अंकिता की चाभी करा गई उसकी चुदाई-1

राज राय 2015-01-21 Comments

Ankita ki Chabhi Kara Gai Uski Chudai-1

हाय दोस्तो, मेरा नाम राज है, मैं इंदौर का रहने वाला हूँ।

यह कहानी मेरी और अंकिता की है।

मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ीं और मेरा मन हुआ कि मैं भी अपनी कहानी आप तक पहुँचाऊँ।

सभी लड़कियाँ और आंटी अपनी पैन्टी में हाथ डाल लें और भाई लोग अपना हथियार अपने हाथ में ले लें।

तो पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ, मैं 31 साल का शादीशुदा लड़का हूँ मैंने इसके पहले चुदाई सिर्फ अपनी पत्नी के साथ की है।

मैं दिखने में स्मार्ट हूँ और मेरा जिस्म तो औसत ही है, पर मेरा लंड 7.5 इंच का है।

मुझे चुदाई करना बहुत पसंद है। वैसे भी सिर्फ चूतियों को छोड़ दें तो चुदाई किसे नहीं पसंद है।

मैं अपने परिवार के साथ रहता हूँ मेरे दो बच्चे हैं और से 4 किलोमीटर दूर मेरा ऑफिस है, जो किराए का है।

मैं अपने ऑफिस पर ज्यादा वक्त अकेला ही रहता हूँ। मेरे ऑफिस के ऊपर एक परिवार रहता है, अंकिता भी उसी परिवार से है।

अंकिता 21 साल की लड़की है जो थोड़ी काली है, पर उसके उभार और उसका शारीरिक बनावट ऐसी है कि किसी का भी लंड खड़ा कर दे।

उसकी गाण्ड और मम्मों के बारे में लिखना मतलब उनकी सुन्दरता की तौहीन करना है क्योंकि मुझे लगता है उसकी सुन्दरता के बारे में लिखने को कोई शब्द ही नहीं बना है।

जब से मैंने अंकिता को देखा उसको अपने नीचे लेने का मन था।

उसे जब भी देखता वो मेरा खड़ा कर देती थी और शायद उसे यह बात पता भी थी कि मैं उसे देखता हूँ।

एक दिन की बात है, उसके घर वाले कहीं बाहर गए हुए थे और घर बन्द करके चाभी मुझे दे गए थे और बोल गए थे कि अंकिता आए तो उसे चाभी दे देना।

काफी इंतजार के बाद अंकिता आई और उसने घर की चाभी मुझसे मांगी और चाभी लेकर ऊपर चली गई।

थोड़ी देर बाद मेरे मन में शरारत सूझी, मैं पानी पीने के बहाने ऊपर गया और दरवाजा खटखटाया, पर जब कोई आवाज नहीं आई तो मैं अन्दर चला गया।

क्योंकि उसके घर वालों से मेरे सम्बन्ध अच्छे थे, तो मैं बिना रोक-टोक के अन्दर आ-जा सकता था।

अन्दर जाकर मैंने पानी पिया, पर वो कहीं नजर नहीं आई तो मुझे लगा टॉयलेट में होगी।

तो मैं वापस आने के लिए पलटा और उसका बाथरूम से निकलना हुआ।

उसने खुद को एक सफ़ेद तौलिया में लपेटा हुआ था।

लपेटा भी क्या हुआ था.. सिर्फ दोनों हाथों से तौलिया पकड़ा हुआ था।

मुझे देख उसके होश उड़ गए और उसे देख कर मेरे सुध-बुध ही खो गए।

क्या बला की खूबसूरत लग रही थी.. मानो कोई अप्सरा स्वर्ग से उतर आई हो।

मैंने उसको बोला- मैंने आवाज दी थी.. मुझे पानी पीना था और कोई जबाव नहीं आया, तो पानी पीने अन्दर चला आया।

वो बोली- कोई बात नहीं।

उसे देखते हुए पता नहीं मैं किन ख्यालों में खो गया।

उसने एकदम से कहा- मुझे भी एक बार पानी पिला दो अपने में से..

मैंने कहा- क्या?

तो वो मेरी नियत समझ गई, पर वापस बोली- मुझे भी एक गिलास पानी दे दो। मैंने उसके लिए पानी का गिलास भरा और उसको दिया, जैसे ही उसने पानी का गिलास हाथ में लिया तौलिया उसी पल नीचे गिर गया और मेरी नजरें उसके मम्मों पर ठहर गईं।

वो भी एकदम से घबरा गई और तौलिया उठाने नीचे झुकी।

तो मैंने कहा- अब जो छुपा हुआ था वो तो दिख ही गया है.. पानी पी लो.. मैं अपनी आँखें बंद कर लेता हूँ।

मैंने अपनी आँखे बंद कर लीं, उसने पानी पीकर तौलिया वापस हाथ में ले लिया।

मैंने उसको ‘सॉरी’ बोला और जाने के लिया आगे बढ़ गया।

आप लोग सोच रहे होंगे.. कैसा बेवकूफ है.. सामने चूत और खुद के पास खड़ा लंड और वापिस जा रहा है।

पर मुझे पता था कि आग उसमें भी लगी हुई है, तभी उसने पानी माँगा था।

खैर.. जैसे ही मैं जाने लगा, वो पीछे से आई और मुझसे लिपट गई और कहने लगी- मैंने अभी तक किसी को नहीं ‘दी’ है.. पर आज पता नहीं क्या आग लगी हुई है.. प्लीज इसे मुझे छोड़ कर मत जाओ।

मैंने उसके हाथ पकड़ कर उसे आगे खींच लिया और बांहों में भर लिया। उसके गरम-गरम जलते हुए होंठ पर अपने होंठ रख दिए और एक हाथ से उसके मम्मों को सहलाने लगा।

थोड़ी देर में मैं अपने ऊपर से नियंत्रण खोता जा रहा था, मैं कुछ अलग सा अनुभव कर रहा था।

मेरे हाथ नीचे उसके नितंबों पर फिसलने लगे थे।
उसकी आँखें बंद हो रही थीं और मैं अजीब सा उन्माद का अनुभव कर रहा था।

उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी।

मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि अभी बाथरूम में उसने चूत के बाल साफ़ किए हैं।

मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाया और ले जाकर बिस्तर पर धम्म से गिरा दिया।

वो तो पूरी छुईमुई होकर सिमट गई, मैंने उसकी दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चिकनी चूत पर जुबान रख कर बाहर से सहलाने लगा।

वो धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी।

मैं उसको उसी अवस्था मैं छोड़ कर खड़ा हुआ और अपनी पैंट उतार दी और मेरा खड़ा लंड अब उसके सामने था।

वो मेरा लण्ड देख कर सिहर सी गई, बोली- अरे.. इतना बड़ा मेरी चूत में.. कैसे जाएगा।

मैं बोला- लंड चाहे कितना बड़ा भी क्यों ना हो, किसी भी चूत में आराम से चला जाता है और मैं तो वैसे भी खिलाड़ी हूँ.. तू डर मत।

मैंने अपना लंड उसके हाथ में दिया, वो हाथ में लेकर बड़े प्यार से देख रही थी, मैंने उसे चूसने को बोला तो वो मना करने लगी।

तो मैं उठा और अपनी पैन्ट पहनने लगा, वो बोली- क्या हुआ?

मैंने कहा- मेरी प्यारी.. मैं जब तेरी चूत की पंखुड़ी चाट रहा था, तो बहुत खुश थी.. अब लंड क्या तेरी छोटी बहन चूसेगी।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार मेल करें।

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