कमाल की हसीना हूँ मैं-25

शहनाज़ खान 2013-05-17 Comments

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स्वामी आज मुझ पर रहम करने के मूड में बिल्कुल नहीं था। उसने वापस अपने लंड को पूरा बाहर खींचा तो एक फक सी आवाज आई जैसे किसी बोतल का कॉर्क खोला गया हो।

उसे मुझे दर्द देने में मज़ा आ रहा था। नहीं तो वो अगर चाहता तो उस हालत में ही अपने लंड को धक्का दे कर और अंदर कर देता। लेकिन वो तो पूरे लौड़े को बाहर निकाल कर वापस मुझे उसी तरह के दर्द से छटपटाता देखना चाहता था।

मैंने उसके जुनून को कम करने के लिये उसके सीने पर अपना एक हाथ रख दिया था लेकिन यह तो आँधी में एक कमज़ोर फूल की जुर्रत के समान ही था।

उसने वापस अपने लंड को मेरी चूत पर लगा कर एक जोर का धक्का दिया। मैं दर्द से बचने के लिये आगे की ओर खिसकी लेकिन कोई फ़र्क नहीं पड़ा।

मैं दर्द से दोहरी होकर चीख उठी, “उफफऽऽऽ माँऽऽऽ मर गईईऽऽऽऽ।”

उसका आधा लंड मेरी चूत के मुँह को फाड़ता हुआ अंदर धंस गया। मेरा एक हाथ उसके सीने पर पहले से ही गड़ा हुआ था। मैंने दर्द से राहत पाने के लिये अपने दूसरे हाथ को भी उसके सीने पर रख दिया। उसके काले सीने पर घने काले सफ़ेद बल उगे हुए थे। मैंने दर्द से अपनी उँगलियाँ के नाखून उसके सीने पर गड़ा दिये। एक-दो जगह से तो खून भी छलक आया और मुट्ठियाँ बंद होकर जब खुली तो मुझे उसमें उसके सीने के टूटे हुए बाल नज़र आये।

स्वामी एक भद्दी सी हँसी हँसा और मेरी टाँगों को पकड़ कर हँसते हुए उसने मुझसे पूछा, “कैसा लग रहा है जान.. मेरा ये मिसाईल? मज़ा आ गया ना?”

मैं दर्द को पीती हुई फ़टी हुई आँखों से उसको देख रही थी। उसने दुगने जोर से एक और धक्के के साथ अपने पूरे लंड को अंदर डाल दिया। मैं किसी मछली की तरह छटपटा रही थी।

“आआऽऽऽ हहहऽऽऽ मेरे खुदाऽऽऽ !! जावेद बचाऽऽऽओ ऊऊऽऽऽ मुझे ये फाड़ देंगेऽऽऽ।”

मैं टेबल से उठने की कोशिश करने लगी मगर रस्तोगी ने मेरे मम्मों को अपने हाथों से बुरी तरह मसलते हुए मुझे वापस लिटा दिया। उसने मेरे दोनों निप्पलों को अपनी मुठ्ठियों में भर कर इतनी जोर का मसला कि मुझे लगा मेरे दोनों निप्पल उखड़ ही जायेंगे।

मैं इस दो तरफ़ा हमले से छटपटाने लगी। शुक्र है कि मैंने उनके कहने पर इतनी शराब पी रखी थी। अगर मैं इतने नशे में नहीं होती तो मैं ये सब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती।

स्वामी अपने पूरे लंड को मेरी चूत में डाल कर कुछ देर तक उसी तरह खड़ा रहा। मेरी चूत के अंदर मानो आग लगी हुई थी। मेरी चूत की दीवारें चरमरा रही थीं।

रस्तोगी उस वक्त मेरे निप्पल और मेरे मम्मों को अपने हाथों से और दाँतों से बुरी तरह नोच रहा था और काट रहा था। इससे मेरा ध्यान बंटने लगा और कुछ देर में मैं अपने नीचे उठ रही दर्द की लहर को भूल कर रस्तोगी से अपने मम्मों को छुड़ाने लगी।

कुछ देर बाद स्वामी का लंड सरसराता हुआ बाहर की ओर निकलता महसूस हुआ, उसने अपने लंड को टिप तक बाहर निकाला और फिर पूरे जोश के साथ अंदर डाल दिया। अब वो मेरी चूत में जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

उसको हरकत में आते देख रस्तोगी का लंड वापस खड़ा होने लगा। वो घूम कर मेरे दोनों कंधों के पास टाँगें रख कर अपने लंड को मेरे होंठों पर रगड़ने लगा। मैंने उसको लाचार समझ कर अपने मुँह को खोल कर उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया।

वो मेरी छातियों के ऊपर बैठ गया। मुझे ऐसा लगा मानो मेरे सीने की सारी हवा निकल गई हो। वो अपने लंड को मेरे मुँह में देकर झुकते हुए अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख कर मेरे मुँह में अपने लंड से धक्के मारने लगा।

इस पोजीशन में स्वामी मुझे दिखाई नहीं दे रहा था मगर उसके जबरदस्त धक्के मेरे पूरे जिस्म को बुरी तरह झकझोर रहे थे। कुछ देर बाद मुझे रस्तोगी का लंड फूलते हुए महसूस हुआ। उसने एक झटके से अपने पूरे लंड को बाहर की ओर खींचा और उसे पूरा बाहर निकाल लिया।

उसकी यह हरकत मुझे बहुत बुरी लगी। किसी को इतना चोदने के बाद भी उसके पेट में अपना रस नहीं उड़ेलो तो लगता है मानो सामने वाला दगाबाज़ हो।

मैंने उसके वीर्य को पाने के लिये अपना मुँह पूरा खोल दिया। उसने अपने लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ा और वीर्य की एक तेज़ धार हवा में उछलती हुई मेरी ओर बढ़ी।

उसने ढेर सारा वीर्य मेरे चेहरे पर, मेरे बालों में और मेरे खुले हुए मुँह में डाल दिया। मैंने तड़प कर अपने मुँह को उसके लंड के ऊपर लगाया और उसके बचे हुए वीर्य को अपने मुँह में भरने लगी।

“मेरे वीर्य को पीना नहीं। इसे मुँह में ही रख जब तक स्वामी का वीर्य तेरी चूत में नहीं छूट जाता !” रस्तोगी ने मुझसे कहा।

स्वामी के धक्कों की स्पीड काफी बढ़ गई। मैंने रस्तोगी का वीर्य अपने मुँह में भर रखा था जिससे मेरा मुँह फूल गया था। मुँह के कोरों से वीर्य छलक कर बाहर आ रहा था। बहुत सारा वीर्य डाला था उसने मेरे मुँह में। रस्तोगी मेरे ऊपर से हट गया।

मेरे मम्मों पर अपने हाथ रखते हुए स्वामी मेरी चूत में धक्के मारने लगा। कुछ देर बाद वो नीचे झुक कर अपना सारा बोझ मेरे जिस्म पर डालते हुए मेरे मम्मों को अपने दाँतों से बुरी तरह काटने लगा। उसके जिस्म से वीर्य की तेज़ धार मेरी चूत में बहने लगी। स्वामी से चुदते हुए मैं भी दो बार अन्जाम तक पहुँची।

पूरा वीर्य मेरी चूत में डाल कर वो उठा। मैं अपनी टाँगें फैलाये वहीं टेबल पर पड़ी पड़ी लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। कुछ देर तक इसी तरह पड़े रहने के बाद रस्तोगी ने मुझे सहारा देकर उठाया।

“दिखा कि रस्तोगी के वीर्य को अभी तक मुँह में संभाल कर रखा है या नहीं?” स्वामी ने कहा।

मैंने अपना मुँह खोल कर अंदर भरा हुआ वीर्य उन दोनों को दिखाया।

“ले… अब अपने मुँह से सारा वीर्य निकाल कर इस गिलास में भर !” रस्तोगी ने कहा और मुझे एक खाली गिलास पकड़ा दिया। अपने मुँह का सारा वीर्य उस गिलास में डाल दिया।

“चल अब अपने शौहर का वीर्य भी इस गिलास में ले !”

जावेद सोफ़े पर एक तरफ बैठा हुआ था। मुझे खड़ा कर के रस्तोगी ने जावेद की तरफ़ ढकेला। मेरी टाँगों में जोर नहीं बचा था और मैं नशे में चूर हो रही थी इसलिये मैं भरभरा कर जावेद के ऊपर गिर गई। मैंने उसके लंड को चूस कर उसे फारिग कराया और उसका वीर्य अपने मुँह में इकट्ठा करके गिलास में उड़ेल दिया।

स्वामी व्हिस्की की बोतल ले आया और उस गिलास को भर दिया। फिर मेरा सिर पकड़ कर मुझे वो वीर्य और व्हिस्की का कॉकटेल पीने पर मजबूर किया।

मेरी चूत से दोनों का वीर्य बहता हुआ फर्श पर टपक रहा था। मैं अब उठ कर हाई-हील सैंडलों में दौड़ती और लड़खड़ाती हुई बाथरूम में गई। नशे में मेरा सिर जोर से घूम रहा था। मेरी टाँगों से होते हुए दोनों का वीर्य नीचे की ओर बह रहा था।

बाथरूम में जाकर जैसे ही अपना चेहरा आईने में देखा तो मुझे रोना आ गया। मेरा पूरा जिस्म, मेरे रेशमी बाल, सब कुछ वीर्य से सने हुए थे। मेरे मम्मों पर अनगिनत दाँतों के दाग थे। मैं अपने जिस्म से उनके वीर्य को साफ़ करने लगी लेकिन तभी दोनों बाथरूम में पहुँच गए और मुझे अपनी गोद में उठा लिया।

“प्लीज़ मुझे छोड़ दो ! मुझे अपना जिस्म साफ़ करने दो ! मुझे घिन आ रही है अपने जिस्म से !” मैं उनके आगे गिड़गिड़ाई।

“अरे मेरी जान ! तुम तो और भी खूबसूरत लग रही हो इस हालत में… और अभी तो पूरी रात पड़ी है। कब तक अपने जिस्म को पोंछ-पोंछ कर आओगी हमारे पास।” रस्तोगी हँसने लगा।

दोनों मुझे गोद में उठा कर बेडरूम में ले आये और उसी हालत में मुझे बेड पर पटक दिया। स्वामी बिस्तर पर नंगा लेट गया और मुझे अपनी ओर खींचा।

“आजा मेरे ऊपर !” स्वामी ने मुझे उसके लंड को अपने अंदर लेने का इशारा किया।

मैंने अपनी कमर उठा कर उसके खड़े हुए लंड को अपनी चूत पर सैट किया। उसने अपने हाथों को आगे बढ़ा कर मेरे दोनों मम्मे थाम लिये। मैंने अपने चेहरे के सामने आये बालों को एक झटके से पीछे किया और अपनी कमर को उसके लंड पर धीरे-धीरे नीचे करने लगी। उसका मोटा लंड एक झटके से मेरी चूत का दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हो गया।

“आआऽऽऽहहहऽऽऽ उफफऽऽओहहऽऽऽ !” मैं कराह उठी।

एक बार उसके लंड से चुदाई हो जाने के बाद भी उसका लंड मेरी चूत में दाखिल होते वक्त मैं दर्द से छटपटा उठी। ऐसा लगता था शायद पिछली ठुकाई में मेरी चूत अंदर से छिल गई थी। इसलिये उसका लंड वापस जैसे ही अंदर रगड़ता हुआ आगे बढ़ा, दर्द की एक तेज़ लहर पूरे जिस्म में समा गई।

मैंने अपने हाथ उसके सीने पर रख कर अपनी कमर को धीरे-धीरे नीचे किया। मेरा सिर नशे में बुरी तरह झूम रहा था और दिमाग पर नशे की जैसे एक धुँध सी छाई हुई थी।

कहानी जारी रहेगी।

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