एक रात में दस लाख का सवाल
(Girl Having Sex For Money)
गर्ल हैविंग सेक्स फॉर मनी … मैं एक ऑफिस में सेक्रेटरी का काम करती हूँ। एक अफसर को खुश करने के लिए मेरे बॉस ने दस लाख का ऑफर दिया.
यह एक पुरानी पीडीऍफ़ कहानी का पुनर्प्रकाशन है.
सुबह से ही बॉस का मूड बिगड़ा हुआ था। वजह मालूम नहीं पड़ रही थी।
मैं सानिया हमीद, मुम्बई में एक कम्पनी में सेक्रेटरी का काम करती हूँ।
मेरे बॉस राहुल अरोड़ा का काम गवर्नमेन्ट के ठेके लेना है।
टेन्डर के ज़रिये गवर्नमेन्ट ठेके देती है और मेरे बॉस ऑफिसरों को पैसे खिला पिला कर अपना काम निकलवाते हैं।
उनका दिल्ली बेस होना उनके काम में काफी मदद करता है। ज्यादातर कान्ट्रैक्ट दिल्ली से पास होते है और दिल्ली में ही ऑफिसरों को खुश करने के लिये शराब, कवाब और शवाब का मज़ा लूटने देते हैं।
“सर, क्या बात है आज आप काफी परेशान दिखाई पड़ रहे हैं?” मैंने केबिन में घुसते ही पूछ लिया।
“हाँ सानिया! आज कुछ ज्यादा ही परेशान हूँ!” बॉस ने काफी संजीदा होते हुए कहा- किसी ने हमारी कम्पनी की शिकायत दिल्ली में कर दी है।
“किस चीज़ की शिकायत, सर?” मैंने चेयर पर बैठते हुए कहा।
“एक ठेके के बारे में, सानिया … और उसी सिलसिले में एक बड़ा सरकारी ऑफिसर माल चेक करने आ रहा है.” बॉस परेशानी की हालत में बोल रहे थे- अब अगर हमारा माल रिजेक्ट कर दिया तो बड़ा नुकसान होगा कम्पनी को!
“हाँ। लेकिन ऑफिसर को पटा क्यों नहीं लेते हैं सर! आप तो उन लोगों को पटाने में माहिर भी हैं!” मैंने हँसते हुए कहा।
“नहीं सानिया, ये ऑफिसर बड़ा रंगीन मिज़ाज़ है। और लोगों को तो बाज़ार की रेडीमेड चीज़ों से पटा लेता हूँ। लेकिन ये ऑफिसर … मालूम नहीं … क्यों घरेलू चीज़ें ही पसंद करता है.” बॉस परेशानी की हालत में बोले।
“घरेलू चीज़ें? मतलब?” मुझे कुछ समझ में नहीं आया।
“घरेलू यानि घरेलू … अरे बड़ा रंगीन मिज़ाज़ है। उसे बाज़ार की औरतें नहीं बल्कि घरेलू औरतें चाहिये। अब यह सब कहाँ से लाऊँ मैं?” बॉस ने समझाते हुए कहा।
अब समझ में आया … बाज़ार की औरतें नहीं … यानि वेश्या नहीं … घर की औरतें चाहियें चोदने के लिये।
यानि पूरा रंगीन मिज़ाज़ था ऑफिसर!
यूँ तो बॉस ऐसी बातें मुझसे नहीं करता लेकिन आज परेशानी में वो खुलकर बोल पड़ा।
फिर हम दोनों सोच में डूब गये इस मुश्किल को सुलझाने के लिये!
मुझे अपनी सहेली की याद आ गयी।
सादिया एक खूबसूरत एयर होस्टेस है।
हम दोनों एक साल पहले तक साथ-साथ रहते थे।
वो इन चीज़ों में माहिर थी। उसका कहना था कि ज़िन्दगी बड़ी छोटी है। अपनी खूबसूरती का इस्तेमाल करो और पैसा बनाओ।
वो अपने जिस्म का फ़ायदा उठा कर बड़े-बड़े लोगों से ‘सेक्स फॉर मनी’ करती और एक-दो महीने में लाखों कमा कर दूसरे को ढूँढने लगती।
उसका कहना था कि इन सात-आठ सालों में इतना कमा लो कि बाकी ज़िन्दगी बगैर कोई काम करे गुज़ार सको।
वो हमेशा मुझे भी ‘सेक्स फॉर मनी’ यही मशवरा देती थी।
मुझे हमेशा कहती थी- सानिया, तू तो मुझसे भी खूबसूरत है। कहाँ सेक्रेटरी की नौकरी में पड़ी है। मेरी लाईन पर चल, लाखों कमायेगी। फिर सात-आठ साल बाद हम दोनों किसी छोटे शहर में एक छोटे से मकान में अपनी बाकी की ज़िन्दगी ऐश से गुजरेंगी।
लेकिन मैं अपने बॉयफ्रैंड के साथ खुश थी और थोड़ी बहुत फ्लरटिंग अपने बॉस के साथ भी कर लेती थी जिससे बॉस भी थोड़ा बहुत मुझसे खुला हुआ था।
यह सोचते-सोचते मैंने अपने बॉस से कहा- अगर कोई लड़की मिले भी तो वो कोई मामूली खूबसूरत ही नहीं नहीं बल्कि बला की खूबसूरत होनी चाहिये। उसे क्या मिलेगा जो ये काम करे?
बॉस ने समझाते हुए कहा- सानिया, यह कान्ट्रैक्ट दस करोड़ का है … अगर कैन्सल हो जायेगा तो कम्पनी को दो-तीन करोड़ का नुक्सान जरूर हो जायेगा। मैं तो इससे बचने के लिये दस करोड़ का एक परसेंट कमिशन दस लाख तक देने को तैयार हूँ।
“दस लाख रुपये! सिर्फ एक रात के लिये!” मेरा मुँह ये कहते हुए खुला ही रह गया।
यह रकम कोई छोटी नहीं होती किसी भी लड़की के लिये … कोई भी तैयार हो जाये।
तभी मेरे मन में और एक विचार आने लगा ‘और यह रकम मुझे मिल जाये तो?’
फिर अपने बॉस से कहा- सर, मैं एक लड़की को जानती हूँ।
बॉस ने ज़रा जोश में कहा- कौन है वो? कोई चालू लड़की नहीं चहिये।
मैंने कहा- वो एक एयर-होस्टेस है।
बॉस ने फिर पूछा- क्या वो रेडी हो जायेगी?
“कोशिश करती हूँ!” मैंने जवाब दिया।
“सोच लो सानिया, अगर अभी रेडी हो गयी और टाईम पर ना बोल दिया तो कहीं लेने के देने ना पड़ जायें। फिर तुम जानती हो, एक बार कान्ट्रक्ट कैन्सल हुआ तो कितना बड़ा नुकसान हो जायेगा।” बॉस ने जोर देते हुए कहा।
फिर ना जाने मेरे मुँह से कैसे निकल गया- सर, आप परेशान नहीं हों, मैं मैनेज कर लूँगी।
बॉस मुझे देखते ही रह गये।
मैंने अपने घर पहुंच कर अपनी सहेली सादिया के मोबाईल पर फोन किया।
“क्या हाल है सादिया? मुम्बई में हो या कहीं और?” मैंने फोन लगाते ही पूछा।
“सानिया … व्हॉट ए ग्रेट सरप्राइज़! मुम्बई से ही बोल रही हूँ यार! बता क्या हाल-चाल है?” सादिया ने पूछा।
“बस कुछ नहीं, तू आज कल किसके साथ अय्याशी कर रही है?” मैंने हंसते हुए कहा।
“कहाँ यार, अभी तो कोई मुर्गा ही ढूँढ रही हूँ? तू भी क्या अभी सेक्रेटरी बनी हुई है या मेरे जैसी बन गयी?” सादिया बोली।
“तेरी तरह बन जाऊँ? चल जा हट! लेकिन तेरे लिये जरूर एक काम है; खूब पैसे मिलेंगे।”
“कोई मुर्गा मिला है क्या?” सादिया ने पूछा।
तब मैंने उसे सारी बात बतायी और उसे साथ देने के लिये फिफ्टी-फिफ्टी का ऑफ़र किया जिसे वो मान गयी।
फ़्राईडे की दोपहर ऑफिसर मिस्टर लोहाणे दिल्ली से आया।
एक होटल में एक सुईट का इंतज़ाम कर दिया गया था उसके लिये।
आफ़िस ने आकर माल को देखा, तमाम तरह के सवाल करने लगा।
मेरा बॉस परेशान हो गया।
उसने मेरी तरफ़ उम्मीद की नज़रों से देखा।
मैंने अब अपनी पोजिशन संभाल ली, अपने हसीन जिस्म का फ़ायदा उठाने लगी। ऑफिसर के नज़दीक आकर उसे हर बात का जवाब देने लगी।
लो-कट ड्रैस में से मेरे झलकते हुस्न ने उसके सवालों को कम कर दिया।
उसकी दिलचस्पी अब सवालों में नहीं बल्कि मेरे नज़दीक आने में होने लगी।
मैं भी एक घरेलू टाईप की लड़की का रोल अदा करते हुए उससे दूर रहने की कोशिश करती और फिर थोड़ी देर में अनजान बनती हुई उसके एकदम करीब आ जाती।
ऑफिसर एकदम बेचैन हो उठा।
फिर उसने मेरे बॉस से कहा- राहुल, माल तो तुम्हारा ठीक है लेकिन तीन-चार फोरमैलिटीज़ करनी पड़ेगी।
यानि तीर एकदम निशाने पर बैठा। अब उसे पिघलने में ज्यादा देर नहीं थी।
मेरे बॉस ने कहा- सर, आपकी हर जरूरत पूरी की जायेगी। आप एक-दो फोरमैलिटीज़ अभी पूरी कर लीजिये, बाकी शाम के समय मैं होटल आकर पूरी कर देता हूँ।”
“ठीक है। वैसे तुम्हरी सेक्रेटरी बड़ी इंटैलिजैंट है। तुम्हारा बिज़नेस बड़ा ही ग्रो करेगा.” ऑफिसर मेरे जिस्म को घूरता हुआ बोला।
अब बॉस के लिये मुश्किल खड़ी हो गयी।
ऑफिसर मिस्टर लोहाणे का इरादा समझ में आ रहा था।
बॉस ने मुझसे कहा- अब क्या करें?
मैंने हंसते हुए जवाब दिया- नो प्रॉब्लम सर, मैं सब संभाल लूंगी।
आखिर दस लाख का सवाल था।
शाम के बजाय आठ बज़े हम लोग यानी मैं और मेरा बॉस राहुल होटल में पहुंचे।
उसके पहले मैंने सादिया से बात कर ली थी। वो रात के करीबन दस बज़े वहाँ पहुँचने वाली थी।
उस शाम के लिये मैंने पूरी तैयारी कर ली।
अपने जिस्म को अच्छी तरह से वैक्सिंग कर के और काफी मेकअप कर अपने ऊपर तीन-चार ड्रैस की रीहर्सल करने के बाद शॉर्ट स्कर्ट और हाई हील के सैंडल के ऊपर बस्टीयर और ओपन-जैकेट पहन कर मैं एकदम तैयार थी दस लाख कमाने के लिये।
जिसमें पाँच लाख मेरे लिये होंगे।
और मेरा बॉस स्कॉच व्हिस्की की तीन-चार वैराइटी लिये तैयार था।
जैसे ही हम सुईट के अन्दर घुसे, ऑफिसर मिस्टर लोहाणे मुझे देखते ही पंक्चर हो गया।
उसकी आँखें मेरे जिस्म से चिपक गयी।
मेरी गोरी-गोरी चिकनी जांघें, लंबी टांगें उसके जिस्म में तूफ़ान ला रही थीं।
टाईट स्कर्ट से चिपके हुए मेरे चूतड़ों से उसकी नज़रें चिपकी हुई थी।
ओपन-जैकेट से झलकते हुए मेरे बस्टीयर में दबे मेरे मम्मे दबोचने के लिये उसे दावत दे रहे थे।
फेशियल से तरो ताज़ा मेरे गाल और हल्के रोज़ रंग की लिपस्टिक से रंगे हुए मेरे नाज़ुक होंठ उसे गुलाब की पंखुड़ियाँ लग रही थीं।
वो मेरा ये हुस्न देख अपने सूखे हुए होंठों को गीला करते हुए बोला- मिस्टर राहुल, क्या यही सेक्रेटरी दोपहर में तुम्हारे आफ़िस में थी?
बॉस खुश होते हुए बोला- पहले आफ़िस टाईम था अभी ये रिलेक्स टाईम है। चेन्ज तो होना ही है मिस्टर लोहाणे!
लोहाणे ने मुझे अपने हाथों से खींच कर एक चेयर पर मुझे बैठाया और सामने वाली चेयर पर खुद बैठ गया।
मेरे बॉस को अपनी चेयर खुद ही खींच कर बैठना पड़ा।
मेरी खूबसूरती का जादू चल चुका था।
तभी बॉस ने बात की शुरुआत की- तो मिस्टर लोहाणे, हमारा माल कैसा लगा?
बॉस का मतलब आफ़िस के माल से था।
मगर लोहाणे इसे मेरे बारे में समझा, उसने कहा- मिस्टर राहुल, बहुत ही खूबसूरत। मानो स्वर्ग से एक अपसरा अभी-अभी उतरी है।
मैंने शरमा कर अपनी नज़रें झुका ली।
लोहाणे का मतलब समझते हुए बॉस ने कहा- मेरा मतलब कान्ट्रैक्ट के माल से था मिस्टर लोहाणे!
लोहाणे ने मेरे जिस्म से अपनी नज़र को ना हटाते हुए कहा- छोड़ो उस माल को यार, बात अभी की करो। वो वाला भी परफ़ेक्ट और ये वाला भी!
ये सुन कर बॉस झूम उठा।
मैंने भी खड़े होते हुए कहा- रियली! तब तो हमें इस बात की पार्टी रात भर मनानी चाहिये।
ये सुनकर बॉस ने एक फोन होटल रिसेप्शन पर मिलाया और सोडा और कुछ स्नैक्स का आर्डर दे दिया।
हम लोग बातें करने लगे।
थोड़ी देर में ही वेटर ने आकर आर्डर वाली सब चीज़ें ला कर टेबल पर रख दीं।
मैंने रूम में रखे फ़्रिज में से आईस निकाली और तीन ग्लास में स्कॉच, सोडा और आईस डाल कर पार्टी के शुरु होने का ऐलान कर दिया।
चीयर्स करते हुए बॉस बोला- आज के इस कान्ट्रैक्ट की सफ़लता के लिये चीयर्स।
लोहाणे ने कहा- मिस सानिया के इस बेपनाह हुस्न के लिये चीयर्स।
और मैंने कहा- आज की इस खूबसूरत पार्टी के लिये चीयर्स।
हम सब अपनी ग्लासों को टकरा के पीने लगे।
आधे घन्टे तक हम अपनी सीट पर बैठे जाम से जाम टकराते रहे।
लोहाणे मेरे सामने बैठा मेरे जिस्म का स्वाद अपनी नज़रों से ले रहा था। मेरे शॉर्ट-स्कर्ट से झांकती मेरी मांसल जाँघों को जी भर के देख रहा था।
मैंने भी गौर किया कि लोहाणे के पैंट में एक उभार पैदा हो रहा था; उसकी पैंट ज़िप के पास से टाईट हो रही थी।
अपने मचलते हुए खिलौने को लोहाणे बीच-बीच में एडजस्ट भी कर रहा था लेकिन उसकी कोशिश असफ़ल हो रही थी। जितना एडजस्ट करता उतना ही उसका खिलौना और मचल रहा था।
मैं एक पेग के बाद जब दूसरा आधा पेग ले रही थी तब तक बॉस और लोहाणे 3-3 पेग पी चुके थे। मैं इन्तज़ार कर रही थी अपनी सहेली सादिया का … वो आये और हमारा काम हो जाये।
मैंने कभी भी एक पेग से ज्यादा नहीं पिया था इसलिये स्कॉच का नशा पूरा चढ़ा हुआ था।
जबकि बॉस और लोहाणे स्कॉच के नशे में अब बहकने लगे।
उनके आपस में कही जा रही बातों में तीन-चार गालियां साथ-साथ आ रही थीं।
मैं उनके ग्लास को खाली होते देख उनके ग्लास रिफ़िल करने लगी।
तब लोहाणे ने खड़े हो कर मुझे अपनी एक बाँह से पकड़ लिया और कहा- जानेमन, तुम तो कुछ भी नहीं ले रही हो। लो ये पीस खाओ। बड़ा ही टेस्टी है।
कहकर मेरे मुँह में स्नैक्स का एक पीस ठूँसने लगा।
फिर स्कॉच के नशे में वापस बोला- अरे केचप लगाना तो भूल ही गया। इसे केचप के साथ खाओ।
यह कहकर मेरे मुँह में ठूँसे हुए स्नैक्स के ऊपर सीधे केचप की बोतल से केचप लगाने लगा और वो केचप सारा का सारा मेरी जैकेट और बस्टीयर पर जा गिरा।
लोहाणे शर्म से झेंप पड़ा और कहने लगा- ओह, आई एम वेरी सॉरी.. वेरी सॉरी!
और अपनी रुमाल निकाल कर साफ़ करने की कोशिश करने लगा- प्लीज़.. प्लीज़ मुझे साफ़ करने दीजिये।
मैंने कहा- ओह … कोई बात नहीं … मैं खुद साफ़ कर लूंगी।
एक खूबसूरत लड़की के कपड़ों पर ऐसा हो जाये तो ज़ाहिर है कि कोई भी आदमी परेशान हो ही जाता है।
मैं टेबल पर पड़े पेपर नैपकिन्स से केचप को साफ़ करने लगी।
लेकिन वो कहाँ से साफ़ होता।
नशे में मैं थोड़ा अपसेट हो गयी और मेरा बॉस भी थोड़ा अपसेट हो चुका था।
लेकिन लोहाणे अपनी सूटकेस खोलने लगा।
एक पार्सल को निकलते हुए कहा- मैं अपनी फ़्रेन्ड के लिये कुछ कपड़े लाया था, शायद आप के काम आ जाये। प्लीज़ देख लीजिये।
मैंने भी कोई और चारा नहीं देख कर उससे वो पैकेट ले लिया और बाथरूम में घुस गयी।
वाशबेसिन में अपने कपड़े साफ़ किये और पैकेट को खोल कर कपड़े देखने लगी।
ये कपड़े कहाँ थे … ये तो नाईटीज़ थी।
वो भी बेबी-डॉल (मिनी) नाईटीज़।
अब मैं अपने कपड़े साफ़ करने के चक्कर में काफ़ी गीले कर चुकी थी और कोई चारा नहीं था मेरे पास!
तीन नाईटीज़ में से मैंने एक नाईटी चूज़ की।
वो नाईटीज़ पहनो या ना पहनो कोई मतलब ही नहीं था।
केवल नाम के लिये पहनना था … छुपाने के लिये कुछ भी नहीं था।
वो नाईटी पहनने के बाद मुझे वापस खोलनी पड़ी क्योंकि मेरी ब्रा के स्ट्रैप्स अलग से नज़र आ रहे थे।
जब मैंने अपनी ब्रा उतार कर वो नाईटी पहनी तो मेरे निपल्स उस नाईटी से झलकने लगे।
मेरे मम्मे तो साफ़-साफ़ नज़र आ रहे थे लेकिन कोई चारा नहीं बचा था और स्कॉच के नशे ने मेरी हिम्मत भी बढ़ा दी।
फिर मेरी फ़्रेन्ड भी थोड़ी देर में आने वाली थी।
मैं जैसे ही बाथरूम से बाहर आयी तो लोहाणे और बॉस का मुँह खुला का खुला रह गया।
दोनों की नज़रें मेरी नाईटी को चीरती हुई मेरे मेरे करीब-करीब नंगे हुस्न को घूर रही थी।
उनके मुँह से ‘आहहह’ एक साथ निकल पड़ी।
अपने हाथियार को एडजस्ट करने के लिये लोहाणे का एक हाथ अपनी पैंट पर फौरन जा पड़ा।
मैं आगे बढ़ी लेकिन मेरी नज़रें झुकी हुई थी।
हाई हील सैंडलों में मेरे डगमगाते हुए एक-एक कदम पर वो दोनों आहें भर रहे थे।
मेरा बॉस तो अब एकदम धप्प से अपनी चेयर पर बैठ गया।
लोहाणे ने अपना ग्लास संभाला और मेरा ग्लास मेरे हाथों में थमा दिया और खुद लंबे-लंबे घूँट भरने लगा।
तभी मुझे डोर को नॉक करने की आवाज़ आयी तो मेरी जान में जान आ गयी।
लोहाणे ने आगे बढ़ कर दरवाज़ा खोला और सामने पाया एक और बला की हसीन लड़की को।
वो उसे देखकर कुछ हैरान हो गया, उसने अंदर हमारी तरफ देखा।
तभी मैंने कहा- हाय सादिया … वेलकम!
सादिया ने भी कहा- हाय एवरी बडी!
लोहाणे बोला- अच्छा यह आपकी परिचित है?”
तब मैंने कहा- हाँ, इस पार्टी को दिलकश बनाने के लिये ही मैंने अपनी फ़्रेन्ड सादिया को इनवाईट किया है।
फिर सादिया से सबका तार्रूफ कराया- सादिया, मीट हिम … अवर गेस्ट … मिस्टर लोहाणे और आप हैं मेरे बॉस मिस्टर राहुल।
सादिया ने दोनों से हाथ मिलाया और मैंने उसके लिये एक पेग बनाया।
उसके लिये ही क्यों बल्कि हमारे तीनों के पेग भी वापस भर कर चीयर्स किया।
सादिया अपने साथ म्यूज़िक सिस्टम लायी थी। सादिया ने उसे साईड टेबल पर रख कर उसे साकेट में लगा कर ऑन भी कर दिया।
फिर सादिया अपना ओवरकोट उतारने लगी। वो पूरी तैयारी के साथ आयी थी।
ओवरकोट उतारने के साथ रूम में अब दो-दो बिजलियाँ चमकने लगीं।
एक बिज़ली मेरे रूप में चमक ही रही थी।
अब दूसरी बिज़ली नशे में चूर दोनों मर्दों को झटका देने के लिये तैयार थी।
सादिया चोली-नुमा टॉप, लाँग स्कर्ट और बहुत ही हाई हील्स के सैंडल्स पहने हुए थी। उसका लाँग स्कर्ट एक साईड से कमर तक कटा था जिससे उसका जिस्म एक साईड से पूरा नंगा नज़र आ रहा था; केवल डोरी से ही वो ढका हुआ था।
उसने देर ना करते हुए म्युज़िक सिस्टम का वॉल्युम बढ़ा दिया और रूम की केवल एक लाईट को चालू रहने दिया।
फिर सादिया डांस करने लगी।
लोहाणे बेड पर बैठ गया और बॉस ने बीच में जगह बनाने के लिये चेयर्स को साईड में कर दिया और खुद एक चेयर पर बैठ गया।
मेरे लिये कोई चेयर नहीं होने पर मैं बेड पर लोहाणे के पास बैठ गयी।
अब हम तीनों नशे में चूर थे जबकी सादिया शायद पहले से ही पीकर आयी थी।
उसने अपना ग्लास पूरा खत्म कर के उसे बेड के नीचे ठेल दिया।
सादिया का डांस काबिल-ए-तारीफ़ था। उसकी हर अदा उन दोनों मर्दों की ही सांसें ऊपर-नीचे नहीं कर रही थी बल्कि मुझे भी मस्त कर रही थी।
लोहाणे ने मुझे अपनी बांहों में भींच लिया जिसका मैंने कोई ऐतराज़ नहीं किया।
लंबा लेट कर वो सादिया के डांस का मज़ा लेने लगा।
मैं भी उसके पहलू में आधी लेटी हुई सादिया के डांस का मज़ा उठा रही थी।
बॉस धीरे-धीरे चुस्की लेते हुए सादिया के हर थिरकते कदम का गर्दन नचा कर जवाब दे रहा था।
तभी लोहाणे मेरी जाँघों को अपने हाथ से सहलाने लगा जिससे मेरे बदन में एक गुदगुदी होने लगी।
मैं उसके जिस्म से और चिपक गयी।
उसका लंड पैंट में से मेरे चूतड़ को दस्तक दे रहा था।
मैं उसके कड़ेपन का एहसस अपने चूतड़ों पर कर रही थी।
सादिया अब बॉस की चेयर के सामने आकर अपनी चोली में छिपे मम्मों को उसके चेहरे के सामने नचाने लगी।
साईड ऐन्गल से हमें वो सब नज़र आ रहा था।
बॉस की साँसें और ऊपर-नीचे होने लगी।
सादिया ने बॉस का हाथ पकड़ा और अपने गालों से लगाया, फिर अपने मम्मों के ऊपर फ़िसलाया और उसकी गोद में बैठ कर घूम गयी।
इधर लोहाणे का हाथ मेरी जाँघों से बढ़ कर मेरे पेट को सहलाता हुआ मेरे मम्मों को नाईटी के ऊपर से धीरे-धीरे सहलने लगा और उसने मेरे चेहरे को ऊपर कर मेरे होंठों को चूम लिया।
मेरी आँखें उसके चूमने से बन्द होने लगीं।
उसने मेरे दोनों लबों का रस पीना शुरु कर दिया।
तभी सादिया ने मेरे बॉस की शर्ट उतार दी और अपनी चोली भी।
अब उसके बड़े साईज़ के मम्मे बॉस के सीने से टकरा रहे थे।
फिर वहाँ से निकल कर वो हमारे सामने आ गयी और लोहाणे के कान को अपने दाँतों से हल्के-हल्के काटने लगी।
मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर मेरी दोनों हथेलियों को अपने मम्मों पर रख लिया।
उफ्फ़ क्या मंज़र था!
उसके मम्मों की नाज़ुक त्वचा पे मेरी मुलायम हथेलियाँ फिसल रही थीं।
सादिया ने अपना हाथ बढ़ाकर लोहाणे की पैंट पर रख दिया और उसके मतवाले लंड को पैंट के ऊपर से छेड़ने लगी।
लोहाणे के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी।
लोहाणे अपने दोनों हाथों को मेरी हथेली के ऊपर रख सादिया के मम्मों को जोर-जोर से रगड़ने लगा।
सादिया ने एक झटके में उसकी पैंट की ज़िप को नीचे खींच दिया और अंडरवीयर में से उसके लंड को बाहर खींच लिया।
उसका लंबा मोटा लंड उछलता हुआ बाहर आ गया।
मेरी साँसें ऊपर-नीचे होने लगीं।
लंड की चमड़ी को सादिया ने आगे पीछे किया और मुझे वहाँ से उठा कर अपने साथ खींचती हुई फिर से मेरे साथ नाचने लगी।
लोहाणे तो उसके हाथ के सहलाने से पागल हो गया और अपने बाकी कपड़े उतार बेड पर नंगा हो गया।
सादिया ने अपने मम्मों को मेरे मम्मों से रगड़ना चालू किया और फिर मेरी नाईटी उतार फेंकी।
फिर उसने अपना स्कर्ट भी उतार कर फेंक दिया और मेरे नंगे जिस्म से अपना नंगा जिस्म चिपका लिया।
अब हम दोनों सिर्फ अपने हाई हील सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी नाच रही थीं।
मेरे चूतड़ लोहाणे के सामने और सादिया के चूतड़ बॉस के सामने थे।
हम दोनों के चूतड़ थिरक रहे थे और दोनों मर्द अपने होशो-हवास खो रहे थे।
फिर मैंने सादिया के निप्पलों से अपने निप्पलों को रगड़ना चालू कर दिया।
हम दोनों घूम-घूम कर आपस में अपने निप्पल रगड़ रही थीं।
तब सादिया ने मुझे कारपेट पर लिटा दिया और मेरे होंठों को अपने होंठों में दबाते हुए अपनी जाँघों को मेरी जाँघों के ऊपर उछालने लगी जैसे कि वो मुझे चोद रही हो।
दोनों मर्द इस हरकत पर तड़प रहे थे।
तड़पते क्यों नहीं … उनकी जगह सादिया जो ले रही थी।
बॉस से अब नहीं रहा गया, उसने उठकर अपनी पैंट और अंडरवीयर खोली और अपना लंड सादिया के गालों से सहलाना शुरु कर दिया।
यह देखकर लोहाणे भी उठा और सीधे सादिया के चूतड़ को चूमने लगा।
सादिया ने थोड़ा ऊपर खिसकते हुए बॉस का लंड अपने मुँह में ले लिया तो मेरी चूत अब लोहाणे के एकदम सामने थी।
मैंने सादिया के नीचे पड़े-पड़े उसके मम्मों को चाटना शुरु कर दिया और लोहाणे ने मेरी चूत को!
पूरा कमरा सिसकारियों से भर उठा।
तेज आवाज के म्यूज़िक के बीच भी हम चारों की सिसकारियाँ अच्छी तरह से सुनायी पड़ रही थीं।
सादिया ने मेरे ऊपर से उठ कर लोहाणे को जमीन पर लेटा दिया और उसके लंड पर चढ़ गयी। लंड झटके से उसकी रसभरी चूत में घुस पड़ा।
फिर वो उछल-उछल कर धक्के मारने लगी।
लोहाणे अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबोच रहा था … सहला रहा था … उसके निप्पलों को पिंच कर रहा था।
इधर बॉस ने मुझे जमीन पर लेटे देख कर मेरी चूतड़ को अपने हाथ से उठाया और अपना लंड मेरी जाँघों में फंसा दिया और मेरी चूत का निशाना लगा कर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया।
दो-तीन धक्कों में उसका पूरा लंड मेरी चूत के अंदर था।
अब अपने चूतड़ उठा कर मेरी चूत को रोंदने लगा।
मेरे मुँह से आह..आह निकलने लगी।
अब थोड़ी-थोड़ी देर हम चारों पोजिशन बदल-बदल कर चुदाई रहे थे।
कभी लोहाणे का लंड मेरी चूत में होता तो कभी बॉस का लंड!
इसी तरह सादिया का हाल था।
लोहाणे चोदने में पूरा एक्स्पर्ट था। उसका लंड भी मजबूती से हम दोनों की चूत को मज़ा दे रहा था।
बॉस भी कमजोर नहीं था लेकिन लोहाणे से थोड़ा कम ही था।
लोहाणे ने अपने लंड को कभी भी खाली बैठने नहीं दिया।
हम दोनों की चूत को चोदने के अलावा हमारे मुँह का इस्तेमाल भी बड़े शानदार तरीके से कर रहा था।
अपने लंड को कभी हमारी चूत में तो कभी हमारे मुँह में दे कर अपने लंड का बराबर इस्तेमाल कर रहा था।
हम चारों ने रात भर चुदाई के खेल को जारी रखते हुए खूब मज़ा लिया।
सुबह तक हम चारों की हालत ढीली हो चुकी थी लेकिन कम्पनी का कान्ट्रैक्ट पक्का हो चुका था।
लोहाणे भी खुश और बॉस भी खुश!
इधर मैं भी खुश!
तीन महीने बाद मुझे ‘सेक्स फॉर मनी’ के दस लाख मिले जिसमे से मैंने पाँच लाख सादिया को दे दिये।
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