जिम और जिस्म

(Gym Aur Jism)

जो हंटर 2006-02-27 Comments

जिम आजकल का फ़ैशन हो गया है, क्या लड़के या लड़कियां, अधेड़ और यहाँ तक कि 60 वर्ष के बूढ़े जवान भी अब जिम का महत्त्व समझने लगे है। मेरे पिता ने यह जिम 15 वर्ष पहले स्थापित किया था। अब यह शहर का नामी जिम है। नाम और मशीनों के अनुरूप मेरे जिम की फ़ीस भी ज्यादा थी। उसके लिये हमारे पास ट्रेनर थे। जो अलग अलग समय पर अलग अलग उम्र के लोगों को कसरत कराया करते थे।

पहले लड़कों का समय अलग था और लड़कियों का समय अलग था, पर मैंने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिये उनका समय एक ही कर दिया था। परिणाम बढ़िया रहा। मैंने अपना भी ध्यान विशेष रूप से रखा। अधेड़ उम्र की शादीशुदा महिलाओं के लिये 10 से 2 बजे का समय रखा था। इसका खास कारण भी था। वह ये कि कम उम्र की लड़िकयाँ वैसे पटती तो बहुत जल्दी हैं पर जबान की कच्ची होती हैं, जरा में शिकायत हो जाती है। अधेड़ महिलाएँ जो करती हैं सोच समझ कर करती हैं। और यदि उनकी कोई इच्छा पूरी हो रही हो तो वो फ़ीस भी अधिक दे देती हैं।

जिम में आशिकों की तादाद बढ़ती जा रही थी। दिन में दो दो के ग्रुप में अधेड़ महिलाएँ भी आने लगी थी, भरे जिस्म की, जिनके चूतड़ थोड़े भारी थे। बोबे भी बड़े थे पर ठीक थे। उन्हें कसरत कराना मेरा काम था। इनकी ड्रेस भी जिम से ही दी जाती थी। ये पहनने में हल्की होती थी और उनका फ़िगर उसमें सेक्सी दिखता था। कसरत करते समय पजामा उनके चूतड़ों में घुस सा जाता था। उनके बोबे उस ड्रेस में खूब हिलते थे, जिनका भरपूर आनन्द मैं लिया करता था। कितनी बार मेरा लण्ड तक खड़ा हो जाता था। मैं दिखने में बहुत ही सुन्दर था और मेरा शरीर भी जिम के कारण कसा हुआ भी था इसलिये मुझे औरतें बहुत पसन्द करती थी।

मिसेज़ सोनल तो मुझे बार बार बुला कर मेरी मदद हमेशा लिया करती थी। सोनल की पीठ से मैं चिपक जाता था और उसे डम्बल से कसरत कराता था। मिसेस देविका भी देखा देखी मेरी मदद लेती थी। दो कसरतें करने के बाद मैं उन्हे ज्यूस पिलाने अपने चेम्बर में ले जाता था और हम वहाँ पर बातें करते थे। सोनल का मेरे प्रति रुझान था यह मैं जानता था। कसरत करते समय वो जान करके जब लेटती थी तो उसकी चूत का नक्शा उभर कर साफ़ दिखता था। मुझे भी ऐसा लगता था कि उसकी चूत को हल्के से दबा दूँ और मन की निकाल लूँ।

एक दिन ऐसा आ ही गया जब सारा मामला खुल गया और सोनल मुझ से चुदा बैठी… उस दिन देविका की माहवारी आ रही थी इसलिये वो जिम नहीं आई थी। मैं सोनल के साथ अपने चेम्बर में सोफ़े पर बैठा हुआ ज्यूस पी रहा था।

सोनल ने पहल की और कहने लगी- जो, आप मुझे लेटने वाली कसरत को ठीक से कराये… मुझसे होती नहीं है!
“अभी करोगी क्या?”
“हां सीखना तो है ही ना!”

मैंने उसे सिखाना आरम्भ किया। सोनल को सीधा लेटा दिया… आज उसके बोबे जरा कड़े लग रहे थे। वो उत्तेजित लग रही थी। मैंने सोचा मौके का फ़ायदा उठाना चाहिए… मैंने उसके हाथ को पूरा फ़ैला दिया और उसके हाथ में 5 किलो के डम्बल दे दिये और उसके सर के पास खड़े हो कर उसे कसरत कराने लगा।

फिर उसे आराम करने को कहा और बताया हाथों को कैसे रखना चहिये, इस बहाने उसके शरीर को छूता जा रहा था। बीच बीच में उसके बोबे के निप्पल भी छू लेता था। वो इससे उत्तेजित होने लगी। उसकी चूत उभर कर अपना नक्शा दर्शा रही थी।

अब मैंने उसे पांव उठाने कहा और उसकी मदद करते समय उसकी जांघो को भी अच्छी तरह से छुआ और सहलाया भी।
“जो आपके यहाँ मसाज भी करते हैं ना?”
“हां! पर सिर्फ़ लड़कों का होता है!”
“मेरा भी मसाज कर दिया करो, मैं मसाज की फ़ीस अलग से दे दूंगी!”
“पर मेरे यह कोई लड़की नहीं है…”
“नहीं आप ही से मसाज करवाना है…”
“अच्छा तो आइये अन्दर… आप वहाँ लेटिये, मैं मसाज आयल ले कर आता हूँ!”

सोनल ने अपने कपड़े उतारे और छोटी सी पेन्टी और छोटी सी ब्रा में ही उल्टी लेट गई। मैं समझ गया था कि लोहा गर्म है, इसे अब काबू में कर लेना चहिये।

मेरे मसाज शुरू करते ही उसके शरीर में झुरझुरी आने लगी, मेरे हाथ उसकी पीठ पर हल्की गुदगुदी करते हुए और चूंचियों के पास के स्थानों को पीछे की तरफ़ खींच कर मसाज करने लगा। मेरे हाथ उसकी गोल गोल चूतड़ों पर भी चलने लगा।

वो मदहोश सी होने लगी। और वही हुआ जिसकी उम्मीद थी, उसका सब्र टूट गया और सीधी हो कर उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया।
“बस जो! अब ओर नहीं, मुझे ये सब नहीं चाहिये, प्लीज, मेरी छातियाँ मसल दो…”
“मिसेज़ सोनल, फिर मुझे भी कुछ हो जायेगा!”
“होने दो ना… मैं तो शादीशुदा हूँ… कुछ भी होने दो… मुझे क्या फ़र्क पड़ेगा!”

“मतलब, सोनल… अगर वो भी हो जाये तो?”
“मैं तो जिम आती ही इसलिये हूँ कि कुछ मजा मिले… प्लीज़!”
मैंने सोनल की ब्रा और पेन्टी उतार दी और मसाज जैसे हल्के से उसके बोबे मलने लगा।

“जो, प्लीज कुछ ओर भी करो ना…”
मैं भी अब ज्यादा सह नहीं पा रहा था, मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया और जोर से दबा दी, और उसके होंठो को जोर से चिपका दिये।
“आह जो, अब मजा आया… और करो… मेरी चूची भी मसलो…”

मैं उसके अंगों को दबाने और मसलने लगा। उसके मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैंने अपना पजामा उतार दिया और उसके मुँह के पास अपना तन्नाया हुआ लण्ड रख दिया। मुझे जरा भी इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। लण्ड उसने अपने मुख में भर लिया, और चूसने लगी। मुझे तेज मजा आया… उसने मेरा लण्ड पकड़ कर मुठ भी मारती जा रही थी और मुख मैथुन भी जारी था।

“सोनल मेम, चुदोगी क्या… या बस…”
“तुम भी ना जो!… मेरी इच्छा तो चुदाने की है… यहाँ मैं इसीलिये तो आती हूँ… देविका भी यहाँ चुदाने ही तो आती है, उसे भी चोद देना प्लीज़!”

“जी हाँ जरूर…” मैंने उसे अपने नरम फ़ोम के बिस्तर पर ले जा कर लेटा दिया… और उस के पास लेट गया।

सोनल से रहा नहीं गया अब… वो मेरे ऊपर चढ़ गई और लण्ड को चूत पर रखा और अन्दर घुसा लिया। एक प्यारी सी सिसकारी उसके मुँह से फ़ूट पड़ी और लन्ड पर सारा जिस्म का भार डाल कर बैठ गई। लण्ड गहराइयों में उतरता हुआ हुआ पेन्दे पर जाकर लग गया।

उसके मुख से सन्तुष्टि भरी एक आह निकल गई- हाय अब आया ना जिम का मजा… बस, जो कुछ मुस्टंडे रख ले हमारे लिये जो हमें जम के चोद दें!
“सोनल… आप मुझे ही मौका देना, मैं तो अभी तक कुंवारा हूँ, सभी को चोद सकता हूँ!”

अब वो धीरे धीरे लण्ड पर ऊपर नीचे होने लगी और मेरे लण्ड में मीठी मीठी सुरसुरी होने लगी। उसने मेरे हाथों को अपनी चूचियों पर रख लिया- जानू, मसलते भी जाओ… चूत में मजा आता है!
“सोनल, आपकी और सहेलियों को भी चुदवाने को बोलो ना…! मैं उनको देख देख कर कितनी बार मुठ मारता हूँ!”
“अरे जो राजा, यहा पर अधिकतर चुदवाने ही आती हैं… बस एक कमरा और खोल दे…”

उसकी गति बढ़ती जा रही थी, लगता था कि वो अति-उत्तेजित हो चुकी थी। मेरे पर झुक कर और पोजिशन लेकर, कमर जोर से हिलाने लगी। मैंने भी मौके की नजाकत देखी और उसकी निप्पल को खींच खींच कर घुमाने लगा। उसका बदन ऐंठता हुआ, कड़ा हो गया और”हाय मैं मर गई… जोऽऽऽ” और उसका पानी निकल पड़ा। वो झड़ने लगी। मेरा लण्ड अभी भी तन्नाया हुआ था।

“सोनल, आप तो गई, अब मेरा लण्ड?”
“चुप… रुक जा…” वो एक बार फिर सीधे लण्ड पर बैठ गई- राजा! मैं शादीशुदा हूँ, सब तरीके जानती हूँ!

मेरे लण्ड को उसने सहलाया और थोड़ा सा उठ कर उसे गाण्ड की छेद पर लगा लिया।
“अब छेद नम्बर दो का मजा लो… ऽअह्ह्ह… मस्त लण्ड है रे…” उसका लण्ड सीधे ही गाण्ड में घुस गया। मुझे ऐसे मजा नहीं आ रहा था।
“सोनल घोड़ी बन जा, तब ठोकने में जोर भी लगेगा और मजा भी आयेगा!”

उसने गाण्ड में से लौड़ा निकाला और उछल कर घोड़ी बन गई।
अब देरी किस बात की बात थी… मैंने हाथ से लण्ड पकड़ा और गाण्ड में रख कर जोर लगाया तो आराम से घुस पड़ा।
“गाण्ड तो नरम है… अन्दर से गरम भी है।”
“अरे मेरे आदमी का लण्ड मेरी गाण्ड देख कर ही तो खड़ा होता है… गाण्ड मार मार कर देखो ढीली कर डाली है। पर गाण्ड चोदने में आराम हो जाता है ना, लगती नहीं है।”
“चल अब चुप हो जा… पेलने दे… क्या रसीली, चिकनी मस्त ग़ान्ड है।”
“हाय ऐसे ही कहता रह… कितना अच्छा है तू… साली को चोद मार…!”

सोनल गाण्ड मराने में एक्स्पर्ट थी। मेरा लण्ड मानो चूत में पेल रहा हो… सटासट चल रहा था। सोनल भी मस्त हो कर तबियत से मरवा रही थी। गाण्ड की दीवार भी लण्ड को लपेट रही थी या उसमें लहरें चल रही थी। उससे और मस्ती आ रही थी। मेरा लण्ड अब खिंचने लगा था। सारा जिस्म का रस लण्ड में भरने लगा था। मेर वीर्य छुटने ही वाला था… और… और… हाय रे गान्ड की गहराईयों में लावा उबल पड़ा।
“हाय जो… ये हुई ना बात… कैसा निकल रहा है… सारा छेद लबालब भर गया है।”

मैंने पूरा जोर लगा कर सारा वीर्य उसकी गाण्ड में निकाल दिया। अब लन्ड सिकुड़ कर अपने आप बाहर आने लगा।

“जो, हाय देखो कैसा सरसरा कर बाहर निकल रहा है।”
सोनल एक एक पल का आनन्द उठा रही थी।

मैंने तौलिया लिया और हल्के हाथ से सारा वीर्य पोंछ डाला। पर जैसे ही वो खड़ी हुई… वीर्य की बूंदे गान्ड से निकल कर बहने लगी।
“बहने दे यार… मालूम तो हो कि चुदी हूँ!” और हंस पड़ी।
“थन्क यू सोनल… आज आपने मेरे दिल की इच्छा पूरी कर दी!”
“चुदने की इच्छा तो मेरी हो रही थी… इसलिये आओ आज ज्यूस मेरी तरफ़ से!”
जिम का मजा लेकर सोनल चली गई। मेरी तरकीब कामयाब रही। शादीशुदा औरतें चुदवाने में शरम नहीं करती हैं। अपनी इच्छा से चुदवा लेती हैं और किसी को खबर तक नहीं लगने देती।

आप सभी का मेरे जिम में स्वागत है…
[email protected]

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