लोगों ने मेरी अब तक की कहानी नहीं पढ़ी है वो मेरी कहानी ‘आंटी ने सिखाया’ के तीनों भाग पढ़ सकते हैं।
अब मैं आगे की कहानी पर आता हूँ।
मम्मी के वापस आने तक आंटी और मेरे बीच चुदाई का यह खेल चलता रहा। आंटी ने मुझे चुदाई का मास्टर बना दिया। अब तो स्कूल से वापस आने के बाद मैं सीधा आंटी के रूम में ही पड़ा रहता था। हमारी रातें रोज रंगीन होतीं और कभी-कभी तो दिन भी रात की रंगीनियों में खो जाता था। मम्मी के वापस आने के बाद आंटी से मिल पाना थोड़ा मुश्किल हो गया था। वैसे तो हमें जब भी मौका मिलता हम एक-दूसरे में समा जाते, मगर पहले की तरह हम रोज चुदाई नहीं कर पा रहे थे।
चुदाई की भूख ऐसी होती है कि जब एक बार लग जाए तो फिर ख़त्म ही नहीं होती। मैं और आंटी तो बस एक-दूसरे से मिलने के मौके की तलाश में रहते थे। मेरे बारहवीं की वार्षिक परीक्षा का समय आ गया था मगर मैं पढ़ाई में ज़्यादा ध्यान नहीं दे पाता था। फिर किसी तरह से मैं पास हो गया।
उसके बाद मुझे आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आना पड़ा। मैं बिल्कुल भी दिल्ली आने के पक्ष में नहीं था, मगर घर-वालों के कारण मुझे दिल्ली आना पड़ा। मैंने दिल्ली में आगे के पढ़ाई लिए दाखिला ले लिया था, मगर मेरा बिल्कुल मन नहीं लगता था। महीने में एक बार घर चला जाता था। तभी मेरी उन दिनों तबियत खराब हो गई और मम्मी-डैडी मुझसे मिलने आए।
मैं समय पर खाना नहीं खा पाता था और ज़्यादातर बाहर ही खाना ख़ाता था। हालाँकि मेरा खुद का फ्लैट था और खाना बनाने के लिए एक कुक भी मम्मी ने रख दी थी। मगर मेरा मन ही नहीं लगता था। मम्मी कुछ दिनों तक मेरे पास रुकीं, उसके बाद उन्हें वापस जाना पड़ा।
फिर उन्होंने मुझे बोला- तुम भी हमारे साथ वापस चलो।
मैं तो घर जाना चाहता था, मगर डैड ने कहा- अगर घर आओगे तो तुम्हारी पढ़ाई में रुकावट आएगी।
फ़िर यह तय हुआ कि घर से कोई यहाँ आकर मेरे साथ रहे और मेरा ख्याल रखे। मम्मी तो मेरे पास ज़्यादा दिनों तक नहीं रुक सकती थीं, तो उन्होंने आंटी को बोला। मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा।
आंटी ने बोला- जब तक अमन की तबीयत ठीक नहीं हो जाती वो यहाँ रुक जाएँगी।
फिर उसके बाद डैड और मम्मी वापस चले गए। उसके बाद दो दिन के बाद डैड आए और आंटी को मेरे पास छोड़ कर वापस चले गए।
डैड के जाते ही मैंने घर का मेन-गेट लॉक किया और आंटी को बांहों में चिपका लिया। आंटी भी संगम के लिए बहुत बेचैन थीं। मैंने आंटी के होंठों को अपने होंठों में क़ैद किया और चुम्बन करने लगा।
आंटी बहुत ही भरी पड़ी थीं, वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगीं। मैं भी आंटी की कमीज़ उतार चुका था। आंटी के स्तन एक काली ब्रा में क़ैद थे। मैंने झट से उन्हें आज़ाद किया और उन्हें चूमने लगा। मैंने उनके स्तन के निप्प्ल को मुँह में भर लिया और दूसरे को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा।
आंटी बहुत गर्म हो रही थीं। उन्होंने मेरी शर्ट उतार फेंकी और मेरी पैंट की बटन खोलने लगीं। मैंने भी आंटी की सलवार का नाड़ा खींच दिया। सलवार ज़मीन पर गिर पड़ीं। अब उनके जिस्म पर एक काले रंग की पैंटी थी और मेरे बदन पर भी बस एक अंडरवियर बचा था। आंटी के हाथ मेरी अंडरवियर के अन्दर चले गए और मेरा लण्ड फनफना कर बाहर आ गया।
हम दोनों एक-दूसरे को बुरी तरह से चूम रहे थे, एक-दूसरे के बदन से खुद को रगड़ रहे थे। फिर मैं नीचे बैठा और आंटी की पैंटी उतार फेंकि उनकी चूत को देख कर मेरी मुँह में पानी आ गया। एकदम साफ-सुथरी चिकनी चूत थी। हम दोनों अपने मुँह से एक शब्द भी नहीं निकाल रहे थे।
अब मुझसे रहा ना गया और मैंने आंटी की चूत पर अपना मुँह लगा दिया। उनकी चूत के अन्दर जीभ डाल कर मैं अन्दर के मज़े लेने लगा।
आंटी की चूत की दीवार मेरी जीभ की चुसाई से पिंघलने लगी और पानी छोड़ने लगी। आंटी के मुँह से सिसकियाँ निकालने लगीं और मैंने उनकी चूत की एक फाँक को मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा। आंटी ने अपने दोनों पैरों से मुझे जकड़ लिया था और मेरे सिर पर हाथ फेर रही थीं। मैं तन्मयता से अपने काम में लगा हुआ था। आंटी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और मैं उनके चूतड़ सहला रहा था।
ऊपर वाले ने बहुत ही बारीकी से उनका जिस्म बनाया था। अब आंटी से सहा नहीं जा रहा था। वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थीं। बस थोड़ी ही देर में वो झड़ गईं और उनकी चूत ने इतना पानी छोड़ा कि पूछो मत। मैं अपनी जीभ से चाटने लगा। दस मिनट में मैंने उनकी चूत को पूरी तरह से चाट कर साफ कर दिया। आंटी हाँफ रही थीं। मैं ऊपर खड़े होकर उनके होंठ चूसने लगा।
मैं उनको धीरे-धीरे सहलाने लगा। थोड़ी देर तक सहलाने के बाद उनके मुँह से आवाज़ निकली- अब मेरी बारी !
फिर उन्होंने नीचे झुक कर मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और उसके बाद मेरे लण्ड की चुसाई करने लगीं। आंटी लण्ड चूसने में इतनी तजुर्बेकार थीं कि मैं 5 मिनट तक भी खुद को रोक ना पाया। मैं तो वैसे भी भरा पड़ा था। मैंने आंटी के बालों को ज़ोर से पकड़ा और उनके मुँह की चुदाई शुरू कर दी। मैं ज़ोर-ज़ोर से उनके मुँह को चोदने लगा। मेरा लण्ड बहुत बड़ा था। उनके गले तक उतर आता था।
बस अब मैं खुद को संभाल नहीं पाया और मैंने पूरी ताक़त से अपना लण्ड उनके मुँह में झोंक दिया। मेरे लण्ड से खौलता हुआ लावा निकला और उनके गले से नीचे उतरने लगा। आंटी ने मेरे वीर्य की एक बूँद भी नहीं छोड़ी। सारा साफ कर दिया।
फिर आंटी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरी तरफ देखा। मैंने उन्हें ‘थैंक-यू’ बोला और ऊपर उठाया। फिर उनको बाँहों में भरा और चूमने लगा। 5 मिनट की चूमा-चाटी के बाद मेरा लण्ड फिर से उबाल मारने लगा। मैं आंटी को बाँहों में भरे हुए बेड तक ले आया। फिर उन्हें बेड पर लिटाया और फिर उनके दोनों पैरों के बीच अपनी जगह बनाई और अपना लण्ड उनकी चूत पर रगड़ने लगा।
आंटी भी वासना के मारे पागल हुई जा रही थीं। मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर टिकाया और एक ज़ोर का धक्का मारा। मेरा लण्ड फिसल कर नीचे आ गया। फिर आंटी ने मेरे लण्ड को पकड़ा और अपनी चूत पर सैट कर दिया। उसके बाद मैंने धीरे से अपना लण्ड अन्दर डालना शुरू किया। आंटी की चूत बहुत कसी और तंग लग रही थी। मैंने ज़ोर से धक्का लगाया तो वो चीख पड़ीं। फिर मैंने दुबारा ज़ोर का धक्का लगाया।
वो फिर ज़ोर से चीख पड़ीं, बोलीं- बेटा, आराम से डाल ना, मैं कहीं भाग नहीं रही।
“अब तुम्हें मैं भागने तो दूँगा ही नहीं, मगर अभी बर्दाश्त नहीं हो रहा..!”
“तो आराम से कर ले, अब तो तुम्हारे पास ही हूँ मैं..!”
“आपकी चूत इतनी टाइट क्यूँ लग रही है..?”
“मेरी चूत ही ऐसी है, अगर तुम एक हफ्ते तक चुदाई ना करो, तो एकदम तंग हो जाती है।”
“फिर तो बहुत अच्छा है, एक हफ्ते में तो तुम एक अनचुदी लौंडिया बन जाती हो, यह तो जन्नत है।” कहते हुए मैंने उन्हें बहुत ही ज़ोर का धक्का मारा।
वो बहुत ही ज़ोर से चीख पड़ीं। मगर उनकी आवाज़ उनके मुँह में ही घुट कर रह गई क्यूँकि मैंने उनके मुँह पर अपना कब्जा कर लिया था और जोरों से चूस रहा था। आंटी की आँखों से आँसू आ गए थे। वो बहुत तेज़ी से छटपटा रही थीं। मैंने उनको इस बेकरारी के लिए ‘सॉरी’ बोला। फिर उनके स्तनों को चूमने लगा, उनकी चूचियों की घुंडी सहला रहा था, उनके स्तन भी बहुत कड़े हो गए थे।
मैं थोड़ी देर तक उनको सहलाता रहा फिर अपना लण्ड बाहर खींचा और ज़ोर से पेल दिया। वो फिर चीख पड़ीं। मैंने फिर से वही दोहराया। उसके बाद तो मैं ताबड़-तोड़ धक्के लगाने लगा। वो बुरी तरह से चीख रही थीं और मैं पूरी ताक़त से धक्का लगा रहा था।
15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने आंटी से बोला- अब आसन बदल कर करते हैं।
आंटी उठीं और नंगी चलती हुई मेज की ओर बढ़ीं, उन्होंने मेज पर अपने दोनों हाथ टिकाए और झुक कर खड़ी हो गईं उनकी गांड उभर कर बाहर आ गई। उनकी गांड देख कर तो मेरे मन में आया कि उनकी गांड मारने मिल जाती तो मज़ा आ जाता। मगर फिलहाल तो मुझे उनकी चूत मिल रही थी। मैंने उनको थोड़ा और झुकाया तो उनकी चूत उभर कर सामने आ गई।
अब मैंने पीछे से उनके चूत में अपना लण्ड टिकाया और चुदाई शुरू कर दी। उनके चूचे नीचे लटक रहे थे और मेरे हर धक्के से वो ज़ोर-ज़ोर से हिल रहे थे। मेरा लण्ड और भी कड़क हो गया और मैंने ताबड़-तोड़ चुदाई शुरू कर दी। इस आसन में चूत और भी ज्यादा कसी हो जाती है। उनके चूत की दीवारें इतनी टाइट हो गईं कि मेरा लण्ड बुरी तरह से रगड़ खा रहा था। मैं ताबड़-तोड़ धक्का लगाए हुए था। आंटी भी पूरे मज़े ले रही थीं।
इतनी देर की चुदाई में आंटी ने मुझे थोड़ा भी नहीं उकसाया था। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और आंटी को पलट कर सीधा किया। फिर उन्हें वापस बेड पर ले गया। उन्हें बेड पर लिटाया और उनके ऊपर सवार हो कर धक्का लगाने लगा।
थोड़ी देर में आंटी हाँफते हुए बोल पड़ीं- मैं गई..!
और वो झड़ गईं, उनकी चूत की दीवारों से पानी झड़ने लगा। उनके रज से मेरा लण्ड पूरी तरह से भीग गया। मैं अभी भी ताबड़-तोड़ धक्के मार रहा था। मेरे हर धक्के पर ‘चॅप-चॅप’ की आवाज़ आ रही थी। कमरे में एसी चल रहा था मगर हम दोनों पसीने से भीग गए थे।
मैं धकापेल चुदाई कर रहा था। मैं तो आज जी भर कर आंटी को चोदना चाहता था। मगर मैं खुद को रोक ना पाया और मैं स्खलन के करीब पहुँच गया। मैं बहुत ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाने लगा।
दस-बारह धक्कों के बाद मेरे लण्ड ने मेरा साथ छोड़ दिया और मेरे लण्ड से वीर्य की बौछार निकल पड़ीं। मैंने अपना लण्ड पूरी ताक़त से उनकी चूत में झोंक दिया। और फिर निढाल होकर उनके ऊपर ही गिर पड़ा।
आंटी की साँसें बहुत तेज़ी से चल रही थीं और मेरी भी। फिर मैंने करवट ली और आंटी के बगल में ही लेट गया और अपनी उखड़ती साँसों पर काबू करने की कोशिश करने लगा।
अभी इसके बाद तो मेरी लाइफ में बहुत कुछ हुआ। आप लोगों के विचारों का स्वागत है।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे मेल कीजिए।

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