चुदाई स्टोरी: अकेलेपन का इलाज-1
(Chudai Story: Akelepan Ka Ilaz- Part 1)
दोस्तो, कैसा चल रहा है? आनन्द ले रहे हैं मेरी चुदाई स्टोरी का…
आज की चुदाई स्टोरी रयान की है जिसकी शादी अभी दो साल पहले ही हुई है, उसकी बीवी निष्ठा बहुत स्मार्ट और सेक्सी है. दोनों ही अलग अलग बैंक में जॉब करते हैं.
उनके पेरेंट्स जो आर्मी से रिटायर्ड हैं, सब साथ ही रहते हैं. पिता की अपनी कोठी है, पैसे की कोई कमी नहीं है.
रयान और निष्ठा अभी बच्चा नहीं चाहते अगले तीन साल तक… सेक्स लाइफ उनकी भरपूर रंगीन है. पिता रिटायर्ड भले ही हो चुके हों पर जिन्दगी जीना जानते हैं तो घर पर भी कोई पाबन्दी नहीं है.
अचानक रयान को बैंक में एक ऑफर मिलता है कि 200 किमी दूर एक बड़े शहर के इंडस्ट्रियल एरिया में बैंक को अपनी नई ब्रांच खोलनी है और उसे वहाँ का मेनेजर बना कर भेजा जा सकता है. सुविधाएँ सारी हैं पर काम बहुत ज्यादा है. 15 दिन मैं एक बार ही शायद घर आ पाए..
निष्ठा ने तो उसको जाने को मना किया पर रयान को ऐसा मौका दोबारा कभी नहीं मिलता, फिर उसके पिता ने निष्ठा को समझाया- अभी रयान को जाने दो, तुम्हारा ट्रान्सफर भी वहीं करवाने का प्रयास करेंगे, पर इसमें वक़्त लग सकता है.
रयान ने नई ब्रांच ज्वाइन करी, शुरू के 15 दिन के लिए बैंक ने होटल मैं व्यवस्था कर दी. सारा स्टाफ नया था उस शहर के लिए. उसकी उम्र की एक ही लड़की थी ऋषिका. वो भी निष्ठा की ही उम्र की रही होगी और बहुत स्मार्ट थी… काम की अच्छी जानकारी थी उसे!
सही मायने में ब्रांच की पूरी जिम्मेदारी रयान और ऋषिका पर ही थी.
ऋषिका शादीशुदा थी, उसकी शादी हुए तो डेढ़ साल ही हुआ था. उसका पति किसी कंपनी में मार्केटिंग में था तो ऋषिका को अकेले रहने की आदत सी थी.
रयान मकान ढूंढ रहा था… ऋषिका भी! उनको मकान भी ऐसा चाहिए था जो फर्निशेड हो और अच्छी लोकेलिटी में हो. रयान को तो डबल बेडरूम फ्लैट चाहिए था जिससे आज नहीं तो कल निष्ठा आ ही जाएगी वो आराम से रह सकें.
उनकी ब्रांच के एक क्लाइंट ने रयान को एक कॉलोनी में एक कोठी बताई, जिसमें तीन बेड रूम थे.
अब इतना बड़ा मकान रयान क्या करता… पर लोकेशन बहुत अच्छी थी. कोठी के मालिक तीन साल के लिए किसी डेपोटेशन पर अगले सप्ताह विदेश जा रहे थे, तो जल्दी खाली करने की कोई चिंता भी नहीं थी.
जब रयान ने उनसे कहा कि इतनी बड़े मकान का वो क्या करेगा, तो मकान मालिक ने जो बुजुर्ग थे, कहा- चलो तुम किराया कुछ कम दे दो.
उन्हें रयान भला लगा… पर वो बोले- पूरी कोठी की जिम्मेदारी तुम्हारी है.
पूरा फर्निशड मकान कहाँ मिलता रयान को… वो ऑफिस मैं बैठा सोच ही रहा था कि कोई एक बेडरूम का किराया शेयर कर ले तो बात बन जाए!
तभी ऋषिका केबिन में आई, वो बोली कि उसे तो कोई ऐसी जगह नहीं मिल पा रही जहाँ सिंगल बेड रूम और किचन हो.
वो बहुत परेशान थी.
वो बोली कि वो किसी से मकान शेयर करने को भी तैयार है बशर्ते कोई उस जैसी लड़की हो.
रयान ने उसे मकान की बात बताई और कहा कि वो सोच ले, अगर वो चाहे तो रयान और वो मिलकर उस कोठी को ले लें. दो तिहाई किराया रयान दे देगा और एक तिहाई ऋषिका को देना होगा.
ऋषिका के बेड रूम का रास्ता बाहर अलग से भी है और ऋषिका चाहे तो ड्राइंगरूम शेयर कर सकती है.
ऋषिका को हिचक हो रही थी, उसने अगले दिन बताने को कहा.
रात को ऋषिका ने फेसबुक पर रयान की प्रोफाइल और उसके परिवार को देखा, उसे वो लोग भले लोग लगे.
ऋषिका ने अपने पति को बताया तो उसके पति ने उस शहर में जहाँ से रयान आया था, अपने डीलर से रयान के बारे में पूछा. वो रयान को जानते थे, उन्होने तुरंत हाँ कह दी.
अब ऋषिका ने भी रयान से उस कोठी को दिखाने को कहा. कोठी देख कर उसका भी मन लट्टू हो गया और दोनों ही मकान मालिक के जाते ही उसमें शिफ्ट हो गए.
रयान और ऋषिका दिन भर साथ काम करते, रात को साथ ही बैंक से निकलते.
शुरू को दो-तीन दिन तो उन्होंने होटल में खाना खाया.
कोठी मैं दोनों के पास अलग अलग किचन था. एक दो दिन में ऋषिका सहज हो गई, अब वो और रयान सुबह की चाय साथ पीने लगे.
लंच तो बाहर से ही आता बैंक में, पर डिनर उन दोनों ने मिलकर बनाना शुरू कर दिया. अब दोनों में अच्छी पटने भी लगी.
बीच में एक दिन को ऋषिका का पति कुशल भी आया, वो भी स्मार्ट पर्सनालिटी का रंगीन तबियत का आदमी था तो तीनों ने साथ ही बाहर डिनर लिया… रात को देर तक तीनों गप्पें मारते रहे.
रात को कुशल और ऋषिका की जम कर चुदाई हुई… सेक्स कितना भी खामोश हो, आहट हो ही जाती है.
सुबह ऋषिका भी देर से उठी… कुशल जा चुका था.
उसकी हालत देख रयान हंस दिया और उसे चाय बना कर दी.
ऋषिका शर्मा गई.
रयान ने कहा- ये तो पेट की मजबूरी है, वर्ना इतनी हसीं जिन्दगी कोई ऐसे खराब करने के लिए नहीं होती.
अब उसके और ऋषिका की नजदीकी बढ़ती गईं, दोनों एक साथ बेड पर बैठ कर टीवी देख लेते या बेड पर बैठ कर ही ऑफिस का साथ लाया काम निपटा लेते.
ऋषिका चंचल थी तो कभी कभी रयान को धौल लगा देती या प्यार से डांट देती.
एक दिन ऋषिका को बुखार हो गया, रयान ने उसे सुबह चाय के साथ बिस्कुट दिया और मेडिकल स्टोर से दवाई लाकर दी.
ऋषिका बैंक जाने की जिद कर रही थी तो रयान ने डांट कर उसे घर पर रुकने को कहा.
दोपहर रयान घर आ गया, वो मौसमी का जूस लेकर आया था ऋषिका के लिए. ऋषिका के सर में बहुत दर्द था, रयान ने उसके बहुत मना करने पर भी उसका सर दबा दिया और उसे सुला दिया.
रात को जब रयान घर आया तो ऋषिका का बुखार कम नहीं था, रयान ने उसे कुछ खिला कर दवाई दी और ठंडे पानी की पट्टी से सिकाई करी.
ऋषिका अब आराम से सो गई थी, रयान वहीं एक कुर्सी पर सो गया.
रात को 2 बजे ऋषिका की आँख खुली… अब उसका बुखार बिलकुल उतर चुका था. उसे रयान वहीं सोता मिला. ऋषिका को रयान पर बहुत प्यार आया.
उसे ध्यान आया कि शायद रयान ने तो आज डिनर भी नहीं किया होगा. वो किचन में गई और कॉफ़ी बना लाई और स्लाइस सेक लिए.
रयान की भी आँख खुल गई थी, वो बोला- सॉरी… पता नहीं कैसे आँख लग गई, मैं अपने कमरे में जाता हूँ.
ऋषिका ने उसे प्यार से हाथ मिला कर थैंक्स कहा और काफी पिला कर ही भेजा.
अगले दिन सुबह ऋषिका बिलकुल फ्रेश थी… सन्डे था पर रयान को आज भी बैंक जाना था.
ऋषिका ने चाय बनाई और रयान के कमरे में गई तो रयान थक कर सो रहा था.
ऋषिका को रयान पर बहुत प्यार आ रहा था, वो रयान के बाल सहलाने लगी.
रयान की आंख खुल गई, वो हड़बड़ा कर उठा.
ऋषिका हंस पड़ी.
असल में रयान टी शर्ट नहीं पहने था तो उसे अजीब सा लगा. रयान ने फटाफट टीशर्ट डाली… दोनों ने चाय पी और शाम पिक्चर देखने का प्रोग्राम बनाया.
रयान दोपहर बाद बैंक से आ गया. शाम को मौसम खराब हो गया तो पिक्चर का प्रोग्राम तो कैंसिल कर दिया पर पास के एक होटल में डिनर करने चले गए.
होटल पास ही था तो पैदल ही चले गए, पर लौटते में तेज बारिश में भीग गए. दोनों भागते भागते घर आये. ऋषिका को छींक आनी शुरू हो गई थी, डर लगा कि दोबारा बुखार न आ जाए.
रयान ने ऋषिका को जल्दी कपड़े बदलने को कहा और फटाफट अपने कपड़े बदल कर अदरक की चाय बनाई. ऋषिका उसके कमरे में ही आ गई थी. आज पहली बार उसने कैपरी और टीशर्ट पहनी थी… खुले बालों में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी.
वो जैसे ही कमरे में घुसी, जोर की बिजली कड़की और लाइट चली गई. ऋषिका डर गई और सामने खड़े रयान से जा चिपटी. रयान को भी इसका अंदाज नहीं था पर ऋषिका डर रही थी तो उसने उसे अपने से चिपटा लिया और उसके गाल थपथपा दिए.
अंधेरे में दो जवान बदन चिपटे खड़े थे तो अचानक ही ऋषिका ने मुंह ऊपर किया और उनके होंठ मिल गए. अब तो दोनों बेतहाशा एक दूसरे को चूमने चाटने लगे.
तभी लाइट आ गई और दोनों झटके से अलग हुए… दोनों को लगा कि ये कैसा पाप हो गया. दोनों की नजर नहीं मिल रहीं थीं.
पर ऋषिका समझदार थी, उसने रयान को सॉरी बोला और मुड़ कर जाने लगी.
रयान ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे प्यार से बेड पर बिठाया और चाय देते हुए बोला- गलती मेरी थी!
ऋषिका मस्त लड़की थी, बोली- चलो हिसाब बराबर…
दोनों ने हंसते हुए चाय पी.
रयान बोला- अब ऐसा कभी नहीं होगा.
इस पर ऋषिका बोली- बहुत बुरा लग रहा है या भले बनने की कोशिश कर रहे हो?
रयान कुछ नहीं बोला, बस मुस्कुरा दिया.
ऋषिका ने उसकी ओर हाथ बढ़ाया और बोली ‘फ्रेंड्स…’
रयान ने भी गर्मजोशी से हाथ मिलाया और बोला ‘येस्स्स… फ्रेंड्स!’
रयान ने ऋषिका के माथे पर एक प्यारा सा किस किया…. ऋषिका अपने रूम में चली गई.
इधर रयान को नींद नहीं आ रही थी, रह रह कर ऋषिका के गर्म होंठ उसे भटका रहे थे.
वो उठा और किचन से पानी पीकर लौट रहा था कि उसने देखा ऋषिका के रूम की लाइट जल रही है… हालाँकि लाइट हल्की थी, पर रूटीन में ऋषिका रूम की लाइट बंद कर के सोती थी.
रयान ने देखा डोर भी हल्का सा खुला है. उसने झाँका तो ऋषिका बेड पर लेटी बार बार करवट बदल रही थी.. मतलब वो भी सोई नहीं थी. रयान उसे देखता रहा.
अचानक ऋषिका उठ कर बैठ गई और दरवाजे की ओर देख कर बोली- अंदर आ जाओ…
रयान की तो जैसे चोरी पकड़ी गई… वो अंदर घुस और बेड तक पहुंचा.
ऋषिका बेड से उतरी और बेल की तरह लिपट गई रयान से… रयान ने भी उसे जोर से भींच लिया. होंठ फिर मिल गए… अब बेताबी ज्यादा थी… सांसें गर्म हो चुकी थीं, रयान ने ऋषिका के टॉप के अंदर हाथ डाल कर उसकी पीठ को सहलाना शुरू किया. ऋषिका ने नीचे कुछ नहीं पहना था.
अब उनके कपड़े एक एक करके उतर गए और दोनों बेड पर एक दूसरे में सामने की कोशिश में लग गए.
ऋषिका नीचे थी और रयान सीधा उसके ऊपर लेट गया, ऋषिका ने अपने हाथ से उसका लंड अपनी चूत में कर लिया. रयान ने पूरे जोर से उसकी गहराइयों तक अपना लंड पेला. ऋषिका का शरीर सख्त हो गया और उसने भी रयान के पैरों को अपनी टांगों से दबोच लिया.
कुछ देर की धक्कम पेल के बाद रयान ने पूछा- कहाँ निकालूँ?
तो ऋषिका बोली- अंदर ही आ जाओ… मैं सेफ हूँ!
इसके बाद दोनों अगल बगल एक दूसरे को देखते हुए लेट गए और सो गए.
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