ड्राईवर को अपना जिस्म सौंपा
सभी अंतर्वासना पढ़ने वाले पाठकों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम! मैं इस वेबसाइट की कायल हूँ और हर दिन सिस्टम पर बैठने के साथ ही अन्तर्वासना खोल लेती हूँ और लोगों द्वारा भेजी गई सच्ची कहानियाँ, लोगों के बिस्तर की दास्ताँ जब पढ़ने को मिलती है तो मेरी खुद की फुद्दी पानी छोड़ने लग जाती है, अन्तर्वासना डॉट कॉम से हमें पता चल रहा है कि आजकल लोगों की सेक्स के प्रति कितनी वासना है, कोई रिश्ता-नाता सेक्स के बीच में अब नहीं आता। पता चलता है कि औरतें भी कितनी चुदक्कड़ हो चुकी हैं, छुपे रुस्तम रहते हुए हम कई लौड़े अपनी फुद्दी में डलवा लेती हैं।
मेरा नाम अनीता है, मैं तेईस वर्ष की युवती हूँ और शादी शुदा हूँ।
स्कूल में थी जब मैंने अपनी सील तुड़वा ली थी और चुदाई का मजा चख लिया था और फिर न जाने कितने लौड़े अपनी फुद्दी में डलवाये और मजे लूटे। एक गरीब परिवार से थी लेकिन ख्वाब बहुत ऊँचे! मुझे पता था कि अपनी जवानी, अपने दिलकश कसे हुए जिस्म अपने हुस्न की बदौलत मैं किसी अमीरजादे का दिल जीत लूंगी और एक अमीर घर में जाऊँगी। हर कोई मेरी जवानी का कायल था और कायल है।
सच में ही मुझ में बहुत सेक्स भरा हुआ है और मुझे बिना अच्छे लौड़े के रहना मुश्किल लगता है। मैं सभी घरवालों को सहेलियों से कहती रहती थी कि एक दिन पैसे से खेलूंगी। इसी सिलसिले में हर रोज़ अखबार में मेट्रीमोनियल पढ़ती थी ताकि अपने लिए कोई अच्छा अमीर घर ढूंढ सकूँ।
और फिर मैंने कॉलेज में कदम रखा। एक दिन मेरे कॉलेज में तीन दिन का उत्सव था, हम सब उस दिन बहुत सेक्सी कपड़े पहन कर गईं थी।
वहाँ मेरी सहेली ने मुझे कहा- वो देख वो बंदा किस तरह तुझे देख रहा है!
मैंने भी उसको ध्यान से देखा, उसने मुझे वहीं से हाय कहा हाथ हिला कर!
मैं मुस्कुरा दी।
अगले दिन फिर से वो मुझे मिला। आज वो अपनी चमचमाती फोर्ड एंडेवर से लगा खड़ा चाभी घुमा रहा था। उसने मुझे अपने पास इशारे से बुलाया। मैं नहीं गई, वहाँ से क्लास में चली गई वो मेरे पीछे आया, उसने मेरे बारे सब पता करवा लिया था कि क्या करती हूँ, कब कॉलेज लगता है, कब छुट्टी होती है सब कुछ!
उत्सव के अन्तिम दिन उसने मुझे फिर से बुलाया। मैंने देखा वहाँ बहुत सारे लड़के खड़े थे। मैंने उसको स्टेयरिंग घुमाने का इशारा करते हुए मेरे पीछे आने को कहा। मैं एगरीकल्चर-डिपार्टमेंट की तरफ चल पड़ी, वो खाली रहता है। वो मेरे पीछे कार लेकर आया और मेरे पास आकर दरवाज़ा खुला, मैं बैठ गई। वहाँ से कार वो एक खाली सड़क पर ले गया मेरे बारे सब पूछ कर उसने मेरा हाथ थामा, प्यार से सहलाया, फिर धीरे से उसपर चूम लिया। मेरे बदन में सिरहन सी उठी मीठी मीठी। फिर कंधे पर चुन्नी खिसका कर चूमा। मेरे बदन में और हलचल हुई, मुझे अपनी तरफ खींच कर सीने से लगाते हुए मेरे होंठ चूम लिए और फ़िर एक हाथ मेरी कमीज़ में घुसा दिया।
मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी, मैंने कहा- हम सड़क पर हैं, मुझे जाना है।
काफी दिन हम ऐसे ही मिलते रहे और फिर एक रोज़ वो मुझे अपने साथ अपने घर ले गया। अकेले थे दोनों वहाँ, वो सब कुछ हो गया। मुझे डर था कि कहीं मेरी चोरी पकड़ी गई कि मैं चुदी हुई हूँ, तो जब उसने अन्दर डाला मैंने बदन कस लिया, टांगें भींच ली ताकि उसको शक न हो जाए। वो बहुत बड़ा बिज़नसमैन था, उसकी अपनी ट्रांसपोर्ट थी, रेस्टोरेंट थे, ज़मीन खरीद कर वहाँ प्लॉटिंग करता, अँधा पैसा था उसके पास लेकिन उसकी उम्र बहुत ज्यादा थी। मैं उससे बहुत कम चुदवाती ताकि उसे यह न लगे कि मैं चुदाई की भूखी हूँ।
मेरा जादू चल गया, उसने मुझे पढ़ाई छोड़ने को कहा और अगले ही दिन उसने मेरा हाथ मांगने अपने अंकल को घर भेज दिया। इतना बड़ा रिश्ता आता देख माँ ने मुझसे पूछा, मैंने कहा- मैं उससे प्यार करती हूँ और उसी के साथ ही शादी करुँगी।
उसने साधारण शादी करवाई और फिर अपनी तरफ से बड़ी पार्टी दी जिसमें शहर के नामी लोगों की शिरकत थी। उसका घर नहीं महल था, नौकर-चाकर चकाचौंध!
उसका बाकी परिवार अमेरिका में था। वो भी ऐसे ही चक्कर लगाता रहता, यह मुझे बाद में पता चला कि उसने अमेरिका में पहले भी शादी की हुई थी। लेकिन वो मेरे साथ रहता था, सब कुछ दिया था उसने!
उसने मुझे अपना ऑफिस संभालने को कहा क्योंकि उसका बिज़नेस बहुत फैला हुआ है, उसने ट्रांसपोर्ट का काम मुझे सौंप दिया। मैं सेक्स की भूखी थी और अब मुझे उससे दिक्कत थी। एक बढ़ती उम्र और ऊपर से कम समय देना!
मैं ऑफिस जाने लगी थी। वहाँ बहुत मर्द आते थे। कसा टॉप, कसी जींस पहनती। सबकी नजर मेरे मम्मों पर टिक जाती थी। पहले मैं अपनी कार खुद ड्राईव करती लेकिन मेरी तबीयत ठीक न थी। मेरे मैनेजर ने अखबार में ड्राईवर के लिए विज्ञापन दिया। काफी लड़के आये। उनमें से एक ऐसा था जिसको मैं अन्दर ही अन्दर दिल दे बैठी। खूबसूरत जवान लड़का, चौड़ी छाती, देखने में पहलवान! उसको मैंने अपना ड्राईवर रख लिया। उसका परिवार यू.पी में था, वो अकेला किराए पर रहता था, पास में ही घर था।
मैं उसकी और खिंचने लगी, मेरे कदम बहकने लगे। वो भी समझ चुका था कि मैं उस पर क्यों मेहरबान हुई थी। वो भी बस मेरे इशारे की इंतज़ार में था।
जब वो कार ड्राईव करता था, मैं पीछे नहीं, उसके साथ आगे बैठने लगी, बहुत खुल गई उससे।
एक रोज़ हम बातें करते हुए जा रहे थे कि उसकी किसी बात पर मैं जोर से हंस पड़ी और मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया। हाथ कुछ ज्यादा ही आगे तक चला गया था। कार में एकदम चुप्पी छा गई। मैं हाथ हटाने लगी तो उसने पकड़ लिया और अपनी जिप पर रख दिया। लेकिन दोनों खामोश थे। मैंने उसके लौड़े को दबा दिया। चुप्पी अभी भी कायम थी। उसने जिप खोल दी, मैंने अन्दर हाथ घुसा दिया। कितना बड़ा लौड़ा था उसका! मैं सहलाने लगी, मसलने लगी! उसको बहुत अच्छा लग रहा था। इधर मेरी फुद्दी भी पानी छोड़ रही थी। कितने दिनों बाद मोटा लौड़ा थामा था!
ऑफिस आते ही मैं कार से उतरी और अपने केबिन में पहुँच कर हाँफने लगी। मुझे बहुत आग लग रही थी। मैंने उसके फ़ोन पर कॉल की और उसको कहा कि इधर उधर देख ऑफिस में आ जाओ!
उसके अन्दर आते मैंने दरवाज़ा लॉक किया और उसके साथ लिपट गई। उसकी फौलादी बाँहों में अपना जिस्म सौंप दिया। अपना टॉप उतार फेंका। फिर वहीं घुटनों के बल बैठ उसकी पैंट उतारी, उसका अंडरवीयर हटाया, फनफ़नाता हुआ काला नाग अपना सर उठाने लगा, मेरे हाथ लगते वो झटके लेने लगा। पागलों की तरह चूसा मैंने उसको! सपना सा लग रहा था!
उसने मेरी ब्रा उतारी और टूट पड़ा, मेरे मम्मों पर दांत गाड़ने लगा। वहीं कारपेट पर ही उसने मुझे अपने आगोश में ले लिया और खूब खेला मेरे जिस्म से! और चुदाई से पहले मैंने उसके जिस्म से जो होता, उसका पूरा आनन्द उठाया। वहीं उसने मेरी जांघों के बीच बैठ मुझे वो दिया जो कितने दिनों से मुझे मनमर्ज़ी जैसा नहीं मिला था। ऑफिस की ख़ामोशी में हम दोनों की साँसों के अलावा कुछ नहीं था। तूफ़ान आया और उसी कारपेट पर हम कस कर लिपट गए, हाँफने लगे।
मैं जब होश में आई तो मेरे चेहरे पर तस्सली थी, उसके चेहरे पर ख़ुशी!
मैंने कपड़े पहने और उसने भी! और वो निकल गया!
जितने दिन मैं अकेली रही, रोज़ वो मुझे चोदने लगा।
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