पड़ोसन आंटी की जवानी की आग
(Padosan Aunty Ki Jawani ki Aag)
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम जॉनी है और यह मेरी अन्तर्वासना पर पहली कहानी है, जो कि मेरी सच्ची घटना पर आधारित है. इस कहानी को पढ़ने के बाद आपको भी लगेगा कि यह आपकी अपनी कहानी है.
बात उन दिनों की है जब मैं पटना के एक कॉलेज में पढ़ता था. मैंने कॉलेज में दाखिला लेने के बाद कॉलेज के पास के ही मोहल्ले में एक रूम किराए पे ले लिया था. हम जिस मकान में रहते थे, वहाँ मकान मालिक नहीं रहता था, लेकिन उधर दो कमरे और भी थे, जो किराए पे लगे हुए थे. उन कमरों में चार लोग रहते थे.. जिनमें अंकल आंटी और उनकी दो बेटियां थीं.
अंकल बैंक में जॉब करते थे, आंटी हाउस वाइफ थीं और दोनों बेटियां अभी पढ़ती थीं. आंटी कमाल की खूबसूरत थीं, दो बच्चों की माँ होने के बाद भी उनकी जवानी मानो किसी नवयुवती तक को मात करती थी. आंटी की उम्र भी कोई ज्यादा नहीं थी. आंटी का फिगर 30-26-32 का था, वे एकदम गोरी भी दूध जैसी थीं.
मुझे वहाँ रहते हुए 10-15 दिन हो गए थे. उन दिनों गरमी का मौसम था. एक दिन मैं सुबह छत पर था, तभी आंटी वहाँ कपड़े सुखाने आईं. इस वक्त वो थोड़ा भीगी हुई थीं. वे गजब की सेक्सी लग रही थीं, उनकी चुचियां ब्लाउज में से साफ़ दिख रही थीं. उन्होंने साड़ी नहीं पहनी हुई थी, केवल ब्लाउज और पेटीकोट ही पहना था. इस कारण चूचियां साफ़ साफ़ दिख रही थीं.
शायद उन्हें अंदाजा नहीं था कि छत पर मैं हो सकता हूँ. अब मैं उन्हीं को देख रहा था. कमाल की बात ये थी कि आंटी मुझे देख कर जरा भी नहीं शरमाईं. बल्कि उन्होंने मुझे देखा तो मुझे कपड़े पकड़ने के लिए बुला लिया. हम दोनों की पहली बार बातें वहीं शुरू हुईं. आंटी के बुलाए जाने से मैं तो अन्दर से बहुत ही खुश हो गया.
मैं उनके बुलाने पर उनके करीब गया और बोला- जी कहिए..
उन्होंने मुझसे मदद करने के लिए कहा.. और मैं उनकी मदद करने लगा. मेरी निगाहें लगातार उनके मम्मों पर टिकी थीं. करीब से उनकी चुचि देखने का जो मज़ा अलग ही था. वे भी मेरी नजरों को समझ रही थीं. क्या बताऊं मेरी तो अक्ल ही काम नहीं कर रही थी.
तभी उनके हाथों से एक कपड़ा नीचे गिर गया.. या पता नहीं, उन्होंने जानबूझ कर नीचे गिराया था. मुझे देखते हुए जब वो उसे उठाने के लिए झुकीं तो मुझे उनकी पूरी चुचियां दिख गईं. मेरा लंड खड़ा हो गया. वे भी मेरे फूलते लंड को देखते हुए कपड़े सुखाने के लिए फैलाती रहीं और बाद में नीचे चली गईं. मैं भी कुछ देर बाद अपने रूम में चला गया और जा कर मैंने आंटी के नाम की मुठ मार ली.
उसी शाम आंटी ने मुझे अपने यहां रात के खाने पे बुलाया तो मैं चला गया. वहाँ उस समय अंकल और उनकी दोनों बेटियां भी थीं.
उन लड़कियों की माँ तो सुंदर थी ही, आंटी की दोनों बेटियां सोनी और मोनी भी गजब की माल थीं. उन दोनों में जवानी कूट कूट कर भरी थी. आंटी ने उस वक्त बिना बाँह वाली मैक्सी पहनी हुई थी, जिसमे वो बहुत सेक्सी लग रही थीं. हम सभी लोगों ने एक साथ ही खाना खाया. इसी बीच मेरी सभी से जान पहचान हो गई.
उस रात मैं सही से सो नहीं पाया, रात भर आंटी की चूची और बुर के बारे में सोचता रहा. इसी तरह दिन बीतते गए और मैं उनके यहाँ आने जाने लगा.
मेरे कॉलेज में कुछ दिनों की छुट्टी हो गई. मैं रूम में एक दिन बोर हो रहा था तो आंटी के यहाँ चला गया. आंटी के यहां कोई नहीं था.
मैंने बेल बजाई तो आंटी ने दरवाज़ा खोला और बोलीं- अरे तुम आज कॉलेज नहीं गए?
मैंने कहा- छुट्टी है.
उन्होंने मुझे अन्दर बुलाया और बैठने को कहा. आज भी वो मैक्सी में ही थीं. जब भी मैं उनकी गदराई हुई जवानी को देखने लगा. मेरे लंड ने हरकत करना शुरू कर दी.
मैं वैसे भी उनके घर का छोटा मोटा काम हमेशा कर दिया करता था, इसलिए अब उनको भी मुझसे कोई झिझक नहीं होती थी और वे मेरे सामने ज्यादा औपचारिकता नहीं दिखाती थीं.
कुछ देर बैठने के बाद आंटी ने मुझे अपने किचन में बुलाया. मैं गया तो देखा कि वो एक डब्बा उतारने की कोशिश कर रही हैं, वो डिब्बा कुछ ऊंचाई पे रखा था. जब वो अपने दोनों हाथों को ऊपर किए हुए थीं, उस समय आंटी की भरी हुई चुचियां एकदम सामने से दिख रही थीं.
आंटी ने मुझसे बोला- जरा तुम मुझे अपनी गोद में उठाना तो.. मैं डब्बे तक नहीं पहुँच पा रही हूँ.
यह सुनकर मेरी तो किस्मत खुल गई कि आज इस मक्खन बदन को छू सकूँगा, जिसके मैं सपने देखता था.
फिर भी मैंने चौंकते हुए कहा- मैं?
तो वो बोलीं- अरे यार, यहां कोई और भी है क्या.. तुम्हीं से तो बोल रही हूँ.. अब उठाओ भी मुझे!
मैंने जब उन्हें नीचे से उनकी गांड को थामते हुए अपनी गोदी में उठाया तो मेरे अन्दर एक सनसनी सी दौड़ गई. आंटी की गांड के गोले मेरे मुँह से टकरा रहे थे. आंटी के नशीले बदन की खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया था. मैंने उन्हें कस कर पकड़ रखा था और नीचे उतारते समय उनकी चुचियों को जान बूझकर दबा दिया.
एकदम से चूचियों को दबा देने से आंटी के मुँह से ‘आह..’ निकल गई.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो मुस्कारते हुए बोलीं- कुछ नहीं.
दोस्तो आज भी मैं उस लम्हे को याद करता हूँ, तो पागल हो जाता हूँ.
फिर हम दोनों हॉल में आ गए और साथ में चाय पीने लगे. वो मेरे एकदम सामने बेड पे बैठी थीं. उस दिन गर्मी ज़्यादा होने के कारण वो अपनी मैक्सी घुटने तक करके बैठी थीं. मेरी नज़र बार बार उनके चुचियों पर जा रही थी, उनकी मैक्सी का ऊपर का बटन खुला हुआ था जिससे उनकी दूध घाटी बड़ी मस्त कामुकता बिखेर रही थी.. साफ़ दिख रहा था कि आंटी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी. मेरे वासना से भरी निगाहें सिर्फ उधर ही टिकी थीं. एक बार जब आंटी ने अपनी टाँगें थोड़ी ऊपर को कीं, तो मुझे उनकी पैंटी तक दिख गई. मैंने उनकी चूत की तरफ नजर मारी तो शायद आंटी को अहसास हो गया था कि मैं उन्हें ही देख रहा हूँ. उन्होंने अपनी मैक्सी तुरंत नीचे कर ली. कुछ समय बिताने के बाद मैं वहाँ से चला आया.
अब मैं आंटी को चोदने के बारे में सोचने लगा. मैं अब आंटी के साथ कुछ ज़्यादा ही घुल मिल गया था. कभी कभी तो मैं उनकी चुचि और गांड को भी छू देता था, जिस पर वो कुछ नहीं बोलती थीं. उनकी इस छूट देने से मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
आख़िर वो दिन आ ही गया, जिस दिन का मुझे उनको चोदने का इंतज़ार था.
एक शाम मैं अकेला छत पे घूम रहा था, तभी आंटी वहाँ आईं. हम दोनों में बातें होने लगीं. उनकी बातों से लग रहा था कि आज वो भी चुदाई के मूड में हैं.
मैंने मौका देख कर जब उनकी चुची को छुआ तो वो एकदम से मुझे देखने लगीं. पहले तो मैं डर गया क्योंकि इससे पहले उन्होंने कभी इस तरह रिएक्ट नहीं किया था. शाम गहराने लगी थी और अब थोड़ा थोड़ा सा अंधेरा होने लगा था.
वो बोलीं- मैं जानती हूँ कि तुम मेरी चुचियों और बुर को चोरी चोरी निहारते हो.
पहले तो ये सुन कर मैं तो सकते में आ गया.. लेकिन फिर ये सुनकर मेरा डर निकल गया क्योंकि आंटी ने हल्की सी स्माइल भी दी थी.
मैंने तुरंत आंटी की दोनों चुचियों को कस कर दबा दिया और बोला- तो पहले क्यों नहीं बताया..
आंटी ने कुछ नहीं कहा, वे मुस्कुरा दीं.
अब तक अंधेरा हो चुका था. मैंने आंटी के ब्लाउज का बटन खोले और उनकी चुचियों से खेलने और चूमने लगा. आंटी भी मादक सिसकारियां भरने लगीं और उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया. हमने थोड़ी देर मज़े किए, तभी नीचे से सोनी ने आवाज़ लगाई.
आंटी जल्दी से अपने कपड़े ठीक करते हुए नीचे चली गईं. मैं भी नीचे आ गया और रूम में जा कर आंटी के नाम की मुठ मार ली. आज मैं बहुत खुश था.
इसके बाद जब भी मुझे मौका मिलता मैं आंटी को चूमने चाटने लगा, परंतु चोदने का मौका नहीं मिल पा रहा था.
फिर एक दिन सोनी मेरे रूम पे आई, उसने टॉप और शॉर्ट पहना हुआ था, जिसमें वो ग़ज़ब की सेक्सी लग रही थी. वो बोली- माँ ने आज रात में तुम्हें खाने पे बुलाया है.
मैंने बोला- ठीक है मैं आ जाऊंगा.
मैं उसके उभरे हुए चुचों को एकटक से देख रहा था. फिर वो अपनी खरबूजे की साइज़ की गांड मटकाते हुए चली गई. चूंकि मैं अब आंटी के यहाँ अक्सर खाने पर जाने लगा था.. इसलिए मुझे भी कोई झिझक नहीं रह गई थी.
उस रात को मैं जब आंटी के यहाँ गया तो सभी मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे. आंटी और मोनी ने सभी के लिए किचन से खाना लाईं. फिर आंटी किचन में कुछ और सामान लाने गईं. उन्होंने सोनी को कुछ और लाने के लिए अन्दर बुलाया.
तभी मैंने सोनी से बोला- मैं जाता हूँ, तुम बैठो.
मैं किचन में अन्दर गया, आंटी आज गाउन में थीं. मैंने उन्हें जल्दी से चूमा और चुची दबाईं.
वो बोलीं- कोई आ जाएगा अभी मत करो.
मुझे बहुत मज़ा आया. फिर हम दोनों बाहर आ गए. इस तरह से अब मुझे जब भी मौका मिलता मैं आंटी के साथ हाफ सेक्स टाइप का मजा कर लेता था.
उसी दिन खाना खाते समय अंकल ने बोला- जॉनी, कल तुम यहीं रहोगे ना.
मैंने पूछा- क्यों?
वो बोले- कल मैं सोनी मोनी को एग्जाम दिलाने राँची ले जा रहा हूँ. तेरी आंटी अकेली रहेगी तो इसका ख्याल रखना.
ये सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और बोला- ये भी कोई पूछने की बात है, मैं आंटी का पूरा ख्याल रखूँगा.
यह कह कर मैंने आंटी की तरफ देखा तो वो हल्की सी मुस्करा दीं. फिर मैं वहाँ से चला आया. रात भर मुझे नींद नहीं आई, यह सोच कर करवटें बदलते रहा कि आख़िर चार महीने बाद कल मैं आंटी को बिना रोक टोक के खूब चोद सकूँगा.
इसी उधेड़बुन में कब सुबह हो गई, पता ही नहीं चला. मैं उठा और तुरंत आंटी के यहाँ भागा. अंकल राँची जाने के लिए निकल रहे थे. मैं भी स्टेशन तक उन्हें छोड़ने गया. उसके बाद मैं सीधे आंटी के घर आ गया. वो किचन में चाय बना रही थीं, दरवाजा खुला था तो मैं सीधे किचन में आ गया और आंटी को कस कर पकड़ लिया. वो भी इसी दिन का इंतज़ार कर रही थीं.
आंटी ने उस दिन खुली बाँह वाली फ्रॉक जैसी मैक्सी पहन हुई थी. वो खड़ी हो कर काम कर रही थीं और मैं उनकी मैक्सी में नीचे से अन्दर घुस कर उनकी पैंटी चूमने लगा. आंटी ने अपने पैर फैला दिए थे. वे भी अब गर्म हो रही थीं.
फिर मैं नीचे से निकल गया तो वो बोलीं- चाटना क्यों छोड़ दिया?
तो मैं बोला- इतनी जल्दी भी क्या है.. हम लोगों के पास चुदाई के लिए दो दिन हैं.
आंटी ने मुझे चूम लिया.
मैंने आंटी से बोला- क्यों ना ये दो दिन तक हम बिना कपड़े के ही नंगे रहें. बड़ा मज़ा आएगा.
वो झट से तैयार हो गईं. फिर हम दोनों हॉल में आए और चाय पी. इसके बाद मैंने आंटी को अपनी गोद में ले के उनके खूब चुम्मा लिए. कभी बुर को, कभी होंठों को, तो कभी गांड और चुचियों को ऊपर से खूब चूमे जा रहा था.
वो भी इस खेल में मेरा पूरा साथ दे रही थीं. फिर मैंने आंटी के मैक्सी को धीरे धीरे खोला, अब वो केवल ब्रा और पैंटी में थीं. उनके दोनों चुचे ब्रा को फाड़ कर बाहर निकलने को बेताब थे.
फिर मैंने उनकी पेंटी और ब्रा को भी निकाल दिया. पहली बार वो मेरे सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थीं. उनका 30-26-32 का कामुक बदन मुझे पागल बना रहा था. फिर उन्होंने मेरी शर्ट और पैंट को खोला और इसके बाद धीरे धीरे मचलते हुए मेरा अंडरवियर उतारा.
मेरा खड़ा लंड देख कर वो दंग रह गईं. मैं बता दूँ कि मेरा लंड लगभग साढ़े पाँच इंच का लम्बा और बहुत मोटा है. पहले तो आंटी ने मेरे लंड को अपने हाथों में ले के खूब हिलाया, फिर उसे कभी अपने मुँह पर फिरातीं, तो कभी अपनी चुचियों पर घुमातीं.
ये सब करते हुए हमें दस बज़ गए थे.
मैंने अपनीं झांटें रात में ही साफ कर ली थीं, लेकिन आंटी की बुर के पास झांटों का जंगल था, मैं आंटी से बोला- क्या आप झांटें साफ नहीं करती हैं?
तो वो बोलीं- कभी कभी कर लेती हूँ. आज तुम ही मेरी झांटों को साफ कर दो, फिर चोदना.. ज़्यादा मज़ा आएगा.
मैं उनको चूमते हुए हामी भरी तो उन्होंने मुझे रेजर ला कर दिया. जिससे मैंने आंटी की बुर की झांटों को साफ किया. दोस्तो हम दोनों अब जो भी कर रहे थे पूरी नंगी अवस्था में रह कर ही कर रहे थे.
यहां मैं आपको एक बात बता दूँ कि जब कभी आपको अपनी पत्नी या गर्लफ्रेंड के साथ अकेले रहने का मौका मिले, सारे काम एकदम पूरी तरह नंगे हो कर कीजिए.. मज़ा भी आएगा और अच्छा भी लगेगा. एक बार ज़रूर ट्राइ कीजिएगा
अब हम दोनों नहाने के लिए बाथरूम में गए. वहाँ हमने पानी में एक दूसरे के साथ खूब मज़े किए. कभी वो मेरा लंड चूसतीं, तो कभी मैं आंटी की गांड, कभी उनकी बुर की फांकों को अपने मुँह से भर कर चाटता. इस बीच वो तो एक बार झड़ भी गई थीं.
नहाने के बाद हमने खाना खाया और बेडरूम में आ गए. वैसे तो चोदने के लिए पूरा घर ही खाली था और हम दोनों भीगे तो थे ही. मैंने आंटी को सामने से पकड़ा और बेड पे पटक दिया. अब मैं उनकी दोनों टाँगों को फैला कर अपनी जीभ से आंटी की बुर को चाटने और चूसना शुरू कर दिया. मैंने अपने दोनों हाथ की उंगलियों से बुर को फैला कर अपनी जीभ को उनकी चूत के अन्दर डाल दिया. वो कसमसा कर रह गईं. फिर मैंने 69 में होकर अपना लंड आंटी के मुँह में डाल दिया. वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.
एक मिनट लंड चूसने के बाद आंटी बोलीं- आह.. बहुत मज़ा आ रहा है.. आज तक मैंने कभी इस तरह का चुदाई का खेल नहीं खेला.
मैं बोला- अभी तो दो दिन है हमारे पास.. देखना तुम्हें और तेरी इस बुर को कितना मज़ा दूँगा.
इसके बाद मैंने अपना लंड आंटी की बुर के मुहाने पे रख दिया और बोला- जानू धीरे धीरे चढूं कि एकदम से पेल दूँ?
वो बोलीं- अरे मेरे राजा जैसे चढ़ना है चढ़ जाओ. जैसे मर्जी हो वैसे लंड पेल कर चोदो.. ये रानी तो आज चुदाई के मज़े लेगी बस..
मैंने जोर का एक धक्का दिया तो मेरा लंड आधा उनकी बुर में घुसता चला गया. वो एकदम से लंड की चोट से सिहर गईं और कराह उठीं.
फिर मैं अपने लंड को उनकी बुर में आगे पीछे करने लगा और साथ ही उनकी एक चुची को अपने होंठों से दबाते हुए चूसे जा रहा था. आंटी की चुची गेंद की तरह गोल और ठोस थीं. कुछ देर धकापेल चुदाई के बाद वो अकड़ उठीं और चिल्लाते हुए झड़ गईं. कुछ देर बाद मैं भी आंटी की चूत में ही झड़ गया.
हम दोनों बहुत मस्त थे.. और इस चुदाई से अभी हमारा मन नहीं भरा था.
इसके बाद मैंने उनकी गांड भी मारी. इस दो बार की चुदाई में मैं दो बार झड़ चुका था और आंटी तीन बार झड़ चुकी थीं. फिर हम दोनों थक कर वैसे ही बेड पे सोए रहे.
उस दिन हम दोनों ने केवल चुदाई और चुदाई का ही खेल खेला. मैं उस दिन अपने रूम पे एक बार भी नहीं गया. हम दोनों को शाम को और रात में भी खाने पीने की भी कोई सुध नहीं थी.
यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था कि करीब 48 घंटे तक मैं पूरी तरह नंगा किसी औरत के साथ चुदाई का खेल खेलता रहा.
आपको मेरी ये चुदाई की कहानी कैसी लगी.. ज़रूर बताएं.
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