मेरा दूध, तेरी मलाई मिल दोनों ने धूम मचाई- 2

(Boss Xxx Kiss Story)

बॉस Xxx किस स्टोरी में मेरे बॉस ने मुझे सेट कर लिया था. वे रोज मुझे कार पार्किंग में किसिंग करते. मुझे मजा आता. मैं उनके लंड को पकड़ कर हिलाने लगी.

कहानी के पहले भाग
ऑफिस के बॉस पर दिल आ गया
में आपने पढ़ा कि घर में बोर होने पर मैंने ऑफिस ज्वाइन कर लिया. वहां के नए बॉस मुझे अच्छे लगने लगे थे. उनकी नजर भी मेरे कामुक बदन पर थी.
अब तो मुझे भी उनका साथ बहुत अच्छा लगता था.
अब तो रोज ही ऑफिस के बाद विक्रम सर मुझे घर छोड़ने लगे।

अब आगे बॉस Xxx किस स्टोरी:

एक दिन ऐसे ही ऑफिस के बाद जब हम बेसमेंट की पार्किंग में गए और मैं कार में बैठी तो विक्रम सर ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी खूबसूरती की तारीफ करने लगे।
उनका यूँ मेरी तरफ करना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था

फिर धीरे धीरे वे मेरे करीब आये और उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और मुझे किस करने लगे.
उनकी यह हरकत मुझे भी बहुत अच्छी लगी तो मैं भी उनका साथ देने लगी और उन्हें किश करने लगी।

काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही किस करते रहे।
फिर उनका एक हाथ मेरे बूब्स पर आ गया और विक्रम मेरे बूब्स को दबाने लगे।

अब मेरा हाथ भी उनकी पैन्ट की तरफ जाने लगा तो मैंने महसूस किया उनका लंड खड़ा हो चुका था।
फिर तभी विक्रम सर ने मेरे ब्लाउज़ को ऊपर करके मेरे बूब को बाहर निकाल दिया मेरे दोनों बूब्स बाहर आते ही वे उन पर टूट पड़े और उन्हें अपने मुँह में ले कर चूसने लगे।

कुछ देर वे ऐसे ही मेरे बूब्स को चूस रहे थे और मैं लम्बी लंबी आहें भर रही थी।
तभी अचानक एक दूसरी कार की लाइट आई.
तो मैंने अपने आप को विक्रम सर से अलग किया और अपने ब्लाउज़ को ठीक किया, अपने आप को नॉर्मल किया.

विक्रम सर ने भी अपने आप पर कंट्रोल किया।

मैं- विक्रम चलो यहाँ से … इससे पहले कोई हमें ऐसे यहाँ देख ले।
विक्रम- हाँ!

पार्किंग से कार निकाल कर सर ने मुझे घर छोड़ दिया।

मैं घर तो आ गई थी पर मेरे ख्यालों में अभी तक वही सब घूम रहा था जो आज विक्रम सर के साथ कार में हुआ था।

पहली बार किसी पराये मर्द ने मुझे इस तरह छुआ था.
यह फीलिंग मेरे लिए अलग थी और एक्साईटिंग भी थी.
मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पा रही थी।

और यही हाल उधर विक्रम सर का भी था.
यह बात उन्होंने मुझे अगले दिन बताई।

अब तो यह रोज़ का ही हो गया था, शाम को ऑफिस के बाद बेसमेंट की पार्किंग में विक्रम सर मुझे किस करते और मेरे बूब्स को दबाते, चूसते.

इस सब में हम दोनों को ही बहुत मज़ा आता था।

विक्रम सर अपनी कार को हमेशा बेसमेंट की पार्किंग के एक कोने में ही खड़ी करते थे जहाँ अंधेरा होता था.
इस वजह से हमें कोई देख नहीं पा ता था।

एक दिन ऐसे ही ऑफिस के बाद कार में हम दोनों चुम्मा चाटी कर रहे थे.
तभी विक्रम सर अपना हाथ नीचे कर के मेरी साड़ी ऊपर करने लगे, बोले- दीपशिखा, प्लीज़ आज तुम मुझे अपनी चूत की दर्शन करवा दो।

पर मैंने उन्हें इसके लिए साफ मना कर दिया- नहीं, यहाँ कार में हम कुछ नहीं कर सकते।

तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पैन्ट के ऊपर रख दिया.
उनका लंड एकदम टनटनाया हुआ था.

उन्होंने कहा- अच्छा ठीक है. तुम अपनी चूत नहीं दिखा सकती तो कोई बात नहीं. पर क्या तुम मेरा लंड नहीं देखना चाहोगी?
मैं बोली- विक्रम किसिंग तक तो ठीक है. पर इस तरह यहाँ ये सब करना ठीक नहीं है!
उन्होंने कहा- एक बार देख तो लो बस!

और उन्होंने अपनी पैन्ट को खोल दिया और अंडरवियर में से अपना खड़ा हुआ लंड निकाला.

विक्रम का लंड देख कर मैं चौंक गई।
उनका लंड काफी बड़ा और मोटा था।

मैंने उनके लंड को अपने हाथ में लिया पर वो मेरे छोटे से साथ में नहीं आ रहा था.
विक्रम का लंड मेरे पति के लंड से लंबाई और मोटाई में दुगना था।

इतना बड़ा लंड मैंने पहली बार देखा था।

विक्रम- दीपशिखा, कैसा लगा तुम्हें मेरा लंड?

मैं- विक्रम तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है. यह तो मेरे पति के लंड से दुगना है।
विक्रम सर हँसते हुए- तो दीपशिखा पकड़ो इसे और हिलाओ।

मैं उनके लंड को पकड़ कर हिलाने लगी.
विक्रम को बहुत मज़ा आ रहा था।

वे आँखें बंद कर के आह हहह आह हहह आवाजें निकालने लगे।
करीब 10 मिनट तक मैं उनके लंड को हिलाती रही.

फिर अचानक से वे अकड़ने लगे और बोले- मेरा निकलने वाला है!
और उनके लंड ने वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया.

मेरा पूरा हाथ उनके वीर्य से भर गया और कार के स्टेरिंग और नीचे सब जगह विक्रम सर का वीर्य गिरा.

फिर विक्रम ने मुझे अपना रुमाल दिया.
उससे मैंने अपने हाथ को साफ किया और फिर उन्होंने भी स्टेरिंग और नीचे सब जगह से वीर्य को साफ किया।

विक्रम सर- थैंक्यू दीपशिखा!

फिर उन्होंने मुझे घर छोड़ दिया।

घर आकर भी मुझे विक्रम का लंड मेरी आँखों के आगे दिखाई दे रहा था.

उस रात मैं अपने हसबैंड से जम कर चुदी यह सोच कर कि विक्रम मुझे चोद रहा है.

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।

फिर एक दिन मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी तो मैं घर में ही थी.
मुझे एक दो बार उल्टियां भी हुई.

फिर जब शाम को मेरे पति घर आये तो मैंने उन्हें अपनी हालत के बारे में बताया।
तो वे मुझे तुरंत ही हॉस्पिटल ले गये।

डॉक्टर ने मेरा चेकअप किया और बताया कि मैं प्रेग्नेंट हूँ.
यह सुन कर मैं बहुत खुश हो गई।

पर डॉक्टर ने मुझे सख्त हिदायत दी कि मेरी कंडीशन थोड़ी नाज़ुक है. मुझे घर पर ही आराम करना होगा।

हम लोग घर आये तो मेरे पति ने मुझे कहा- दीपशिखा, तुम अपनी जॉब छोड़ दो. तुम अब घर में ही आराम करो।

क्योंकि यह बात हम दोनों के लिए ही बहुत खुशी की थी तो मैंने अपने पति की बात मानना ही ठीक समझा और अपना रिजाइन लेटर ऑफिस में भिजवा दिया।
और अगले ही दिन से मैंने ऑफिस जाने बंद कर दिया।

यह बात जब विक्रम सर को पता चली कि मैंने रिजाइन दे दिया है तो उन्होंने मुझे फ़ोन किया- क्या हो गया दीपशिखा, जो तुमने यूँ अचानक जॉब से रिजाइन दे दिया है?
तब मैंने उन्हें बताया- मैं प्रेगनेंट हूँ और मुझे डॉक्टर ने कहीं बाहर आने जाने से मना किया है. इसलिए मैंने ये जॉब छोड़ दी है।

फिर मैंने विक्रम सर से कहा- विक्रम, हमारे बीच जो कुछ भी हुआ, प्लीज़ तुम उसे एक सपना समझ कर भूल जाओ. क्योंकि में अब तुम से नहीं मिल सकती हूँ क्योंकि में प्रेगनेंट हूँ और अब मैं एक बच्चे को जन्म देने वाली हूँ. और अब मैं नहीं चाहती कि तुम मुझ से कोई भी उम्मीद लगाओ कि अब मैं तुम से मिलूंगी।

विक्रम सर- हाँ दीपशिखा, मैं समझता हूँ तुम जो कुछ भी कह रही हो। मैं तुम्हारे लिए खुश हूँ. और थोड़ा दुखी भी हूँ कि अब हम मिल नहीं पाएँगे।

मैं- विक्रम, तुम से एक और रिक्वेस्ट है।
विक्रम- हाँ बोलो?
मैं- मैं यह चाहती हूं कि तुम मुझे अब कॉल मत करना क्योंकि में नहीं चाहती कि आगे कभी कुछ गलत हो।
विक्रम सर- हाँ दीपशिखा, मैं समझ गया। और बेस्ट ऑफ लक फ़ॉर योर फ्यूचर!

यह बात तो थी जो वहीं खत्म हो गई।

समय बीतने लगा.
मेरी डिलिवरी की डेट भी आ गई और मैंने एक बेटे को जन्म दिया।
अब मेरा सारा टाइम मेरे बेटे की देखभाल में निकलने लगा।

देखते ही देखते मेरा बेटा करीब 10-11 महीने का हो गया था और वह घुटने घुटने चलने लगा था.

एक दिन मैं और मेरे पति एक मॉल में बेटे के लिए सामान की शॉपिंग करने के गए।

हम अपनी शॉपिंग कर रहे थे कि वहाँ अचानक मेरी मुलाक़ात विक्रम सर से हुई।
मैंने विक्रम को अपने पति से मिलवाया और बताया कि ये मेरी कम्पनी के मैनेजर हैं जहां मैं काम करती थी।

उन्होंने मेरे बेटे को भी कुछ टाइम खिलाया।
हमारी आपस में काफी बातें भी हुई।

फिर मेरे पति ने विक्रम से कहा- ठीक है, अब हम चलते हैं. कभी घर आइये टाइम निकाल कर!
विक्रम ने भी कहा- हाँ मैं जरूर आऊंगा और इस लिटिल चैम्प के लिए खूब सारे गिफ्ट भी लाऊँगा।

इतने टाइम बात विक्रम को देख कर मुझे वे दिन याद आ गये जब बॉस Xxx किस करके मेरे साथ मस्ती करते थे.
उसका वो मोटा और बड़ा लंड मेरी आँखों के सामने दिखाई देने लगा।

उसके कुछ दिन बाद एक दिन मेरे पति तो अपने ऑफिस चले गए।
पति के ऑफिस जाने के बाद में और मेरा बेटा दोनों ही घर में अकेले होते हैं।

पति के ऑफिस जाने के कुछ टाइम बाद घर की डोरबेल बजी.

मैंने दरवाजा खोला तो सामने विक्रम सर खड़े हुये थे, उनके हाथों में ढेर सारे पैकेट थे।

मैं उन्हें यूँ अचानक अपने घर देख कर चौंक गई- अरे विक्रम, आप यहाँ?
विक्रम- जी, आज स्पेशल आप से और आपके बेटे से मिलने के लिए मैंने छुट्टी ली है। क्या आप अंदर नहीं बुलाएंगी?
मैं- हाँ हाँ, आप अंदर आइये।

फिर मैंने विक्रम को बैठाया, उनके लिए पानी ले कर आई और मैं भी उनके साथ बैठ गई।

मेरा बेटा वहीं नीचे ज़मीन पर बैठा खेल रहा था।
विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसके साथ खेलने लगा।

वे दोनों खेल रहे थे, तब तक मैं विक्रम के लिए कुछ नाश्ते और चाय ले आई।
चाय नाश्ता मैंने टेबल पर रखी।

तभी मेरा बेटा रोने लगा तो मैंने उसे विक्रम के गोद से ले लिया और उसे चुप करवाने लगी और विक्रम को कहा- आप चाय नाश्ता लीजिए।

मेरा बेटा लगातार रो रहा था, शायद उसे भूख लगी थी।
मुझे उसे दूध पिलाना था.

तभी विक्रम ने कहा- दीपशिखा, मुझे लगता है कि इसे भूख लगी है.
मैं भी बोली- हाँ लगता है इसलिए इतना रो रहा है. इसे दूध पिलाना पड़ेगा।

विक्रम बोला- तुम इसे दूध पिला दो।

वह सोफे पर बैठा हुआ था और मैं उसके सामने वाले सोफे पर बैठी थी।
मैंने साड़ी पहन रखी थी तो मैंने अपने एक साइड के बूब को ब्लाउज से बाहर निकाला और बेटे के मुँह में दे कर उसे दूध पिलाने लगी।

ये सब सामने बैठा विक्रम देख रहा था.

कुछ देर बाद विक्रम बोला- दीपशिखा, एक बात कहूँ?
मैं- हाँ बोलो।
विक्रम- तुम्हारे बूब्स का साइज पहले से काफी ज्यादा बड़ा गया है।
मैं- हाँ, क्या आपने देख लिये?

विक्रम- जी हाँ, जब अपने दूध पिलाने के लिए ब्लाउज से बाहर निकाला तो मैंने देख लिया।
मैं- विक्रम तुम भी न …

फिर विक्रम अपने जगह से उठा और मेरे पास आकर बैठ गया।
उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा- दीपशिखा सच बताओ, क्या इतने टाइम में तुम्हें मेरी याद नहीं आई?

इतने टाइम बाद मैंने विक्रम को मॉल में देखा था तो मेरी पुरानी सभी यादें ताजा हो गई थी.

पर मैं विक्रम को कुछ न कह सकी, बस उसे देख कर मुस्कुराती रही।

विक्रम- दीपशिखा, जब मैंने पहले तुम्हारे बूब्स देखे थे तो मैं उनके पीछे पागल हो गया था, मैंने उन्हें कितना चूसा था। और जब आज देखा तो ये पहले से भी ज्यादा बड़े और रसीले हो गए हैं।

मुझे विक्रम की इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे और मैं भी पुरानी यादों को याद कर के मचलने लगी थी.

मैं हँसती हुई- हाँ तुम सही कह रहे हो. मेरे बूब्स पहले से काफी बड़े हो गये हैं. अब इनमें दूध भर गया है, इसलिए ये रसीले हो गए हैं।

अभी भी मैं अपने बेटे को अपने बूब से दूध पिला रही थी.
अचानक मेरे मुख से निकल गया- क्या तुम भी पीना चाहोगे मेरा दूध?
विक्रम ने अपने चेहरे पर स्माइल लाकर कहा- जी हाँ बिल्कुल … मैं पीना चाहता हूँ।

मैंने कहा- तो फिर तुम्हें मेरे बेटे के साथ मेरा दूध शेयर करना पड़ेगा। वैसे ही मेरे स्तनों में बहुत ज्यादा दूध आता है और मुझे जबरदस्ती पंप लगा कर निकालना पड़ता है। मेरा एक बूब मेरा बेटा चूसेगा और दूसरा तुम चूसो।
यह कह कर मैंने अपना ब्लाउज ऊपर कर दिया।

उस समय मैं ब्रा नहीं पहनती थी क्योंकि बेटे को बार बार दूध पिलाना पड़ता था।

और फिर मेरे स्तनोँ में से दूध अचानक ही झरने लगता था। मेरा ब्लाउज तो गीला हो ही जाता था पर ब्रा पहनकर बेकार उसको भी गीली करने का कोई फायदा नहीं था।
वैसे भी मैं घर के बाहर तो ज्यादा निकलती नहीं थी तो ब्रा नहीं पहनने से कोई फर्क नहीं पड़ता था।

जैसे ही मैंने ब्लाउज को ऊपर किया तो मेरे दोनों स्तन विक्रम के सामने नंगे हो गए।

मेरे फूले हुए गुब्बारे जैसे स्तनों को एकदम नंगे देख कर विक्रम के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थीं।
उसने ऐसे बड़े फूले हुए और इतनी लम्बी निप्पलों से सजे हुए स्तनों को पहले नहीं देखा था।
उसकी बीवी की चूचियाँ छोटी सी थीं।

वह बेचारा मेरे स्तनों को देखता ही रहा.

यह कहानी 4 भागों में चलेगी.
बॉस Xxx किस स्टोरी के प्रत्येक भाग पर आप अपनी राय देते रहियेगा.
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बॉस Xxx किस स्टोरी का अगला भाग:

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