रश्मि की रेशमी चूत चुदाई की दास्तान
हैलो दोस्तो, मैं जिया फ़िर एक बार आपके सामने आई हूँ एक चुदाई की दास्तान लेकर!
कोई मुझे चुदने से बचा लो
और
प्यार की एक कहानी
को बहुत पसन्द किया इसलिए मैं आपकी बहुत आभारी हूँ।
मुझे बहुत सारे मेल मिले, पर सभी को जबाब नहीं दे सकी, इसलिए माफ़ करना।
यह कहानी जो मैं पेश कर रही हूँ, मेरे करीबी दोस्त राहुल की है, जो उसके कहने पर आपके सामने पेश कर रही हूँ।
तो सुनिए राहुल की जुबानी उस की कहानी। आशा करती हूँ कि इस कहानी को भी आप बहुत प्यार देंगे।
मेरा नाम राहुल है, रायपुर शहर का रहने वाला मैं 27 साल का जवान लड़का हूँ। देखने में गोरा, लंबा और शरीर से सामान्य हूँ। वैसे मैं बचपन से ही लड़कियों के बीच खेल कर बड़ा हुआ हूँ सो मुझे लड़कियों से बात करने में कोई झिझक महसूस नहीं होती है।
मेरी कहानी आज से लगभग 4 साल पुरानी है।
यह कहानी मेरी पुरानी क्लासमेट रश्मि की है जो देखने में हल्का सांवले रंग की थी लेकिन बेहद सुंदर नयन-नक्श की थी। रश्मि से मेरी पहली मुलाकात हमारी ट्यूशन क्लास में हुई थी। वो अगस्त का महीना था, मेरे टीचर मुखर्जी सर के यहाँ मैं शाम के बैच में ट्यूशन पढ़ने जाया करता था, रश्मि भी शाम के बैच में पढ़ने के लिए आई।
सर ने पूछा- तुम सुबह के बैच के बजाए शाम के बैच में क्यों आई हो?
रश्मि ने बताया- सुबह घर का काम ज्यादा और स्कूल होने की वजह से अब मैं शाम को ही आ पाऊँगी।
सर ने समझाने की कोशिश की- शाम के बैच में लड़के ही रहते हैं!
पर रश्मि बोली- मैं एडजस्ट कर लूँगी, वरना मुझे ट्यूशन छोड़ना पड़ेगा।
अब सर के पास ‘हाँ’ कहने के अलावा कोई रास्ता न था।
रश्मि मेरे बगल में आकर बैठी, उसे देखकर मैं बहुत खुश था, उस दिन हमारी क्लास जल्दी खत्म हो गई।
क्लास से बाहर आकर रश्मि ने मुझसे पहले से बात की, उसने मुझे ठहरने के लिए बोला, फिर मेरा नाम पूछा।
मैं- राहुल.. और आप का नाम?
रश्मि- रश्मि..!
मैं- क्या आप सुबह के बैच में आती थीं?
रश्मि- हाँ.. लेकिन अब शाम को ही आ पाऊँगी।
मैं- ऐसा क्यों?
रश्मि- मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है और घर का काम मुझे ही करना पड़ता है। इसलिए सुबह समय नहीं मिलता। क्या आप मेरी पढ़ाई में मदद कर सकते हैं?
मैं- कैसी मदद?
रश्मि- शाम के बैच की पढ़ाई के सिलेबस के बारे में।
मैं- ओके.. लेकिन कल से..!
रश्मि- ठीक है।
मैं बहुत खुश था, इतनी सुंदर लड़की मुझसे मदद चाहती है। रात भर मैं उसी के बारे में सोचता रहा।
अगले दिन मैं समय से पहले जाकर उसका इंतजार करने लगा, वो भी टाइम पर आ गई।
उसने आकर मुझे ‘हाय’ बोला और क्लास न जाने का कारण पूछा।
मैंने बोल दिया- मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा था।
वो हँसी और अन्दर जाने लगी, मैं भी अन्दर चला गया।
उस दिन भी हमारी काफी बातें हुईं और मैं उसकी पढ़ाई में मदद भी करने लगा।
शाम को बारिश और अँधेरा होने के वजह से रश्मि ने मुझे आधे रास्ते तक छोड़ने के लिए बोला, मैंने हाँ कर दी और हम बातें करते-करते चल दिए।
उस दिन हम दोनों बेहद खुश थे। लेकिन किस्मत को शायद हमारी दोस्ती पसंद नहीं आई और उसने ट्यूशन छोड़ दिया।
मैंने सर से इसके बारे में बात की, तब उन्होंने बताया- उसकी मम्मी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई, तो वे लोग उन्हें इलाज के लिए बैंगलोर ले गए हैं।
इस तरह हम एक होने से पहले अलग हो गए।
कहते हैं ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। आज से 4 साल पहले जुलाई 2010 में मैंने एक कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर का जॉब ज्वाइन किया मेरा केबिन अच्छा था और एसी लगा हुआ था।
बॉस ने बताया कि मुझे कुछ दिन के लिए अपने सीनियर के साथ मार्किट में काम समझने के लिए जाना आवश्यक है जिससे मैं काम को बेहतर ढंग से समझूँ।
अगले दिन सुबह मुझे सीनियर के साथ जाना था तो मैं उनका केबिन में इन्तजार कर रहा था।
वो एक लेडी थी और सूट पहन कर आई थी, वो फुल मेकअप में सुंदर और सेक्सी लग रही थी।
जब वो पास आई तो मुझे शॉक लगा क्योंकि वो कोई और नहीं मेरी रश्मि थी। लेकिन उसने मुझे देखकर कोई ख़ुशी जाहिर नहीं की, सो मैं भी चुप रह गया। हम दोनों उनकी कार में मार्केट की ओर चले गए।
रास्ते में उसने खुद मुझसे बात की।
रश्मि- कैसे हो राहुल?
मैं- ठीक हूँ, चलो, मुझे पहचाना तो सही!
रश्मि- पहचानूँगी कैसे नहीं, अपने दोस्त को।
मैं- दोस्त कहती हो और अपने दोस्त की खबर भी नहीं ली।
रश्मि- माफ़ करना राहुल.. मुझ पर बहुत बड़ा संकट आ गया था।
मैं- खैर… जाने दो, बताओ कैसी हो तुम.. और यहाँ कैसे?
रश्मि- लंबी कहानी है फुर्सत में सुनना।
और हम दोनों मार्केट घूमे। रश्मि ने मुझे पूरा मार्केट का काम समझा दिया और शाम को अपने अपने घर आ गए।
उस रात मैं रश्मि के ही बारे में सोचता रहा।
इस तरह वो मेरी दुनिया में वापस आ गई थी और रश्मि को वापस पाकर मैं बहुत खुश था।
15 अगस्त के दिन हमारी जॉब में भी जल्दी छुट्टी मिल गई। रश्मि मेरे पास आई और मुझे अपने घर आने के लिए बोली। मैंने कुछ सोचने के बाद ‘हाँ’ कर दिया। फिर दोनों साथ में उसके घर चलने लगे।
वो अपने पापा के साथ कंपनी के एक घर में रहती थी घर काफी सुंदर था।
रश्मि ने बताया- पापा कुछ काम से शहर से बाहर गए हैं।
रश्मि मुझे बैठने के लिए बोल कर चाय और पानी लेने चली गई।
मैं बैठा था कि मुझे पास में रश्मि का लैपटॉप दिखा। मेरा खुरापाती दिमाग उसमें कुछ खोजने लगा। मुझे जल्द ही हॉट मूवी और फोटो दिख गई। मैं समझ गया कि यह भी सेक्स की प्यासी है।
रश्मि पानी और कुछ खाने का ले कर आई और हम बातें करने लगे।
बातों ही बातों में मैंने उसकी शादी के संबंध में पूछा, तो वो टाल गई। मेरे हाथ में लैपटॉप देखकर पूछने लगी- तुमने कुछ देखा तो नहीं?
मेरे पूछने पर- क्या कुछ?
वो सर नीचे करके शरमाने लगी।
मैंने भी सही समय समझ कर उसका हाथ अपने हाथ में रख लिया। वो मेरे तरफ ऐसे देख रही थी मानो वो इसका कब से इंतजार कर रही हो।
रश्मि मुझसे लिपट कर रोने लगी।
थोड़ी देर बाद वो गर्म होने लगी और मेरे पीठ में हाथ घुमाने लगी। मुझे भी मजा आने लगा। धीरे-धीरे वो अपने गाल को मेरे होंठ पर घुमाने लगी, जिससे मैं भी गर्म होने लगा। इससे पहले मेरे मन में रश्मि के बारे में कोई गलत ख्याल नहीं थे, पर पता नहीं क्यों उसे चोदने का मन करने लगा।
मैं भी अपने होंठ को उसके होंठ से चिपका दिया और दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे।
अब धीरे-धीरे मेरा हाथ उसके मम्मों पर गया रश्मि सिहर उठी और जोर से मुझसे चिपक गई।
अब मैं भी मजे लेकर उसके मम्मों को दबाने लगा, मुझे बहुत मजा आ रहा था क्योंकि मैं अपने प्यार को ही प्यार कर रहा था।
रश्मि ने मेरे कमीज के बटन खोलने शुरु कर दिए और मैंने भी रश्मि की कुर्ती व पजामा को खोल दिया। अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी। बिना कपड़ों के रश्मि बहुत सुंदर लग रही थी।
उसको देख कर मेरा लण्ड सातवें आसमान पर पहुँच गया और रश्मि को और जोर से चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
रश्मि की ब्रा खोल कर मैं उसके दूध चूसने लगा, जिससे वो सिसकारियाँ भरने लगी। थोड़ी देर में पेंटी खोल कर मैंने चूत के भी दर्शन कर लिए।
चूत पर छोटे-छोटे बाल उगे थे मतलब कि वो अपनी चूत हमेशा साफ करती थी।
उसके चूत को किस करके मैं चूत को अपनी जीभ से चूत चोदन करना चाहता था, पर उसने मना कर दिया।
बोली- ये सब गंदा है..!
मेरे दुबारा कहने पर भी वो नहीं मानी।
रश्मि ने खुद मेरे सारे कपड़े एक-एक करके उतार दिए और मेरे लण्ड को देख के भूखी शेरनी की तरह उसके आँख में चमक आ गई और लण्ड को हाथ में ले कर ऊपर-नीचे करने लगी।
मैंने उसे मुँह में लेने के लिए कहा, लेकिन वो टाल गई।
बोली- ये सब घिनौना है!
मेरे कई बार कहने पर भी वो नहीं मानी, बोली- करना है तो ऐसे ही करो।
मैंने भी सोचा कि इस बार ऐसे ही चोद लेता हूँ, अगली बार तड़पा कर और लण्ड चुसवा कर ही चोदूँगा।
और मैं फिर से रश्मि के दुद्दुओं से खेलने लगा एक को मुँह में लेकर चूस रहा था तो दूसरे का निप्पल को अपनी उंगली से मसल रहा था।
थोड़ी देर में ही रश्मि सिसकारी भरने लगी और छटपटाने लगी।
अब उसकी चूत में उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। वो भी मेरे लण्ड को ऊपर-नीचे करने लगी।
थोड़ी देर में वो जोर-जोर से ‘आहें’ भरने लगी और लगातार ‘राहुल आइ लव यू… राहुल आइ लव यू… आइ लव यू…!’ कहने लगी और मेरी उंगली से ही झड़ गई।
उसकी चूत के पानी से मेरी पूरी हथेली गीली हो गई। उसकी चूत के पानी से क्या महक आ रही थी जिसे सूंघने के लिए मैं अपने हाथ को मुँह के पास लाया था कि रश्मि मेरे हाथ को हटा कर मेरे होंठ से चिपक गई।
और थोड़ी देर बाद बोली- अब पानी तो निकाल दिया… चोदोगे कब?
यह सुनकर मेरा लण्ड उफान लेने लगा और मैं रश्मि की चूत में अपना लण्ड फिट करने लगा। थोड़ी सी मशक्कत के बाद लण्ड अपना रास्ता बनाने लगा।
शायद रश्मि को दर्द हो रहा था इसलिए वो अपनी कमर को नचा रही थी। मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे आगे ठेल रहा था।
रश्मि बोली- पहली बार चुद रही हूँ… धीरे-धीरे डालना!
मैंने भी अपनी रश्मि के चूत का ख्याल किया और धीरे-धीरे अन्दर डालते गया।
तभी मेरे मन में ख्याल आया कि बिना दर्द के चोदने में क्या मजा, इसलिए मैंने रश्मि के मुँह में अपना मुँह रखा और चुम्बन करते हुए लण्ड बाहर निकाल कर जोर से लण्ड को बुर में ठेल दिया।
रश्मि को तेज दर्द हुआ वो चिल्लाने के लिए छटपटाने लगी। उसकी आँख से आंसू बहने लगे, लेकिन मैंने नहीं छोड़ा।
थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई और चूतड़ उठा-उठा कर चोदने के लिए इशारा करने लगी।
मैंने भी समय की नजाकत को समझ कर लण्ड अन्दर-बाहर करके चोदना चालू किया।
रश्मि भी चुदाई का पूरा मजा लेने लगी। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों बारी-बारी से झड़ गए।
उस दिन हम दोनों ने दो बार और चुदाई का मजा लिया। इसके बाद यह सिलसिला पूरे एक साल चला।
यह थी रश्मि की रेश्मी चूत चुदाई की दास्तान।
आपको कैसी लगी जरूर बताना।
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