मेरा गुप्त जीवन-72
(Mera Gupt Jeewan-72 College Ki Ladkiyan)
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कॉलेज की लड़कियाँ
थोड़ी देर बाद नाश्ता करके भैया और भाभी अपनी कार में बैठ कर गाँव चले गए, मैं भी नाश्ता करके कॉलेज चला गया।
आज कॉलेज के मुख्य गेट पर मुझको शानू और बानो मिल गई।
पाठकों को याद होगा नैनीताल ट्रिप में ये लड़कियाँ उन चार लड़कियों का ग्रुप था जो मेरे संपर्क में आईं थी। और मेरे ही कॉलेज में पढ़ती थी।
शानू बोली- सोमु यार, तुम तो ईद का चाँद हो गए हो, कभी मिलते ही नहीं?
मैं बोला- सॉरी दोस्तो, पीछे कुछ दिन बहुत बिजी था, मेरे घर में बहुत मेहमान आये हुए थे। बोलो क्या सेवा करें आप दोनों की?
शानू बोली- अभी टाइम है कुछ मिन्ट का तुम्हारे पास?
मैं बोला- हाँ हाँ, है क्यों नहीं, आप जैसी हसीनों के लिए टाइम ही टाइम है, तुम अर्ज़ करो क्या काम है?
शानू बोली- चलो फिर थोड़ी देर के लिए कैंटीन चलते हैं अगर कोई पीरियड नहीं है तुम्हारा तो?
मैं बोला- ठीक है आओ!
कैंटीन पहुँच कर मैंने पूछा- क्या खाएंगी या पियेंगी दोनों?
बानो बोली- एक एक कोक मंगवा लो यार!
मैं काउंटर पर गया और 3 कोक का आर्डर दे आया और वापस आकर उन दोनों के साथ बैठ गया।
पाठकों को याद दिला दूँ कि ये दोनों वही लड़कियाँ थी जिन्होंने मेरा अपहरण किया था जब मैं निम्मी और मैरी के कमरे से निकला था नैनीताल के होटल में।
कोक पीते हुए मैं बोला- शानू और बानो, कैसे हो आप दोनों, बड़े अरसे के बाद आपको मेरी याद आई जब कि बहुत सेवा की थी मैंने आप दोनों की नैनीताल में!
शानू हँसते हुए बोली- वही सेवा तो करवाने के लिए आई हैं तुम्हारे पास सोमू राजा।
मैं बोला- बोलो, क्या करना है मुझको?
शानू बोली- तुमने नैनीताल में बताया था कि तुम्हारे पास एक कोठी है जिसमें तुम रहते हो?
मैं बोला- हाँ है तो सही, बोलो क्या काम है?
शानू बोली- नैनीताल वाला किस्सा दोहराना है यार बस, और क्या करना है!
मैं थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला- देखो शानू, वहाँ मेरी हाउसकीपर भी है और एक कुक भी है, वहाँ तुमको वैसी प्राइवेसी नहीं मिल पाएगी जैसा कि नैनीताल में थी। बोलो उनके रहने से तुम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं तो फिर मैं बात कर लेता हूँ उन दोनों से?
शानू बोली- ठीक है कल सुबह बता देना।
मैं बोला- सिर्फ आप दोनों ही हैं या फिर कोई और भी है?
शानू बोली- अगर किसी और को बुलाएँ तो तुम को ऐतराज़ तो नहीं न?
मैं बोला- कोई और लड़का या लड़की?
बानो बोली- लड़की ही होगी। हम तुमको उससे मिलवा भी देंगे।
मैं बोला- अपने कॉलेज की है या कहीं और की?
शानू बोली- हमारी क्लास फेलो है यार, लंच टाइम में तुम को मिलवा देते हैं उसको!
मैं बोला- उफ़ मेरे मौला 3 तुम और एक मैं?
दोनों हंस पड़ी और शानू बोली- हमने देखा है कि कैसे तुम 4 को भी संभाल लेते हो!
मैं बोला- लेकिन हमारी हाउसकीपर की एक शर्त होती है, मेरे साथ जो भी लड़की आती है मेरे घर में वो सारे कार्यक्रम में उपस्थित रहती है और वो उस कार्यक्रम का संचालन भी करती है, बोलो मंज़ूर है?
शानू बोली- यह कैसी शर्त है सोमू यार. एक बूढ़ी औरत का वहाँ क्या काम?
मैं बड़े ज़ोर से हंसा- बूढ़ी औरत? अरे नहीं वो तो 22-23 की है और सेक्स में एक्सपर्ट है, तुम से यही कोई 3-4 साल बड़ी होगी।
शानू बोली- अच्छा हम सोच कर लंच टाइम में तुमको बताती हैं।
फिर हम सब अपनी अपनी क्लासों में चले गए।
लंच टाइम में शानू और बानो मिली और उनके साथ एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भी थी जिसका नाम उर्मिला था।
एकदम खिलता हुआ चेहरा, लालिमा भरी रंगत थी उसके चेहरे की और सिल्क की साड़ी में वो बेहद हसीन और सेक्सी लग रही थी। गोल गोल उभरे हुए उरोज और उसी तरह के गोल और मोटे चूतड़।
मैं तो उसको देखता ही रह गया।
फिर मैंने उनसे पूछा- क्यों शानू जी क्या फैसला किया आपने?
शानू बानो और उर्मि को देखते हुए बोली- ठीक है जैसा तुम ठीक समझो!
मैं बोला- एक और बात, क्या आप सब नॉन-वेज हैं या फिर टोटली वेज हैं?
शानू बोली- क्यों यह क्यों पूछ रहे हो?
मैं बोला-वाह शानू जी, आप हमारे घर आएँगी तो हम ठाकुर लोग आपको ऐसे थोड़े ही जाने देंगे? कुछ खातिर वातिर भी तो करना फ़र्ज़ बनता है हमारा।
शानू हँसते हुए बोली- वैसे उर्मि भी ठाकुरों के खानदान से है और हम सब नॉन-वेज हैं।
मैं बोला- ठीक है, कल का लंच आप सब हमारे घर में करेंगी। क्यों ठीक है न?
शानू सबको देखने के बाद बोली- ठीक है सोमू यार, तुम इतनी तक़ल्लुफ़ में क्यों पड़ रहे हो?
जब घर पहुँचा तो कम्मो ने खाना परोस दिया और पास ही बैठ गई।
मैंने उसको सारी बात बताई और कहा- कल लंच और आगे के कार्यक्रम के लिए मैं उन कॉलेज की लड़कियों को बोल आया हूँ और यह भी बता दिया है कि तुम हम सबके साथ रहोगी।
कम्मो हँसते हुए बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो दिन पर दिन बहुत ही समझदार हो रहे हो!
मैंने कम्मो को समझा दिया कि उन तीन लड़कियों में से दो तो मैंने चोद रखी हैं और तीसरी मेरे लिये नई कली है। साथ ही मैंने उसके गोल चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया।
वो भी मेरी गोद में आकर बैठ गई, मैंने उस को हॉट किस किया और उसके मम्मों को भी दबाया।
मेरा खाना खत्म हो चुका था, वो बर्तन लेकर चली गई।
उसको ठुमक ठुमक चलते देख कर सुमी भाभी की बहुत याद आ रही थी। क्या चीज़ थी यार और क्या चुदवाती थी!
हाँ, उसकी पुरानी प्यास थी लेकिन उसने कैसे उस पर काबू रखा, वो वाकयी सराहनीय था।
चलो कम्मो ने उसके पति को भी ठीक कर दिया और साथ में उसको एक बच्चे के सुख के भी योग्य बना दिया।
लेकिन उसका अपना क्या हुआ?
जब वो वापस आई तो मैं उसके हाथ को पकड़ कर अपने कमरे में ले गया और वहाँ उसको एक बहुत ही गर्म चुम्मी होटों पर कर दी।
मैंने जान कर अपनी एक टांग उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को छूने के लिए डाल दी।
तब मैंने उसको पूछा- कम्मो डार्लिंग, यह जो तुम्हारे पास बच्चों के बारे में जो हुनर है, उसका सही इस्तेमाल करो न, तुम पता लगाओ कैसे क्या करना है और मैं तुमको जगह और धन दिलवा दूंगा।
कम्मो बोली- वो सब मैंने पता कर लिया है, आप अगर इजाज़त दें तो मैं कोठी में एक छोटी कोठरी में अपना छोटा सा क्लिनिक खोल दूंगी।
मैं बोला- ठीक है, मैं आज ही मम्मी से बात करता हूँ, उनकी इजाज़त लेकर मैं यह तुम्हारे लिए कर देता हूँ, ठीक है?
कम्मो बोली- ठीक है।
फिर मैंने उसको कहा- तो चलो फिर एक छोटी सी चूत ही दे दो, बस इत्ता सा ही अंदर डालूँगा, सिर्फ डाला और निकाला, यही होगा!
कम्मो हँसते हुए बोली- मुझको सब मालूम है तुम कितना डालोगे और कितना निकलोगे।
यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी इत्यादि उतार दी और मैंने भी पैंट कमीज उतार दी।
फिर हम एक धीमी प्यारी सी चुदाई में लग गए, न ज़ोर का धक्का न ज़ोर का उछाला।
धीरे धीरे कभी न खत्म होने वाली चुदाई जिसमें दो जान एक शरीर हो जाते हैं, ना छुटाने की जल्दी न निकालने की जल्दी, हल्की प्यारी सी चूमा चाटी और फिर अंतहीन रगड़ा रगड़ी और साथ ही शारीरिक गर्मी उसकी मेरे में और मेरी उस में!
यह खेल खलते हुए ही हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए।
कहानी जारी रहेगी।
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