नौकर की बीवी की चुदाई
(Naukar Ki Biwi Ki Chudai)
मामी की गांड चोद कर सुहागरात मनायी-4
से आगे की कहानी:
जब रूपा बर्तन साफ करके, पास के स्टोर रूम में जा रही थी, तो वो रूम के दरवाजे की दहलीज पर रुक गई. उधर थोड़ी देर रुक कर उसने मेरी ओर देखा. जब मेरी और रूपा की नज़रें आपस में टकराईं, तो रूपा बड़ी अदा के साथ मुस्कुरा उठी और अपनी गांड मटकाते हुए स्टोर रूम में चली गयी.
यह मेरे लिए खुला निमंत्रण था.
मैं उठकर स्टोर रूम की तरफ गया और फिर कुछ देर दरवाजे पर खड़ा रहा. मेरे दिल में ख़ुशी की उमंगें उठ रही थीं. नया माल मिलेगा यही सोचते हुए में मस्ती में रूम के अन्दर चला गया. अन्दर आकर देखा, तो रूपा खटिया पर बिस्तर लगा रही थी.
मैंने धीरे से रूम को अन्दर से लॉक किया और बिना किसी आहट के पीछे जाकर रूपा को अपनी बांहों में भर लिया. वो एकदम से घबरा गयी.
रूपा ने पीछे मुड़ कर मेरी ओर देखते हुए कहा- उफ़फ्फ़ हटिए मालिक क्या कर रहे हैं … कोई देख लेगा. … छोटी भौजी आ जाएंगी.
मैं उसे गले पर चुम्बन करते हुए बोला- तो आ जाएं … क्या होगा उसको भी यहां तुम्हारे साथ ही चोद दूँगा.
रूपा ने कामुक मुस्कान अपने होंठों पर लिए हुए कहा- ऊफ्फह्ह छोटी भौजी कह रही थीं, आपने रात को उनकी गांड चौड़ी दी. मुझे तो सुनकर ही डर लग रहा है कि आज मेरा क्या होगा?
मैंने रूपा को छोड़ कर खटिया पर बैठते हुए कहा- मेरी रांड … चल अपनी मामी की तरह तेरी भी चौड़ी कर देता हूँ, चल आ जा इधर.
रूपा हंसती हुई मेरे पास आ कर बैठ गई. मैंने झट से अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपना लंड उसको दिखाया. वह कामवासना से भरी निगाहों से मेरे शानदार हथियार को देखती रही.
मैं- इसको पकड़ो तो सही और थोड़ा सहला कर तो देखो मेरी रूप की रानी.
रूपा ने अपने हाथ बढ़ाए और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाने लगी.
रूपा- वाह मालिक, बहुत बड़ा है.
रूपा के हाथों का स्पर्श पाते ही मेरा लंड बुरी तरह से भड़क गया. कुछ देर तक रूपा ने मेरे लंड को सहलाया और फिर ज़मीन पर घुटनों के बल बैठते हुए मेरे लंड को अपने होंठों में दबा लिया.
रूपा अपने होंठों को मेरे लंड के सुपारे पर कसके रगड़ते हुए लंड को चूसने लगी. फिर धीरे धीरे से मेरे लंड को आधा मुँह में ले लिया. मैं थोड़ा उसकी तरफ झुका और अपने दोनों हाथों से उसके ब्लाउज के हुक्स खोल दिए. रूपा की बड़ी बड़ी चुचियां ब्लाउज के हुक्स खुलते ही बाहर आ गईं.
अब मेरी आंखों के सामने बड़े बड़े सेब के आकार की उसकी दोनों चूचियां आ गयीं, जिनके काले लम्बे निप्पल बिल्कुल तने हुए थे. यह मादक दृश्य देखकर मेरा लंड झटके खाने लगा. मैंने ने रूपा को उसके कंधों से पकड़ कर खड़ा कर दिया और उसे अपनी ओर खींच कर बेड पर लिटा दिया. फिर बिना देर किए झुक कर रूपा की लेफ्ट चुची को मुँह में भर लिया.
रूपा अपने एक निप्पल पर मेरे होंठों को महसूस करके और गरम हो गयी और उसके मुँह से कामुकता से भरपूर सिसकारियां निकलने लगीं- उम्ह्ह ह्ह मालिक ओह धीरे चुसोओ..
मैं- आह क्या मस्त चूचियां हैं … मज़ा आ रहा है.
रूपा- आऽऽऽह … दूसरी भी चूसिए ना … उसमें भी मजा भरा है.
अब मैं रूपा की एक चूची दबा रहा था और एक मुँह में लेकर चूस रहा था, रूपा मस्ती में ‘सी … आऽऽहहह..’ कर रही थी.
मैं बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसे जा रहा था. तभी दरवाजे पर कुछ आहट हुए और उधर से धीरे से आवाज आई- मालिकऽऽऽ मैं रमेश, दरवाजा खोलिए मुझे देखना है.
मैंने रूपा की तरफ बुरा सा मुँह करके देखते हुए- जाओ उसे अन्दर ले आओ.
रूपा गई और उसने दरवाजा खोलकर रमेश को अन्दर लिया और झट से दरवाजा बंद कर दिया.
मैंने खटिया पर लेटे लेटे अपना लंड सहलाते हुए कहा- कहो काका क्या देखना चाहते हो?
रमेश काका ने हाथ जोड़कर नीचे फर्श पर बैठकर कर कहा- मालिक, इसकी चुदाई देखना चाहता हूँ. इसकी चुत में बड़ी गर्मी है, साली दिन भर न जाने किन किन मजदूरों को लंड लेती फिरती है कुतिया.
रूपा- बुड्डे तेरे लंड में तो दम है नहीं, इसीलिए तो मेरी चुत की आग दूसरों से ही बुझनी पड़ती है ना.
मैंने गुस्से में कहा- चुप हो जाओ तुम दोनों … काका देखना हो तो चुप बैठ कर देखो.
रूपा खुश हो गई.
मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा- अरे रूपा डार्लिंग जरा यहां खड़ी हो जाओ.
रूपा ठीक रमेश के सामने खड़ी हो गई. फिर मैंने रमेश से कहा- चलो अब इसकी साड़ी तुम अपने हाथों से निकालो, इसे पूरी नंगी कर दो.
रमेश उठा और ‘जी मालिक …’ बोलते हुए अपनी जवान पत्नी को मालिक के लिए नंगा करने लगा. उसने रूपा की साड़ी उतार दी और उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया. अब रूपा हमारे सामने पूरी नंगी थी.
मैंने रमेश को पास वाली टेबल पर बैठकर नजारा देखने के लिए कहा और रमेश ने हां में सर हिलाते रूपा की साड़ी उठाई और चुपचाप बैठ गया.
फिर मैंने रूपा को अपने पास खींच कर बेड पर लिटा दिया और मैं उसके पैरों की तरफ आ गया. जैसे ही में रूपा के पैरों की तरफ आया, रूपा ने अपनी टांगों को घुटनों से मोड़ कर उठा लिया और दोनों को विपरीत दिशा में फैला दिया. उसकी खुली चूत मेरे आंखों के सामने थी. उसकी चूत काली झांटों से भरी हुई थी, जिसे देख कर मेरा लंड हवा में झटके खाने लगा.
मैं रूपा की जांघों के बीच में बैठ गया और रूपा की जांघों को चूमता हुआ उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा. रूपा की साँसें तेज हो रही थीं. मैंने अपने हाथों से रूपा की चूत की फांकों को फैला लिया और अपनी जीभ निकाल कर रूपा की चूत के फांकों के बीच के दरार में डाल कर रगड़नी चालू कर दी.
जैसे ही मेरी जीभ रूपा की चूत की दोनों फांकों के बीच में से रगड़ खाती हुई उसकी चूत के छेद पर लगी, तो रूपा के मुँह से मस्ती से भरी हुई सिस्कारियां निकलने लगीं- अहह बहुत मज़ा आ रहा है मालिक … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्ह्ह…
रूपा की कामुक सिसकारियां सुन कर मैं और भी जोश में आ गया और रूपा की चूत के फांकों को फैला फैला कर उसकी चूत के छेद को अपनी जीभ से चाटने लगा. रूपा के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई, उसका बदन कांपने लगा. थोड़ी ही देर में रूपा की चुत बहने लगी, पर मैं लगातार चूत चुसाई करता रहा.
वो अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चुत पर दबाने लगी. रूपा अपने दोनों हाथों की उंगलियों को मेरे बालों में घुमाते हुए सिसकारी भरी- ओह्ह सीईईईई मालिक बससस्स ओर्रर्रह बर्दाश्त नहीं हो रहा, आप जल्दी से पेल दीजिए ओह्ह्ह्ह्ह.
मुझे रूपा को ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं लगा, उसकी चूत पर से अपना मुँह हटा लिया और सीधा होकर घुटनों के बल बैठ गया. अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसकी चुत के छेद पर लगा ही रहा था कि रमेश चिल्लाया- रुकिए मालिक.
मैं गुस्से से देखता हुआ बोला- अब क्या हुआ?
रमेश ने मेरी तरफ आते हुए कहा- मालिक ये कंडोम लगा लीजिए गांव से आते वक्त लेकर आया था.
मैंने मुस्कुरा कर कहा- ह्म्म्म ये बहुत बढ़िया काम किया … चल रूपा मेरे लंड पर कंडोम लगा दे.
रूपा ने अपने पति के हाथ से कंडोम लिया और मेरे लंड को पकड़ कर उसकी चमड़ी को पीछे खींच कर कंडोम चढ़ा दिया. इसके बाद रूप पीठ के बल लेट गई. फिर मैंने रूपा की टांगों को घुटनों से मोड़ कर ऊपर उठाते हुए दोनों तरफ फैला दिए … जिससे उसकी चूत की फांके फ़ैल गईं. मैंने अपने लंड के सुपारे को रूपा की चूत पर लगा दिया.
जैसे ही मेरे लंड का सुपारा उसकी गरम चूत के छेद पर लगा. उसके बदन ने एक झटका खाया … और उसके मुँह से मस्ती भरी सिसकारियां छूटने लगीं- उम्ह्ह्ह मालिक पेल दो अपने लंड को … अहह देखो ना मेरी चूत कैसी अपना रस बहा रही है.
रूपा की चूत उसके कामरस से एकदम भीगी हुई थी … इसलिए जैसे ही मैंने हल्का सा झटका दिया … मेरे लंड का सुपाड़ा सरकता हुआ, उसकी चूत के छेद में समा गया.
उसकी जोर से सिसकारी निकल गई- सीईईई … ह्म्म्म … बहुत मोटा है.
मैंने बिना कोई देर किए, एक और झटका मारा … मेरा आधा लंड रूपा की चूत में समा गया … और रूपा के मुँह से एक और दबी हुई आहह निकल गयी- ओह्ह मालिक धीरे से आपका बहुत मोटा है उईईई …
मैं उसके ऊपर झुक गया. उसके तने हुए एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा. रूपा ने भी अपनी बांहों को मेरी पीठ पर कस लिया. वो मेरे सिर को अपनी छाती पर दबाने लगी और मैंने भी रूपा के निप्पल को चूसते हुए एक और जोरदार धक्का मार कर अपना पूरा का पूरा लंड रूपा की चूत की गहराई में उतार दिया.
‘ओह्हहह ऊऊऊ … अहहहाआ … मालिक … मर गई..’ रूपा की जोर से चीख़ निकल गई. पर उसकी और मैंने ध्यान ना देते हुए जोर जोर से अपनी कमर चलाकर अपना लंड रूपा की चुत में उतारने निकालने लगा.
रूपा कांपती हुई आवाज़ में कराहने लगी- अहह मालिक आराम सेईई ओह्ह्ह्ह धीरे धीरे करो ना … ओह सीईईईई…
उधर अपने सामने अपनी बीवी और मालिक के कामुक चुदाई के दृश्य देख कर, कब रमेश का लंड खड़ा हो गया और कब उसका हाथ खुद ब खुद लंड के पास पहुंच गया, उसे खुद भी पता ही नहीं चला. उसने अपने लंड को रूपा की साड़ी पकड़ते हुए पजामे के ऊपर से भींच लिया और धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया.
अब मैं अपने लंड को धीरे धीरे रूपा की चूत के अन्दर बाहर करने लगा. उसको भी मज़ा आ रहा था. वो प्यार से मेरी पीठ पर हाथ पैर रही थी. मेरे लंड का सुपारा रूपा की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ आराम से अन्दर बाहर हो रहा था. उधर नीचे से रूपा भी अपनी गांड ऊपर की ओर उछाल कर मेरा साथ देने लगी थी.
रूपा ने एकदम मस्ती से भरी आवाज़ में कहा- ओह्ह्ह मालिक मेरी चूत आहह ओह्ह्ह … पानी छोड़ने वाली है, तेज़ी सेईईई मालिक … जोर से जोर से चोदिए ना … उईईई …
रूपा की बातें सुनकर मैं और जोश में आ गया … और अपनी कमर को पूरी तेज़ी से हिलाते हुए अपने लंड को रूपा की चूत के अन्दर बाहर करते हुए चोदने लगा. कुछ ही पलों में रूपा का बदन अकड़ गया और उसकी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया.
जैसे ही रूपा का झड़ना बंद हुआ, उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया. मैं भी ज़्यादा देर ना टिक पाया. आखिर दो तीन जोरदार धक्कों के साथ उसके ऊपर ढेर हो गया. मैं रूपा की चूत में अपने वीर्य की बौछार कंडोम में करने लगा.
कुछ देर बाद मैं रूपा के ऊपर से उठा और कंडोम हटा कर अपने कपड़े पहन लिए. रूपा भी उठी और अपनी साड़ी रमेश से लेकर पहनने लगी.
मैंने रमेश की ओर देखते हुए- क्यों काका मज़ा आया?
रमेश बोलता उसके पहले ही रूपा बोली- मालिक इसका तो पता नहीं, पर मुझे बहुत मज़ा आया.
यह सुनकर मैं जोर से हंसा और रूपा के चूतड़ों पर एक प्यार भरा झापड़ लगते हुए हंसते हुए रमेश काका से कहा- लो काका पकड़ो अपनी मस्त लुगाई.
यह कहते कहते मैं अपनी लुगाई, अरे भाई … अपनी मामी जान के कमरे की तरफ चल पड़ा.
कैसी लगी मेरी सेक्स कहानी? मुझे आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा.
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
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