मेरी चूत और गांड दोनों प्यासी हैं-4
(Meri Chut Aur Gand dono Pyasi Hain- Part 4)
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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रणवीर से भरपूर चुदाई के बाद जब मैं अपने घर आने लगी तो रणवीर मेरे होंठों को पकड़ कर चूमने लगा और फिर बोला- जूही, न सिर्फ ये घर तुम्हारा है बल्कि ये घरवाला भी तुम्हारा ही समझो हा हा।
हम दोनों एक-दूसरे पर लेटे लेटे कब सो गए। वैसे भी नहाने के बाद अगर आप सोते हैं तो बड़ी प्यारी नींद आती है और सेक्स के बाद भी कुछ ऐसा ही होता है। मेरे साथ में तो दोनों एक साथ हो गया, तो आप भी कल्पना कर सकते हो कितनी अच्छी नींद आई होगी मुझे रणवीर के सीने पर सर रख कर।
जब नींद खुली को सवा तीन बज गए थे अब दिन में इतनी धूप में तो जाने से रही, सोचा शाम को चली जाऊँगी। अब तो लंच का टाइम भी निक़ल गया पर भूख लग रही थी इसलिए मैंने रणवीर का हाथ अपने ऊपर से धीरे से बिस्तर से उतर कर श्रेया की नाईटी पहनने लगी। फिर मैं रसोई में गई और खाना लगाने लगी, सोचा खाना को साथ में खाना खा लेंगे। रणवीर भी उठ चुका था।
जैसे ही मैं खाना लेकर ड्राइंग रूम में गई और डाइनिंग टेबल पर खाना रखा वैसे ही दूसरे तरफ से रणवीर भी आ रहा था। रणवीर ने सिर्फ बॉक्सर पहन रखा था।
मैंने बोला- उठ गए चलो अच्छा हुआ, आओ साथ में खाना खा लेते हैं।
रणवीर भी आकर टेबल पर बैठ गया और हम लोग साथ में ही लंच करने लगे। जब हम लंच कर रहे थे तब रणवीर चुपचाप बिना कुछ कहे खाना खाते समय अपने हाथ धीरे-धीरे मेरी जाँघों पर फेर रहा था।
मैंने भी मुस्कुरा दिया और उसका हाथ फेरना जारी रहा। हमने खाना खाया और मैं प्लेट लेकर रसोई में प्लेट रखने चली गई। जब मैं प्लेट रख कर आई तब भी रणवीर वहीं बैठा हुआ था। मैं उस पर ध्यान न देते हुए बेडरूम की ओर आ गई।
खाने के बाद आराम तो बनता है न!
थोड़ी देर बाद रणवीर भी बेडरूम में आ गया। वो जैसे ही अंदर घुसा उसका लंड उसके बॉक्सर में से तीर की तरह खड़ा और बिल्कुल तना हुआ था।
मैंने पूछा- तुम्हारा लंड बड़ा बदतमीज़ है, जब देखो तना ही रहता है?
रणवीर ने जवाब दिया- जानेमन, इसमें इस बेचारे लंड का क्या कसूर! कसूर तो तुम्हारी इस ज़ालिम चूत का है जिसके आगे मेरा क्या किसी का भी लंड तना ही रहेगा।
यह सुन कर कर मैं हँसी रोक नहीं पाई और हँसने लगी। रणवीर भी हँस दिया और मेरे पास आकर लेट गया। अब रणवीर बॉक्सर में और मैं उसकी बीवी श्रेया की नाईटी में, एक-दूसरे के अगल-बगल में लेटे थे।
रणवीर ने पूछा- आज का क्या प्रोग्राम है?
मैंने बोला- कुछ नहीं, कोई ख़ास प्रोग्राम नहीं है।
रणवीर बोला- तो फिर आज यहीं रुक जाओ और आराम करो।
मैं कुछ नहीं बोली, फिर रणवीर ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने हाथ में मेरा हाथ डाल कर बोला- तुम बहुत अच्छी हो, थैंक्स यहाँ रुकने के लिए, नहीं तो पता नहीं मैं अकेले रह कर क्या करता। थैंक यू सो मच।
मैंने रणवीर को समझाया- इट्स ऑलराइट! दोस्ती में नो थैंक यू एंड नो वेलकम, आफ्टर आल एक सच्चे दोस्त ही तो दोस्त के काम आता है।
‘ह्म्म्म!’ रणवीर ने भी अंदरूनी आवाज़ में कहा।
‘और, वैसे भी अगर मैं नहीं आती तो मुझे पता था तुम क्या करते?
रणवीर तुरंत उठकर बोला- अच्छा बताओ जरा कि मैं क्या करता?
मैं बोली- कुछ नहीं, बस टीवी के सामने बैठ कर ब्लू फ़िल्म देखा करते। सारे लड़के जब अकेले होते हैं तो या तो अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ बात करते हैं या सेक्स स्टोरीज पढ़ते हैं अन्तर्वासना पर, या फिर ब्लू फ़िल्म देखते हैं और तुम्हारी तो कोई गर्लफ्रेंड है नहीं, तुम नेट ज्यादा चलाते नहीं तो अब एक ही विकल्प बचता है और वो है, ब्लू-फिल्म।
रणवीर हँसने लगा और बोला- सही है यार, तुम नहीं होती तो दूसरों की चुदाई देखता और तुम हो तो तुम्हारी चुदाई कर रहा हूँ, इसके लिए थैंक यू वन्स अगेन।
मैंने बोला- इट्स ऑलराइट यार, आई टोल्ड यू न।
अब हम दोनों एक-दूसरे की ओर करवट लेकर एक-दूसरे को निहार रहे थे। हमारे बीच में थोड़ी सी दूरी थी, पर रणवीर के पैर मेरे पैरों को स्पर्श कर रहे थे। हम दोनों थोड़ी देर एक-दूसरे को देखते रहे।
हम थोड़े करीब आए और फिर मैंने रणवीर के गालों पर अपना हाथ रखा और बोला- तुम कितने प्यारे से लग रहे हो।
अभी यह कह कर मैंने उसके गालों को धीरे से खींचा। फिर रणवीर ने भी मेरे होंठों को अपने अंगूठे और उँगलियों से पकड़ा और दबाने लगा।
और कहने लगा- तुम्हारे होंठ कुछ ज्यादा ही गुलाबी हैं। तुम अपने होंठों पर कुछ लगाती हो क्या? मुझे भी बताओ मैं भी श्रेया से कहूंगा ताकि उसके होंठ भी तुम्हारी तरह गुलाबी हो जाएँ।
मैंने मन ही मन बोला कि यह सब तो लंड चूसने का कमाल है और मैं मन ही मन हँसने लगी।
रणवीर बोला- क्या हुआ? तुम हँस क्यों रही हो? जवाब दो।
मैंने बोला- यह सब बस आपके बदतमीज़ लंड का असर ही है।
यह सुन रणवीर भी हँसने लगा। अब हम थोड़ा और करीब आ गए, पर हमारे हाथ अभी भी एक-दूसरे के चेहरे पर मंडरा रहे थे। थोड़ी देर बाद मुझसे ही रहा नहीं गया और मैं ही पहल करते हुए रणवीर के होंठों को चूमने लगी। रणवीर ने भी बिना कोई हरकत किए मेरा साथ देते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा।
अब हम दोनों के चेहरे बिल्कुल चिपक गए थे और मुझे रणवीर के लंड के मेरे जाँघों पर चुभने सा एहसास होने लगा था, पर मैं चूमने में इतना मस्त थी कि मैंने इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। धीरे-धीरे रणवीर के हाथ मेरे चेहरे से हठकर कभी मेरी पीठ, कभी मेरे बाल, कभी मेरी गांड तो कभी मेरे मम्मों को सहला रहे थे।
तभी रणवीर ने अपनी टाँग उठाई और मुझे अपनी टाँगों के आगोश में ले लिया। अब मेरी टाँगें रणवीर के टाँगों के भीतर थी और उसके घुटने मेरी गांड के ऊपर, शैतान की तरह टिक गए थे। वहीं उसका लंड अब मेरे पेट के पास था और मेरी नाभि को चुदाई से पहले की चेतावनी दे रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
इसलिए मैंने रणवीर के चेहरे के अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसकी टाँगों को नीचे किया और धीरे-धीरे उठने लगी। मैं रणवीर के होंठों से अपने होंठ हटा कर उसके गले को चूमने लगी और फिर धीरे-धीरे उसकी छाती, उसके बाजू और उसके पेट को चूम रही थी। साथ ही साथ मैं बीच-बीच में उसके शरीर के बालों को भी खींच रही थी ताकि उसका भी मजा बना रहे और यह सब थोड़ा बहुत तो सेक्स में जरूरी होती है।
मैंने रणवीर की छाती के छोटे वाले चूचुकों को जैसा कि सभी पुरुषों में होता है, अपने दांतों से धीरे से काटा और रणवीर ने मेरे बालों को खींचा। मैं समझ गई कि रणवीर को भी मजा आ रहा है। मैं भी धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगी और फिर दोनों हाथों से उसका बॉक्सर निकाल फेंका।
जैसे ही मैंने उसका बॉक्सर निकाला उसका लंड बिल्कुल सांप के तरह मुझ पर झपटा। फिर मैंने भी नेवले के तरह उसे अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसके हाव-भाव तौलने लगी। कुछ सेकंड में ही वो मेरी इशारों का गुलाम बन गया था और मैंने बिना समय गंवाए उसे अपने होंठों से चूमा फिर अपनी जीभ उस पर फिराई और फिर उसको गुफा में ले जाने के इरादे से अपना मुँह खोला और उसे अपने मुँह में भर लिया।
करीब पांच मिनट तब हमने एक-दूसरे के साथ छुपन-छुपाई खेली, कभी लंड बाहर तो कभी अंदर और इसमें भी अलग ही मजा है। क्योंकि हम तीसरे बार सेक्स कर रहे थे इसलिए मैं इस बार सिर्फ लंड तक सीमित नहीं रहने वाली थी।
मैंने उसके छोटे अन्डकोशों के साथ भी खेलने का मन बना लिया और उनको अपने होंठों से चूमने लगी, फिर अपनी जीभ से सहलाने लगी, मैंने लंड को एक हाथ से पकड़ कर ऊपर किया और फिर दोनों आँडों को पूरी आजादी का अनुभव कराया और फिर उनको मज़े लेने और देने का रंगा-रंग कार्यक्रम आरम्भ किया जिसमें हम ‘चारों’ को बड़ा मजा आ रहा था। यहाँ ‘चारों’ से तात्पर्य था मेरे होंठ, मेरे मुँह, रणवीर के लंड और और रणवीर से दोनों आँड।
जब हमारा मन थोड़ी समय के लिए एक-दूसरे से भर गया तो मैंने फिर धीरे-धीरे नीचे से रणवीर के अंगों को चूमते हुए ऊपर उसके होंठों पर पहुँची और फिर उसने मुझे कुछ सेकण्ड्स तक चूमा।
रणवीर ने मुझे लेटा दिया और अब वो मेरे ऊपर था और अब मज़े लेने के बारी उसकी थी। जहाँ रणवीर हमेशा की तरह एक तरफ जहाँ मुझे चूम रहा था, वहीं दूसरी और दोनों हाथों से मेरे कबूतरों को भी पूरे जी जान से मसक रहा था क्योंकि इस वक़्त मेरे हाथ में कुछ नहीं था।
मैंने फिर भी हार नहीं मानी और एक हाथ से रणवीर के बालों को पकड़ रखा था, वहीं दूसरे हाथ से उसकी पीठ को नोच रही थी।
अब रणवीर मेरे कबूतरों को चूसने लगा। मैं रणवीर के बालों को पकड़ कर धीरे-धीरे खींचते रही और वो जल्द ही मेरे नाभि की ओर अग्रसर हो गया और मेरे नाभि में जीभ लगा कर उसके साथ अठखेलियाँ करने लगा। यह मेरे लिए थोड़ा नया था, पर इसका मजा बिल्कुल नया नहीं था।
अब बारी मेरी चूत और रणवीर के होंठों और जीभ की है। वैसे तो जब मैंने रणवीर के लंड पर हमला किया था, तब उसके पास भी दो हथियार थे और मेरे पास भी। पर इस बार रणवीर के पास दो और मेरे पास एक ही हथियार था, यह बड़ी नाइंसाफी थी। पर मैंने हार नहीं मानी और रणवीर का सामना जी जान से मरते दम तक करने की कोशिश को जारी रखने का निर्णय लिया।
फिर रणवीर ने मेरी चूत पर अपने बड़ी जीभ से धावा बोला और मेरे चूत की दरारों के बीच में अपने जीभ से अठखेलियाँ करने लगा। वो मेरी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगा, अपनी जीभ मेरी चूत में घुसाने लगा। रणवीर ने मेरी चूत चाटकर पूरी तरह से गीली कर दी और अब उसने अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रख दिया।
क्या एहसास था वो!!
मेरी मासूम सी नर्म मुलायम और गर्म चूत फिर से रणवीर के लंड से चुदने को तैयार थी। रणवीर अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रखकर रगड़ने लगा और मेरी सिसकारियाँ बढ़ने लगीं।
फिर रणवीर ने अपने लंड को पकड़ा और मेरी चूत के ऊपर थपेलने लगा और ऐसा लग रहा था मानो कोई बैंत से चूत पर वार कर रहा हो। मैंने अपनी आखें बंद कर ली और दर्द का भी अपना मजा समझकर उसके मज़े लेती रही।
मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं- सस्सीईई अह्ह्ह ओह्हह आहह्ह स्सीई।
रणवीर ने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी टाँगों के बीच आ गया। जैसे ही उसने अपना मोटा काला लंड का सुपाड़ा मेरी चूत पर लगाया, मुझे लगा जैसे अंगारा रख दिया हो। मैंने अपनी दोनों टाँगें उसकी कमर पर लपेट दी और जोर से अपनी पिछाड़ी ऊपर उठा दी, पूरा सुपाड़ा अन्दर चला गया। रणवीर ने धक्का मारा आधा लंड अन्दर घुस गया।
इतना लंड इतना टाइट लग रहा था कि मानो हम पहली बार चुदाई कर रहे है, पता नहीं यह उसकी लंड की खासियत थी या मेरी चूत की खुशनसीबी, जो मुझे इसको चरम सीमा तक ले जाने में मदद कर रही थी।
रणवीर फिर से धीरे-धीरे धक्के मारने लगा, मैं स्वर्ग की सैर करने लगी, मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा।
‘आह्हह… ऊऊ… आह्ह… ह्हह्ह… म्मम्म…म्मम… सीई… ईइ… आआ… अ रणवीर यार… इट्स अमेजिंग नेवर फेल्ट समथिंग लाइक दिस बिफोर… बहुत मजा आ रहा है यार… प्लीज डोंट स्टॉप… मजा आ रहा है।’
मैं अपने चूतड़ों को ऊपर उछालने लगी जिससे कि हर बार पूरा उसका लंड अन्दर जाए, आफ्टर-आल एक्सपीरियंस या कुछ तो फायदा सब को मिलना ही चाहिए।
रणवीर जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं पागल सी हो गई और जोर-जोर से ‘अह्ह… ह्हह… म्मम्म… सीईइ… यस… यस… फ़क मी… फ़क मी हार्डर… रणवीर ऊ… येस्स… ऊ येस…’ कर रही थी। इससे रणवीर को और प्रोत्साहन मिला और उसने और जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।
रणवीर ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और फ़ुल स्पीड में मुझे चोदने लगा। रणवीर का वीर्य अब गिरने वाला था। मुझे इसका एहसास उसकी स्पीड से हो गया पर रणवीर ने गिरने से पहली ही अपनी लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया। उसने अपना पूरा गर्म-गर्म ढेर सारा वीर्य मेरी चूत के ऊपर और मेरे पेट पर निकाल दिया। मेरी आँखें बंद हो गईं।
‘आह्ह… आह्हह… म्मम्म… सीईइ… याआ… अह्हह…’ करते वो सीधे मेरी कबूतरों से जोर से चिपक गया। थोड़ी देर तक हम एक दूसरे के ऊपर के लेटे हुए एक दूसरे को सहलाते रहे।
थोड़ी देर बाद रणवीर का लंड फिर चोदने के लिए खड़ा हो गया। मैं अब डॉगी स्टाइल के लिए तैयार थी इसलिए मैं पोजीशन में आ गई। मेरी मस्त गांड को देखते ही रणवीर ने पहले तो आराम से हाथ फेरा फिर धीरे-धीरे गांड पर जोर-जोर से चूमने लगा और हाथ से मेरी गांड पर चांटे मारने लगा।
मुझे अच्छा लग रहा था, ऐसा मैं पहले भी करवा चुकी थी, मैं अपनी गांड मटकाने लगी। उसने मेरी चूत चौड़ी की और अपना लंड टिका कर जोर से धक्का मारा। पूरा लंड सट से अंदर घुस गया। रणवीर ने मेरे लटकते मम्मों को पकड़ लिया और जोर-जोर से मसलते हुए धक्के मारने लगा।
लंड कभी अंदर कभी बाहर आ जा रहा था। उसने मेरे कबूतरों को छोड़कर मेरी कमर पकड़ ली और जोर-जोर से चोदने लगा। सच में इतना लम्बा और मोटा लंड जब अंदर-बाहर जा रहा था तो मुझे नशा सा हो गया।
‘साले चोद… चोद जोर से… चोद… सीईईए… आहह्ह… हैईइ… अह्ह… अह्ह… अह्ह…’
मेरी गांड मटक रही थी- आह्हह… शाबाश रणवीर… कैरी ऑन… प्लीज डोंट स्टॉप… फ़क मी… आह… आह्हह… हय हय… आह्हह… आहह्ह… शाबाश जोर से, पूरा लंड डाल कर चोदो… आह्हह… अह्हह… म्मम्म्म… सीई… हय मैं गई बस… बस… बस गई।’
रणवीर ने थोड़ी देर में अपने वीर्य की पिचकारी मेरी गांड पर मार दी और फिर अपने लंड से उसे मेरे गांड पर मलने लगा। थोड़ी देर बाद मैं उल्टी ही लेट गई और रणवीर भी मेरे ऊपर लेट गया और दोनों हाथों से मेरे मम्मों को दबाने लगा।
मुझे अब इस खेल में बहुत मजा आने लगा। फ़िर हम दोनों शांत होकर एक-दूसरे से लिपट कर लेट गए।
दस मिनट बाद मैं उठी और रणवीर के लंड को अपने हाथ में ले लिया।
मैंने बड़े प्यार से मेरे लंड को कहा- यू आर सो स्वीट!
उससे प्यारी सी चुम्मी दी और अपने मुँह में डाल लिया। अब मैं लंड को लॉलीपॉप की तरह रणवीर को दिखा-दिखा कर चूस रही थी और रणवीर मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।
इस भाग में बस इतना ही। आपके ढेर सारे ईमेल मुझे मिल रहे हैं उन सभी को मेरा तहे-दिल से शुक्रिया। आप लोगों को मेरे जीवन का यह हिस्सा कैसा लगा? मुझे जरूर बताइएगा।
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