मेरा गुप्त जीवन- 156

(Mera Gupt Jeewan- part 156 Chanchal Bhabhi Rashmi Bhabhi Ki Chudai)

यश देव 2016-04-01 Comments

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चंचल भाभी और रश्मि भाभी की चुदाई

तभी हल्की आवाज़ के साथ कमरे का दरवाज़ा खुल गया और एक जनाना आवाज़ ने गुस्से के लहजे में पूछा- सोमू, यह क्या हो रहा है?

यह आवाज़ सुन कर मैं एकदम सकते में आ गया और जल्दी ही चंचल भाभी के गर्म और रसीले शरीर को छोड़ कर खड़ा हो गया और अपने आप ही मेरे खड़े लंड का दरवाज़े की तरफ निशाना बन गया।
मैं भौंचक्का हुआ आने वाले की तरफ देख रहा था और आने वाले का मुंह मेरे लंड की दशा देख कर खुला का खुला रह गया।

तभी हम तीनों को एक साथ होश आया और चंचल भाभी चिल्लाई- रश्मि तुम यहाँ क्या कर रही हो?
रश्मि भाभी की नज़र अभी भी मेरे लौड़े पर टिकी थी और वो उसको अपलक ताक रही थी।

रश्मि ने भी नाक मुंह सिकौड़ा और कहा- वाह चंचल, तू भी कितनी हरामी है री… तूने एक छोटे सी उम्र वाले लौंडे को भी नहीं छोड़ा? हम सबने तेरे बारे में इतनी कहानियाँ सुनी थी और तू तो वाकयी में वैसी ही निकली। बोल शोर मचाऊँ और सबको इकट्ठा करूं? बोल बोल?

चंचल भाभी बोली- देख री रश्मि, गाली मत दे… तुम भी चुदाने में कहाँ कम हो? तूने नौकरों के साथ और स्कूल के बच्चों के साथ जो मुंह काला किया उसकी कहानी तो सारे शहर में मशहूर है। कैसे पकड़ा था तुझको तेरी सास ने नौकर से चुदवाते हुए?

अब मुझ से नहीं रहा गया और मैं अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उन दोनों की तरफ निशाना लगा करके उसको हवा में लहलहाने लगा और उसके मुंह पर चमकती हुई पानी की एक बूँद की तरफ उन दोनों लड़ती हुई औरतों का ध्यान खींचने की कोशिश करने लगा।
मैं नकली गुस्से में बोला- भाभियों, लड़ती ही रहोगी या फिर कुछ इसका भी ख्याल करोगी?

दोनों ने झट मेरे लंड की तरफ देखा और आपसी लड़ाई भूल कर दोनों मेरे इर्दगिर्द खड़ी हो गई और मेरे अकड़े लंड को हाथों में लेने की कोशिश करने लगी।
मैं बोला- देखो भाभियो, लड़ाई छोड़ो और इस खड़े लंड का आनन्द ले लो, नहीं तो यह बैठ जाएगा। मंज़ूर है क्या? अगर मंज़ूर है तो फ़ौरन अपने पेटीकोट और ब्लाउज उतारो और लेट जाओ पलंग पर!

दोनों औरतों ने फ़ौरन अपने कपड़े उतार दिए और अपनी झांटों भरी चूतों की नुमाइश मेरे सामने लगा दी।
मैं उनकी आँखों में बहुत अधिक वासना देख रहा था, मैंने फिर हुक्म दिया- अब पीछे मुड़ कर दोनों अपने चूतड़ों के दर्शन करवाओ। उसके बाद एक दूसरी को किस करो, लबों पर और मम्मों को चूसो।

मैं अपने लौड़े को हाथ में लिए हुए उन दोनों के पीछे खड़ा हो गया और लण्ड को उनके गोल मोटे चूतड़ों पर रगड़ने लगा।
फिर मैंने उन दोनों को पलंग पर घोड़ी बना दिया और उनके पीछे बैठ कर बारी बारी से उनकी उभरी हुई चूतों में अपनी लण्ड घिसाई करने लगा।

रश्मि भाभी जल्दी ही झड़ गई और एकदम पलट कर पलंग पर लेट गई और अपनी टांगों को पूरा खोल कर मेरे लौड़े को अपनी चूत के अंदर ले गई और अपने चूतड़ उठा उठा कर चुदवाने लगी।
दोनों भाभियाँ चुदाई के लिए बहुत ही तरस रही थी और मुझको ऐसा लगा कि दोनों ही चुदाई से काफी देर से वंचित थी।

जब दोनों ही कम से कम 2-2 बार स्खलित हो गई तो दोनों ही मेरे साथ मेरी दोनों तरफ लेट गई।
यह मौका अच्छा देख कर मैंने उनसे पूछा- क्यों चंचल और रश्मि भाभी, आपके पति आपके साथ नहीं रहते क्या?

चंचल भाभी बोली- कहाँ रे लल्ला, वो तो नौकरी के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं और साल में 2-3 बार छुट्टी पर घर आते हैं। इसी तरह रश्मि के पति भी बाहर नौकरी करते हैं और हम बेचारियाँ या तो ऊँगली या फिर एक दूसरी के साथ अपना थोड़ा बहुत काम कर लेती हैं।
मैं भी मुस्करा कर बोला- तो आप चंचल भाभी नौकर से भी करवा लेती हैं अगर मौका मिले तो?

चंचल भाभी मुस्करा कर बोली- हाँ, एक हमारे घर में मुश्टण्डा नौकर सास ने रखा था जो घर का सारा काम करता था, अच्छा तगड़ा था लेकिन बहुत ही शर्मीला था, मुझको बहुत पसंद था बस फिर जब मौका मिला तो…
मैं और रश्मि बोले- फिर क्या हुआ? फिर तुमने उसको कैसे फंसाया चुदाने के लिए?

चंचल भाभी बोली- मैं उस नौकर पर पूरी नज़र रखने लगी और एक दिन मैंने उसको उसके नहाने वाले छप्पर के नीचे पूरा नंगा देख लिया। छप्पर की छत नहीं थी तो मैं अब हर रोज़ अपने घर के कोठे से उसको नहाते हुए देखने लगी। जब वो नहा रहा होता तो उसका लण्ड बहुत ही छोटा होता था, वो मुझको वो ज़्यादा पसंद नहीं आ रहा था।
लेकिन एक दिन मैं जब उसको नहाते हुए देखने लगी तो मैंने देखा कि वो लंड को साबुन लगा कर मुठ मार रहा था। ऐसा करते समय उसका लंड मेरे पति के लंड के बराबर हो गया था और उतना ही मोटा भी बन गया था।

अब मैंने सोचा क्यों न इस नौकर को फंसा लूं और इससे अपनी चूत मरवाऊँ। लेकिन सवाल यह था सोमू जी कि उसको फंसाया कैसे जाए! क्योंकि वो अक्सर मेरे बेडरूम में आया जाया करता था, एक दिन जब वो मेरे कमरे की सफाई करने के लिए आया तो मैंने अपनी साड़ी जानबूझ कर थोड़ी ऊपर खिसका दी और साड़ी के पल्लू को भी अपने वक्षस्थल से नीचे कर दिया जिससे मेरे छातियों के उभार उसको साफ़ दिख जाएँ।

चंचल भाभी थोड़ी देर के लिए रुकी और मेरे खड़े लण्ड के साथ खेलने लगी और रश्मि भी मेरे अंडकोष और छातियों पर हाथ फेर रही थी।
रश्मि भाभी बोली- फिर क्या हुआ चंचल रानी, जल्दी बता ना, तू जानबूझ कर हमें तंग कर रही है।
चंचल भाभी खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली- अरे तुम ये बातें सुन कर उत्तेजित हो रहे हो, सोचो मेरा हाल क्या हुआ होगा। एक दो दिन बाद फिर वो मेरे कमरे में सफाई करने आया तो मैंने साड़ी इतनी ऊपर कर दी ताकि उसको मेरी चूत पर छाए काले बाल थोड़े से दिख जाएँ।

अब वो सफाई कम कर रहा था और मेरी चूत की तरफ बार बार झाँक रहा था और जैसे ही उसको बाल दिख गए तो उसका लौड़ा उसकी धोती में खड़ा होना शुरू हो गया। मैं सोये हुए होने के बहाने अपनी साड़ी को और भी ऊपर करने लगी जिससे उसको सब चीज़ें साफ़ दिख जाएँ।
मैं बोला- कौन सी सब चीज़ें?

यह कह कर मैं चंचल की चूत में ऊँगली डाल कर उसकी भग को सहलाने लगा और यह देख कर मुझे ख़ुशी हुई कि वो अब पूरी तरह से पनिया रही थी।

चंचल भाभी कहानी जारी रखते हुए बोली- अरे सोमू, सब चीज़ों का मतलब पूरी तरह से चूत के दर्शन और मेरे मम्मों की झलक इसी से तो आप जैसे शहसवारों के लंड खड़े होते हैं ना?

उधर नौकर का भी लंड अब पूरे जोबन में खड़ा था लेकिन धोती की कैद में था। अब वो एक हाथ से अपने लंड को धोती के बाहर से सहलाने लगा और दूसरे से सफाई करता रहा।

उस दिन उसने सफाई में ज़रूरत से ज़्यादा टाइम ले लिया और जब वो सफाई कर के बाहर गया तो मैंने भी अपनी साड़ी उठा कर एक ज़बरदस्त ऊँगली चूत में मार दी और सर सर करती हुई थोड़ी देर में मैं झड़ गई।

मैं बोला- भाभी यह बताओ कि तुमने उसके साथ चुदाई कैसे और कहाँ की?
चंचल भाभी बोली- मेरी सास रोज़ 11 से 2 बजे दिन को मंदिर में कीर्तन भजन करने जाती थी तो एक दिन मैंने ऐसा जाल बिछाया कि जैसे ही सास मंदिर के लिए निकली, मैं पूरी नंगी होकर बाथरूम में नहाने के लिए चली गई। वहीं से मैंने नौकर को आवाज़ मारी और जब वो आया तो उसे तौलिया देने के लिए कहा।

जैसे ही वो तौलिया लेकर अंदर घुसा, मैंने दरवाज़े के पीछे से उसको लंगड़ी मारी और धड़ाम से वो मेरी बाहों में आ गिरा। बड़ी मुश्किल से उसको सम्भाला और उसको उठाते हुए उसकी धोती को भी ढीला कर दिया।
जब वो सीधा खड़ा हुआ तो उसकी धोती खुल कर नीचे गिर गई और उसका लंड मुझ को नंगी देख कर पहले से ही तना हुआ था।
मैंने उसके गले में बाहें डाली हुई थी और उसके होंटों को चूमने लगी।

नौकर पहले तो घबराया लेकिन जल्दी ही उस पर काम भूत सवार हो गया और वो मुझको बाहों में लेकर कमरे में बिस्तर पर लिटाने के लिए लाया तो मैंने उसके खड़े लन्ड को पकड़ लिया और उसको ऊपर नीचे करने लगी।

अब नौकर तो काम के वशीभूत हुआ पागल हो गया और मुझ पर चढ़ कर के एकदम तेज़ चुदाई शुरू कर दी।
उसने कोई 10-15 धक्के ही मारे होंगे कि उसके लंड से एक गर्म पिचकारी ने मेरे अंदर पानी छोड़ दिया।

लेकिन नौकर ने अपने लंड को मेरी चूत के अंदर से निकाला नहीं और जैसे कि मुझ को उम्मीद थी वो फिर से तैयार हो गया और अब की बार उस ने धीरे धीरे चुदाई शुरू की और काफी देर तक मुझको चोदता रहा।
महीनों की प्यास उसने एक दिन में ही मिटा दी लेकिन मेरी चूत की सेवा उस दिन के बाद वो हर रोज़ करने लगा और कभी कभी जब सास सो जाती थी तो मैं उसकी कोठरी में जाकर उसको तैयार कर लेती थी और वो मुझको सारी सारी रात चोदता था।

यह कहने के एकदम बाद चंचल भाभी उठी और मेरे खड़े लौड़े पर बैठ गई और धीरे धीरे मुझको चोदने लगी और मेरा एक हाथ रश्मि की चूत में उसकी भग को सहलाने में लग गया था और मैं उसके मम्मों को भी मसलने लगा।
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चंचल भाभी अपनी ही कहानी से इतनी गर्म हो चुकी थी कि वो सिर्फ दस बारह धक्कों में ही झड़ गई लेकिन मैंने उसको अपने ऊपर से उतार कर घोड़ी बना दिया और उसकी अति तीव्र चुदाई शुरू कर दी ताकि वो नौकर चाकरों की चुदाई को भूल जाए और यहाँ हुई ठाकुरों की असली चुदाई हमेशा याद रखे।

थोड़ी देर की तेज़ चुदाई के बाद चंचल भाभी स्खलित हो गई और हांफती हुई पलंग पर पसर पर गई, उसकी फैली हुई टांगों में स्थित चूत से सफ़ेद द्रव्य धीरे धीरे निकल रहा था और मेरे बिस्तर की चादर पर नक्शा बना रहा था।

कहानी जारी रहेगी।
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