शराबी की जवान बीवी की प्यास

(Sharabi Ki Javan Bivi Ki Pyas)

दोस्तो, नमस्कार ! आप सबने होली तो अच्छे से मनाई ही होगी। कई दोस्त तो अपने अनुभव मेल के जरिए बता रहे हैं, पढ़कर काफी मजा आ रहा है।
यह कहानी मेरे एक दोस्त की है जो मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ। आगे की कहानी मेरे दोस्त की जुबानी…

मैं एक 22 साल का युवक हूँ, मेरा नाम शिवकुमार है, इंटर तक पढ़ा हूँ लेकिन बेरोजगार था इसलिए काम की तलाश में गाँव के कुछ दोस्तों के साथ दिल्ली आ गया। मेरे दोस्तों की वहाँ पर काफी जान पहचान थी जिसका फायदा ये हुआ कि मुझे एक धर्मकाँटे पर पाँच हजार रुपए प्रति माह में नौकरी मिल गई।

मुझे खुशी हुई कि चलो कुछ तो काम मिला।
सुबह जल्दी तैयार होकर जाना पड़ता था, नाश्ता वहीं पर करता था और अंकल जी जो उस धर्मकाँटा के मालिक थे, 11 बजे आते थे और दोपहर का खाना भी ले आते थे जिसकी वजह से मुझे सिर्फ रात का खाना ही बनाना पड़ता था।

वहाँ पर जो भी ट्रक वाले आते, मुझसे तौल में कुछ फेर बदल करवाते और पाँच-छ: सौ रुपए अलग से देकर चले जाते। मेरी अच्छी आमदनी होने लगी थी। अंकल जी की मैं खूब सेवा करता था वो भी मुझसे खुश रहते थे।अब जरूरत थी तो सिर्फ एक चीज की जिसे हर नौजवान को होती है लेकिन धर्मकाँटे पर तो सिर्फ ट्रक वाले मुस्टंडे आते थे जिनसे चूत की आशा तो की नहीं जा सकती थी अत: मैं मन मारकर अपना काम करता रहा।

अंकलजी को शराब पीने की आदत थी तो कभी-2 ज्यादा हो जाती तो मुझे उनको घर तक छोड़ने जाना पड़ता। उनके घर में उनकी एक जवान बेटी थी और उनकी बेटी की ही उम्र की पत्नी थी। हुआ यह था कि अंकल की पहली बीवी से एक लड़की थी जो सयानी हो गई थी, पहली बीवी के मर जाने के बाद अंकल ने अपने से काफी कम उम्र की दूसरी बीवी ला रखी थी जो उनकी बेटी की बड़ी बहन जैसी लगती थी।

जब मैं अंकल को छोड़ने उनके घर जाता तो नोट करता कि आंटी काफी टेंशन में रहती थी। देर हो जाने के कारण मुझे खाना भी अंकल के घर पर ही मिलता और कभी-2 वहीं सोना भी पड़ता था। जब भी मैं अंकल के घर जाता तो देखता कि आंटी मुझे बड़े गौर से देखा करती थी। लेकिन कभी कोई ऐसी बात नहीं होती थी। खाना मुझे आँटी ही परोसती थी तो कुछ औपचारिक बातें तो हो ही जाती थीं।

एक दिन अंकल ने काफी पी रखी थी वो लड़खड़ा रहे थे इसलिए मुझे उनके घर छोड़ने जाना पड़ा। मैंने अंकल को स्कूटर पर बैठाया और उनके घर पहुँचा। अंकल नशे के कारण पता नहीं क्या-2 बड़बड़ा रहे थे।

मैंने कालबेल दबाई तो आंटी ने दरवाजा आंटी ने दरवाजा खोला। अंकल की हालत देखते ही आँटी तनाव में आ गई पर बोली कुछ नहीं। अंकल का एक हाथ मैंने पकड़ा व दूसरा आंटी ने, अंकल को उनके कमरे में पहुँचा कर मैं वापस आने लगातो अंकल लरजती आवाज में बोले- शिव..कुमार.. खाना खाकर यहीं.. सो जाना का..फी देर हो गई.. है।

‘जी अंकल !’ और मैं अंकल के कमरे से बैठक में चला आया। कुछ देर में आंटी मेरे लिए खाना लेकर आ गई। मैं खाना खा रहा था आंटी वहीं बैठी थी, आंटी काफी उदास दिख रही थी।
मैंने पूछा- आँटी, क्या बात है, आप कुछ उदास सी दिख रही हैं?

‘क्या बताऊँ शिवकुमार, इनकी हालत तो तुम देखते ही हो, मेरी तो किस्मत ही फूट गई !’ उन्होंने रुआँसी होकर कहा।
पर मेरी भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलूँ फिर भी कुछ तो कहना ही था, मैंने कहा- सब्र करो आंटी, अंकल को आप समझाया करो कि कम पिया करें, कुछ दिन में सब ठीक हो जाएगा।

‘क्या खाक ठीक हो जाएगा? पूरी बात अभी तुम जानते नहीं हो !’
‘बताओ आंटी !’ मैंने पूछा।
‘तुम्हारा बिस्तर मैं अपने बेडरुम के बगल वाले कमरे में लगाती हूँ, खिड़की से तुम देखना खुद ही समझ जाओगे !’ इतना कहकर बरतन लेकर आंटी चली गई और अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई।
मैं बैठा सोच रहा था कि हो न हो आंटी की प्यास अंकल बुझा नहीं पाते होंगे।

खैर खाना खाने के बाद मैं थोड़ी देर बैठा टीवी देख रहा था, तब तक आंटी आई और मुझसे बोली- शिव, तुम्हारा बिस्तर लगा दिया है, जाकर आराम करो, काफी देर हो गई है।
‘जी आँटी !’ और मैं सोने चला गया।

जिस कमरे में मैं लेटा था उसके ठीक बगल में अंकल का बेडरूम था और बीच की दीवाल में एक खिड़की थी जो शायद हमेशा बंद ही रहती थी।
कुछ देर बाद कुछ आहट मुझे सुनाई दी मुझसे रहा न गया मैं उठा और खिड़की की झीरी में से अंकल के बेडरूम में देखने की कोशिश करने लगा।

मैंने देखा कि अंकल पता नहीं क्या बड़बड़ा रहे थे और आंटी को अपनी ओर खींच रहे थे लेकिन आंटी के मुँह के पास जैसे ही अंकल अपना मुँह ले जाते, शराब की बू के कारण आंटी अपना मुँह दूसरी ओर घुमा लेती, आंटी अंकल से दूर रहने की कोशिश करती !

यह बात शायद अंकल को पसंद नहीं आई उन्होंने तड़ाक से एक थप्पड़ आंटी के गाल पर रसीद कर दिया और बोले- मादरचोद, मैं तुझे पास खींचता हूँ तो तू दूर भागती है चल मेरा लंड चूस।
बेचारी आंटी रोने लगी, लेकिन क्या करती आदेश तो मानना ही था, अत: अंकल की चड्ढी उतार कर मुरझाए लंड को चाटने लगी।

इधर मेरा लंड पैंट फाड़ने को तैयार था।
आंटी लंड चूस रही थी और अंकल उनकी चूत में उंगली से खलबली मचा रहे थे। पाँच मिनट बाद अंकल ने झुरझुरी सी ली और आंटी को अपने ऊपर बैठकर चुदवाने को कहा। आँटी का चेहरा देखकर लग रहा था कि वो भी गर्म हो चुकी थीं। आंटी अंकल के ऊपर टाँग फैलाकर बैठी और अंकल के अधखड़े लंड को अपनी चूत में डालने लगी।

अंकल का लंड भी ज्यादा टाइट नहीं था और आंटी की चूत टाइट थी इसलिए अंदर डालने में काफी दिक्कत हो रही थी।
खैर किसी तरह थोड़ा बहुत लंड चूत में गया और अंकल ने नीचे से धक्के मारने शुरु किए।

कुछ देर बाद आंटी भी उछलने लगी। तभी अचानक अंकल का पानी निकल गया। अंकल तो ठंडे पड़ चुके थे मगर आंटी अभी भी उछल रही थी। झड़ा लंड आखिर कब तक खड़ा रहता, वो बाहर आ गया। आंटी ने काफी कोशिश की उसे खड़ा करने की मगर नतीजा सिफर। उस लंड को न खड़ा होना था और न हुआ।

अंकल एक करवट लेकर सो गए मगर आंटी भूखी नजरों से उसी खिड़की की ओर देख रही थी जिससे मैं सारा खेल देख रहा था।
आंटी उठी और बाथरुम गई फिर दो मिनट बाद तौलिए से अपनी चूत पोंछती हुई बाहर निकली।
एक बार अंकल को जगाने की कोशिश की, अंकल गहरी नींद में थे। आंटी निश्चिंत होकर कमरे से बाहर निकली। मैं समझ गया कि वो अब मेरे पास जरूर आएँगी।

मैं खिड़की के पास से आकर बेड पर बैठा ही था कि दरवाजे पर हल्की सी आहट हुई। दरवाजा खुला ही था अत: बिना आवाज किए खुल गया।
आंटी अंदर आ गईं, वो सिर्फ तौलिया लपेट कर आईं थी।

मैंने थोड़ा खिसककर उन्हें बैठने का इशारा किया। वो मुझसे सटकर बैठ गईं और रोने लगी। मैंने आंटी के आँसू पोंछे और उन्हें समझाया। आँसू पोंछने के बहाने मैं काफी देर तक उनके गालों को सहलाता रहा। धीरे-2 आँटी के होठों पर मुस्कान थिरकने लगी।
आंटी अभी मुश्किल से पच्चीस की रही होंगी, गोरा रंग, छरहरा बदन वो भी सिर्फ एक तौलिये में लिपटा हुआ, इतना सब मेरे होश उड़ाने के लिए काफी था।मैंने उनके गालों पर चुम्बन किया, वो सिहर उठी और मुझसे लिपट गई।

मैंने उनके चेहरे पर ताबड़तोड़ चुम्बन किए। आंटी मदहोश होने लगी। मैंने उनके होठों को चूसना शुरू किया और एक हाथ से तौलिया सरका कर उनके नंगे जिस्म को यहाँ वहाँ सहलाने लगा।
आंटी की आँखें बंद हो चुकी थी, शायद उन्हें भी मजा आ रहा था। फिर उनके होठों को छोड़ मेरे होंठ गरदन से फिसलते हुए छातियों तक आ गए।

हाऽऽय… क्या मस्त छातियाँ थी। शायद उस बुड्ढे ने कभी इनका मजा भी नहीं लिया था। मैं दोनों छातियाँ दबाते हुए बारी-2 से दोनों निप्पल चूसने लगा।
आंटी के मुँह से ऊँऽऽऽ… आऽऽऽह… इस्स्स…की आवाजें निकल रही थी। आंटी मेरा सर अपने सीने पर दबा रही थी।
कुछ देर बाद मैं आंटी की टाँगें फैलाकर उनकी चूत को सहलाने लगा। आंटी मेरा लंड सहला रही थी। अब मैंने 69 की पोजीशन बनाई। आंटी के ऊपर से मैं उनकी चूत को चाटने लगा और आंटी मेरा लंड चूस रही थी। बीच-2 में वो मेरे अंडकोष चाटने लगती जिससे मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।

5 मिनट बाद आंटी अपनी चूत ऊपर उठाने लगी और मेरा सर चूत पर दबाते हुए पानी छोड़ दिया।
मैं उठा, अब मैं आंटी को चोदना चाहता था। आंटी उठकर मेरे चेहरे पर मूसलाधार चुम्बन बरसाने लगी।

मैं लेट गया और आंटी को ऊपर आने का इशारा किया। आंटी अपनी टाँगें फैलाकर लंड पर बैठकर बड़े प्यार से मेरी ओर देखने लगी। मैं उनके मम्में दबाने लगा। आंटी ने लंड को सीधा करके चूत के मुँह पर लगाकर अपने शरीर को नीचे छोड़ने लगी। चूत काफी टाइट थी इसलिए कुछ दिक्कत हो रही थी लंड बार-2 फ़िसल रहा था। अबकी बार जैसे ही आंटी ने चूत के छेद पर लंड रखा, मैंने नीचे से जोर का धक्का मारा।

‘आऽऽह’ आंटी के मुँह से चीख निकल पड़ी।
मेरा 6 इंच का मोटा लंड आधे से ज्यादा अंदर जा चुका था। हालाँकि खून तो नहीं निकला था पर आंटी को दर्द जरूर हुआ था। मैं आंटी के चूचे दबाने और चूसने लगा।

कुछ देर बाद जब आंटी नार्मल हुई तो मैंने नीचे से धक्के देना शुरु किया, आंटी को भी मजा आ रहा था वो भी ऊपर से लंड पर उछल रही थी। मैंने स्पीड बढ़ा दी। आंटी के मुँह से मीठी कराहें फूट रही थी, आंटी ने जोर से उछलना शुरु किया, 5-7 मिनट बाद उनका शरीर ऐंठने लगा, एक जोर की सिसकारी लेते हुए आंटी ने पानी छोड़ दिया जिससे लंड सटासट जाने लगा।
आंटी मेरे ऊपर लेटकर हाँफने लगी। उनका काम तो हो गया था लेकिन अभी मेरा बाकी था। मैंने आंटी को तुरंत घोड़ी बनाया और पीछे से लंड डालकर गचागच चुदाई करने लगा।

5-6 मिनट के बाद मेरा पानी छूटने लगा। मैं जोर से धक्के मारते हुए सारा माल चूत में भर दिया और आंटी के ऊपर लेट गया।
काफी दिनों बाद मुझे सेक्स का मजा मिला था, आंटी भी काफी खुश नजर आ रही थी। उन्होंने लंड को चाटकर साफ किया और तौलिया लपेटा और मुझे चूम कर चली गई।

उसके बाद मैं अक्सर अंकल को बातों बातों में शराब ज्यादा पिला देता और चढ़ जाती तो उन्हें घर पहुँचाता और वहीं रात को रुककर आँटी को जी भरकर चोदता।
इसी बीच मैंने अंकल की बेटी को भी अपने एक दोस्त के साथ मिलकर चोदा लेकिन वो सब फिर कभी बताऊँगा।
फिलहाल यह कहानी आपको कैसी लगी तुरंत मेल करके मुझे जरूर बताएँ।
[email protected]

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category Office Sex or similar stories about

You may also like these sex stories

Comments

Scroll To Top