मेरी किरायेदार सेक्सी औरत की वासना- 1
(Aunty Ki Kamuk Kahani)
यह कामुक कहानी हमारे घर में एक दम्पत्ति किराये पर रहने आये किरायेदार की बीवी की है. वो बहुत मस्त माल थी। उसको देखते ही चोदने के विचार आने लगे।
दोस्तो, मेरा नाम राहुल है। मैं राजस्थान का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 25 साल है।
मैं बचपन से ही खेलों से जुड़ा हुआ हूं जिसकी वजह से मेरी बॉडी और कद-काठी बहुत अच्छी है। खेलों की वजह से मेरी बॉडी ऐसी बनी हुई है कि जैसे मैं जिम में कसरत करता हूं।
मेरी कामुक कहानी उस समय की है जब मैं 20 साल का था।
हमारे पड़ोस में एक नयी फैमिली आयी थी। उस फैमिली में एक पति-पत्नी का जोड़ा और उनके 2 बच्चे थे।
उन्होंने हमारे पड़ोस में ही पुराना घर खरीदा था।
अब वो उस पुराने घर को तोड़ कर नया घर बना रहे थे।
हमारे घर के सामने ही उनका घर था। तो जब वो आए तो सबसे पहले हमारे ही घर पर आए। आकर उन्होंने हमारे घर का दरवाजा खटखटाया।
उस समय घर पर मेरे अलावा कोई नहीं था तो मैं बाहर गया और देखा कि एक आदमी और उसका छोटा बेटा दरवाज़े पर खड़े थे।
मैं बाहर गया और पूछा- हां जी?
अंकल ने बोला- हम आपके पड़ोस में रहने आए हैं, आपके सामने ही ये घर खरीदा है। धूप बहुत है और प्यास लग रही है, पानी मिलेगा?
मैंने बोला- रुको, अभी लाता हूं।
इतना कहकर मैं अंदर गया और पानी की बोतल ले आया और उनको दिया।
मैंने बाहर देखा कि एक बड़ी गाड़ी खड़ी थी जिसमें घर का सामान था।
दो लोग उस समान को उतार रहे थे।
इतना देख कर मैं वापस अपने घर के अंदर आ गया।
उन्होंने अपना सामान घर में उतार लिया।
मैं आपको बता देता हूं कि यह घर काफी दिनों से खाली ही पड़ा था। इससे पहले एक परिवार रहता था जो अब दूसरे शहर जा चुका था।
फिर शाम को वो दोनों पति-पत्नी आए तो उन्होंने दरवाज़ा खटखाया।
मैंने दरवाजा खोला और देखा कि सामने वाले नये पड़ोसी आए हैं।
अंकल ने पूछा- आपके पापा घर पर हैं क्या?
मैंने बोला- पापा तो घर पर नहीं है। आपको क्या काम है?
इतने में मेरी मम्मी जी बाहर आई और उन्होंने मम्मी को नमस्ते किया।
अब तक मैंने आंटी को नहीं देखा था।
फिर मेरा ध्यान आंटी पर गया; मैं उनको देखता ही रह गया।
वो काफी सुंदर दिख रही थी और उनके चेहरे पर मुस्कान तैर रही थी।
मैं तो उनका रंग रूप देखता ही रह गया।
उनका कद 5 फीट 7 इंच का होगा कम से कम। लंबी, गोरी-गोरी काया वाली औरत थी, काली आंखें और पतले-पतले उनके आइब्रो। उनके धनुष जैसे आकार के लाल लाल रंग के होंठ थे।
उन्होंने नीले रंग का सूट पहन रखा था जिसमें वो कयामत लग रही थी।
उनको देखते ही मेरे तो मुंह में पानी आ गया। उनके खुले बाल उनकी खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा रहे थे।
फिर उन्होंने मम्मी से बात की और कहने लगे कि हम यहां नये आए हैं आपके सामने वाले घर में, हमें आपकी मदद की जरूरत है।
हम यहां किसी को नहीं जानते और यह घर काफी पुराना है तो इसको तोड़ कर हम नया घर बनाना चाहते हैं, तो क्या आप बता सकती हैं कि यह आस पास कोई कमरा मिल जाएगा क्या किराए के लिए?
दोस्तो, हमारे घर पर हम किराए पर कमरा देते थे और उस समय हमारे पास एक कमरा खाली था तो मम्मी जी ने कहा कि हमारे पास एक रूम खाली है। अगर आप को अच्छा लगे तो यहां देख सकते हो।
दोनों के चेहरे पर खुशी की लहर छा गई।
वो आंटी बोली- इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है!
उन्होंने कमरा देखा और पसंद भी आ गया।
फिर वो बोले- हमें कमरा पसंद है और घर के सामने भी है। तो हमें आने जाने में कोई परेशानी भी नहीं होगी।
उन्होंने शाम तक हमारे घर में अपना समान सेट कर लिया।
उनका एक बेटा 7 साल का था और दूसरा 13 साल का … मगर आंटी को देखकर बिल्कुल नहीं लगता था कि वो इतने बड़े बच्चों की मां भी है।
आंटी का फिगर साइज 34-30-36 था।
वो ऐसी लगती थी कि देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।
मैंने तो जब से उनको देखा था मेरा 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
उनको देखते ही मेरा उनको चोदने का दिल करने लगा था।
अब वो हमारे घर पर रहने लगे।
जब भी वो मुझे देखती एक प्यारी सी स्माइल पास कर देती थी।
जिस तरह से आंटी का जिस्म इतना भरा भरा था उसके विपरीत उनके पति का जिस्म एकदम पतला, आंखे बाहर और ऐसा लगता था कि जैसे इनमें मांस नहीं है और बस हड्डियां ही हैं। अगर तेज हवा आई तो उनको गिरा ही देगी।
आंटी से धीरे धीरे मेरी बात होने लगी। उनका नाम सपना था। सपना आंटी मेरी रातों की नींद उड़ा चुकी थी।
मैंने दिन रात उनके नाम की मुठ मारनी चालू कर दी। धीरे धीरे उनसे बातें भी करनी शुरू कर दी।
बातों ही बातों में उनके पति के बारे में पता किया तो पता चला उनका पति दिल्ली में जॉब करता है।
उनका घर का काम शुरू हो गया था तो उनको ज्यादा टाइम नहीं मिलता था।
मैं भी ज्यादा ध्यान नहीं देता था; मुझे डर था कि कहीं कुछ कह ना दे।
उस समय हमारे स्कूल के एग्जाम समाप्त हो गए थे। मैंने 12वीं के एग्जाम दिए थे तो घर पर ही रहता था।
एक दिन सपना आंटी भी घर पर ही थी और मैं भी घर पर ही था।
गर्मी ज्यादा थी तो दोपहर को मैं नहाकर आया तो बाथरूम से बाहर निकला।
उस समय मैंने अंडरवियर के अलावा कुछ नहीं पहना था। गर्मी का टाइम था, सब सो रहे थे।
मैंने सोचा कि ऐसे ही बाहर निकल लेते हैं और उस समय मैं सपना आंटी को ही याद कर रहा था तो मेरा लंड पूरा खड़ा था।
लंड ने मेरे अंडरवियर में तम्बू बनाया हुआ था।
मैं जैसे ही बाहर निकला तो सपना आंटी अपने रूम के बाहर निकली और हम दोनों एक दूसरे के साथ टकरा गए।
मैं सपना आंटी के ऊपर गिर गया और सपना आंटी मेरे नीचे!
मेरा खड़ा लंड सपना आंटी के दोनों पैरों के बीच में उनकी चूत पर टकरा गया।
उनकी कमर पर मेरा हाथ जा लगा और हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों से जा मिले।
उनके मुंह से आह निकली और हम दोनों कुछ पल तक ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे।
फिर उन्होंने अपनी बंद आंखें खोलीं और मेरी तरफ देखा।
मेरा गर्म गर्म लंड और उनकी गर्म चूत एक दूसरे को और ज्यादा गर्म कर रहे थे।
फिर उन्होंने बोला- राहुल हटो!?
फिर मुझे होश आया और मैं वहां से खड़ा होकर जल्दी से अपने रूम में भाग गया।
मैंने सपना आंटी की तरफ देखा भी नहीं।
उसी शाम को आंटी ने मुझे बुलाया- राहुल आज तो तुमने मुझे मार ही दिया था। देख कर नहीं चल सकते थे तुम?
मैंने बोला- सॉरी आंटी, मुझे नहीं पता था कि आप आ रही हैं। आप अचानक सामने आ गईं। आप प्लीज़ मम्मी को ये बात मत बताना।
सपना आंटी ने बोला- बताना तो पड़ेगा कि उनका लड़का बिना कपड़ों के बाहर घूमता है।
मैंने बोला- सॉरी आंटी, दोबारा ऐसा नहीं होगा।
आंटी थोड़ी मुस्कराई और बोली- अरे डर मत, नहीं बताऊंगी।
मगर तुम्हें भी इसके बदले मेरा एक काम करना होगा।
मैंने बोला- आंटी मैं आपके सारे काम कर दूंगा बस आप मम्मी को मत बताना।
उन्होंने बोला- ओके।
फिर वो मेरी तरफ तिरछी नजरों से देखने लगी और हल्की हल्की स्माइल देने लगी।
सपना आंटी उस वक्त बहुत कातिल अदाएं दिखा रही थी।
मन तो किया अभी पकड़कर चोद दूं साली को! फ़ाड़ दूं साली की चूत!
मगर मैंने अपने मन पर काबू किया।
उस समय सपना आंटी ने सफेद रंग का सूट पहन रखा था और उसमे पिंक कलर की ब्रा साफ़ दिख रही थी। शर्ट में से आंटी के चूचे साफ़ साफ दिख रहे थे।
मैं आंटी की चूचियों को देख रहा था और आंटी ने ये सब करते हुए मुझे देख लिया था।
आंटी ने मुझे बोला- कैसी हैं?
मैंने जवाब दिया- बहुत मस्त!
फिर आंटी ने मुझे छेड़ते हुए कहा- किसकी बात कर रहा है?
मेरा ध्यान हटा तो मैंने कहा- आंटी, आप बहुत अच्छी हैं।
इतना सुनकर आंटी मुस्करा दी।
उन्होंने फिर मेरी छाती पर हाथ रखा और बोली- तू तो अपनी बॉडी का बहुत ध्यान रखता है। बहुत अच्छी बॉडी बना रखी है। काश तेरे अंकल भी … खैर … छोड़ो!
इतना बोलकर आंटी चुप हो गई और उनका चेहरा उतर सा गया।
मैंने भी देखा कि मौका अच्छा है।
मैंने आंटी के कंधे पर हाथ रखा और बोला- आंटी आप मुझे बता सकती हो; ऐसे उदास आप अच्छी नहीं लगती।
ऐसे ही बोलते हुए मैं धीरे धीरे आंटी के कंधे को सहलाने लगा।
आंटी को अच्छा लगने लगा और उनके मुंह से हल्की हल्की उम्म … ऊंह … करके सिसकारियां सी निकलने लगीं।
अब मेरा दूसरा हाथ आंटी की कमर पर चला गया और उनकी कमर को सहलाने लगा।
वो कुछ नहीं बोल रही थी।
फिर हम दोनों की नजरें मिल गईं।
देखते ही देखते हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जा मिले।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि आंटी इस तरह तैयार हो जाएगी।
मगर मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था आंटी के होंठ चूसते हुए।
मेरा जोश बढ़ने लगा तो मैंने आंटी के जिस्म को सहलाते हुए उभारों पर से मसलना शुरू कर दिया।
मेरे हाथ कभी उनकी चूचियों को दबा देते तो कभी उनकी गांड को!
कुछ देर हम दोनों ऐसे ही चूमा चाटी करते रहे।
मेरे लंड का तनकर लोहा हो गया था। लौड़ा फटने को आया था कि इतने में आंटी अलग हो गई।
वो मुस्करा रही थी जिसका मतलब मुझे समझ नहीं आया।
आंटी बोली- जिस दिन से तुम्हें देखा है, मैं तो उसी दिन से तुम्हारी दीवानी हो गई थी। तुम्हारे अंकल तो हमेशा बाहर रहते हैं और मेरी जवानी उनके बस की बात नहीं कि वो उसकी प्यास बुझा सकें।
फिर आंटी बोली- अभी कोई आ जाएगा, सबका आने का टाइम हो गया है। अगर किसी को पता चला तो गड़बड़ हो जाएगी। रात को मैं तुम्हारे कमरे में आ जाऊंगी; फिर हम खुलकर प्यार करेंगे।
मैंने अपने दिल पर पत्थर रखकर बोला- ठीक है आंटी!
मैं वहां से वापस अपने रूम में आ गया और बेड पर लेट गया।
मेरी आंखों के सामने अभी भी आंटी ही थी और उनका मस्त गदराया हुआ जिस्म मुझे बेचैन किए हुआ था।
मुझसे रहा नहीं गया और मेरा खड़ा लंड भी मुझे परेशान कर रहा था। मैं उठा और बाथरूम में गया और आंटी का नाम लेकर मुठ मारने लगा।
मेरे मुंह से आह्ह … सपना … आह्ह … सपना आंटी … आह्ह … स्स … आह्ह … करके मस्त कामुक आवाजें निकल रही थीं और मैं लंड को रगड़े जा रहा था।
तीन चार मिनट में ही मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी और दे पिचकारी … दे पिचकारी लंड ने खूब सारा वीर्य बाहर फेंक दिया।
इतना वीर्य मेरे लंड ने आज तक कभी नहीं फेंका था।
आज तो मेरा 7 इंच लम्बा लंड और भी लम्बा लग रहा था और मोटा भी ज्यादा लग रहा था।
फिर मैं अपने बेड पर आकर लेट गया और मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
रात को मम्मी ने मुझे उठाया और कहा- बेटा उठ जा, खाना खा ले।
मैं उठ गया और खाना खाने के लिए हाथ मुंह धोने बाहर गया।
तो मुंह धोकर जैसे ही वापस मुड़ा तो आंटी टकरा गई और हल्की सी मुस्करा दी और मेरे लन्ड पर हाथ रख कर बोली- तैयार हो ना आज?
मैंने सिर हां में हिला दिया और वापस आ गया।
फिर मैंने खाना खाया और वापस अपने रूम में आ गया।
रात के करीब 9 बज चुके थे।
सपना आंटी का मेरे लन्ड पर हाथ रखना मुझे बहुत तड़पा गया था। मेरा लन्ड बहुत दिनों से चूत के लिए तड़प रहा था। बहुत दिनों से किसी चूत को नहीं चोदा था।
ये घर मेरे लिए बहुत लकी घर था। इस घर में जो भी रहने आता था वो मेरे लन्ड के लिए जुगाड़ करके ही आता था।
सपना आंटी से पहले जो आंटी यहां रहती थी वो भी मुझसे अपनी चूत को खूब चुदवाया करती थी।
मगर अब मेरा मन सपना आंटी के लिए मचल रहा था। मैं उनके ख्यालों में खो गया था। ख्यालों में उनकी चूचियों को नंगी देख रहा था।
इसी तरह लंड पर हाथ फिराते फिराते किसी तरह रात के 12 बज गए।
मेरा अनुमान था कि सपना आंटी रात को 12 बजे के आसपास ही आएगी।
मगर 15 मिनट बीत जाने के बाद आस टूटने लगी। मगर मेरा लंड मेरे मन की बात नहीं माना।
मैंने उठकर देखने का सोचा कि आंटी जाग रही है या सो गई।
मैं उठकर बाथरूम में बहाने से गया। मैंने देखने की कोशिश की लेकिन मुझे कुछ दिखा नहीं और मैं वापस अपने रूम में आ गया।
थोड़ी देर बाद मुझे किसी के आने की आहट हुई। मुझे लगा कि कोई मेरे रूम की ओर आ रहा है।
फिर रूम का गेट खुला और सपना आंटी सामने थी।
उसने जल्दी से गेट वापस भी बंद कर दिया।
मैं तो सपना को देखता ही रह गया। उसने नाइटी पहनी हुई थी और वो आगे से पूरी खुली हुई थी। उसने बंद नहीं कर रखी थी। उसमें उसकी गुलाबी रंग की ब्रा और नीचे जांघों के बीच में पैंटी भी दिख रही थी।
कमाल का माल लग रही थी। मैं तो देखता ही रह गया और वो मेरे सामने खड़ी मुझे देख रही थी और मुस्करा रही थी.
आंटी बोली- क्या देख रहे हो?
मैं बोला- देख रहा हूं एक हसीना, जो आज मेरी आंखों के सामने है और मेरी होने वाली है।
वो झट से मेरे पास आ गई मुझे बेड पर गिराकर मुझ पर टूट पड़ी। फिर वो मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसने लगी।
मैंने भी उसके कूल्हों पर दोनों हाथ रख दिए और उसके नर्म नर्म कूल्हों को मसलने लगा।
वो पागलों की तरह मुझे किस किए जा रही थी जैसे बरसों से चूत चुदवाने के लिए प्यासी हो।
मुझे किस करते हुए बीच बीच में आंटी बोल रही थी- राहुल … जब से तुम्हारे लंड ने मेरी चूत को छुआ है … मैं तो पागल हो गई हूं।
उसने मुझे चूमते हुए ही मेरी टीशर्ट को निकाल दिया।
मैंने भी सपना आंटी की नाइटी को निकाल दिया।
मेरे रूम की लाइट ऑन थी और मैं उसको सिर्फ ब्रा और पैंटी में देख रहा था।
मस्त माल लग रही थी वो!
एकदम दूध जैसा सफेद बदन और गुलाबी ब्रा!
मेरा लन्ड पूरा खड़ा हो गया था और शॉर्ट को फाड़कर बाहर आने के लिए पागल हो गया था।
मैंने अपने दोनों हाथ सपना आंटी के चूचों पर रख दिए और सपना के मुंह से आह .. निकल गई।
मैं उसके नीचे लेटा हुआ था।
सपना मेरे लन्ड के उपर बैठी हुई मेरे लन्ड को अपनी गांड पर महसूस कर रही थी।
मैंने अपने दोनों हाथों से दोनों चूचों को मसल डाला।
वो एकदम से कराह उठी और बोली- आराम से राहुल … मैं कहीं भागी नहीं जा रही।
मैंने कहा- क्या करूं जान … तुम हो ही इतनी प्यारी!
वो दांतों से अपने नीचे वाले होंठ को दबाते हुए मजा लेने लगी। उसकी आंखें बंद हो गई थीं।
मैंने अपना एक हाथ उसकी गर्दन पर रखा और उसे अपने पास खींच लिया।
मैं जोर से उसके होंठों को पीने लगा और पीछे से उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया।
उसकी ब्रा ढीली हो गई और मैंने अपने होंठों को उसकी गर्दन पर रख उसको चूमने लगा।
वो इससे पागल सी होने लगी।
उसके खुले बालों को पकड़ मैंने दूसरी तरफ कर दिया और उसकी गर्दन और कंधों पर नर्म नर्म चुम्बन करने लगा।
अब वो मेरे जिस्म को अपने जिस्म से लपेटने की कोशिश किए जा रही थी। उसकी चुदास काफी बढ़ गई थी।
वो मेरे गालों और आसपास चूमने लगी।
फिर वो मेरे कानों को चूमने लगी और कान की लौ को मुंह में लेकर चूसने लगी।
उसकी चूत मेरे लंड पर रगड़ रगड़ कर कह रही थी कि चोद दो मुझे … चोद दो।
आंटी की चुदास से मैं भी इतना उत्तेजित हो गया था कि खुद को रोक पाना अब बहुत मुश्किल हो रहा था।
अब उससे भी रुका न गया और वो बोली- आह्ह … राहुल … बस चोद दो अब … मेरी चूत में लंड दे दो … बहुत मन कर रहा है लंड लेने का … मैं नहीं रुक पा रही हूं … चोद दो मुझे राहुल प्लीज।
अब मैंने उसको अपने नीचे गिरा लिया। उसकी चूचियों को देखा तो वो एकदम से टाइट लग रही थीं और तन गई थीं।
उसकी चूचियों के निप्पल नुकीले होकर छत की ओर खड़े हो गए थे। उसकी आँखों में बस मिलन की चाहत थी … चूत के लंड से मिलन की चाहत।
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कामुक कहानी का अगला भाग: मेरी किरायेदार सेक्सी औरत की वासना- 2
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