अहमदाबाद की मस्त निशा भाभी

(Ahemdabad Ki Mast Nisha Bhabhi)

मेरा नाम जय है, मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ। मुझे पहले से ही शादीशुदा आंटी और भाभी बहुत पसंद हैं। मैं हमेशा ही इसी ताक में रहता था कि काश कोई आंटी या भाभी मिल जाए।
मैंने 5-6 लड़कियों के साथ सेक्स किया है लेकिन तब भी विवाहित आंटी और भाभी की ही तलाश में रहता था।

मैं बता देना चाहता हूँ कि हमारा गाँव अहमदाबाद से 15 किलोमीटर की दूरी पर है, यहाँ पर इंडस्ट्रीज बहुत हैं तो बाहर से सब लोग यहाँ पर रहने के लिए आते हैं।
एक दिन हमारी सोसाइटी के पीछे वाली सोसाइटी में एक विवाहित जोड़ा किराए पर रहने आया।
उस सोसाइटी में पीने का पानी ठीक ना आने की वजह से उधर की सभी आंटीज हमारे यहाँ पीने का पानी भरने के लिए आती थीं।

तो वो जो नया जोड़ा रहने आया था, उस भाभी का नाम निशा था, वो दिखने में गजब थी। एकदम कोई हीरोइन की तरह।
उनकी शादी को 7 साल हुए थे।
मैं हर रोज उनको देखता, शुरूआत में निशा ने मुझे नोटिस नहीं किया कि मैं उन्हें देख रहा हूँ पर बाद में उसे पता चल गया कि मैं हर रोज उनको देखता हूँ, तो वो भी मुझे देखने लगीं।

बाद के कुछ दिनों में हम इशारे से बातें करने लगे क्योंकि उनका घर और मेरा घर थोड़ा दूर-दूर था।
फिर एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था, मैं कॉलेज से आया और देखा कि घर पर कोई नहीं है और रात को ही आएँगे।
उस दिन पानी भी देर से आया था, सभी आंटीज पानी भरने आईं, लेकिन निशा दिखाई नहीं दे रही थी तो मैं उदास हो गया।
20 मिनट के बाद सभी पानी भर कर चली गईं। फिर मैं उदास हो गया और अपने कमरे में चला गया। तभी थोड़ी देर में मुझे पानी की आवाज़ आई, मैं झट से बाहर आया और देखा तो हैरान रह गया।

मैंने देखा वहाँ पर निशा थी, मैंने उसके सामने देखा तो वो मुस्कुराई, मैं भी उसे देख कर मुस्कुरा दिया।
मैंने उसे इशारे से अन्दर आने को कहा, तो उसने मना किया।
मैंने फिर से उदास चेहरे से देखा तो वो मुस्कुराई और कहा- ठीक है।
फिर वो अन्दर आई और सामने के सोफे पर बैठी और कहा- बोलो मुझे अन्दर क्यों बुलाया?

मैंने कहा- थोड़ा काम है निशा जी।
तो उसने कहा- हाँ बोलो.. क्या काम है..?
मैंने कहा- मेरे घर पर कोई नहीं है तो मुझे चाय पीनी है… आप बनाओगे मेरे लिए प्लीज़..?

तो उसने ‘हाँ’ कहा और मैंने उसे रसोई में ले गया।
उसने स्लिम फिट साड़ी पहन रखी थी। क्या माल लग रही थी। मेरी तो हालत खराब हो गई। वो चाय बनाने लगी, मैं उसके साथ खड़ा हो कर बातें करने लगा।

अचानक उसका पल्लू सरक गया तो उनके मम्मों की दरार दिखने लगी, मैं तो आँखें फाड़ कर देखता ही रह गया।
गजब के थे यार 34 तो होंगे ही..!
वो शरमाई और कहा- मुझे काम है… मैं चलती हूँ।
वो जाने लगी, तो मैंने निशा का हाथ पकड़ लिया और कहा- रूको… चाय तो पी कर जाओ।

तो निशा ने मना किया।
मैंने कहा- प्लीज़..!
तो वो मान गई। हमने साथ-साथ चाय पी और फिर से निशा का पल्लू सरक गया, तो वो फिर से शरमाई।
मुझे बहुत जोरो की हँसी आई तो वो बोली- हँस क्यों रहे हो..?
मैंने कहा- कुछ नहीं ऐसे ही..!
तो वो बोली- नहीं.. कुछ तो होगा…!

तभी मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और किस किया, तो वो बोली- यह क्या..? पागल हो गए हो क्या..?
मैंने कहा- नहीं, होश में ही हूँ… निशा जी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
तो वो शरमाई और कहा- यूँ ही झूठ मत बोलो..!
मैंने कहा- सच्ची.. आप बहुत अच्छी लगती हो..!
और निशा के होंठों को चूम लिया, तो वो मुझे रोकने लगी।

फिर भी मैं नहीं रुका, तो वो भी मेरा साथ देने लगी। दस मिनट तक यूँ ही हम चूमते रहे। फिर मैंने उसके ब्लाउज का हुक जो पीछे था, उसे खोल दिया। वो मुझे देखती रही, परंतु कुछ नहीं बोली, तो मैं समझ गया कि आज मेरा सपना पूरा होने जा रहा है।

देखते ही देखते मैंने उसके ऊपर के सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी उतार दिए।
अब मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरु किया, तो वो गर्म होने लगी। उसके निप्पल लाल-लाल थे और मम्मे भी बहुत बड़े थे। मैं बीस मिनट तक यूँ ही चूसता रहा।

तभी वो बोली- एक बात कहूँ..!
मैंने कहा- हाँ कहो..!
वो बोली- मुझे पता था कि तुम आज घर पे अकेले ही हो, तो मैं जानबूझ कर सभी के जाने के बाद ही पानी भरने के लिए आई..
यह सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा।

फिर उसने कहा- अब आगे भी कुछ करोगे या ऐसे ही मुझे तड़पाओगे?
मुझे तो जैसे जोश आ गया, मैंने उसको उठाया और कमरे में ले गया और लेटा दिया और उसकी पैन्टी उतार दी। मैं तो पहले से ही नंगा था।
मैंने देखा कि उसकी चूत लाल थी और गीली भी थी। मैंने उसकी चूत पर मुँह लगा कर चाटने लगा। वो उत्तेजित होकर सिसकारियाँ भर रही थी।

थोड़ी देर तक यूँ ही मैं उसकी चूत को चाटता रहा, फिर मैंने उससे कहा- अब मेरे लण्ड को मुँह में लो..!
तो उसने मना कर दिया और अपने हाथ में ले कर खेलने लगी।
वो देख कर बोली- आपका तो बहुत बड़ा है.. मेरे पति का तो इतना नहीं है और होता भी तो उनके पास टाइम ही नहीं है, पूरा दिन काम-काम और काम.. लगता है आज मेरी इच्छा पूरी होगी..!

ऐसा कह कर वो मेरे ऊपर आई और मुझे किस करने लगी। तभी उसने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया और बैठ गई। मेरा आधा लंड अन्दर चला गया और वो रुक गई और सिसकारियाँ भरने लगी, उसे दर्द हो रहा था। फिर मैंने उसको लेटा दिया और उसके ऊपर आ गया और एक धक्का दिया और बाकी बचा लंड भी उसकी चूत में डाल दिया।
उसको बहुत दर्द होने लगा।

लगता था उसका पति उसे कभी चोदता ही नहीं था।
थोड़ी देर तक मैं उसे चूमता रहा और वो शान्त हो गई। फिर मैंने अपना लंड अन्दर-बाहर करना शुरू किया तो उसे बहुत मज़ा आने लगा था।
उसकी आँख से आँसू निकले तो मैंने पूछा- क्यों..?
तो उसने कहा- मुझे कभी भी ऐसा सुख नहीं मिला।

और मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे थैंक्स कहा। बीस मिनट के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। उसके बाद हम जब भी मौका मिलता तो मौके का उपयोग कर लेते थे। दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है, तो आपको कैसी लगी, मुझे ईमेल करें, धन्यवाद।
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