कमाल की हसीना हूँ मैं-30

शहनाज़ खान 2013-05-22 Comments

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मेरे ससुर ताहिर अज़ीज़ खान जी मुझे ऊपर से नीचे तक कुछ देर तक निहारते ही रह गये। उनके होंठों से एक सीटी जैसी आवाज निकली, जैसी आवाज आवारा टाईप के मजनूं निकाला करते हैं।

“म्मम.. आज तो पैरिस जलकर राख हो जायेगा !” उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी तारीफ़ की।

“आप भी बस मेरी खिंचाई करते रहते हो!” मैं शर्म से लाल हो गई थी। उन्होंने अपने हाथ सामने की ओर फैला दिये तो मैं मुस्कुराते हुए उनके पास आ खड़ी हुई।

हम दोनों एक साथ हाल में दाखिल हुये। वहाँ एक तरफ़ डाँस के लिये जगह छोड़ी हुई थी, बाकी जगह में टेबल कुर्सियाँ बिछी थीं। मैं सकुचाती हुई अपने ससुर जी की बाँहों में समाये हुए कमरे में घुसी।

वहाँ का माहौल बहुत ही मादक व उत्तेजक था, मद्धम रोशनी में चारों तरफ़ जोड़े बैठे हुए थे। सब अपने पार्टनर्स के साथ थे। सारे जोड़े सैक्स हरकतों में मस्त हो रहे थे। कोई चूमाचाटी में लगे थे तो कोई अपने पार्टनर को सहला रहा था। किसी के हाथ पार्टनर्स के कपड़ों के नीचे घूम रहे थे, तो कुछ अपने पार्टनर्स को नंगा भी कर चुके थे।

हम टेबल ढूँढते हुए आगे बढ़े तो एक टेबल से हैमिल्टन ने हाथ हिला कर हमें बुलाया। हम वहाँ पहुँचे। साशा हैमिल्टन की गोद में बैठी हुई थी। हैमिल्टन का एक हाथ उसके टॉप के नीचे घुसा हुआ उसकी छातियों को सहला रहा था। साशा के मम्मों के उभार बता रहे थे कि उन पर हैमिल्टन के हाथ फिर रहे थे।

हमें देखते ही साशा हैमिल्टन की गोद से उठ गई। हैमिल्टन ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और साशा ससुर जी की गोद में जा बैठी। हैमिल्टन ने मेरे बूब्स पर टॉप के ऊपर से हाथ फ़िराया।

“आई अगेन टेल यू स्वीटहार्ट… यू आर टू सैक्सी टू ड्राईव ऐनीवन क्रेज़ी”, उसने कहा और मेरे हाथ में कॉकटेल का गिलास पकड़ा कर टॉप के बाहर से मेरे मम्मों को मसलने लगा। (मैं फ़िर कह रहा हूँ जानू कि तुम इतनी सेक्सी हो कि किसी को भी पागल कर सकती हो !)

मैंने ताहिर अज़ीज़ खान जी की तरफ़ देखा। वो मुझे हैमिल्टन से उरोज मसलवाते हुए बड़ी गहरी नजरों से देख रहे थे। मैंने शरमा कर दूसरी ओर नजरें फ़ेर लीं। मैं अपना ड्रिंक पीते हुए बीच में बने डायस पर थिरक रहे जोड़ों को देखने लगी।

हम थोड़ी देर ऐसे ही बैठे अपने ड्रिंक सिप करते रहे। मेरा दूसरा ड्रिंक ख़त्म हुआ तो हैमिल्टन ने मुझे खींच कर उठाते हुए कहा, “कम ऑन स्वीटहार्ट! लेट्स डाँस !”

मैंने ताहिर अज़ीज़ खान जी की तरफ़ एक नज़र देखा। उन्होंने सिर हिला कर अपनी रज़ामंदी दे दी। हम बीच सर्कल में डाँस करने लगे। डाँस फ़्लोर पर बहुत ही कम रोशनी थी। इसलिये डाँस तो कम चल रहा था और एक दूसरे को मसलना ज्यादा चल रहा था। कुछ पार्टनर्स बिल्कुल नंगे होकर डाँस कर रहे थे। सब शराब के नशे में चूर थे।

मुझ पर भी दो ड्रिंक्स पीने के बाद खुमारी सवार थी। हैमिल्टन भी मुझे अपने सीने में दबा कर मेरे टॉप के अंदर हाथ डाल कर मेरे बूब्स को जोर से मसलने लगा। फिर मेरे टॉप को ऊँचा करके मेरे बूब्स को नंगा कर दिया और अपने मुँह में मेरा एक निप्पल भर कर चूसने लगा।

मैंने अपने आस-पास नजरें दौड़ाईं, औरों की हालत तो मेरे से भी बुरी थी। ज्यादातर लड़कियाँ या तो टॉपलेस हो चुकी थीं या पूरी तरह ही नंगी हो गई थीं। हमारे पास एक जोड़ा तो म्यूज़िक पर ही खड़े खड़े कमर हिला-हिला कर चुदाई में लीन था।

हैमिल्टन का दूसरा हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर घुस कर मेरी टाँगों के जोड़ पर फिर रहा था। मैं अपनी बिना बालों वाली चिकनी चूत पर उसके हाथों का दबाव महसूस कर रही थी। मैंने अपनी टेबल की तरफ़ अपनी नजरें दौड़ाईं तो पाया कि साशा घुटनों के बल जमीन पर बैठ कर ताहिर अज़ीज़ खान जी का लंड अपने मुँह में भर कर चूस रही है।

मैं भी अपने हाथ हैमिल्टन के लंड पर रख कर उसकी जींस के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने लगी। हैमिल्टन ने खुश हो कर अपनी जींस की ज़िप नीचे कर दी। मैंने अपना हाथ उसकी पैंट के अंदर डाल कर उसके लंड को पकड़ कर बाहर निकाला। मैं उसके लंड को अपने हाथों से सहलाने लगी। मेरी नजरें बराबर अपने ससुर जी पर टिकी हुई थी।

“लेट दैम एन्जॉय एंड लेट अस डू द सेम !” हैमिल्टन ने मेरी नजरों को भाँपते हुए कहा, “कम-ऑन लेट्स गो टू सम केबिन फ़ोर अ क्विकी!” (उन्हें मजा करने करने दो, हम भी करते हैं, चलो कैबिन में चुदाई का एक दौर कर ले !)

मैं उसका इरादा समझ नहीं पाई और उसकी ओर देखा तो उसने बात क्लियर की, “देयर आर सम केबिन्स मेड फ़ोर कपल्स हू आर शाय टू फ़क इन द पब्लिक। कम ऑन लेट्स गो देयर फ़ोर अ फ़क!” (यहाँ कुछ कैबिन उन लोगों के लिये हैं जो सबके सामने चुदाई करने में शर्माते हैं।)

“नो… नो! आय वोंट डू दैट”, मैंने एतराज करते हुए कहा, “मॉय फादर-इन-ला मे टेक इट अदरवाईज़!” (नहीं, मैं नही कर रही ! मेरे ससुर क्या सोचेंगे?)

“हा ! यू इंडियंस आर सो शाय! आय लव इंडियंस। लुक सैक्सी… योर फ़ादर-इन-ला इज़ बिज़ी फ़किंग मॉय साशा!” उसने हमारी टेबल की तरफ़ इशारा किया। (तुम हिन्दुस्तानी कितना शरमाते हो ! मुझे हिन्दुस्तानी पसन्द हैं। देखो तुम्हारे ससुर मेरी साशा को चोदने में मस्त है !)

मैंने देखा साशा ताहिर अज़ीज़ खान जी की गोद में सिर्फ सैंडल पहने बिल्कुल नंगी बैठी थी। उसका चेहरा सामने की ओर था और वो टेबल पर अपने दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी कमर को उनके लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी। ससुर जी के दोनों हाथ साशा के मम्मों को मसलने में मसरूफ थे।

हैमिल्टन मुझे खींचता हुआ दीवार के पास बने कुछ केबिनों में से एक में ले गया। मैं झिझक रही थी उसको इतना लिफ्ट देते हुए लेकिन उसने जबरदस्ती मुझे केबिन के अंदर खींच ही लिया।

मुझे वहाँ रखी टेबल के पास खड़ी करके उसने मेरे हाथ टेबल पर टिका दिये। मेरे जिस्म से मेरे टॉप को नोच कर फ़ेंक दिया और मेरे बूब्स को पीछे की तरफ़ से पकड़ कर मुझे टेबल के ऊपर झुका दिया और मेरे स्कर्ट को खींच कर उतार दिया। मेरे कपड़े उसने उतार कर एक तरफ़ फ़ेंक दिये।

अब मैं सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। फिर वो भी जल्दी-जल्दी अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया। लाईट ऑन करके हमने एक दूसरे के नंगे जिस्म को निहारा।

उसका लंड हल्का गुलाबी रंग का था जो कि उसके एकदम गोरे रंग से मेल खा रहा था। उसने दोबारा मुझे टेबल पर झुका दिया और पीछे से अपना लंड मेरी चूत पर लगा दिया। फिर मेरे बूब्स को जोर से पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा और मेरे मुँह से “आआआऽऽहहहऽऽऽ” की आवाज के साथ उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। उसका लंड कोई गैर मामूली बड़ा नहीं था। इसलिये उसे अपनी चूत में लेने में किसी तरह की कोई खास दिक्कत नहीं आई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

वो पीछे से मुझे जोर-जोर से धक्के मारने लगा। कुछ देर तक इसी तरह मुझे चोदने के बाद वो सोफ़े पर बैठ गया और अपने लंड पर मुझ बिठा लिया और मेरी दोनों बगलों में अपने हाथ डाल कर मेरे हल्के जिस्म को अपने हाथों से अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगा।

कुछ देर बाद मुझे खड़ा करके खुद भी खड़ा हो गया। फिर मेरी बाँहों को अपनी गर्दन के चारों ओर डाल कर मुझे जमीन से ऊपर उठा लिया। उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं खुद को गिरने से बचाने के लिये उसकी कमर के चारों ओर अपने पैरों का घेरा डाल दिया। इस तरह से अपने लंड पर मुझे बिठा कर वो अपने लंड को मेरी चूत में आगे पीछे करने लगा।

मुझे अपने लंड पर बिठाये हुए इसी हालत में वो मुझे लेकर सोफ़े तक पहुँचा। फिर सोफ़े पर खुद लेट कर मुझे अपने लंड पर वापस बिठा लिया। मैं उसके लंड पर कूदने लगी। उसकी ठुकाई से साफ़ लग रहा था कि यह जर्मन चुदाई के मामले में तो अच्छे अच्छों को ट्रेनिंग दे सकता है।

मुझे करीब-करीब एक घंटे तक उसने अलग अलग पोज़ में चोदा। मेरे मुँह में, मेरी गाँड में, मेरी चूत में, हर जगह उसने अपने लंड को रगड़ा। जब उसके लंड से फुहार छूटने को हुई तो उसने अपने लंड को मेरी चूत से निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया और ढेर सारा वीर्य मेरे मुँह में भर दिया।

मैं उसके छूटने तक तीन बार झड़ चुकी थी। फिर मैं उसके वीर्य को छोटे-छोटे घूँटों में पी गई। फिर मैं लहरा कर नीचे जमीन पर गिर गई और वहीं पड़े-पड़े लंबी-लंबी सांसें लेने लगी।

हैमिल्टन के लंड से अभी भी हल्की-हल्की वीर्य की पिचकारी निकल रही थी, जिसे वो मेरे मम्मों पर गिरा रहा था। मम्मों पर छलके हुए वीर्य को उसने मेरे टॉप से साफ़ किया। टॉप से उसने अपने वीर्य को कुछ इस तरह पोंछा कि जब मैंने दोबारा टॉप पहनी तो मेरे दोनों निप्पल के ऊपर दो बड़े-बड़े गीले धब्बे थे। टॉप मेरे दोनों निप्पल पर चिपक गई थी और निप्पल बाहर से दिखने लगे थे।

कुछ देर बाद हम वहीं रेस्ट करके अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गये। बाहर अपनी टेबल पर आकर देखा कि टेबल खाली थी।

कहानी जारी रहेगी।

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