मेरी ऑफिस मेट
प्रेषक : नीरज गुप्ता
अन्तर्वासना के सभी पाठको का एक बार फ़िर से शुक्रिया, आपके मेल्स मुझे मिले और उनसे मुझको और लिखने का प्रोत्साहन मिला. बस एक ही दुःख है कि ज्यादातर फीमेल्स ने मुझको जो मेल्स भेजी वो इस तरह थी – मैं आपके शहर आ रही हूँ, अपन सेक्स करेंगे फ़िर मैं वापस अपने शहर चली जाउंगी. हम आपस में कोई लगाव नही रखेंगे. सिर्फ़ सेक्स ही अपना सम्बन्ध होगा.
इन मेल्स को पढ़ कर दुःख हुआ. लेंकिन मुझे इस बीच मुझे दो अच्छी सहेलियां मिल गई जो दोनों भी आपस में अच्छी सहेलियां हैं.
प्यार यदि हो तो सेक्स उसको बहुत ऊंचाई पर ले जाता है न कि सेक्स के कारण प्यार कम होता है. जिस का प्यार सेक्स करने से कम हो उसको वास्तव में प्यार होता ही नही है. वो सिर्फ़ सेक्स का ही भूखा है.
अब मैं एक और कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ. कृपया अपने विचार लिखते रहें. मैं किस तरह का आदमी हूँ ये मेरी कहानी ” डॉक्टर मेरी गुरुआनी” पढने के बाद जान चुके होंगे.
डॉक्टर से मिलना कम हो गया था, डॉक्टर साब का ट्रान्सफर अलका के साथ ही हो गया, डॉक्टर साहब और अलका साथ रहने लगे थे और अब खुश भी थे. हम भी खुश हैं, हमारी दोस्ती बिगड़ी नही लेकिन अब मेरी भी शादी हो चुकी थी और हमारी दोस्ती में सेक्स का वो मतलब भी वैसे ही पूरा हो रहा था. फ़िर भी हम खुश हैं क्यूंकि हम बेवफा नही हैं.
कुछ साल निकल गए. धीरे धीरे मेरी पत्नी का सेक्स के प्रति लगाव थोड़ा कम हो गया और आश्चर्य कि वो पहले नही शरमाती थी अब कई बातों में शरमाने लगी या यूँ कह लें कि हिचकने लगी. मेरे सेक्स की चाहत अधूरी हो गई.
ये बहुत पुरानी बात नही है।
मेरा परिचय मेरे खास दोस्त के ऑफिस में इंटरव्यू देने आई एक लड़की से हुआ. मैं ही इंटरव्यू ले रहा था. वो लड़की नमस्ते कर के सामने कुर्सी पर बैठ गई. साधारण शक्ल सूरत की लड़की ५ फुट ६ इंच कद की थी. लेकिन उसका बदन बहुत आकर्षक है. एकदम सुता हुआ. उसने मुझे बहुत इम्प्रेस किया. मैंने उसको जाने के लिए बोला और कहा कि आपके फ़ोन पर कॉल करके आपको बुला लिया जाएगा.
मैंने अपने दोस्त को उस लड़की रीना को बुलाने को कह कर आगे के सारे इंटरव्यू कैंसल कर दिए और अपने ऑफिस में चला आया. मेरे दोस्त ने उस लड़की रीना को कॉल करके बधाई दी और ऑफिस जोइन करने के लिए कह दिया. जाने रीना ने मुझमे क्या देखा कि हम दोनों में धीरे धीरे बातचीत शुरू हुई फोन पर और फ़िर वो अपने ऑफिस के बाद मेरे ऑफिस में आने लगी. हम दोनों साथ में ही खाना खाते, नाश्ता करते और शाम को ७ बजे बाद मैं उसको उसके घर के बाहर मेन रोड पर छोड़ भी आता. फ़िर तो हम एक दूसरे से खुलते गए. मैं लगभग रोज ही उसको घर तक छोड़ने लगा. आश्चर्य की बात थी कि आज के जमाने में कोई ऐसी भी लड़की थी जिसको सेक्स की कोई जानकारी नही थी.
मेरी उस से कोई ग़लत फायदा उठाने की नीयत नही थी. डॉक्टर की तरह ही उस से भी अच्छी दोस्ती रखना चाहता था. इसलिए मैंने उसको सेक्स की जानकारी देना शुरू किया. हम और एक दूसरे के करीब आते गए इसके बावजूद कि वो जानती थी कि मैं शादी शुदा हूँ हम एक दूसरे को चाहने लगे. हम ने एक दूसरे को वादा किया कि हम एक दूसरे के साथ तब तक बंधे रहेंगे जब तक कि हमारे कोई और रिश्ते इस कारण ही बिगड़ने न लगें. हम एक दूसरे से चिपक कर बैठने लगे. उसको सेक्स चढ़ने लगा. शाम को मेरे ऑफिस में हम दोनों को छोड़ कर कोई नही होता था.
एक दिन एकांत पाकर मैंने ऑफिस में ही उसको होटों पर किस किया. हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगा. फ़िर मैंने उसके बोबों पर हाथ रखा तो उसने कसकर मेरे हाथों को पकड़ लिया. उसकी हालत ख़राब होने लगी. थोडी देर रुक कर जब रीना थोड़ा सामान्य हुई तो मैं उसको उसके घर छोड़ आया.
फ़िर एक दिन हम कुछ ज्यादा ही फ्री हुए तो मैंने ऑफिस के दरवाजे में चाभी लगा कर बंद किया और वापस कुर्सी पर आकर उसका पायजामा नाड़ा खोल कर थोड़ा नीचे कर दिया और उसकी जांघें सहलाने लगा. रीना को सेक्स चढ़ने लगा. उसकी आँखें मुंदने लगी. मैंने पैंटी में हाथ डालना चाहा तो रीना ने मेरा हाथ पकड़ लिया बोली प्लीज नही. तो मैंने उसकी पैंटी की साइड से ऊँगली उसकी चूत पर छुआई. वो तो जैसे पागल हो गई. उसका सर मेरे सीने से लग गया. मेरा एक हाथ उसकी गर्दन पर लिपट गया और दूसरे हाथ से उसकी चूत साइड से सहलाता रहा. वो सेक्स में पिघलने लगी. फ़िर मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में दे दिया. वो थोड़ा कसमसाई लेकिन मैंने हाथ नही हटाया. वो लम्बी साँसे लेने लगी. मैंने उसकी चूत सहलाना शुरू किया. और साथ में लिप किस भी शुरू कर दिया. मेरी इच्छा थी उस से आज ही सेक्स करने की. मैंने उसकी चूत में ऊँगली की. मुझे एक झटका सा लगा. वो अभी तक अनछुई थी. मैंने सोच लिया कि कोई बात नही, इस लड़की को लंड अंदर डाल कर नही करूँगा.
मैं खडा हो गया. और उसको भी कुर्सी से खडा कर लिया और हम एक दूसरे से होंट मिलाते हुए एक दूसरे की बाँहों में बंध गए. मैंने भी अपने पैंट और अंडरवीयर उतार कर लंड उसको खेलने को दे दिया. उसने लंड अपने हाथों में पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया. मैंने उसके बोबे दबाने शुरू कर दिए.
फ़िर थोडी देर में उसका कुरता ऊँचा करके मैंने उसके बोबे ब्रा से बाहर कर लिए और उनको चूसना शुरू कर दिया वो जल उठी. उसने कस कर मुझको बाँहों में ले लिया. मैंने उसकी हिप्स को टेबल टॉप के साथ लगाया और अपने लंड को उसकी चूत की दरार में लगा दिया और जोर से दबा कर धीरे धीरे चूतड़ चला कर उसके कलाईटोरिस को लंड से रगड़ देने लगा. हम एक दूसरे के होंट और जीभ को खूब चूसने लगे. रीना को भी मजा आने लगा. वो भी अपनी गांड चलाने लगी. अब मैंने अपना बायाँ हाथ उसके चूतड़ों के पीछे करके अपनी और भींच रखा था और दायें हाथ से उसके बोबे दबा रहा था. मुँह से मुह मिले हुए थे. उसके हाथ मेरी गर्दन पर लिपटे हुए थे. धीरे धीरे हमारी मंजिल करीब आती गई फ़िर वो और उसके बाद हम दोनों ही झड़ गए. कुर्सी पर बैठ कर एक दूसरे को बाँहों में ले कर सहलाने लगे. फ़िर थोडी देर बाद कपड़े पहन कर सामान्य हो गए.
आज कई महीने हो गए. हम एक दूसरे के साथ सुखी और संतुष्ट है. वो सेक्स जान चुकी है लेकिन अब भी हम इसी तरीके से करते हैं.
नीरज
What did you think of this story??
Comments