मेरी किरायेदार सेक्सी औरत की वासना- 2
(Aunty Chudai Ki Kahani Hindi)
चुदाई की कहानी हिंदी में पढ़ें कि अपनी किरायेदार आंटी को मैंने पटा लिया। वो भी चुदाई की प्यासी थी। रात को हमारा मिलन हुआ तो हमने एक दूसरे की प्यास कैसे बुझायी?
दोस्तो, मैं राहुल आपको अपनी किरायेदारनी सपना आंटी की चुदाई की कहानी बता रहा था।
आपको चुदाई की कहानी हिंदी के पहले भाग
सेक्सी औरत मेरे बेडरूम में आई आधी रात में
में मैंने बताया था कि कैसे सपना आंटी अपने पति के साथ हमारे मकान में रहने आयी। उसको देखकर ही मुझे चोदने का मन होने लगा।
एक दिन मैं नहाने के बाद जब बाहर निकला तो उससे टकरा गया और मैं सिर्फ अंडरवियर पहने हुए ही उससे टकराया था।
मेरा लंड उसकी जांघों के बीच उसकी चूत से सट गया।
वो मेरी मां को ये बात बताने के लिए कहने लगी तो मैंने उसको मना लिया लेकिन फिर एक शाम उसने मुझे अपने पास बुलाया और हम दोनों बातों ही बातों में गर्म हो गए।
आंटी मेरी बॉडी पर फिदा हो गई और उसने चुदने की ख्वाहिश रख दी।
अब आगे चुदाई की कहानी हिंदी में:
फिर रात को वो मेरे कमरे में आ गयी और मुझे बेड पर गिराकर मेरे ऊपर टूट पड़ी।
मैंने उसको नंगी करके उसकी चूचियों को पीया और वो मेरे बदन को सहलाने लगी।
अपनी गांड पर वो मेरे लंड को महसूस कर रही थी।
कुछ देर की चूमा चाटी के बाद उससे रहा न गया और वो कहने लगी- बस … अब चोद दो।
मैंने उसको नीचे गिरा लिया और उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।
उसकी पैंटी काफी गीली हो चुकी थी; उसकी पैंटी का गीलापन मुझे मेरे लंड पर भी महसूस हो रहा था।
अब वो बार बार अपनी चूत को मेरे लंड की ओर धकेल रही थी। फिर मैंने उसकी पैंटी को खींच कर नीचे कर दिया। उसकी पैंटी नीचे होते ही उसकी चूत नंगी होकर मेरी आंखों के सामने थी।
उसकी चूत पर बाल थे लेकिन ज्यादा बड़े नहीं थे। छोटे छोटे झांटों में घिरी सपना आंटी की चूत बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
मैंने आंटी की चूत में उंगली से छेड़ना शुरू किया।
इससे उसकी सांसें और ज्यादा तेजी से चलने लगीं। उसका बदन हल्का हल्का कांपने लगा था।
मेरी उंगली उसकी चूत की फांकों को सहला रही थी।
फिर एकदम से मैंने उंगली आंटी की चूत में सरका दी।
वो चिहुंक उठी और फिर एकदम से उसने बेड की चादर को पकड़ लिया। वो दोनों हाथों से बेड की चादर को पकड़ कर खींचने लगी।
मेरी उंगली अब आंटी की चूत के अंदर बाहर हो रही थी।
आंटी की चूत अंदर से बहुत ही गर्म थी और बहुत गीली हो गई थी।
उसकी चूत में उंगली करते हुए मेरे लंड का तनाव और ज्यादा बढ़ने लगा था। उसकी चूत में हर बार जब मैं उंगली को अंदर करता तो लगता कि जैसे मेरा लंड ही उसकी चूत में घुसा रहा हूं।
इससे मेरे लंड की नसें फटने को हो रही थीं।
मैं चाहता तो उसी वक्त उसकी चूत में लंड को पेलकर उसकी और अपनी प्यास एक साथ बुझा सकता था लेकिन औरत को जितना हो सके उतना गर्म करके चोदो तो मजा कुछ और ही हो जाता है।
मैं आंटी की चूत में अब तेजी से उंगली अंदर बाहर करने लगा।
उसका पेट अब तेजी से कांप रहा था। वो बार बार अपनी चूत को उठाकर मेरी ओर धकेल रही थी और मेरी उंगली को और ज्यादा अंदर तक लेने की कोशिश कर रही थी।
उसकी चूत से रिसते पानी से उसकी जांघें भी गीली होने लगी थीं।
फिर मैंने आंटी की चूत से उँगली को निकाल दिया और उसकी चूत में जीभ देकर अंदर बाहर करने लगा।
अब तो वो जैसे पगला गई, उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और तेजी से उसको अपनी चूत में दबाने लगी।
आंटी की चूत से निकलते रस से मुझे मेरी जीभ में उसके चूतरस का स्वाद मिल रहा था।
उसकी चूत के पानी का टेस्ट बहुत ही ज्यादा मादक था।
मैं तो बस आंखें बंद किए उसकी चूत को पी रहा था।
मेरी नाक उसकी चूत में घुसने वाली थी और मुझे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।
मगर चूत को चूसने और पीने में इतना मजा आ रहा था मैंने इन दिक्कतों पर ध्यान ही नहीं दिया।
उसकी बालों वाली चूत को चूसने में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था।
मेरे हाथ उसकी चूचियों पर पहुंच गए थे और मैं उसकी दोनों चूचियों को जोर जोर से भींचते हुए उसकी चूत में जीभ से चोद रहा था।
आंटी हालत खराब होने लगी थी; वो अपनी ही उंगली को अपने मुंह में देकर चूसने लगी थी।
फिर उसने मेरे बालों को जोर से खींच दिया और गाली देते हुए बोली- आह्ह … साले … चोद दे ना … हरामी … मेरी जान निकालेगा क्या … आह्ह … मेरी चूत … लंड लेने के लिए मरी जा रही है … चोद दे कुत्ते … जल्दी .. दे दे लंड अपना।
मैं जैसे उसकी बात पर ध्यान ही नहीं दे रहा था। उसकी चूत की खुशबू मुझे और भी मदहोश किए जा रही थी।
फिर मैंने अपने एक हाथ में सपना का एक निप्पल पकड़ लिया और उसको मसलने लगा।
मुझे उसको तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था।
वो अब अपनी ही हथेली से चूत को रगड़ रही थी। सपना आंटी बिल्कुल पागल हो गई थी और उसने मुझे अपनी टांगों में जकड़ लिया था।
मैं भी ऐसे ही उसको मसलने और चूसने लगा।
फिर मैंने अपना हाथ उसकी गर्म गर्म चूत पर रखा और हथेली से उसकी फूल चुकी चूत को रगड़ने लगा।
आनन्द के मारे उसकी आँखें बंद होने लगीं।
उसके चेहरे पर चुदास की मदहोशी छा चुकी थी। वो जैसे किसी और ही दुनिया में जा रही थी। फिर एक दो बार ही उसकी चूत को रगड़ने के बाद उसके सब्र का बांध टूट गया और उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया।
आह्ह … आह्ह … की सिसकारियां लेते हुए वो झड़ रही थी।
उसका पेट तेजी से नीचे ऊपर होने लगा। उसकी चूत के रस से मेरा पूरा हाथ भीग गया और मैंने अपने चूतरस में भीगे हाथ को चाट लिया।
पूरे रूम में सपना आंटी की चूत के पानी की ही खुशबू फैल गयी थी।
आंटी की गीली चूत की दोनों पंखुड़ियां खुली हुई थीं। देखने में ऐसा लग रहा था जैसे रस से भीगा हुआ गुलाब हो।
उसकी चूत का दाना भी साफ दिखाई दे रहा था।
मैंने अपने अंगूठे से उसकी चूत के दाने को सहलाना शुरू किया।
धीरे धीरे उसको फिर से मजा आने लगा। देखते ही देखते वो फिर से गर्म होने लगी।
अब मैं तेजी से उसकी चूत के दाने को रगड़ रहा था।
कुछ ही देर में फिर से चुदने के लिए तड़पने लगी।
अब वो उठी और उसने मुझे नीचे लिटाकर मेरे लंड को हाथ में ले लिया और उसको हिलाने लगी, उसके टोपे को खोल-बंद करने लगी।
उसके नर्म हाथों में मेरा गर्म लंड मुझे बहुत मजा दे रहा था।
फिर वो नीचे झुकी और मेरे लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी।
मेरी तो एकदम से सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं।
इतनी देर से मेरा 7 इंची लौड़ा तना हुआ था; उसकी नसें भी दर्द करने लगी थीं।
सपना के मुंह में जाकर मेरे लंड को बहुत सुकून मिला।
वो मेरे लंड को मस्त होकर चूसने लगी जैसे कोई रंडी चूसती है। वो बार बार मेरे लंड को मुंह से बाहर निकाल कर उसके टोपे को लॉलीपोप के जैसे चाटने लगती थी।
मेरे लंड का सुपारा फूलकर एकदम से मोटा हो गया था, उसका रंग गहरा गुलाबी हो गया था।
लंड की नसें फटने को हो रही थीं।
एक बार फिर से आंटी ने मेरे लंड को मुंह में लिया और आंखें बंद करके उसको चूसने का मजा लेने लगी।
अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।
मैंने उसको हटाकर नीचे पटका और उसकी टांगों को खोलकर उसकी चूत पर लंड को सटा दिया।
मैं अपना गर्म गीला टोपा उसकी गीली चूत पर रखकर ऊपर नीचे रगड़ने लगा।
इससे सपना आंटी चुदने के लिए तड़प उठी और हाथ जोड़कर बोली- राहुल चोद दे बस … अब मत तड़पा, मेरी चूत में घुसा दे अपना ये लम्बा मोटा लंड … प्लीज चोद दे मुझे।
मैंने सपना आंटी पर तरस खाया और उसकी टांगों को उठाकर ऊपर कर लिया। मैंने लंड को चूत के सुराग पर सेट किया और एक धक्का देकर आंटी की चूत में लंड को प्रवेश करवा दिया।
लंड चूत में घुसते ही आंटी को दर्द होने लगा।
मगर ये दर्द कुछ ही पल का था।
मैंने धीरे धीरे आंटी की चूत में पूरा लंड घुसा दिया और आंटी के ऊपर लेटकर उसके होंठों को चूसने लगा।
आंटी की चूत को लंड का मजा मिलना शुरू हो गया था और वो भाव आंटी के चेहरे पर साफ दिख रहे थे।
वो मेरी पीठ को सहलाने लगी और मेरे गालों और गर्दन पर बार बार चूमने लगी।
मैंने आंटी की चुदाई शुरू कर दी और उसकी चूत में पचापच लंड को भीतर बाहर करने लगा।
धीरे धीरे मेरी स्पीड अपने आप ही बढ़ती चली गई। आंटी की चूत को चोदने में कसम से बहुत मजा आ रहा था।
आंटी की चूत काफी प्यासी थी और मेरे लंड को बहुत दिनों से चूत का सुख नहीं मिला था इसलिए मैं भी उसकी चुदाई में जैसे खोने लगा था।
हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे।
अब आंटी के चेहरे पर हल्का दर्द और सुकून था।
मैंने भी अपने झटके जोर जोर से लगाने शुरू कर दिए।
आंटी के हिलते हुए चूचे मुझे उसको जोर से चोद देने के लिए उकसा रहे थे।
फिर मैं उसको अपने बेड के किनारे पर लाया और उसके पैरों को अपने दोनों हाथों के पास किया। फिर कमर पकड़ कर उसकी कसकर चुदाई करने लगा।
अब वो दर्द से चिल्लाने लगी तो मैंने उसके मुंह पर हाथ रख लिया और उसकी चूत को कुत्ते की तरह पेलने लगा।
मैं उसकी चूत की प्यास को अच्छी तरह से बुझा देना चाहता था।
मेरा मन कर रहा था कि चोद चोदकर इसकी चूत को ऐसी फाड़़ दूं कि ये लंड लेने के बारे में फिर कई बार सोचे।
वो कराह रही थी और मैं उसको चोदे जा रहा था।
आंटी कहने लगी- बस करो … आईई … ऊईई … मम्मी … मर गई … अब मार डालोगे क्या हरामी … आह्ह … रुक जा राहुल … मेरी चूत फटने वाली है।
उसकी ये बातें मेरे जोश को और ज्यादा बढ़ा रही थीं।
वो कहती रही और मैं चोदता रहा।
सपना आंटी की चुदाई चलते हुए दस मिनट हो गये थे और अब मेरे लंड का संयम डगमगाने लगा था; मेरा वीर्य छूटने वाला था।
आंटी की चूत इस दौरान दो बार झड़ चुकी थी।
अब मेरे लंड के लावा उगलने की बारी थी, मैंने जोर से उसको पकड़ लिया और उसके चूचे को मुंह में भर लिया।
इसी वक्त मेरे लंड में झटके लगने लगे और उसकी चूत में मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकलने लगी।
मैंने झटके देते हुए उसकी चूत में अपना माल छोड़ दिया और उसके चूचे को अपने दांतों से काट लिया।
सपना आंटी को दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था।
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही 10 मिनट तक लेटे रहे। हम दोनों की टांगें हमारे प्यार के कामरस से गीली हो गई थी और चादर भी गीली हो गई थी।
आंटी बोली- तुम तो बहुत बड़े चोदू हो राहुल!
उसने मुस्कराते हुए मेरे होंठों को चूम लिया।
फिर बोली- मुझे आज तक सेक्स में ऐसा मजा नहीं आया। तुमने मुझे आज असली मजा दिया है। तुम्हरे अंकल की लुल्ली तो मेरे अंदर जाते ही खाली हो जाती है।
मैंने कहा- आंटी, आज से मैं तुम्हारा गुलाम हूं। तुम्हें जब भी चुदने का मन करे, बता देना।
वो बोली- मैं भी आज से तेरी हूं राहुल … तुम जब चाहो मुझे चोद सकते हो।
अब रात के करीब 2:45 बज चुके थे। हम दोनों नंगे एक दूसरे की बांहों में पड़े थे। अभी भी मेरा लन्ड सपना आंटी की चूत में घुसा हुआ था।
वो बोली- लगता है तुम्हारा ये औजार इस गुफा से बाहर नहीं आना चाहता है, अभी भी तनाव में है।
मैंने उसकी गांड को भींचते हुए कहा- ऐसी गर्म गुफा से कौन अपना औजार बाहर निकालना चाहेगा।
ये कहकर हम दोनों ही हंस पड़े और दोनों एक दूसरे से लिपट गए।
दोस्तो, ये थी सपना आंटी के साथ मेरी पहली चुदाई की कहानी।
आपको चुदाई की कहानी हिंदी में पसंद आई होगी. आप अपनी राय देना और मैं आपको सपना आंटी के साथ चुदाई की अपनी और भी कहानियां बताऊंगा।
मेरा ईमेल आईडी है [email protected]
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