बॉस की चूत मिली, साथ प्रमोशन भी

(Boss Ki Choot Mili, Sath Promotion Bhi)

मैं पिछले दो साल से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और एक भी कहानी ऐसी नहीं जो मैंने पढ़ी नहीं होगी।

यह मेरे जीवन का सच पहली कहानी की रूप मैं लिखने जा रहा हूँ। हक तो बनता है थोड़ा सा अपने बारे में भी बता दूँ।

मैं पूना से हूँ, काफी पढ़ा-लिखा हूँ। मैं ट्रैवल्स के क्षेत्र से रिश्ता रखता हूँ और जॉब भी एक बहुत बड़ी ट्रैवल एजेंसी में करता हूँ। जिम मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है जितना मैं चूत को चाहता हूँ, उतना ही जिम को। इसकी वजह से कसा हुआ शरीर और मेरा प्यारा 8 इंच का लौड़ा किसी की भी चूत की वाट लगाने में माहिर हो चुके हैं। मेरी 5’10’ हाईट के सामने मादा जैसे बेबस नजर आती है। मैं फोरप्ले छोड़कर कम से कम आधा घंटा चोदता हूँ और एक रात में कम से कम चार बार। तो यह कह सकते हैं कि मैं एक सेक्स मशीन का पूरा पैकेज हूँ।

अब कहानी :

बात दो साल पुरानी है जिससे मेरी पूरी सेक्स लाइफ और जेब मालामाल हुई। वो एक ऐसी घटना थी जिसे मैंने सपने मैं भी नहीं सोचा था और कभी उसके लिए प्रयास भी नहीं किया था। पर कहते हैं न जो भी होता है अच्छे के लिए होता है।

उस दिन मैं हमेशा की तरह ऑफिस गया था पर माहौल कुछ अलग लग रहा था, सब तनाव में लग रहे थे। मैं समझ गया फिर कोई साला कोई डायरेक्टर आ रहा होगा।

पर बात थोड़ी अलग थी।

उसी दौरान मुझे हमारी मैंनेजर ने केबिन में बुलाया। चलो यार राज, कुछ तो डाँट-वाँट खाने को तैयार हो जाओ, यह सोच कर मैं केबिन में गया तो देखा खुद मैंनेजर ही परेशान थी।
पूजा उसका नाम है, पर मैं उसकी बहुत इज्जत करता था, वो 35 साल की होगी, वो एक आम गरीब घर से खुद के बलबूते पर हजारों कठिनाइयों का सामना करके इस मुकाम पर पहुँची थी। वो बहुत ही होशियार और मेहनती थी। इन सब बातों से बाकि सब मैंनेजर और ऊपर के लोग उससे जलते थे और उसके लिए मुश्किलें पैदा करते थे। और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि उसने अपने आसपास भी किसी को आने नहीं दिया था, छूने की बात तो दूर। हर कोई उससे डरता था।

मैं उसके काफी करीब था तो कभी कभी वो कुछ बातें बता देती थी। चार साल पहले उसकी शादी हो गई थी। पर शादी के दो महीने बाद उसका पति अमेरिका चला गया। उसके लाख मना करने के बावजूद वो अमेरिका गया। इस बात से भी वो खासी परेशान रहती थी और वो साला उसे कभी फ़ोन भी नहीं करता था तो उनकी दूरियाँ बढ़ी हुई थी।

केबिन में वो बताने लगी- राज हमारे ऑफिस की एक बहुत ही महत्वपूर्ण मीटिंग के लिए मुझे चुना गया है और वो बंगलौर में है। मुझे उसके लिए बहुत तैयारी करनी पड़ेगी। बहुत डाटा इकट्ठा करना पड़ेगा, फाइल देखनी पड़ेंगी और यह सब लेकर मुझे बंगलौर पहुँचना पड़ेगा।

तो मैंने भी उनको होंसला देते हुए कहा- बस इतनी सी बात? आप बिल्कुल चिंता मत करें, मैं आपकी पूरी मदद करूँगा।

तो वो बोली- नहीं राज, बात ऐसी नहीं है तुम जैसा समझ रहे हो, उतना आसान नहीं है। तुम्हें नहीं पता अगर इस मीटिंग में मैं नहीं पहुँच पाई तो मेरी तो नौकरी गई। पर नौकरी से ज्यादा मैं यह सोच रही हूँ कि ऑफिस का हर आदमी मुझ पर हंसेगा और मैं यह बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी।

मैं बोला- मैडम, मुझे पूरी बात बताओ कि हुआ क्या है?

‘देखो राज, यह मीटिंग मुझे कल ही अटैन्ड करनी है।’

यह सुनते ही मेरे होश उड़ गए। कुछ समय के लिए मेरा दिमाग का काम करना बंद हो गया।

मैडम ने आवाज दी- राज, क्या सोच रहे हो?

तब जाकर मैं होश मैं आया।

वो बोली- यह सब मेरे खिलाफ साजिश है। मुझे यह बताया गया था कि मीटिंग अगले महीने की 20 तारीख को है पर वो मेरे साथ धोखा था, मीटिंग इसी महीने में यानि कल 20 तारीख को है।

और वो रो पड़ी। वो एक बहुत ही हिम्मत वाली स्त्री थी पर उसे रोते देखकर मैं बहुत परेशान हुआ और उसे सांत्वना देने के लिए उठा, उसके पास गया तो वो रोते रोते मुझसे लिपट पड़ी। मेरे मन में उसके लिए कोई गलत भावना नहीं थी। मैं उसको सांत्वना दे रहा था और गुस्सा भी आ रहा था जो मेहनत और ईमानदारी से कम करते हैं, उनको लोग परेशान करते हैं।

फिर भी मैंने उसे झूठी तसल्ली देते हुए कहा- आप चिंता मत करो, सब ठीक हो जायगा।

पर यह नामुमकिन है, यह वो भी जानती थी।

मैंने कहा- सबसे पहले आप हवाई जहाज का टिकट बुक करा लो, बाकी काम का हम मिलकर देख लेंगे।

तो वो बोली- बुक करना बहुत आसान है पर हमें यह नहीं पता कि हमारा काम कब ख़त्म होगा तो मैं किस वक़्त की बुकिंग करूँ।

बात तो यह भी सही थी।

बहुत सोचने के बाद हमने यह तय कर लिया हमें उनके साथ लड़ना है, उनको नीचा दिखाने का ऐसा मौका हम जाने कैसे देते। हमने पूरे दिन बैठकर काम करने का और काम होते ही ऑफिस की कार से चलने का फैसला कर लिया। इस काम में पूरे ऑफिस में सिर्फ दो लोगों ने हाथ बटाया। बड़ी मेहनत करके जैसे तैसे बगैर खाना खाए, चाय पिए हमने शाम 6 बजे तक पूरा काम निपटा लिया। हम चारों को इतना गर्व महसूस हो रहा था कि काम कितना भी बड़ा, कठिन ही क्यों न हो, हम एक होकर उस काम को निपटा सकते हैं।

काम होते ही हमारे दो लोग घर चले गए। वो भी काफी थके हुए थे। पूजा मैडम के चहरे से ख़ुशी साफ झलक रही थी। पर वह ख़ुशी ज्यादा देर तक रह न पाई। कंपनी के कार ड्राईवर एकाएक कार ख़राब होने की वजह देकर चलते बना। वो उनकी एक चाल थी, यह बात हम तुरंत समझ गए पर हार मानने वालों में से न मैं था न पूजा मैडम।

मैंने तुरंत फैसला किया कि मैडम की होंडा सिटी कार लेकर मैं खुद उनके साथ जाऊँगा। इसमें मेरी नौकरी जाने का पूरा पूरा मौका था क्यूँकि बंगलौर की मीटिंग के लिए सिर्फ मैडम ने जाना था और मैंने तो छुट्टी की अर्जी भी नहीं दी थी। और इस बात पर बहुत बड़ा बवाल होगा यह मुझे अच्छी तरह पता था। फिर भी सब बातों को छोड़ते हुए हम बंगलौर के लिए निकल पड़े।

मैं मेरी उम्र के चौदहवें साल से कार चला रहा हूँ। मैंने कार से पूरा दक्षिण भारत देखा है। मैं कई बार बंगलौर जा चुका हूँ इसलिए मेरे मन में कोई भी शंका नहीं थी कि पूना से बंगलौर की 850 किलोमीटर की यह दौड़ 12-14 घंटे मैं आसानी से पूरी कर लूँगा।

पर मैडम सोचती रही कि हम वक्त पर पहुँच पायेंगे या नहीं। पर सुबह जब मैंने 8 बजे नींद से उठाया तो वो भौंचक्की रह गई। उस वक़्त हम बंगलौर के एक बहुत ही मशहूर होटल के सामने खड़े थे और अगले 2 दिनों के लिए मैंने कमरा भी बुक कर लिया था। कमरे की चाबी हाथ में देखकर मैडम फ़ूट-फ़ूट कर रोने लगी और बार बार मेर शुक्रिया अदा करने लगी।

मैंने उन्हें संभालते हुए कहा- अब अच्छे बच्चे की तरह जल्दी से मीटिंग के लिए तैयार हो जाओ, मैं यहाँ कार मैं आपका इन्तजार करता हूँ।

करीब एक घंटे के बाद वो वापस नीचे आई। मैंने उनको उनके मीटिंग की जगह पर छोड़ा और कहा- मीटिंग खत्म होते ही मुझे काल कर देना, मैं तुम्हें लेने आऊँगा और मैं होटल पर लौट गया। रात भर कार चलने की वजह से मैं काफी थका था मुझे बिस्तर पर पड़ते ही गहरी नींद आ गई। रात को मैं जब नींद से जग गया तो देखा 8 बज चुके थे, मैं मैडम के लिए परेशान हो गया। मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम की तरफ बढ़ा तो उसमें से मुझे किसी के नहाने की आवाज आई। मैंने बाहर से पूछा तो वो मैडम ही थी।

दस मिनट के बाद जब मैडम बाहर आई तो मैं उनको देखता ही रह गया।

आज तक मैंने उनको सिर्फ ऑफिस के कपड़ों में देखा था और उनके बारे में कभी बुरा नहीं सोचा था। पर आज बात कुछ और थी मैं फिसला जा रहा था। उनके बाल सावन की घटा की तरह आधे आगे और आधे पीछे की तरफ थे। उनकी मोरनी जैसी आँखें सुकून से भरी हुई थी मानो बरस गई तो गुलाब की पंखुड़ियाँ ले गिरेंगी। लाल गालों पर पानी की बूँदे ऐसे टिकी हुई थी कि कभी छोड़ना ही नहीं चाहते हो। उन बूंदों पे भी मुझे जलन हो रही थी, काश मैं भी एक बूँद होता तो गालों की लाली चुरा लेता। कुछ बूँदे ओंठों पर आकर शायद मुझे पुकार रही थी- आओ राज, हमारा साथ दो।

माखन की तरह उनका बदन और उस पर पहनी हुई गुलाबी रंग की नाइटी, पूरा बदन नहीं समां पा रहा था उसमें! जैसे उसने मेरे लिए कुछ छोड़ रखा हो। आधे बाल जो आगे छोड़ रखे थे, उनसे पानी फिसल कर ठीक स्तनों को हल्के-हल्के सहला रहे थे और निप्पल को नाइटी से आज़ाद करने की कोशिश कर रहे थे। स्तनों का आकार मध्यम था, बिल्कुल हापूस आम की तरह जो अभी पकने लगा हो। उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी तो स्तन आजादी से पुकार रहे थे, नाइटी से नाभि हल्के-हल्के अपना वजूद दिखा रही थी। उसके नीचे काले रंग की एक आकृति कुछ ढक रही थी। शायद उसे वो चीज पूरी ढकना मंजूर नहीं था। वो बीच के उभार केले के फूल की तरह लटककर मानो माखन में आ गिरे हो। जैसे ही मेरी नजर उसके पांव पर पड़ी तो फर्श कुरेदने वाले ऊँगलियों ने एहसास करा दिया कि यह कोई संगमरमर की मूर्ति नहीं, और मैं होश मैं आया।

तो उनके ओंठों से एक हल्की पुकार सुनाई दी- राज, क्या देख रहे हो।

मैं उनसे नजर नहीं मिला पा रहा था। मैंने कुछ गलत महसूस किया और सीधे बाथरूम की तरफ भागा। मैंने दरवाजा तो बंद कर लिया पर मेरे पूरे शरीर में अभी भी उनका नशा समाया था जो उतर ही नहीं रहा था। कुछ देर बाद मैं संभला और नहा कर बाहर आया तो मेरी नजर नीचे थी, मैंने कुछ कदम बढ़ाये तो मुझे फर्श पर पड़ी उनकी ब्रा दिखाई दी। दो कदम आगे बढ़ाये तो वही काली आकृति थी जो कुछ समय पहले कुछ छुपा रही थी और अब ऐसे तड़पते पड़ी थी मानो पानी से मछली को निकाला हो।

मैं कुछ समझ नहीं पर रहा था कि यह क्या हो रहा है। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और अब दो कदम बढ़ाये कुछ क्षणों के बाद आँखें खोल दी तो मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा। वहाँ वो नाइटी पड़ी थी जो कुछ देर पहले सफ़ेद आइस क्रीम को समाये हुई थी।

और अब शायद मिलन की गर्मी में पिंघल कर चूर हो गई हो। तभी मुझ से पीछे की तरफ से कुछ टकराया। उसके एकमात्र छूने से वो पूरी आकृति उभरकर सामने आई जो मुझसे अब पूरी तरह लिपटी हुई थी।

मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो रेशम की मुलायम चादर में लिपटी हुई थी। उसने मुझसे कहा- क्या सोच रहे हो राज?

तो मैंने जवाब दिया- मैडम, मैंने आज तक आपको इस नजर से नहीं देखा।
हंसते हुए वो बोली- फिर कुछ देर पहले क्या देख रहे थे?
मैं पूरी तरह हड़बड़ा गया और बोला- वो… वो… यूँही पर ये गलत…

उसने मेरे होंटों पर ऊँगली रख दी और बोली- क्या सही और क्या गलत, इसका फैसला बाद में हो जायेगा, अभी मैं बस इतना कहना चाहती हूँ कि…

‘क्या कहना चाहती हो?’

‘राज आय लव यू राज! मैं तुम्हें पिछले एक साल से चाहती हूँ। मेरी नजर कभी गलत नहीं हो सकती, मैंने तुम्हें अच्छी तरह परखा है, तुम बहुत ही सीधे और नेक इन्सान हो। मैं आज इस अवस्था में हूँ तो बस उसी विश्वास की वजह से। यूँ ही कोई स्त्री अपने आप को किसी को नहीं सौंपती। राज, मैं बहुत तरसी हूँ, तड़पी हूँ, अब सहा नहीं जाता। यह अपनी वासना की प्यास नहीं है, यह दो दिलों का मिलन है जिसका जरिया ये शरीर हैं। मेरे राज मुझे मत ठुक…

‘बस बहुत बोल ली!’ मैंने उसके ओंठों पर ओंठ रख दिए तो उसके आँसू निकल आये। उसकी लपेटी हुई चादर नीची गिर चुकी थी और हमारे बीच की दीवार भी। उसने मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ा दिए और हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे।

हूऊमाआआ… राज ओ मेरे राज… मेरी प्यास बुझा दो। मुझे अपनी बना लो ऊऊम्म…

अब उसके हाथ मशीन की तरह मुझे सहलाने लगे थे। मैं भला कैसे पीछे रहता, मैंने भी उसकी पीठ मसलना शुरु किया और जैसे ही मेरे हाथ उसके लदे हुए नितम्बों पर पड़े तो उसके मुँह से बड़ी सीत्कार निकल पड़ी- आआआआ… स्स्सआअस…

और उसने अपने हाथ चलाना बंद कर दिये, मेर बालों में हाथ डालकर सहलाने लगी। मैं उसके एक एक अंग को सहला रहा था।

मैंने उसको बिस्तर पर धकेल दिया। उसने बिस्तर पर अपने दो हाथ अपने बदन पर सीधे फैला लिए और माखन सी जांघों के बीच चूत को ढक लिया। नजरों से ही उसने मुझे अंडरवियर उतारने को कहा।

जैसे ही मैंने अंडरवियर उतारा, मेरा 8 इंच का लौड़ा फनफनाते हुए ऐसे बाहर निकला हो जैसे किसी सांप ने भक्ष्य को देखा हो।

उसके मुंह से हल्की सी आह निकल पड़ी- राज, यह तो बहुत ही बड़ा है। मेरी तो ये फाड़ देगा।

‘नहीं मेरी रानी, यह तो बड़ा प्यारा है, तुम इससे जितना प्यार करोगी उतना तुम्हें सुख देगा।’

‘चल हट, झूठ बोलते हो तुम! यह मेरा बाजा बजा देगा।’ यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

तो मैंने कहा- नहीं…

और पास जाकर मैंने उसके हाथ में दे दिया और बोला- इससे दोस्ती कर लो, ये तुम्हें स्वर्ग का सा मजा देगा।

उसने लौड़ा हाथ में लेकर खेलना चालू किया और उस वक़्त तो मैं खुद ही जैसे स्वर्ग पहुँच गया। करीब 5 मिनट सहलाने के बाद मैं उसके बगल में ऐसे लेट गया कि मेरे पैर और लौड़ा उसके मुँह की तरफ थे और मैंने अपना सर उसके पांव पर रख दिया। अब हम बहुत ही आसानी से एक दूसरे को सहला सकते थे। मेरे हर एक नए जगह पर स्पर्श करने पर वो सिहर उठती थी।

मैंने अब तक उसकी चूत को हाथ नहीं लगाया था पर अब हम दोनों उसके लिए तड़प उठे थे। जैसे ही मैंने उसके टांगों को थोड़ा सा अलग किया। उसने तो पूरी चूत फैला दी मानो कह रही हो- राज, पूरे अन्दर घुस जाओ।

वो बुरी तरह से तड़प रही थी। मैंने भी अब ज्यादा ना तड़पते हुए 69 की अवस्था में आकर उसकी चूत चाटना शुरू किया। मेरे मुँह लगाते ही उसने मुझे अपनी टांगों के बीच जकड़ लिया। उसकी चूत बहुत ही कसी थी, जैसे जैसे मैं चाट रहा था, उसकी सीत्कार बढ़ रही थी- ह्हूऊऊउम्म… आआआ… स्स्साआआअ… और चाटो… स्सआअस… ह्हूम्म राज…

अब उसने मेरा लौड़ा बेहताशा चाटना शुरू किया मानो बरसों की भूखी हो और क्यों ना… थी ही वो बरसों की प्यासी। लौड़ा अब उसके गले तक नीचे उतरा जा रहा था। अब मुझे अपने पर काबू रख पाना मुश्किल होने लगा। वीर्य सुपारे में आकर इकट्ठा हो गया था जैसे ज्वालामुखी फटेगा।मैं अब जानबूझ कर उठ गया। पर वो छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैंने लौड़ा उसके मुँह से छुड़ा लिया और उसकी टांगों के बीच आकर बैठ गया। उसके चेहरे पर एक नशाछाया हुआ था। और आँखों ने कह ही दिया- अब डालो ना।

मैंने सुपारा चूत के मुँह पर रख दिया उसकी आँखें लौड़े के एहसास से ही बंद हो गई थी।

मैंने एक जोरदार धक्का दिया, वो चीख पड़ी- उएई म्म्माआ मर गयी! निकालो बाहर! राज।

मैंने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और एक धक्का दिया, अब मेरा पूरा लौड़ा चूत में समां गया। मैं बिना कुछ किये शांत पड़ा रहा। उसकी आहों ने पूरे कमरे को भर दिया था। उसका दर्द कुछ काम हुआ तो उसने आँखें खोली, मानो कह रही हो- राज मैं अब तैयार हूँ।

और मैंने लौड़ा अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया। वो भी अब गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी। इसका मतलब था कि रास्ता साफ हो गया है और मैं असली रूप में आ गया, मैंने अपनी सेक्स मशीन चालू कर दी। अब चिल्लाने और चूदने के अलावा वो कुछ नहीं कर सकती थी। वो सिर्फ गांड हिलाती रही, चिल्लाती रही और झड़ती रही।

मैं भी अपनी चरमसीमा पर पहुँच चुका था और मेरी रफ़्तार भी लगभग दुगनी हो गई थी। 4-5 बड़े झटकों के बाद मैं चिल्लाया और झड़ गया।

उसने मुझे ऐसे कस लिया मानो हम दो नहीं एक हों। मैं आखिरी बूंद गिराने तक उस पर पड़ा रहा और फिर निढाल होकर सो गया।

मैं जब नींद से जगा तो वो मेरे बालों को सहला रही थी, उसने मुझे आई लव यू कहा और लिपट गई। उस रात मैंने उसको तीन बार चोदा। सुबह वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।फिर मैंने मीटिंग के बारे में बात की। उसने कहा कि उसका प्रेजेंटेशन सबको बहुत ही पसंद आया। उसने मीटिंग में यह भी बताया कि उसको इस काम में मैंने कैसे मदद की। पर वो थोड़ी रुकी और कहा- मैं अब तुम्हारी मैंनेजर नहीं रही।

मैं बिस्तर पर बैठ गया और विस्मय से देखने लगा, मैंने पूछा- क्यों? तुम्हारा काम सबको पसंद आया ना? फिर क्या बात हुई?

तो वो बोली- मेरी इतनी ज्यादा मदद करने की तुम्हारी भावना ने सबको प्रेरित किया और उन्होंने तुम्हें मैंनेजर बना डाला। बधाई हो! अब मैंनेजर मैं नहीं, तुम हो। और उसका लेटर जल्द तुम्हारे मेल पर होगा।

पर मुझे कोई खुशी नहीं थी, उस जगह की असली हकदार तो पूजा ही थी, मैं निराश होकर बिस्तर से उठने लगा तो वो बोली- अभी साथ छोड़ोगे फिर मैं जब सीनियर मैंनेजर की कुर्सी पर बैठूँगी तो मेरा साथ कौन देगा?

मैंने उसकी तरफ देखा तो मुझे चिड़ाने की मुद्रा में हँसने लगी। मैं ख़ुशी से झूम उठा और मैं बेतहाशा उसे चूमने लगा।

अगले 5 दिन हम शादीशुदा हनीमून युगल की तरह ऊटी, मैसूर, बंगलौर घूमते रहे।

छः महीने पहले उसका पति आकर उसे अमेरिका ले गया पर सच कहूँ वो उसे अपना दोस्त और मुझे पति मानती है। जाने से पहले उसने एक काम कर दिया। मेरी मुलाकात एक ऐसी औरत से कर दी जिसने मुझे पूजा की कमी महसूस होने नहीं दी। बात आगे बढ़ती रही, वो भी मेरे जिंदगी से ऐसे ही निकल गई पर उसने ऐसी औरतों से मुलाकात करा दी जो चुदाई की प्यासी थी और मुझ पर पैसे भी लुटाती थी।

मेरे जीवन की सच्चाई कैसी लगी, मेल जरूर करना।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top