ऑफिस की लड़की की पहली चुदाई
मेरा नाम सुनील है। मैंने अभी अपनी इंजीनियरिंग पूरी की है।
मैं अब एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता हूँ।
जहाँ मैं काम करता हूँ वहाँ एक से एक लड़कियां आती हैं।
मैं दिखने में बहुत आकर्षक हूँ, मैं जिम जाता हूँ इसलिए बढ़िया तंदुरुस्त शरीर बहुत ही आकर्षक है इसलिए ज्यादातर लड़कियां मेरी तरफ़ आकर्षित हो जाती हैं।
मेरी कंपनी में एक बहुत ही सुंदर लड़की है जो मुझे अक्सर देखा करती थी लेकिन मैं उससे ज्यादा भाव नहीं देता था।
ऑफिस में मेरी सीट बहुत ही बढ़िया जगह पर थी, एकदम गर्ल्स टॉयलेट के सामने, इसलिए कई बार आती जाती लड़कियां मुझे देख कर मुस्कुरा देती थी क्यूंकि मेरी नज़रें बहुत कुछ बयान करती थी।
एक दिन जब मैं ऑफिस से छुटी के वक्त जा रहा था अपनी गाड़ी में, तो अचानक उसी लड़की ने मुझे लिफ्ट के लिए हाथ दिया।
मैंने भी ताव में आकर गाड़ी रोक दी।
उसने कहा- आप मुझे मेट्रो स्टेशन तक छोड़ सकते हैं मैं बहुत जल्दी में हूँ।
मैंने कहा- ओके सिट!
वो मेरे साथ आकर बैठ गई।
वह उस दिन मेरा पसंदीदा काला टॉप नीली जींस पहन कर आई थी।
उसके उभार देख कर अचानक मैं थोड़ा ललचा सा गया था लेकिन मैंने ऐसा कुछ ज़ाहिर नही होने दिया।
उसके साथ बहुत मज़ाक किया, वो बहुत इम्प्रेस हो गई और जाते वक्त अपना फ़ोन नम्बर मुझे दे गई लेकिन मैंने उसे फिर भी कॉल नही किया।
अचानक एक दिन श्याम को मैंने देखा कि उसके नम्बर से मुझे कॉल आ रही है तो मैं हैरान रह गया।
मैं समझ नहीं पाया कि उसे मेरा नम्बर कहाँ से मिला।
मैंने कॉल उठाई तो कहने लगी- सुनील, आज मेरा बर्थडे है और मैंने एक पार्टी रखी है, अगर तुम थोड़ा टाइम निकाल कर घर पर आ सकते हो तो मुझे बहतु अच्छा लगेगा।
तो मैंने कहा- आ तो जाता पर मुझे तुम्हारा घर नहीं पता, मैं कैसे आऊँगा।
वो कहने लगी- टेक माय एड्रेस!
उसने अपना एड्रेस बताया।
मैं टाइम पर पहुँच गया।
मैंने उसके दरवाजे की घंटी बजाई।
वो काला सूट पहने हुए थी और बेहद खूबसूरत लग रही थी।
मैंने कहा- हैप्पी बर्थडे रूही! यू आर लुकिंग गुड!
उसने मुझे अन्दर आने को कहा।
अन्दर आकर मैंने देखा कि अन्दर कोई नही है।
मैंने पूछा- और कोई नही है घर में?
उसने कहा- मम्मी अभी बाहर गई है और पापा मेरे लिए कुछ सामान लेने गए हैं, आते ही होंगे।
फ़िर मैंने पूछा- और कोई तुम्हारा दोस्त नहीं आया तो कहने लगी कि आते ही होंगे।
आज उसे देख कर मैं मदहोश सा महसूस कर रहा था।
वो थोड़ी देर में मेरे लिए कुछ खाने को ले आई और मेरे पास आकर बैठ गई।
मैंने उससे फ़िर एक बार कहा कि आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो!
इतना कहते ही वो मेरे पास आ गई और मुझे गाल पे किस करके बोली- थैंक्यू!
उसकी ये हरकत काम कर गई मैंने आव देखा न ताव और उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ़ खींचा और एक किस उसके होंठों पर दे दी।
वो मेरी इस हरकत से एकदम घबरा गई और कहने लगी- ये तुम क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- रूही, तुम आज मुझे मत रोको!
और मैंने उससे एक और बार किस कर डाला।
वो मुझे दूर धकेलने लगी लेकिन उसके हुस्न का जादू सा मुझ पर चल गया था.
मैंने फट से उसकी चुचियों को पकड़ लिया और उसके होंठों को पागलों की तरह चूमने लगा।
अब वो भी मान गई उससे भी मज़ा आने लगा।
मैंने कहा- रूही डार्लिंग! आइ लव यू!
उसने कहा- ये सब ठीक नही!
मैंने उसे पकड़ कर सोफे पर डाल दिया और झट से उसके बोबों को दबाने लगा।
क्या टाइट चुचे थे, छेड़ते ही मज़ा आ गया।
मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसकी कमर से नीचे यौनमंडल में फंसा दिया।
वो सिहर उठी, उसके रोंगटे खड़े हो गए।
अब उससे भी मज़ा आ रहा था।
मैंने मौका देखते ही उसकी मदमस्त गांड पर हाथ फेर दिया।
उसके जिस्म से एक अच्छी सी खुशबू आ रही थी।
मैंने कहा- तुम्हें बुरा तो नही लगा रहा ना?
तो कहने लगी- मैंने तुमसे झूठ कहा था कि मेरा जन्मदिन है बल्कि मैं भी यही चाहती थी।
मैं हस पड़ा और मैंने उसके यौनमंडल में ऊँगली घुसा दी लेकिन अब भी उसका कपड़े मेरे आड़े आ रहे थे।
तो मैंने फट से उसकी सलवार नीचे को खींच दी।
मैंने कहा तुम्हारे घर वाले तो नहीं आ जायेंगे?
वो बोली- मैंने सब सेटिंग कर रखी है वो दो दिन के लिए बाहर गए है जान!
अब मेरा रास्ता साफ़ था।
मैंने उसकी कच्छी पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया।
उसे मज़ा आने लगा.
मेरा एक हाथ अब भी उसकी चुचियों पर था.
मैंने उसका कमीज़ भी उतार दिया.
जैसे ही मैंने उसके बोबो को देखा तो देखता ही रह गया। इतने बड़े गोल मटोल चुचे मैंने पहले नही देखे थे।
मैंने कहा- तुस्सी छा गए!
ये कहते ही वो हस पड़ी।
उसने काले रंग की पैन्टी पहनी थी।
मैंने उसके चुचों को मसलते हुए उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया।
वो पहले से उबाल में थी। उसकी योनि अकड़ के फूल चुकी थी जैसे किसी ने हवा भर दी हो।
मैंने हाथ फिराया तो थोड़ा सा पानी मेरे हाथ पर लग गया।
मेरा लंड खड़ा हो गया.
उसने भी हिम्मत करके मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया और सहलाने लगी।
वो एक नम्बर की झूठी और चुदक्कड लग रही थी मुझे।
अब मैंने खींच कर उसकी कच्छी उतार दी।
वाह! क्या बुर पायी थी उसने, एकदम गोरी साफ़।
मैंने उसके बदन को सहलाना शुरू कर दिया.
अब उससे मज़ा आने लगा तो मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए।
वो मेरी बॉडी देख कर दंग रह गई कहने लगी- जैसी सोची वैसी ही पायी। तूने मुझ बहुत तड़पाया है सुनील राजा! आज मैं अपनी सारी प्यास बुझाऊंगी।
इतना कहकर उसने मेरा कच्छा नीचे खींच दिया और मेरा तडकता हुआ 7 इंच का लंड बाहर आ गया।
इतना मोटा लंड देख कर वो घबरा गई और कहने लगी- अब आएगा खेल में मज़ा!
कहकर उसने मेरा लंड अपने मुह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
वाह, क्या मज़ेदार था वो पल!
वो मेरा लंड अपने हलक में भी ले जा रही थी.
मैंने भी उसके चुचे दबाना शुरू कर दिया आह … ऊह… उम्म… सो गुड!
और उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया।
जब मैं बस झड़ने ही वाला था, तब मैंने उससे रोका.
पर वो न रुकी और सारा रस पी गई.
मैंने भी उससे उठा कर लेटा दिया अब वो अपनी योनि खुजाने लगी।
मैं समझ गया और मैंने अपनी जीभ उसके योनि से सटा दी और उसके दाने को ज़ोर से चूसने लगा.
उसकी तड़प बढ़ गई।
वो अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी- हा …येही …हाँ …बस यहीं … मेरे राजा …अब मेरे शरीर की आग बुझा दो अब नही रहा जाता आह …ओह …सुनील माय डीयर!
लेकिन मैं भी पूरा शैतान था इतनी आराम से नही माना, उसकी गांड में अब मैंने ऊँगली घुसा दी और चूत चाटता रहा।
अब वो पागल हो गई और अपने चूतड़ हवा में झुलाने लगी।
मैंने एक हाथ उसके मुंह में भी डाल दिया क्यूंकि वो अब चिल्लाने लगी थी।
वो शरबत बना के लायी थी मेरे लिए, मैंने उस पर नज़र गड़ाई और थोड़ा सा शरबत उसके चुचों पर डाल दिया और पीने लगा।
वो मेरी इस हरकत पर हस पड़ी, बोली- तुम बहुत किताबें पढ़ते हो क्या?
मैंने कहा- बस जान तुम्हारे लिए!
वो हंस पड़ी।
मैंने अब उससे सीधा लेटा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया।
वो डर गई।
मैंने कहा- डरो मत, मैं तुम्हारा ख्याल रखूँगा!
मैंने उसकी यौनमंडल पर अपना लंड फिराया और एक झटके से आधा लण्ड पेल दिया।
वो चिल्लाने ही वाली थी कि मैंने उसके मुंह में अपना हाथ दांतों के बीच में डाल दिया और उसके कंधे पर हाथ रख कर एक और झटके के साथ अपना पूरा लंड अन्दर डाल दिया।
ये करते ही उसकी चीख निकल गई और आँखों से आंसू बहने लगे।
वो एक कुवांरी लड़की थी.
मैं तो यूंही उसे पुराना माल समझ रहा था।
वो रोने लगी- इसस … नही … आ ..राम .. से!
मैंने अब अपना लंड बाहर निकाला तो उसकी चूत से बहुत सा खून बाहर आ गया।
उसकी चूत एकदम लाल हो गई.
मैंने एक बार फ़िर उससे चोदना शुरू कर दिया।
उसका शरीर अकड़ने लगा लेकिन उसके धक्के कम नही हुए- हाँ ..धीरे …से!
मैंने उससे धीरे धीरे झुकाना शुरू कर दिया अपनी और और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख दिया.
अब उसका दर्द बढ़ गया और मज़ा भी!
वो अपनी तरफ़ से धक्के लगाने लगी- हा …हा …हए…माँ … मैं गई!
और इतना कह कर वो झड़ गई और थोड़ी देर में मैं भी ठंडा हो गया।
वो मुझ पर गिर गई और मुझे चूमने लगी- आइ लव यू सुनील!
“आइ लव यू टु रूही …” इतना कह कर मैंने उसे उल्टा लिटा दिया और उसके शरीर पर मालिश करने लगा.
वो फ़िर मुझ से लिपट गई, मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया.
मैंने उसे झुका दिया और उसके गांड पे थूक दिया.
“ये क्या कर रहे हो?”
मैंने उसकी गाडं को मसला तो उसे मज़ा आने लगा. मैंने अब अपना लंड उसकी गांड पर रखा और अन्दर घुसाना चाहा.
पर उसकी गांड बहुत टाइट थी आराम से नही घुस रहा था।
मैं अब सीधा लेट गया और उससे ऊपर आने को कहा.
वो मान गई और उसने अपनी गांड मेरे लंड पे टिका दी.
वाह क्या जन्नत थी!
मैंने उससे रोक कर अपने आप से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
उसे अब मैं बहुत अच्छा लग रहा था हम्म …हम्म …इस …हम्म …हा ..गर्र …हम्म .. इस!
और 15 मिनट में मैं झड़ गया.
उसके बाद हम दोनों ने साथ में शोवर लिया और मैं अपने घर चला गया।
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