कमाल की हसीना हूँ मैं-24
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left कमाल की हसीना हूँ मैं-23
-
keyboard_arrow_right कमाल की हसीना हूँ मैं-25
-
View all stories in series
मैं उसके लंड की टिप को अपनी चूत की दोनों फाँकों के बीच महसूस कर रही थी। मैंने एक बार नजरें तिरछी करके जावेद को देखा।
उसकी आँखें मेरी चूत पर लगे लंड को साँस रोक कर देख रही थी। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली। मैं हालात से तो समझौता कर ही चुकी थी और शराब के नशे में मेरी चूत उत्तेजना में झुलसी जा रही थी। अब मैंने भी इस चुदाई से पूरी तरह मजा करने का मन बना लिया।
रस्तोगी काफी देर से इसी तरह अपने लंड को मेरी चूत से सटाये खड़ा था और मेरी टाँगों और पैरों के साथ-साथ मेरे सैंडलों को अपनी जीभ से चाट रहा था। अब हालात बेकाबू होते जा रहे थे, मुझसे और देरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
मैंने अपनी कमर को थोड़ा ऊपर किया जिससे उसका लंड बिना किसी परेशानी के अंदर घुस जाये। लेकिन उसने मेरी कमर को आगे आते देख अपने लंड को उसी स्पीड से पीछे कर लिया।
उसके लंड को अपनी चूत के अंदर सरकता ना पाकर मैंने अपने मुँह से ‘गूँऽऽऽ गूँऽऽऽ’ करके उसे और देर नहीं करने का इशारा किया। कहना तो बहुत कुछ चाहती थी लेकिन उस मोटे लंड के गले तक ठोकर मारते हुए इतनी सी आवाज भी कैसे निकल गई, पता नहीं चला।
मैंने अपनी टाँगें उसके कंधे से उतार कर उसकी कमर के इर्द-गिर्द घेरा डाल दिया और उसकी कमर को अपनी टाँगों के जोर से अपनी चूत में खींचा लेकिन वो मुझसे भी ज्यादा ताकतवर था। उसने इतने पर भी अपने लंड को अंदर नहीं जाने दिया। आखिर हार कर मैंने अपने एक हाथ से उसके लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी चूत के द्वार को चौड़ा करके अपनी कमर को उसके लंड पर ऊँचा कर दिया।
“देख जावेद ! तेरी बीवी कैसे किसी रंडी की तरह मेरा लंड लेने के लिये छटपटा रही है।” रस्तोगी मेरी हालत पर हंसने लगा।
उसका लंड अब मेरी चूत के अंदर तक घुस गया था। मैंने उसके कमर को सख्ती से अपनी टाँगों से अपनी चूत पर जकड़ रखा था। उसके लंड को मैंने अपनी चूत के मसल्स से एकदम कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर को आगे-पीछे करने लगी।
अब रस्तोगी मुझे नहीं बल्कि मैं रस्तोगी को चोद रही थी। रस्तोगी ने भी कुछ देर तक मेरी हालत का मज़ा लेने के बाद अपने लंड से धक्के देना शुरू कर दिया।
वो कुछ ही देर में पूरे जोश में आ गया और मेरी चूत में दनादन धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ लगता था कि मैं टेबल से आगे गिर पड़ूँगी। इसलिये मैंने अपने हाथों से टेबल को पकड़ लिया। रस्तोगी ने मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उनसे जैसे रस निकालने की कोशिश करने लगा।
मेरे मम्मों पर वो कुछ ज्यादा ही मेहरबान था। जब से आया था, उसने उन्हें मसल-मसल कर लाल कर दिया था। दस मिनट तक इसी तरह ठोकने के बाद उसके लंड से वीर्य की तेज़ धार मेरी चूत में बह निकली। उसके वीर्य का साथ देने के लिये मेरे जिस्म से भी धारा फूट निकली।
उसने मेरे एक मम्मे को अपने दाँतों के बीच बुरी तरह जकड़ लिया। जब सारा वीर्य निकल गया तब जाकर उसने मेरे मम्मे को छोड़ा। मेरे मम्मे पर उसके दाँतों से हल्के से कट लग गये थे जिनसे खून की दो बूँदें चमकने लगी थी।
स्वामी अभी भी मेरे मुँह को अपने खंबे से चोदे जा रहा था। मेरा मुँह उसके हमले से दुखने लगा था। लेकिन रस्तोगी को मेरी चूत से हटते देख कर उसकी आँखें चमक गई और उसने मेरे मुँह से अपने लंड को निकाल लिया।
मुझे ऐसा लगा मानो मेरे मुँह का कोई भी हिस्सा काम नहीं कर रहा है, जीभ बुरी तरह दुख रही थी, मैं उसे हिला भी नहीं पा रही थी और मेरा जबड़ा खुला का खुला रह गया। उसने मेरी चूत की तरफ़ आकर मेरी चूत पर अपना लंड सटाया।
जावेद वापस मेरे मुँह के पास आ गया। मैंने उसके लंड को वापस अपनी मुठ्ठी में लेकर सहलाना चालू किया। मैं उसके लंड पर से अपना ध्यान हटाना चाहती थी।
मैंने जावेद की ओर देखा तो जावेद ने मुस्कुराते हुए अपना लंड मेरे होंठों से सटा दिया। मैंने भी मुस्कुरा कर अपना मुँह खोल कर उसके लंड को अंदर आने का रास्ता दिया। स्वामी के लंड को झेलने के बाद तो जावेद का लंड किसी बच्चे का हथियार लग रहा था।
स्वामी ने मेरी टाँगों को दोनों हाथों से जितना हो सकता था उतना फैला दिया। वो अपने लंड को मेरी चूत पर फिराने लगा। मैंने उसके लंड को हाथों में भर कर अपनी चूत पर रखा।
“धीरे धीरे.. स्वामी ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी !” मैं स्वामी के सामने जैसे गिड़गिड़ाने लगी।
स्वामी एक भद्दी हँसी हँसा, हँसते हुए उसका पूरा जिस्म हिल रहा था, उसका लंड वापस मेरी चूत पर से हट गया।
“ओये जावेद ! तुम्हारी बीवी को तुम जब चाहे कर सकता है… अभी तो मेरी हेल्प करो। इधर आओ मेरे रॉड को हाथों से पकड़ कर अपनी वाईफ के कंट में डालो। मैं इसकी टाँगें पकड़ा हूँ। इसलिये मेरा लंड बार-बार तुम्हारी वाईफ की कंट से फ़िसल जाता है। पकड़ो इसे…”
जावेद ने आगे की ओर हाथ बढ़ा कर स्वामी के लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ा। कुछ देर से कोशिश करने की वजह से स्वामी का लंड थोड़ा ढीला पड़ गया था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
“जावेद ! पहले इसे अपने हाथों से सहला कर वापस खड़ा करो। उसके बाद अपनी बीवी की पुसी में डालना। आज तेरी वाईफ की पुसी को फाड़ कर रख दूँगा !”
जावेद उसके लंड को हाथों में लेकर सहलाने लगा। मैंने भी हाथ बढ़ा कर उसके लंड के नीचे लटक रही गेंदों को सहलाना शुरू किया।
कैसा अजीब माहौल था, अपनी बीवी की चूत को ठुकवाने के लिये मेरा शौहर एक अजनबी के लंड को सहला कर खड़ा कर रहा था। कुछ ही देर में हम दोनों की कोशिशें रंग लाईं और स्वामी का लंड वापस खड़ा होना शुरू हो गया। उसका आकार बढ़ता ही जा रहा था। उसे देख-देख कर मेरी घिग्घी बंधने लगी।
“धीरे-धीरे स्वामी ! मैं इतना बड़ा नहीं ले पाऊँगी। मेरी चूत अभी बहुत टाईट है, यह ज्यादा चुदी हूई नहीं है।” मैंने कसमसाते हुए कहा, “तुम… तुम बोलते क्यों नहीं?” मैंने नशे में लड़खड़ाती आवाज़ में जावेद से कहा।
जावेद ने स्वामी की तरफ़ देख कर उससे धीरे से रिक्वेस्ट की, “मिस्टर स्वामी ! प्लीज़ थोड़ा धीरे से। शी हैड नेवर बिफोर एक्सपीरियंस्ड सच ए मैसिव कॉक। यू मे हार्म हर… योर कॉक इज़ श्योर टू टियर हर अपार्ट।”
“हाहाह… डोंट वरी जावेद ! वेट फोर फाईव मिनट्स। वंस आई स्टार्ट हंपिंग, शी विल स्टार्ट आस्किंग फोर मोर लाईक ए रियल स्लट !” स्वामी ने जावेद को दिलासा दिया।
उसने मेरी चूत के अंदर अपनी दो उँगली डाल कर उसे घुमाया और फिर मेरे और रस्तोगी के वीर्य से लिसड़ी हुई उँगलियों को बाहर निकाल कर मेरी आँखों के सामने एक बार हिलाया और फिर उसे अपने लंड पर लगाने लगा।
यह काम उसने कई बार दोहराया। उसका लंड हम दोनों के वीर्य से गीला हो कर चमक रहा था। उसने वापस अपने लंड को मेरी चूत पर सटाया और दूसरे हाथ से मेरी चूत की फाँकों को अलग करते हुए अपने लंड को एक हल्का धक्का दिया।
मैंने अपनी टाँगों को छत की तरफ़ उठा रखा था, मेरी चूत उसके लंड के सामने खुल कर फ़ैली हुई थी, हल्के से धक्के से उसका लंड अंदर ना जाकर गीली चूत पर नीचे की ओर फ़िसल गया। उसने दोबारा अपने लंड को मेरी चूत पर सटाया।
जावेद उसके पास ही खड़ा था। उसने अपनी उँगलियों से मेरी चूत की फाँकों को अलग किया और चूत पर स्वामी के लंड को फ़ंसाया। स्वामी ने अब एक जोर का धक्का दिया और उसके लंड के सामने का टोपा मेरी चूत में धंस गया। मुझे ऐसा लगा मानो मेरी दोनों टाँगों के बीच किसी ने खंजर से चीर दिया हो।
मैं दर्द से छटपटा उठी, “आआआऽऽऽ हहऽऽऽऽ” और मेरे नाखून जावेद के लंड पर गड़ गये। मेरे साथ वो भी दर्द से बिलबिला उठा। लेकिन स्वामी आज मुझ पर रहम करने के मूड में बिल्कुल नहीं था। उसने वापस अपने लंड को पूरा बाहर खींचा तो एक फक सी आवाज आई जैसे किसी बोतल का कॉर्क खोला गया हो।
कहानी जारी रहेगी।
What did you think of this story??
Comments