मेरे सहायक ने मुझे जी भर के चोदा

मेरा नाम रानी है, मैं एक अच्छे परिवार से हूँ, मेरे दो बच्चे भी हैं। मेरा फिगर यही कोई 38-29-36 है, रंग हल्का सांवला और दिखने में सेक्सी लगती हूँ।
मैं एक आफिस में काम करती हूँ।
मेरे पति की भी नौकरी अच्छी जगह पर अच्छे पद है।
मेरे आफिस की एक शाखा मेरे शहर से दूर दूसरे शहर में थी। मेरा ट्रान्सफर उस ब्रान्च पर चीफ की हैसियत से हुआ था।

मेरे साथ एक सहायक भी था और उसका अभी-अभी मैसेंजर से प्रमोशन हुआ था।

उसका नाम गणेश था, वो मुझे दीदी कह कर बुलाता था।

हम दोनों स्थानान्तरण वाले शहर को चल दिए।

हफ्ते दो हफ्ते तो अच्छे तरह से बीते, लेकिन एक दिन शहर में बहुत खून-खराबा हुआ और प्रशासन ने एकाएक कर्फ्यू लगाने का आदेश दे दिया।

मैं और गणेश दोनों ही आफिस में ही रह गए।

रात में उसने मुझे चाय में नींद की दवाई मिला कर दे दी और जब मैं पूरी तरह से सो गई, तब उसने मुझे दबोच लिया।

उसके बाद मुझे नंगा करके मेरी इज्जत पर पानी फेर दिया। जब सुबह हुई तब मुझे पता हुआ और मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं थी।

उसने मेरी हालत को देख कर मुझसे ‘सॉरी’ कहा और बोला- यदि आपने किसी और को ये बात बताई तो तुम्हारे पति मुझे छोड़ देंगे, दूसरी शादी कर लेंगे और तुम्हारे बच्चे अनाथ हो जाएंगे।

मैं परिस्थिति के सामने झुक गई।

उस रात के बाद गणेश मुझे हर रात अपनी हवस का शिकार बनाता गया।

मैं रात में उसकी हमबिस्तर होती जब कि दिन में वो मेरा सहायक होता।

मैं उस जगह दो साल रही और वो दो सालों में मैंने बहुत बार बहुत से नए-नए तरीके से उसके लण्ड का सामना किया।

पहली रात को तो पता नहीं था, अगले दिन मुझे दो दिन तक बहुत दर्द हुआ था।

मेरे चूतड़ से खून भी निकला था, मैं समझ रही थी कि उसने जबरदस्ती की थी, इसी के कारण खून निकला है।

उसने कहा कि जब तक हम यहाँ रहेंगे, यहाँ रात को मौज करेंगे और ये राज यहीं पर खत्म कर देंगे।

मुझे उसके सामने अपने आपको सौंपने के अलावा कोई चारा नहीं रहा।

उसके बाद उसने मुझे दबोचा और नंगा होने को कहा।
मैं नंगी हुई और वो भी नंगा हुआ।

जब मैंने उसका लण्ड देखा तो देखते ही रह गई।

उसका लण्ड करीबन 9′ लम्बा और 4′ मोटा और काला था। उसने मुझे उसका लण्ड सहलाने को कहा। जब मैंने उसके लण्ड को स्पर्श किया तो मुझे लगा कि वो बहुत ही सख्त और कड़ा है।

अब मैं समझ गई कि क्यों मुझे इतना दर्द हुआ था।

उसने कहा कि वो मुझे पहले जब हम दोनों ही हेड आफिस में थे, तब से ही मुझे चोदने की सोच रहा था। कितनी बार अपनी पत्नी के साथ चुदाई करते वक्त भी मुझे सोचकर ही तृप्त हो जाता था।

एक दिन सार्वजनिक छुट्टी के दिन उसने मुझे दिन में भी नहीं छोड़ा, उसने मुझे नंगा किया और अपने आपको भी नंगा करके अपना लण्ड चूसने को कहा।

मैं झिझक गई, पर वो नहीं माना। बाद में मैंने उसका लण्ड लॉलीपॉप की तरह चूसा।

हमारे गेस्टरूम पर वो मेरे पति का स्थान ले चुका था।
मैंने बहुत बार उसका लण्ड से निकला हुआ दही भी पी लिया।
मुझे उसके साथ अपनी गांड भी मरवानी करना पड़ी।

रात में तो वो मुझे दो बार चोदता ही था, सवेरे भी चोदता था।
छुट्टी के दिन तो यही कोई चार से पाँच बार मैं उसकी हवस पूरी करती हूँ। मैं उसकी रखैल बन गई थी।

एक बार उसने मेरे माहवारी के दिनों में चुदाई करने को कहा, मैंने मना कर दिया और कहा- मैं नहीं ‘दे’ सकती।

उसको मेरे ऊपर दया आई और मेरे माहवारी के दिनों में मेरे मम्मों में अपना लौड़ा लगा कर चुदाई करता था।

मैं अपने हाथ से दोनों मम्मे जोड़ लेती और वो दोनों मम्मों के बीच में अपना लण्ड घुसेड़ कर अपना हवस पूरी करता था।

मैं गर्भ-निरोधक दवाएँ लेती थी, क्योंकि मुझे डर था कि मैं पेट से न रह जाऊँ।

कभी-कभार जब अफिस में कोई नहीं होता तो वो आफिस में ही मेरे मम्मों को मसल देता था।

एक दिन उसने आफिस का काम बिगाड़ा और मैंने उसे थोड़ी सी ऊँची आवाज में वैसा नहीं करने को कहा, उस शाम मेरी शामत ही आ गई।

गेस्टरूम में पहुँचते ही उसने मुझ पर थप्पड़ बरसाने चालू कर दिए और शराब पी कर मुझको बहुत ही निर्दयता पूर्वक चोदा।

मैं रो पड़ी, पर उसको कोई दया नहीं आई।

उस रात में मैं चार बार उसकी हवस का शिकार हो गई और उसने कहा- आफिस में तो बड़ी हाकिम बन रही थी और मुझ पर रौब जमा रही थी, अब कहाँ गई तेरी वो हेकड़ी।

इसके बाद उसने मुझे बुरी तरह से चोदा और मेरी गांड भी बहुत जोरों से मारी। इसके बाद एक दिन उसने मुझे आफिस में ही चोद डाला, मैं कुछ नहीं कर सकी।

मैंने उसका ट्रान्सफर कराना चाहा, लेकिन उसने मुझे रोका और कहा- यदि ये हरकत दुबारा करने की सोच भी ली, तो वो मेरे पति को सब कुछ बता देगा।

तो मैंने वो ख्याल भी छोड़ दिया और उसकी रखैल बन कर रही।

जब भी मैं अच्छे लिबास और मेकअप करके उसके सामने जाती और उसके साथ अच्छे तरह से खेलती तो वो मुझे बहुत प्यार से चोदता था और कहता था- मेरी रानी मेरी प्यारी सी छम्मक-छल्लो।
फिर मुझे खूब मसल-मसल कर चोदता था।
कितनी ही शाम हम दोनों ने मिल कर एक-दूसरे को जाम की प्याली के साथ रंगीन किया।

बाद में मेरा ट्रान्सफर अपने ही शहर में हेडऑफिस पर हुआ, पर उसका नहीं हुआ और वो वहीं पर रहा गया था।

एक दिन वो किसी काम से हेडआफिस आया हुआ था, तो मुझे देखते ही मेरा गोलाईयों को सहलाने लगा और जहाँ वो ठहरा हुआ था उसी लॉज में चलने को कहा।

मैं मान गई और उसने वो शाम मेरे साथ मौजमस्ती करके ही गुजारी।

अगले दिन छुट्टी का दिन था, तो उस दिन उसने मुझे पूरे दिन भर मौज करने के लिए आने को कहा।

मैंने मना किया तो वो कहने लगा- आफिस के काम से जाना है ये कह कर आओ न मेरी जान।

बाद में मैं भी मान गई और पूरी सजधज कर उस लॉज में चली गई।

उसने पूरे दिन मुझे बहुत प्यार करके चार बार चोदा। उसके साथ और कितनी बार मौज-मस्ती की मैं मेरी अगली कहानी में कहूँगी। आपको यह कहानी कैसी लगी?

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