रचना की चूत की खुजली
(Rachna Ki Chut Ki Khujli)
अन्तर्वासना के सभी मित्रों को मेरा प्यार भरा नमस्कार.. मेरा नाम लव पांडे है.. मेरी उम्र 32 साल.. कद 6 फीट.. कसरती बदन.. रंग गोरा.. दिखने में आकर्षक हूँ।
दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है जो कि करीब 4 साल पहले की है।
उस वक्त मैं एक दिल्ली में एक कनसल्टिंग फर्म में नौकरी करता था और मेरी टीम में 5 लड़कियाँ थीं.. जो मुझे रिपोर्ट करती थीं..
वैसे सभी सुंदर थीं.. पर रचना की बात ही अलग थी.. उसका कद 5.6 फिट था.. रंग थोड़ा सांवला.. छरहरा बदन और बोलने में बहुत सॉफ्ट और स्वीट.. जो भी देखे और बात करे.. बस फिदा हो जाए।
यह बात तब की है.. जब मैं 7 दिन की छुट्टी लेकर अपने गाँव गया था और जब मैं वापस आया तो ऑफिस में रचना के साथ पर कम्युनिकेटर पर चैट कर रहा था।
उसने बताया- मैंने इन 7 दिनों में आपको बहुत मिस किया।
फिर क्या था.. मुझे मौका दिखा और मैंने भी पूछ लिया- क्यों.. क्या तुम मुझे इतना पसंद करती हो?
तो उसने कहा- हाँ.. शायद आपको बता नहीं सकती.. कि मैं आपको कितना प्यार करती हूँ।
फिर क्या था दोस्तो, मैंने कहा- आज तुम्हारा रिव्यू है.. तुम शाम को रुक जाना.. फिर आराम से बात होगी।
लंच टाइम में मैंने कहा- आज सबका रिव्यू होगा।
लंच के बाद में मैं एक-एक करके.. सबका रिव्यू करने लगा और जानबूझ कर मैंने रचना का रिव्यू सबसे अंत में रखा।
जब उसका नंबर आया तो 6.3 बज चुके थे और सबके घर जाने का समय हो गया था।
तब मैंने सबको जाने को कह दिया और रचना को कहा- तुम रिव्यू के बाद जाना..
उसने ‘हाँ’ कह दी।
अब मैंने ऑफिस ब्वॉय से ऑफिस की चाबी ले ली और उसे भी जाने को कह दिया।
सबके चले जाने के बाद मैंने रचना से ऑफिस का दरवाजा बंद करने को कहा और उसे अपने पास बुला लिया।
फिर मैं उससे बात करने लगा.. मैंने उससे पूछा- हाँ.. अब बताओ कि मुझे कितना मिस किया?
वो शर्माने लगी.. तो मैं उठ कर उसके पास गया.. उसने मेरी तरफ देखा और उठ कर मुझे गले से लगा लिया। मैंने भी उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
अब मैं उसके गुलाबी पतले होंठों को किस करने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसके टॉप के ऊपर से ही उसके 30D नाप के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
हमारा किस.. अब ‘फ्रेंच-किस’ में तब्दील हो चुका था और वो भी अब गरम होने लगी थी।
मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने 7 इंच के खड़े लंड पर रख दिया.. जिसे वो अब सहलाने लगी।
फिर मैंने उसके टॉप को निकाल दिया और साथ में अपनी शर्ट भी निकाल दी।
अब वो ब्रा में थी और मैं बनियान में था।
मैंने उसे उठा कर टेबल पर बिठा कर उसकी ब्रा भी निकाल दी।
ब्रा के खुलने से उसके दोनों कबूतर एकदम से उछल कर खुली हवा में मुझे चैलेन्ज देने लगे।
मैं उसके मम्मों को चूसने लगा और निप्पलों को अपने होंठों से.. तो कभी दाँतों से काट कर चूसने लगा।
इसी के साथ मैं अपना एक हाथ उसकी स्कर्ट में ले जाकर उसकी बुर को सहलाने लगा और वो मेरा सर अपने मम्मों में दबाते हुए मेरा साथ दे रही।
मैं उसके पेट पर चुम्बन करता हुआ उसकी नाभि पर आया और उसकी नाभि को अपनी जीभ से सहलाने लगा और उसमें अपनी जीभ की नोक से उसे उकसाने लगा।
वो एकदम से सिसक उठी।
फिर मैं किस करता हुआ उसकी कमर तक आया और उसकी स्कर्ट निकाल दी उसी के साथ में मैंने उसकी चड्डी भी खींच कर उतार दी।
अब वो एकदम नंगी थी.. मैं लगातार किस करता हुआ उसकी चूत पर जाकर.. जो एकदम सफाचट चिकनी थी.. उसे किस करने लगा।
उसने अपने पैर फैला दिए और मैं चूत के होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा।
फिर मैंने उसकी चूत को अपनी ऊँगली से फैला कर.. उसमें अपनी जीभ डाल कर चाटना शुरू कर दिया।
मैं उसकी चूत से निकलते मदन-रस को चाटने लगा और वो अब एकदम गरम हो चुकी थी।
मैंने भी अपनी पैन्ट और अंडरवियर को निकाल दिया। अब तक मेरा लंड भी पूरी लंबाई लेकर फूल गया था अब ये बहुत मोटा और एकदम लोहे सा सख्त हो चुका था।
जैसे ही उसने मेरे लवड़े का साइज़ देखा.. तो वो एकदम से डर गई।
मैंने भी मौके की नज़ाकत को समझते हुए उससे कहा- डरो मत.. बस एक बार दर्द होगा.. फिर नहीं..
वो चूंकि बहुत गर्म हो चुकी थी.. तो उसने मेरा विश्वास कर लिया और चूत की खाज मिटवाने के लिए मान गई।
फिर क्या था.. किला सामने था और मैंने भी अपने घोड़े को लगा दिया.. उसी की चूत के मुहाने पर.. और लौड़े को एक एड़ सी लगा दी..
चूंकि उसकी चूत टाइट थी.. सो पहले हमले में मेरा लंड फिसल गया.. और दूसरी बार हाथ से लौड़े को पकड़ कर निशाने पर सैट करते हुए एक करारा धक्का दिया.. तो मेरा लंड 2 इंच उसकी चूत में चला गया।
उसकी दर्द से आँखें फैलने लगी ही थीं और वो चीखती.. इससे पहले ही मैंने बिना रुके 2-3 झटके के साथ मेरा पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
जब तक वो चीख पाती.. तब तक मेरा पूर लंड उसकी चूत में घुस चुका था। मेरा हाथ उसके मुँह पर था और वो छटपटाने लगी। उसकी आँख से आँसू आ गए।
फिर मैं उसे किस करता हुआ.. अपना लंड उसकी चूत में गोल-गोल घुमाने लगा.. कुछ ही पलों के बाद उसे भी मज़ा आने लगा।
फिर दोबारा जब मैंने अपने घोड़े को एड़ लगाई.. तो फुल स्पीड में लंड अन्दर-बाहर होने लगा।
ऑफिस में सिर्फ हम दोनों की मादक सिसकियों की आवाजें गूँजने लगीं और ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाजों के साथ पूरा माहौल गूँजने लगा।
इसी बीच वो दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थी और निढाल होकर मुझसे दम से चुदवा रही थी।
करीब 20 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मेरा माल उसकी चूत में गिर गया।
झड़ने के बाद हम दोनों एक-दूसरे से चिपक गए और कुछ देर बाद हम दोनों ने अलग होकर कुछ देर प्यार मुहब्बत की बातें कीं।
फिर इसके बाद वो मेरी पक्की सैटिंग बन चुकी थी.. और हमने कई बार चुदाई की।
दोस्तो, मेरी सच्ची कहानी आपको कैसी लगी.. जरूर बताइएगा। आपके जवाब मिलने के बाद मैं अपनी अगली कहानी भी आपके साथ साझा करूँगा.. जो कि फरीदाबाद में हुई थी।
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