प्राइवेट सेक्रेटरी की रसीली चूत का मजा- 2
(1st Class Train Hot Sex Kahani)
ट्रेन हॉट सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी सेक्सी सेक्रेटरी के साथ ट्रेन के 1st क्लास केबिन में था. वो मुझसे चुदाने को तैयार थी. मैंने उसे नंगी किया और …
मित्रो, मैं एक बार फिर से रेशमा की कातिल जवानी की चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
चालीस इंच की गांड थी साली की
में अब तक आपने पढ़ा था कि रेशमा मेरे साथ ट्रेन के कूपे में एक झीनी सी नाइटी पहनी हुई मेरी बांहों में थी.
अब आगे ट्रेन हॉट सेक्स कहानी:
जैसे ही उसने अपना ये नया रूप मेरे सामने पेश किया, वैसे ही मेरे लौड़े ने अपना सर उठाकर उसके कामुक बदन को सलामी देना चालू कर दिया.
आधी नंगी खड़ी रेशमा मेरे पास आयी और उसने मुझे किस करते हुए कहा- कहां खो गए वीरू जी? मैं पसंद आई?
मैंने उसके सवाल का कोई ज़वाब दिए बिना उसके होंठ अपने होंठों के कब्ज़े में ले लिए.
पूरी जीभ उसके मुँह में देकर मैं उसके मुँह की लार चाटने लगा.
अपने दोनों हाथ रेशमा की नर्म पीठ पर घुमाते हुए मैंने उसे कस कर अपने गले से लगा कर रखा.
रेशमा ने भी उतनी ही शिद्दत से मेरे चुम्बन का उत्तर देते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में देकर रोक दी.
मेरे बालों को अपने मुट्ठी में भर कर वो मेरा सर और भी ज्यादा अपने मुँह में दबाने लगी.
जल्दबाजी करते हुए उसने कुछ ही पल में मेरी पैंट का बेल्ट और बटन खोल कर मेरी पैंट नीचे सरका दी.
मेरे कच्छे में हाथ घुसाकर जैसे ही उसने मेरा लौड़ा पकड़ा, तो ख़ुद ही उसकी सिसकारी निकल गयी.
मैंने भी उसकी पतली नाइटी धीरे धीरे पीछे से ऊपर उठाना चालू कर दिया.
चालीस इंच की गदरायी गांड को सहलाते हुए मैंने उसकी चड्डी नीचे सरका दी.
भरे हुए बदन की औरत को सहलाना कितना कामुक और आवेश भरा होता है, ये तो आप सभी जानते हैं.
जैसे जैसे हमारी वासना की रफ़्तार बढ़ने लगी, वैसे वैसे ट्रेन ने भी मुंबई की तरफ अपनी गति बढ़ा दी.
एक दूसरे की बांहों में खड़े हम वासना के पंछी अपना सामान भी ठीक से नहीं रख सके थे.
रेशमा की गांड नंगी करके मैं उसको सहला ही रहा था कि तभी हमारे कूपे के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी.
घबराकर रेशमा मुझे देखने लगी, पर तभी मैं उसको उसका बुरका देते हुए पहन लेने का इशारा किया.
मेरी भी खुली हुई पैंट ऊपर करके मैंने उसे अपने कमर पर बांध लिया और दरवाज़े को खोला.
बाहर टीसी साहब हमारे टिकट की जांच करने खड़े थे.
टिकट चैकर साहब के साथ रसोइया भी था.
उसने खाने के बारे में पूछा पर आज मेरा कुछ और ही खाने का मन था.
मगर रेशमा तो बेचारी भूखी थी तो मैंने रेशमा से पूछ कर खाने की आर्डर दे दिया.
उन दोनों को निबटा कर मैंने अपना बैग खोला और दारू की और पानी की बोतल बाहर निकाली.
तब तक रेशमा ने भी बुरका निकाल कर सामने वाले बर्थ पर फैंक दिया.
मैं समझता था कि शराब तो रेशमा ने कभी पी नहीं होगी क्यूंकि उनके मज़हब में ये सब वर्जित था.
मैंने बोतल हाथ में पकड़ कर उसकी तरफ सिर्फ इशारा किया कि क्या वो पीना चाहती है?
तो उसने गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए मना कर दिया.
दारू के साथ कुछ साथ लाए चिप्स का मजा लेना था इसलिए मैंने पहले अपने कपड़े बदल लिए.
एक छोटी सी शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन कर मैं रेशमा के साथ बात करते हुए दारू का मजा लेने लगा.
धीरे धीरे दारू का सुरूर मेरे ऊपर छाने लगा तो मैं रेशमा से कहा- एक बार चख़ तो लो जानेमन … मज़ा करना ही है, तो खुलकर करो.
रेशमा ने भी सिर्फ हंसते हुए हामी भर दी.
मैंने मेरा ही गिलास उसके सामने कर दिया.
गिलास पकड़ने की बजाए उसने अपना मुँह आगे किया और अपने गुलाबी होंठ गिलास पर चिपका दिए.
रेशमा को अपने हाथ से मैंने दारू का एक घूंट पिलाया तो उसके हाव-भाव से तो ऐसा लगा कि साली रोज़ पूरी बोतल पी जाती होगी.
ना तो उसको दारू कड़वी लगी और ना ही बदबूदार!
मैंने फिर से गिलास उसके सामने करके उसके होंठों पर चिपका दिया और देखते देखते पूरा गिलास उसके मुँह में ख़ाली कर दिया.
रेशमा आज पहली बार दारू पी रही थी पर शायद आज उसको अपनी जिंदगी आज पूरी तरह से ख़ुलकर एंजॉय करनी थी.
एक के बाद एक हम दोनों मिल कर दारू के पैग गटकने लगे.
रेशमा की लाल आंखें बताने लगीं कि शराब ने अपना काम बखूबी किया है.
मेरी जांघों पर बैठे बैठे रेशमा कभी मुझे किस करती, तो कभी दारू का घूंट मेरे मुँह में दे देती.
उसके मुँह की झूठी शराब पीने में और उसके गुलाबी होंठ चूसने में मुझे अलग ही मजा आ रहा था.
कुछ देर में ही खाना भी आ गया और हमें पता ही नहीं चला कि कब रात के दस बज गए.
शराब के बाद नोनवेज़ खाने का एक अलग ही मज़ा होता है.
दोनों मिल कर खाने पर टूट पड़े क्यूंकि हम दोनों को पता था कि पेट की आग मिटाने के बाद हमें बदन में लगी आग भी बुझानी है.
खाना खत्म करते ही मैंने रेशमा को फिर से जकड़ लिया.
उसकी नाइटी एक ही झटके में उसके बदन से अलग करते हुए मैंने रेशमा को फिर से नंगी कर दिया.
अब सलमान के घर की इज्जत मेरे सामने बस एक छोटी सी चड्डी में आधी नंगी खड़ी थी.
मैं भी उस भरे हुए बदन की शै को नौंचने के लिए उस पर टूट पड़ा.
रेशमा को अब शराब ने पूरा टल्ली बना दिया था, उसकी प्यासी चूत उससे अब लौड़े की मांग कर रही थी और मेरे सामने उसका नंगा रूप देख कर मैं भी खुद पर काबू नहीं कर सका.
सामने वाली बर्थ पर धकेलते हुए मैंने उसको लिटा दिया, उसके पैरों में बैठ कर मैंने एक ही झटके में उसकी कच्छी फाड़ कर निकाल दी और उसने खुद अपने पैर फैलाते हुए मुझे अपनी नूरानी फुद्दी के दीदार दिए.
शायद उसने आज ही अपनी चूत को चमकाया था, उस चिकनी चूत पर बालों का नामोनिशान नहीं था.
मैंने भी उस खुले हुए हुस्न के दरवाज़े को अपने मुँह में भर कर चूसना चालू कर दिया.
‘आअह हह रब्बआ …’ की सीत्कार लगाते हुए रेशमा ने अपने हाथ से मेरा सर अपनी चूत पर दबाना चालू कर दिया.
और मैंने भी उसकी इच्छा को समझते हुए पूरी ताकत से उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी.
वहशी दरिंदे की तरह मैं रेशमा की कमसिन फुद्दी को चाट कर फांकों को मुँह में भर कर खींचते हुए चूसने लगा.
रेशमा के मुँह से सिसकारियां लगातार बढ़ने लगीं.
उसकी आवाज़ रोकने के लिए मैंने उसकी ही कच्छी उसके मुँह में ठूंस दी और फिर से उसकी फुद्दी का रस पीने लगा.
रेशमा ने अब तक खुद ही अपने पैर मेरे कंधे पर रख दिए थे.
मेरी लपलपाती जीभ उसकी चूत का सारा नमकीन पानी खींचकर बाहर निकाल रही थी.
इधर मैं अपने दोनों हाथों से उसके छाती के ऊपर फूले ग़ुब्बारे बेरहमी से मसल रहा था.
वैसे भी इस समाज की औरतें ज़्यादातर घर में और बुरके में रहने के कारण ज्यादा ग़ोरी-चिट्टी होती है.
रेशमा का जिस्म भी वैसा ही गोरा था, चूचियों के ऊपर लगे दो किशमिश के जैसे गुलाबी चूचुक मेरे हाथ की उंगलियों से मसले जा रहे थे.
उन चुचुकों का बढ़ता आकर ये साबित कर रहा था कि रेशमा अपनी वासना के चरम की तरफ बढ़ रही है.
उसकी चूत से लगातार निकलता पानी मेरे मुँह में समा रहा था.
खुद अपनी कच्छी मुँह में दबाते हुए और पानी गांड ऊपर उठाते हुए आंखें बंद करके वो मेरे जीभ की कलाबाजी का मन माफिक आनन्द ले रही थी.
चूत का छेद भी अपने आप खुल रहा था, भीतर के गुलाबी रंग का इलाका मैं अपनी आंखों से साफ़ देख पा रहा था.
मैंने उसकी चूत को और गर्माने के लिए अपने बाएं हाथ की दो उंगलियां उसमें धीरे से सरका दीं.
‘इस्स्स्स आह वीरूउउ जीई …’ कहते हुए रेशमा ने मेरे बाल जोर से अपनी मुट्ठी में पकड़ कर भींच दिए.
दर्द तो मुझे भी हुआ, पर उस फुद्दी के रस की चाहत में मैं अपना दर्द भूल गया.
जीभ से उसकी चूत का दाना चाटते हुए मैंने रेशमा की चूत मेरे उंगलियों से चोदनी चालू कर दी.
चूत के अन्दर की दीवारें उंगलियों के घर्षण से बेहाल होने लगीं और रेशमा की गांड अब पूरी ऊपर उठ कर मेरे मुँह में टक्कर देने लगी थी.
उसकी लगभग पूरी चूत मेरे मुँह में घुस गयी थी.
मैंने भी जोर जोर से अपनी उंगलियां चलाते हुए उसकी चूत का दाना दांतों से हल्का सा चुभलाना चालू कर दिया और कुछ ही देर में मेरी मेहनत रंग ले आयी.
‘आह वीरूऊऊ मैं गईइ …’ कामुक आवाज लगाती हुई रेशमा की फुद्दी का रस मेरे चेहरे पर बहने लगा.
चुतरस से भीगा हुआ चेहरा मैंने उसकी जांघों से छुड़वाया और सीधा उसको चूमने लगा.
मेरे मुँह से खुद अपने चुतरस का स्वाद लेने वाली रेशमा अब और खूंखार लग रही थी.
उसकी आंखें वासना और हवस ने लाल कर दी थीं.
फर्स्ट क्लास के AC वाले कूपे में भी उसका बदन पसीने से भीग चुका था.
खुद मुझे बर्थ पर धकेल कर अब रेशमा मेरे ऊपर आ गई; उसने मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया.
नंगी जवान औरत की चूत का रसपान करते हुए मेरे लौड़े की भी आग जाग चुकी थी पर अभी उसमें उतना कड़ापन नहीं था कि मैं सीधा उसको रेशमा की चूत में घुसा सकूं.
मेरे आधे खड़े लौड़े को सहलाते हुए रेशमा में मेरे सीने पर चूमना चालू किया.
मेरे निप्पलों पर जीभ घुमाते हुए वो अब धीरे धीरे नीचे बढ़ने लगी.
अगले कुछ ही पल बाद उसने मेरे लौड़े की चमड़ी पीछे करते हुए सुपारा बाहर निकाल लिया.
काले रंग के लौड़े पर लाल सुपारा देख जैसे उसके मुँह में पानी भर गया.
एक पल का इंतजार किए बिना रेशमा ने लंड मुँह में भर लिया और चूसना चालू कर दिया.
उसकी खुरदरी जीभ से मेरे बदन में तरंगें उठने लगीं.
रेशमा का सर मेरे लौड़े पर धीरे धीरे दबाते हुए मैं उस पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने का इशारा किया.
एक हाथ से लौड़ा और दूसरे हाथ से मेरे गोटे सहलाते हुए आंखें बंद करके रेशमा मेरे लौड़े को गीला करने लगी.
मैंने भी उसकी नंगी पीठ पर अपना हाथ घुमाते हुए उस बदन को भोग लगा रहा था.
किसी दूसरे की बीवी को पूरा नंगा करके उसका बदन नौंचने में ही ज्यादा मजा आता है.
मैं भी सलमान की जवान बीवी को पूरी नंगी करके उसकी चूत का रस चाट चुका था.
मेरे मुँह से आनन्द भरी सिसकारियां निकल रही थीं और उसके काम की तारीफ करते हुए मैंने कहा- आहह साली चूस कुतिया … पूरा ले ले मुँह में छिनाल.
मेरे मुँह से गालियां सुनके उसने गर्दन ऊपर की और हंसकर मेरे तरफ देखते हुए मेरा लंड किसी रंडी की तरह चूसने लगी.
मेरे गोटे तो ऐसे मसल रही थी साली … जैसे पूरा माल निचोड़ लेगी.
मैंने भी लेटे-लेटे अपनी कमर को ऊपर उठाते हुए उसका मुँह चोदना चालू कर दिया.
काफी देर तक लौड़े को अपने मुँह की लार से भिगोने के बाद रेशमा ने लंड बाहर निकाला और बोली- क्या खाते हो आप, जो इतना बड़ा बना लिया है. लगता है अगले कुछ दिन में मैं चलने लायक नहीं बचूंगी.
अपने लौड़े की तारीफ सुन कर मैं बोला- आदमी का ही है, जानवर थोड़ी हूँ? अपने मियां का भी तो देखा होगा आपने?
इस पर निराशा भरे स्वर में रेशमा बोली- काश उसका भी इतना होता, आपसे आधा ही होगा. वो भी चल जाता, पर दो मिनट में पानी निकाल देता है सुअर.
मैंने ज्यादा उसके दिल को ना दुःखाते हुए उसे अपनी ओर खींचा और उसके एक चूचे को मुँह में भरके चूसने लगा.
मेरे लौड़े को जोर जोर से हिलाते हुए उसने भी अपनी चूची मेरे मुँह में दबा दी.
कुछ देर तक उसके दोनों दूध चूस चूस कर लाल करने के बाद अब मुझे सब्र नहीं था.
रेशमा को सामने वाली बर्थ पर लिटाते हुए मैंने उसकी टांगें खोल दीं और अपना लौड़ा उसके सामने ले गया.
हम दोनों ट्रेन हॉट सेक्स के लिए एकदम तैयार थे.
रेशमा को समझ में आ गया कि आज पहली बार किसी मर्द का लौड़ा उसकी फुद्दी को चीरने वाला है, तो उसने खुद की अपने उंगली से अपने मुँह से थूक निकाला और मेरे सुपारे को रगड़ने लगी.
मेरे लौड़े को गीला करके उसने सुपारा अपनी फुद्दी के दरार पर रख दिया और मुस्कुराती हुई देखने लगी.
फिर आंख मारती हुई बोली- आ जाओ राजा अन्दर … बस जरा धीरे से करना मेरी जान. आज से आपकी ही अमानत है ये … आज ही फाड़ मत देना.
मैंने भी उसके पैर अपनी कमर के इर्द-गिर्द फैलाते हुए एक हल्का धक्का देकर सुपारा चूत में घुसा दिया.
थूक से चमकता सुपारा रेशमा के चूत के लब फ़ैलाता हुआ अन्दर दाख़िल हुआ.
माथे पर शिकन देख मैं उसके ऊपर छा गया और रेशमा को फिर से चूमने लगा.
मुझे मालूम था कि ऐसी तंग चूत को खोलने के लिए एक जोरदार प्रहार की जरूरत है और उसकी चीख इस प्रहार से जरूर निकलेगी.
कूपे की नर्म बर्थ पर आज रेशमा जैसे गदराये बदन की मालकिन, मेरे लौड़े के नीचे नंगी लेटी थी.
उसकी दोनों टांगों को मैंने अपने हाथों में जकड़ कर उसके होंठ अपने मुँह में दबाए और आगे पीछे की ज़्यादा ना सोचते हुए एक ही बार में लगभग आधा लंड अन्दर घुसा दिया.
रेशमा तड़प उठी, वो चीखना चाह रही थी, मगर चीख ही न सकी.
मेरे चुंगल से छूटने के लिए उसकी फड़फड़ाहट देख कर मैंने उसके दर्द की ज्यादा चिंता किए बिना आखिरी वार करते हुए पूरा लौड़ा रेशमा की तंग चूत की फांकों में पेल दिया.
रेशमा की छटपटाहट से और उसकी तंग चूत से ये साबित हो रहा था कि आज पहली बार रेशमा की चूत बड़ा लंड लेकर चुदवा रही थी.
सलमान के छोटे लंड से उसकी फुद्दी ना ज़्यादा चुदी थी और ना खुली थी.
मेरे जानवर जैसे बर्ताव से रेशमा बेहोश होने के कग़ार पर थी, आंखें बंद करके उसने अब छटपटाना बंद कर दिया था.
उसकी हालत से ऐसा लगा, जैसे उसके प्राण ही निकल गए हों.
मेरा लंड पूरा अन्दर घुस गया था और रेशमा की चूत चिर चुकी थी.
उसकी चूत को आज पहली बार किसी लंड ने इतना अन्दर से फ़ैला दिया था. वो बेचारी बेजान मूरत की तरह बर्थ पर टांगें फैलाए लेटी थी.
कुछ देर मैंने मेरा लौड़ा ऐसे ही उसकी चूत में घुसाए रखा.
दोस्तो, लंड चूत का घमासान अगली बार लिखूंगा, आपको मजा आया होगा. प्लीज़ मेरी ट्रेन हॉट सेक्स कहानी पर में अपने विचार मेल करना न भूलें.
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ट्रेन हॉट सेक्स कहानी का अगला भाग: प्राइवेट सेक्रेटरी की रसीली चूत का मजा- 3
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