काम वाली आंटी की चुदाई

(Xxx Maid Aunty Chudai Kahani)

धीरज 90 2024-03-21 Comments

Xxx मेड आंटी चुदाई कहानी में मैंने पड़ोस के घर में काम करने वाली आंटी को चोदा. कुछ दिन के लिए उसने हमारे घर में काम किया था. मैं तभी से उसे चोदना चाहता था.

प्रिय पाठको, आप सबको मैं धीरज मेरा प्यार भरा नमस्कार करता हूँ.
आप लोगों ने मेरी पिछली कहानी
बचपन की दोस्त से मुलाक़ात और चुदाई
पढ़ी है. आशा करता हूँ कि आप सबको पसंद आयी होगी.

आज मैं आपको मेरे बाजू वाले घर पर काम करने वाली हाविया को पटाकर उसकी चुदाई की, ये Xxx मेड आंटी चुदाई कहानी बताऊंगा.

पहले मैं आप सबको हाविया के बारे में बता देता हूँ.

हाविया एक गरीब घर से है.
उसका पति पहले ऑटो चलाता था लेकिन उसकी दारू की आदत ने उसका ऑटो चलाना भी बंद कर दिया.
इसलिए घर खर्च का सारा बोझ हाविया पर आ गया और वह दूसरों के घर के काम करने लगी.

हाविया है तो गांव की मगर वह दिखने में एक खूबसूरत औरत है.
उसकी ऊंचाई करीब 5 फीट की है. उसकी 30 इंच की कमर, बूब्स 34 के और 36 इंच की उभरी हुई गांड किसी का भी लंड खड़ा करने में एकदम सक्षम है.

हाविया हमारे बाजू वाले घर पर काम करने सुबह 8 बजे आ जाती थी.

मेरा सुबह घर की छत पर घूमने का समय रहता था तो मैं उसे आते जाते देखता था.

अब मैं आपको बताता हूं कि कैसे मेरा मन हव्वा को चोदने का हुआ.
हां मैं हाविया को हव्वा ही कहता था.

साल 2021 में मेरे बड़े भाई की शादी थी.
कोरोना की वजह से ज्यादा लोगों को नहीं बुलाया गया था.

सब लोग शादी के 2 दिन पहले आने वाले थे.
घर पर बाकी कामों के लिए मेरी माँ को किसी काम वाली की जरूरत थी इसलिए मेरी माँ ने हाविया से काम करने के लिए पूछा.

हाविया ने हां तो कहा लेकिन उसने ज्यादा पैसे लेने की बात पर ही हां कहा.
हम लोगों ने भी उसकी मजबूरी को समझते हुए हां कर दिया.

फिर एक दिन माँ ने हाविया को घर के लिए कुछ नमकीन और लड्डू बनाने के लिए बुलाया.
हाविया ने दोपहर का समय बता कर आने को बोल दिया.

उस दिन शनिवार था, मेरी छुट्टी का दिन था.
मैं भी घर पर बैठा था.

दोपहर करीब 2 बजे हाविया आयी.

वह एक सामान्य सलवार कमीज में आयी थी.
पहले तो उसने नमकीन बनाया और फिर उसके बाद लड्डू का बेसन तैयार कर लिया.

फिर वह लड्डू बांधने के लिए हॉल में आ गयी.
मेरी माँ और हाविया दोनों लड्डू बांध रही थीं.

ज्यादा वक्त न लगे इसलिए हाविया अपने दोनों हाथों से लड्डू बांध रही थी.

मैं सोफा पर बैठे बैठे उसे देख रहा था.
मेरी माँ ने मुझसे कहा कि थोड़ा तू भी मदद कर दे, हाविया को जल्दी घर जाना है.

मैंने भी हां करते हुए सोफे पर बैठे हुए ही लड्डू बांधना शुरू किया.
अब मैं, हाविया किस तरह लड्डू बांध रही … वह बड़ी गौर से देख रहा था.

उसी वक़्त मेरी नज़र उसकी कमीज़ पर पड़ी.
उसका दुप्पटा नीचे सरक चुका था और गहरे गले से उसकी ब्रा और बूब्स की झांकी दिख रही थी.

शायद यह बात हाविया भी जान चुकी थी इसलिए उसने अपने दुपट्टे को ठीक किया और अपने काम में वापस लग गई.

यह देख कर मैंने भी मेरी माँ के सामने इन सब हरकतों से दूर रहना ठीक समझा.
बस उसी वक़्त से मेरे मन में हाविया के प्रति हवस की भावना जाग उठी थी.

अब मैं उसके बारे में सोच सोच कर मुठ मारने लगा था.
मुझे अब जल्दी से जल्दी उसे चोदने का मन कर रहा था.

शादी के वक़्त किसी भी चीज की जरूरत पड़ेगी इसीलिए हाविया ने मेरा नंबर मेरी माँ से ले लिया था.

शादी हो गई.
अब सब कुछ सामान्य चल रहा था.

एक दिन किसी काम से मैं मार्केट में गया था.
वहां मुझे हाविया दिखी.

मुझे देख वह हंसी और उसने पूछा- किस काम से आया है?
मैंने कहा- पनीर लेने आया हूँ.

उससे बातें होने लगीं और उसी वक़्त मैंने उसके घर का पता लगाना चाहा.
वह अपने घर के लिए चल दी तो मैं भी चुपके से उसका पीछा करने लगा.

मैंने देखा कि वह तो मेरे घर के कुछ ही अंतर पर रहती है.

अब मैं उसे देखने के बहाने रात में खाना खाकर उसके घर के पास घूमने जाने लगा.
एक रात में मैंने हमारे किराने वाले भैया को हाविया के घर से निकलते हुए देखा तो मैं आश्चर्यचकित हो गया कि यह इधर से क्यों निकल रहा है!

मुझे अपनी तरफ ही आते देख कर वह मुझसे बोला- क्या धीरज, खाना हुआ कि नहीं?
मैंने हां में जवाब दिया और उससे पूछा कि आप इधर कहां?

उसने कहा- हाविया ने 4 महीने से पैसे नहीं दिए थे इसलिए आज घर पर आकर मांगना पड़ा.
मैंने पूछा- मिल गए क्या पैसे आपको?

उसने बोला- नहीं, पर उसने दो दिन का वक़्त मांगा है.
मेरे मन में पता नहीं क्या सूझा, मैंने उससे हिसाब पूछा … तो उसने कहा- 7 हजार बनते हैं.

मैंने बिना वक़्त गंवाए उससे उसका गूगल पे वाला नंबर लिया और पूरे पैसे ट्रांसफर कर दिए.
उसने बोला- उसके पैसे तू क्यों दे रहा है?

मैंने उससे बोला कि काम के कुछ पैसे हमारी तरफ बकाया रह गए थे, इसलिए दे दिए.
यह कह कर मैं वहां से चल दिया.

अब तीन दिन बाद मुझे हाविया के नंबर से मिस कॉल आयी.
मैंने तुरंत उसे कॉल किया और बोला- मैं ऑफिस का काम कर रहा हूँ, शाम को कॉल करूँगा.

शाम हुई, लेकिन हाविया को कॉल करने का ध्यान ही नहीं रहा था.
शायद इसी वजह से उसकी फिर से एक बार मिस कॉल आयी.
मैंने थोड़ा डर कर ही सही, पर उसे कॉल की.

उसने कॉल उठाई और मुझसे कहा- मुझे तुझसे अकेले में मिलना है.
मैंने उससे पूछा- कहां?

तो उसने मुझे नाले वाले खाली प्लाट की तरफ आने का बोला.

मैं उसे रात 9 बजे तय जगह पर मिलने पहुंचा.
वह भी 9 बजे ही आयी.

आते ही उसने मुझे धन्यवाद कहा- मैं तेरे इस अहसान को कभी नहीं भूल सकती.
मैंने भी अनजान बनते हुए उससे कहा- किस अहसान की बात कर रही हो?

उसने कहा- मुझे पता चल गया है कि तूने ही किराने वाले के पूरे पैसे दिए हैं.
यह कह कर वह रोने लग गयी.

मैंने उसकी आंखों के आंसू अपने हाथ से पौंछ कर साफ किए.
इस पर उसने थोड़ा हंसकर धन्यवाद किया.
अब मेरी हिम्मत बढ़ गयी थी.

उसने कहा कि मैं तेरे पैसे कुछ दिनों में दे दूंगी.
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- इतनी भी जल्दी नहीं है. जैसे तुझसे जमे, वैसे वापिस करना.

इस तरह मैंने उसके मन में मेरे लिए जगह बना ली.

अब मैं वहां से वापिस आने के बाद उसके बारे में सोच कर मुठ मारने लगा.
कुछ देर बाद मैं सो गया.

इस तरह कुछ दिन निकल गए.

आते जाते अब हाविया मुझे हंसकर देखने लगी थी.
शायद उसके मन में भी मैंने अपने लिए एक प्यार भरा अहसास देखा था.

फिर एक दिन अचानक मुझे हाविया की कॉल आयी.
मैंने कॉल पर बात की तो उसने फिर से मुझे उसी जगह पर मिलने बुलाया.

इस बार अपनी बढ़ी हुई हिम्मत के साथ मैं उसके पास पहुंचा.

मुझे लगा कि वह मेरे पैसे वापिस करने आयी होगी लेकिन जब वह मुझसे अपने लड़के की कॉलेज फीस के लिए मिन्नतें करने लगी तब मुझे लगा कि कहीं यह मेरा इस्तेमाल तो नहीं कर रही है.

इस सब पर विचार करने के बाद मैंने उससे कहा- ठीक है, मैं उसकी फीस के पैसे दे दूंगा.
उसने मुझे 20 हजार की मांग की जो मैंने एटीएम से निकाल कर ला दिए.

पैसे लेते ही उसने मुझे कल सुबह 10 बजे कॉल करने को कहा.

जैसा कि हाविया ने दूसरे दिन मुझे 10 बजे कॉल करने को कहा था, मैंने उसे कॉल किया.

उसने कॉल उठाया, शायद वह मेरे कॉल ही इंतज़ार कर रही थी.

उसने कहा- अगर ऑफिस का काम ज्यादा न हो, तो आज दोपहर 3 बजे मुझे एक जगह काम से जाना है. क्या तुम मुझे उधर छोड़ दोगे?
मैंने कहा कि अपने लड़के से बोलो न!

इस पर उसने कहा- उसे कॉलेज में फीस भरने जाना है. शायद वह देर से आएगा. इसलिए तुमसे कह रही हूँ.
मैंने कहा- बस या ऑटो से चली जाओ.

उसने कहा कि उस जगह बस नहीं जाती और ऑटो वाले ज्यादा पैसे मांगते हैं.
उसके ज्यादा जोर देने पर मैंने उससे कहा- मैं हाफ-डे लेकर आऊंगा और तुम्हें ले चलूंगा.
उसने ओके कहा.

तीन बजे मैंने उसे कॉल किया.
फिर अपनी गाड़ी निकाली और उसे लेने उसके घर की ओर निकल गया.

लेकिन तभी उसका कॉल आया कि मैं बस स्टॉप पर खड़ी हूँ. तुम उधर ही आ जाओ.

मैं उसके कहने पर बस स्टॉप पर पहुंच गया.

उधर वह कुछ ज्यादा ही बन-ठन कर खड़ी थी.
ऐसी लग रही थी मानो किसी प्रोग्राम में जाने वाली हो.

मैंने कार का दरवाजा खोला और उसे अन्दर आने को बोला.
वह अन्दर आ गयी.

वाह क्या कमाल का माल लग रही थी.
उसके उठे हुए चूचे मुझे उसको वहीं चोदने को मजबूर कर रहे थे.

लेकिन मैंने खुद पर काबू करते हुए उससे पूछा- कहीं और भी जाना है क्या?
उसने कहा- हां, मुझे मेरी छोटी बहन के यहां जाना है.

अब वह मुझे पता बताने लगी.
इसके अलावा उसने पूरे रास्ते मुझसे कोई बात नहीं की.

मैंने उससे कहा- आज बहुत अच्छी दिख रही हो.
इस पर उसने सिर्फ एक हल्की सी मुस्कान दी बस.

मेरा मन थोड़ा उदास हुआ कि मैं इसे चोदने के सपने देख रहा था और ये तो मुझे घास तक नहीं डाल रही है.

फिर उसकी छोटी बहन का घर आ गया.
उसकी छोटी बहन का घर ठीक-ठाक दिख रहा था.

वह कार से उतरी और उसने मुझसे भी अन्दर आने को कहा.

मैं भी उसके पीछे चल दिया.
मैंने देखा तो हाविया दरवाजे का ताला खोल रही थी.

मुझे कुछ समझ आता, इससे पहले ही हाविया ने मुझे अन्दर खींच लिया और दरवाजा बन्द कर दिया.

इससे पहले मैं उससे कुछ पूछता या कहता, उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी ओर लेकर अपनी बांहों में भर लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.

ये सब मेरी समझ के बाहर था.
जिसे मैं चोदने के सपने देख रहा था, वह खुद मुझे चुदने को मचल रही थी.

अब मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया.
मैं उसकी जीभ को अपने होंठों से दबा कर अन्दर लेकर चूस रहा था.

कुछ मिनट यूं ही चूमने के बाद मैंने उसे अपने से दूर किया और उसे जी भर के देखने लगा.

हाविया भी मुझे देखने लगी.
हम दोनों फिर से चिपक गए और चुम्बन करने लगे.

इस बार मैंने उसके चूचों को कपड़ों के बाहर से ही दबाना शुरू कर दिया.
मेरे ऐसा करने उसकी सिसकारियां निकलने लगीं.

उसकी अहह अहह की मादक आवाज मुझे और भी जोश दे रही थी.
हम दोनों एक दूसरे से ऐसे लिपट गए थे जैसे बरसों से इस बात के लिए भूखे हों.

इस चुंबन के दौरान मेरा लंड अपनी औकात में आ गया था और कड़क हो गया था.

वह फटने को तैयार हो गया था.

मैंने तुरंत ही अपने लंड को बाहर निकाला औऱ हाविया को नीचे बिठा कर उसके मुँह पर अपनी पिचकारी मार दी.

मेरे इतनी जल्दी झड़ जाने पर उसने कहा- इतनी जल्दी कैसे रस निकल गया?
मैंने भी अपनी नाकामी छुपाने के लिए कहा- शेर एक कदम पीछे लेता है, वह डर के मारे नहीं … बल्कि लम्बी छलांग लगाने के लिए ऐसा करता है.

इस पर उसका जवाब था- बिल्कुल मेरे शेर … आज तो मैं तेरे लिए ही बकरी बनी हूँ.
अब हम दोनों के कपड़े उतारने की बारी थी.

मैंने उसके सलवार सूट को निकाला.
जल्दी ही वह मेरे सामने मेरी मनपसंद काली ब्रा पैंटी में खड़ी थी और जबरदस्त माल लग रही थी.

उसके उठे हुए सफेद कबूतर उसकी काली ब्रा में कैद जरूर थे पर वे बाहर निकलने को फड़फड़ा रहे थे.

उसकी काली चड्डी के पीछे छुपी हुई उसकी चूत रो रही थी और मेरे लंड का इंतजार कर रही थी.

मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए और अपने सोये हुए लंड को हाविया के मुँह में दे दिया.
हाविया भी बहुत बढ़िया तरीके के मेरे लंड को मुँह के अन्दर बाहर कर रही थी.

उसकी लंड चुसाई देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कि वह बहुत मँजी हुई खिलाड़िन हो.

मैंने उससे पूछा भी कि कब से मुँह में लेने की आदत है?
उस पर उसने जवाब दिया- मेरा निक्कमा पति मेरे मुँह को ही चोद पाता है. इसलिए मुझे लंड चूसने में मजा आता है.

अब मैंने उसके मुँह में धक्के तेज कर दिए थे.
करीब 5 मिनट की धक्कमपेल मुँह चुदाई के बाद मैं उसके मुँह में ही फिर से झड़ गया.

इस बार वह मेरा वीर्य पूरा पी गयी.

अब मेरी बारी थी.

मैंने उसे उसकी बहन के घर में बेडरूम में ले जाकर पलंग पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसकी चूची को दबाने लगा.

उसकी अहह अहह की कामुक आवाजों ने मुझे मजबूर कर दिया था कि मैं उसकी चूचियों को अपने मुँह में भर लूँ.

मैंने उसकी ब्रा को उतार फेंका और उसकी दोनों चूचियों को एक एक करके दबाने के साथ चूसने भी लगा.
हाविया एकदम मदहोशी से उछल रही थी.

मेरा हाथ उसकी चिकनी चूत की तरफ बढ़ रहा था.
मैंने उसकी दोनों टांगों को उठाकर उसकी काली चड्डी को निकाल दिया और अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया.

मेरे इस हमले से वह तड़प उठी और आह भरती रही.
मैं भी उसकी चूत में अन्दर तक अपनी जीभ को घुमा रहा था.

कुछ मिनट में ही Xxx मेड आंटी की चूत का पानी निकल आया.
मैं उस रस को चाटने लगा.

थोड़ी देर बाद उसकी चूत में मैं अपनी दो उंगलियां घुसा कर आगे पीछे करने लगा.
उस वक्त उसने जरा सी भी देर न करते हुए ‘उह उह …’ करके पेशाब कर दी.

मेरा लंड अब फिर से तैयार था.
अबकी बार मैं उसकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख कर रेडी हो गया.

मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर झटका दे मारा और एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर घुसा दिया.

की ‘आह मर गई’ की आवाज निकली मगर मैंने ध्यान नहीं दिया.
बस मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा रहा.

उसकी आह आह मुझे और उत्तेजित कर रही थी.
मैं धक्केबाजी कर रहा था और उसकी कामुकता से भरी आवाज निकली जा रही थी.

उसकी कामुक आवाजें मेरे मजे को बढ़ा रही थीं.
कुछ मिनट के बाद मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा.

वह झट से बन गई.

उसके डॉगी स्टाइल में आते ही मैंने अपने लंड को पीछे से उसकी चूत में पेल दिया.
वह भी आह करके लंड खा गई.

जल्द ही हम दोनों मस्ती से चुदाई में लग गए थे.
इस दरम्यान हाविया 2 बार झड़ चुकी थी.
अब मेरी बारी थी.

मैंने उससे कहा- तुम पलंग पर आ जाओ.
मैं उसके ऊपर हो गया और धक्कों की गति बढ़ा दी.
कुछ ही पलों में मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.

Xxx मेड आंटी चुदाई के बाद मैंने अपना पूरा माल मैंने उसकी चूत में छोड़ दिया था जिस वजह से उसकी चूत मेरे कामरस से भरी हुई थी.

हम दोनों काफी थक गए थे.
मैं पलंग पर दूसरी बाजू लेट गया.

हाविया ने अपना सिर मेरी छाती पर रखा और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- मुझे उसी दिन तेरी नीयत पर शक हुआ था जब तूने मेरे घर का पता लगा लिया था.

मैंने भी बोल दिया- हां पसंद आ गयी थी तू … लेकिन पता नहीं था कि तुझे इतना जल्दी अपने बांहों में ले लूंगा.
इस पर हाविया ने कहा- मुझे भी तू अच्छा लगने लगा था, पर मैं काम वाली … इस बात को कैसे बोल पाती!

कुछ देर के बाद हम दोनों ने एक बार फिर से चुदाई की और थक कर कुछ देर लेटे रहे.
बाद में बाथरूम में आकर एक दूसरे को साफ किया और वहां से घर के लिए निकल पड़े.

कार में आते वक्त उसने मेरे लंड को मुँह में लेकर एक बार और पानी निकाल दिया.
अब जब भी वक़्त मिलता है, मैं उसे चोद लेता हूं.

मेरी Xxx मेड आंटी चुदाई कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं.
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