दुबई में मिली देसी प्यासी चूत- 1

(Indian In Dubai Sex Kahani)

इंडियन इन दुबई सेक्स कहानी में मैं दुबई में जॉब कर रहा था. मेरे ऑफिस में एक शादीशुदा लड़की भी थी. उसका पति भारत में था. हम दोनों को ही सेक्स नहीं मिल रहा था.

फ्रेंड्स, मैं सन्नी …
मेरी पिछली कहानी थी: पापा के दोस्त के घर में चूत चुदाई का घमासान
मेरी नयी इंडियन इन दुबई सेक्स कहानी मिडल ईस्ट की है.

कुछ काम के सिलसिले में दो साल तक दुबई में था.
वहीं मेरे ऑफिस में संजना नाम की एक विवाहिता लड़की भी काम करती थी.
उसका पति मुंबई में एक बैंक में कार्यरत था.

संजना को दुबई में आए हुए 6 महीने से ज़्यादा का समय हो गया था.

उनका पैतृक घर राजस्थान में ही था और मैं भी राजस्थान से ही हूँ.

उन दोनों के जीवन में पूर्व में की गयी कई ग़लतियों के कारण उन्हें पैसों का बहुत ज़्यादा संकट आ गया था.
इसलिए वे दोनों पति पत्नी अलग अलग रह कर पैसे के लिए भाग रहे थे.

हम दोनों पिछले एक महीने से एक प्रोजेक्ट पर साथ काम कर रहे थे.

संजना यहां दुबई में किराए के एक फ्लैट में एक अन्य लड़की रुचि के साथ रहती थी.
रुचि एक दूसरी कंपनी में कार्यरत थी और दिल्ली की रहने वाली थी.

एक मैंने संजना को किसी से फ़ोन पर बारे करते सुना.
दूसरी तरफ़ कौन था या थी … और क्या बोल रहा था या बोल रही थी, कुछ सुनाई नहीं दिया.

संजना- बहुत दिन हो गए है. मुझे उनकी बड़ी याद आ रही है. कितने दिन से मैंने कोई मजा नहीं मारा है. मैं अपने पति से मिलने को कितना तड़प रही हूँ. कल भी रसोई में जब रोटी सेक रही थी, तो पतिदेव के बारे में सोचते सोचते रोटी जल गयी थी.

फोन पर उधर से कुछ कहा गया.

संजना- हां सुनो न … बस उस बात पर मेरी रूममेट रुचि ने कहा कि अरे कहां ख्यालों में डूबी है? देख रोटी जल गयी? जैसे ही रुचि बोली और मेरा सपना टूट गया. मैंने देखा कि जो रोटी तवे पर डाल रखी थी, वह पूरी तरह से जल गयी थी.
फोन पर उधर से फिर कुछ कहा गया.

उस पर संजना ने आगे बताना शुरू किया- रुचि फिर से बोली कि क्या हुआ, कहां खो गयी थी! लगता है तुझे जल्दी से थोड़े मजे करवाने पड़ेंगे, नहीं तो रोज़ रोज़ ये जली रोटियां कौन खाएगा? मैंने उससे कहा कि हट पगली!

फोन की दूसरी तरफ से शायद कुछ काम की बात याद दिलाई गई.
जिसे सुनकर संजना फ़ोन पर कहने लगी- हां हां कर लूँगी. अरे सुन लगता है … मेरा पार्टनर आ गया … अभी फ़ोन रखती हूँ. नहीं नहीं वह मुझे ऐसा नहीं लगता. वह भी विवाहित है. अच्छा चलो ठीक है, सोचूँगी उसके बारे में!

फिर उसने फ़ोन काट दिया.

अब संजना मेरी तरफ़ ऐसे गौर से देखती हुई, जैसे वह मेरे शरीर का नाप ले रही हो, बोली- नमस्कार सन्नी, इस बार तो मोर्चा मार लिया, अब हमारे लिए क्या है?
वह ऐसा इसलिए बोली कि हमारी टीम ने सेल्स लीड में टॉप किया था.

मैं- अरे संजना, इस मोर्चे का जितना हक़दार मैं हूँ, उतनी ही तुम भी हो. तुम्हारे लिए एक छोटी सी पार्टी है, एक बड़ा सा गिफ्ट भी है. आशा है तुम्हें पसंद आएगा!

इस बार हमारी कंपनी में सेल अच्छी हुई थी.
इसके ही उपलक्ष्य में कल एक छोटी सी पार्टी रखी थी.

इधर मुझे किसी तरह से मालूम हो गया था कि कुछ दिनों से संजना की रूममेट उससे बार-बार मज़े मारने को कह रही थी क्योंकि संजना को चुदे हुए छह महीना से ज़्यादा समय हो गया था.

मैं आपको इस सेक्स कहानी को अब सीधा प्रसारण वाले तरीके से ही सुनाता हूँ।
उसमें आपको मजा आएगा.

रुचि रोज ही संजना का हाथ पकड़ लेती और बाहर मजे मारने के लिए कहती- अरे यार, तेरा पति विनय यहां नहीं है, तो क्या हुआ. मैं तो हूँ. मैं लेकर चलती हूँ तुझे, जहां तू पूरे मजे कर सकेगी. तुझे कभी भी कैसी भी जरूरत हो, बस तू मेरे साथ में आ जाया कर!

रुचि जो कहती थी, संजना उसको खूब समझती थी.

एक मस्त मिज़ाज की लड़की थी रुचि … वह भी विवाहित थी.

रूचि अकसर संजना के साथ मुझे मिलती थी. उसकी नियत मुझ पर खराब थी. वह बस जीवन में मजे लूटना चाहती थी.

उसकी इसी बुरी नियत या मस्त मिज़ाज के कारण वह अपने पति से अलग मेरे साथ रहती थी जबकि उसका पति भी यहां दुबई में कार्यरत था.

कभी कभी मेरा भी दिल करता था कि रुचि का ऑफर ले लूँ और अपने जिस्म की तृप्ति कर लूँ.

अगले दिन पार्टी में मैंने देखा कि संजना ने साड़ी काफी टाइट बांधी थी ताकि उसकी गांड बाहर को निकली हुई दिखे.
हर कोई उसे ही घूर रहा था.
संजना के ब्लाउज के क्लीवेज से आधी से ज्यादा चूचियां दिख रही थीं.

ऐसा मुझे लगा कि संजना पार्टी में पूरे समय में बस चुदाई के बारे में ही सोच रही थी क्योंकि वह पार्टी में खुश तो दिख रही थी लेकिन उसका ध्यान पूरे समय मुझ पर था.

अब पार्टी ख़त्म होने को आ गयी और सात बज गए थे, घर जाने का समय हो गया था.

सब लोग एक एक करके जाने लगे.

संजना मेरे पास आयी, वह बोली- सन्नी, क्या तुम मुझे घर छोड़ दोगे, मेरी शेयरिंग वाली गाड़ी आकर चली गयी है!
मैं- हां चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ. वैसे भी तुमने पी रखी है.
संजना- हां आज थोड़ी ज़्यादा ही पी ली … हिम्मत के लिए!

आखिरी के दो शब्द उसने धीमी आवाज में कहे थे पर मैंने सुन लिए थे.

मैं- मैं समझा नहीं!
संजना- क्या नहीं समझे, हिम्मत! वह बाद में बताऊंगी.

मैं संजना को साथ लेकर लिफ्ट से नीचे आ रहा था तो संजना ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया और मुझे एक किस कर दी.

किस करके वह एकदम से चुपचाप होकर कोने में खड़ी हो गयी.
मैं हक्का बक्का सा उसको देखता ही रह गया.

तभी लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर पहुंच गयी और लिफ्ट का दरवाज़ा खुल गया.

हम लोग बाहर आकर पार्किंग में खड़ी मेरी गाड़ी में बैठ गए और उसके घर की तरफ़ चल दिए.
पूरे रास्ते में हम दोनों में कोई बात नहीं हुई.

उसकी बिल्डिंग के सामने पहुंच कर मैंने उसको छोड़ा तो वह बोली- सन्नी, मुझे घर तक छोड़ने नहीं आओगे? एक लड़की को आधे रास्ते छोड़ रहे हो … और वह भी जब उसने पी रखी हो?
मैं- रुको, मैं गाड़ी पार्क कर देता हूँ.

गाड़ी पार्क करके मैं संजना के साथ उसके फ्लैट में आ गया.

पहले भी मैं उसके फ्लैट पर आया था लेकिन आज उसका फ्लैट में कुछ महक अलग ही थी.
सब कुछ एकदम साफ़ और नयी चादर थी पलंग पर!

लग रहा था मानो पूरे फ्लैट को जैसे किसी ख़ास मौके के लिए तैयार किया गया हो.

टेबल पर रखे एक नए से कार्ड में ऑल द बेस्ट लिखा था!

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था … या मेरा मन मानने के लिए तैयार नहीं था.
पता नहीं क्या था.

संजना मेरे लिए पानी लेकर आयी और बोली- पैग बनाऊं!
मैंने उसकी तरफ देख कर मना कर दिया.

संजना- ओके दो मिनट रुकना, मैं अभी आयी … तुम्हारे लिए एक गिफ्ट है.
मैं वहीं बैठा रहा.

थोड़ी देर बाद संजना एकदम धाँसू माल बन कर मेरे सामने आयी.
उसकी मांग ख़ाली थी और गले में मंगलसूत्र की जगह सोने की चैन थी.

उसने लाल रंग की साड़ी, डीप नेक और बैकलेस ब्लाउज़ के साथ लहंगा पहना हुआ था.
साड़ी का आधा आधा घूँघट किया था, जिससे उसकी आंखें ढकी हुई थीं.

उसके ब्लाउज़ की कटाई इतनी ज्यादा डीप थी कि उसकी चूचियों की पूरी गोलाई दिखाई दे रही थी.

क्या मस्त नजारा था, एकदम मेरे सपनों के उपवन जैसा!
मुझे ये ब्रा पैंटी और पाश्चात्य परिधान वाली लड़कियां कम पसंद हैं.
पर अगर कोई लड़की रिझाने के लिए गांवों वाला देसी परिधान पहन ले तो बूढ़ों तक के लंड टनटना जाएं … और ऐसा ही नजारा अभी मेरी आंखों के सामने था.

संजना- कैसा लगा उपहार … अपना मुँह तो बंद करो सन्नी … क्या मुझे कच्ची ही खा जाओगे?
मैं- अरे यार, ऐसे आओगी तो तो कोई भी मर जाएगा.

संजना अपना नीचे वाला होंठ काटती हुई बोली- उपहार कैसा लगा, वह बताओ?
मैं- इससे अच्छा उपहार दुनिया में अभी तक बना ही नहीं है, लेकिन तुम्हें ये कैसे पता कि मुझे ऐसा उपहार पसंद आएगा?

संजना- तुम जब भी अपनी पत्नी से बात करते हो, तो इन्हीं सब की बातें करते हो!
मैं- ओह, तो मेरी जासूसी की जा रही थी!

संजना- कोई जासूसी नहीं … तुमने मेरी बातें सुनी, मैंने तुम्हारी. बाक़ी सब इस जिस्म की प्यास है … और मेरी ये प्यास आज तुम बुझाओगे … अब जल्दी से दिखाओ वह मेरा बड़ा सा उपहार!

मैं- उपहार तो तुम्हारे सामने है, जब से तुमने लिफ्ट में किस किया था … ये तो तभी से तुम्हारा हो गया था. लेकिन इसके लिए मेरे पास अभी सुरक्षा कवच नहीं है!

संजना- मैं किस नहीं करती तो और करती भी क्या … तुम तो फट्टू और अनाड़ी निकले. दो दिन से तुम्हें लाइन दे रही हूँ, पर न तो तुम्हें समझ आयी और ना ही तुमने कुछ किया, तो रुचि ने कहा कि मुझे ही आगे बढ़ कर पहल करनी होगी … और उपहार में सुरक्षा कवच का कोई काम नहीं, सीधे सीधे लेन देन होगा!

जैसे ही हम एक दूसरे के पास हुए, मैंने संजना के हाथ पकड़ लिए- तो आज तुम्हारे उपहार और मेरे उपहार का संगम करवा दो!
संजना ने गर्दन हिला दी.

उसकी मूक स्वीकृति मुझे दिख गयी थी.

उसके हाथ को लेकर मैं चूमने लगा.
फिर वहीं हॉल के बीचों बीच संजना को कारपेट पर लिटा दिया.

इस समय सब कुछ लाल ही लाल ही था, संजना के कपड़े लाल, शर्म के मारे उसका चेहरा लाल और उसकी चूत भी लाल ही होगी, ज़्यादा चुदी नहीं थी वह!

उसके लहंगे के ऊपर से महसूस किया तो पाया कि उसकी मस्त मस्त लाल लाल चूत की जमीन में भी पानी चलने वाला था.

मैं भी उसकी बगल में लेट गया और उसका आधा घूँघट सरका कर उसके होंठों का रस चूसने लगा.
फिर मैंने उसके सर से साड़ी का पल्लू हटा दिया.

आज पहली बार संजना को इतने पास से देखा था.

जिस तरह वह लंड को तरस रही थी, ठीक उसी तरह मैं भी चूत को तरस रहा था क्योंकि यहां आए हुए मुझे सात महीने से ऊपर होने को आए थे और किसी पर भी ट्राई करने की हिम्मत नहीं थी.
अनजान लोग, अनजाना देश किस से चूत के लिए कहूँ.

इसी वजह से आज मैं भी चूत चोदने को बिल्कुल मरा जा रहा था.
दुबई में सेक्स का मौक़ा मिलते ही मैं तो जैसे उसके ऊपर कूद पड़ा था।

संजना के सीने से मैंने साड़ी का पल्लू हटा दिया.
उसके दोनों चूचे मेरी आंखों के सामने थे.

एक सेकेंड के भी सौवें भाग से भी कम समय में मेरे हाथ उसकी इज्जत पर पहुंच गए.

संजना एकदम चुप हो गयी थी और आंखें बंद करके बस इस पल के मजे ले रही थी.

मैं जोर जोर से अपने हाथ उसके ब्लाउज पर दबाने लगा, उसके होंठों को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा था.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मुझ पर संजना को चोदने का पागलपन जैसा सुरूर चढ़ गया हो.

संजना ने भी अपने हाथ मेरे हाथों पर रख दिए और बड़ी जोर जोर से अपने हाथों से अपने ही रस से भरे आम दबवाने लगी.

उसके ऐसा करने से मुझे और भी मजा आने लगा.
संजना की सांसें गर्म हो चली थीं.

मैं फिर देर न करते हुए उसके ब्लाउज को खोलने लगा.
कुछ बटन तो मुझसे खुले ही नहीं.

संजना पर भी चुदाई का भूत सवार था और चुदवाने का बराबर मन था इसलिए उसने खुद ही ब्लाउज के बटन खोल दिए.

बटन खुलते ही मैंने उसका ब्लाउज निकाल दिया.
वह ऊपर से नंगी हो गयी क्योंकि उसने ब्लाउज के नीचे कुछ नहीं पहना था.

उसकी छातियां काफी भरी भरी थीं और पहले से ही उफान मार रही थीं.

मैं उसकी नंगी और बड़ी बड़ी एकदम गोल चूचियां देख कर आपा खो बैठा था और हाथ से जोर जोर से दबाने लगा था.
जिससे संजना को दर्द होने लगा- आह सन्नी, आराम से करो … मुझे लग रही है!

मैंने सुना और अनसुना कर दिया; बस अपनी ही धुन में मैं जोर जोर से उसके गुब्बारे दबा रहा था.

थोड़ी देर में दर्द भूल कर संजना भी मस्त हो गई थी.
उसे देख कर लग रहा था जैसे साड़ी और पेटीकोट के अन्दर उसकी चूत में भूकंप आ रहा हो.

इस तरह से जोर जोर से अपनी छाती दबाने और होंठ चूसने से उसकी चूत बहने लगी थी.

उसकी चूत का रस अब बाहर बहने लगा था.

मैं लगातार आंखें मूंदें उसके गुब्बारे दबा रहा था.

मेरे लंड का मीठा पानी उसकी चूत की जड़ में एक नई जान फूंकने वाला था.
मैं पूरी तरह से वासना में बहका हुआ था.

जब मैं एक ही चूची से चिपक कर रह जाता तो संजना उसको हटा लेती और दूसरी मेरे मुँह में ठूंस देती.
किसी छोटे बच्चे की तरह मैं दूसरी चूची भी पूरे मन से पीने लग जाता.

मैं उसकी छातियां चूसने दबाने में ही आधा घंटा तक लगा रहा.
संजना- सन्नी अब कुछ और भी करोगे या इन्हें ही चूसते रहोगे?

मैं समझ चुका था कि अब संजना की चूत लंड के लिए तड़प उठी है और चोदने को कह रही है.

दोस्तो, दुबई में चूत की प्यास को देख कर मेरे लौड़े में भी प्यास भड़क गई थी.
अब संजना की चुदाई की कहानी को अगले भाग में लिखूँगा.
आप मुझे इंडियन इन दुबई सेक्स कहानी पर अपनी राय मेल जरूर करें.
[email protected]

इंडियन इन दुबई सेक्स कहानी का अगला भाग: दुबई में मिली देसी प्यासी चूत- 2

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