मेरा गुप्त जीवन- 16
(Mera Gupt Jeewan-16 Fulwa Aur Bindu)
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फुलवा और बिंदू
जैसे की मुझ को उम्मीद थी कि चम्पा जल्दी ही गर्भवती हो जायेगी और वैसा ही हुआ। वो शायद उस दिन की चुदाई के बाद से ही गर्भवती हो गई थी क्यूंकि उसको चुदाई में अब बिल्कुल ही आनन्द नहीं आ रहा था।
और फिर सबने देखा कि उसके चेहरे पर एक चमक आ गई है जिसको देख गाँव की औरतों ने कहना शुरू कर दिया था कि चम्पा को लड़का ही होगा।
फुलवा बता रही थी कि चम्पा का पति भी काफ़ी सुधर गया था, उसकी इज़्ज़त करने लगा था और उसकी अच्छी देखभाल कर रहा था।
चम्पा की इच्छा की पूर्ति देख कर मैं भी बहुत खुश था।
फुलवा के साथ चुदाई अभी भी जारी थी और क्यूंकि फुलवा अब अकेली मेरी देखभाल कर रही थी तो हम दोनों पति पत्नी की तरह रहने लगे थे।
पर मेरे मन में शायद यह डर था कि कहीं फुलवा का पति न वापस आ जाए और मुझको फुलवा से भी हाथ धोना पड़े।
मैं अब बड़ी कक्षा में हो गया था और मुझको काफी पढ़ना पड़ता था। इसी कारण मेरा और फुलवा का हर रोज़ का यौन कार्यक्रम नहीं हो पाता था, अब रोज़ की बजाये उसको हफ्ते में 3-4 दिन बार ही चोद पाता था और अक्सर मैं अपना नहीं छूटने देता था, मुझे उसके गर्भवती होने का भय भी लगा रहता था।
एक दिन फुलवा कमरे में आने के बाद अपने बिस्तर को बिछा लेने के बाद मेरे पलंग पर आकर बैठ गई। मुझको ऐसा लगा वो कुछ कहने की कोशिश कर रही है लेकिन किसी जिझक के कारण कह नहीं पा रही।
मैंने उसके ब्लाउज बटन खोलते हुए उससे पूछा- फुलवा, कुछ कहना है क्या?
वो बोली- आप बुरा तो नहीं मान जाओगे?
‘ऐसी क्या बात है कि मैं बुरा मान जाऊँगा?’
‘है ऎसी ही बात।’
‘तो बोलो क्या बात है?’
‘आप वायदा करो कि बुरा नहीं मानोगे?’
‘अरे बाबा नहीं बुरा मानूंगा। बोलो क्या बात है?’
‘मेरी एक सहेली है बिंदू, 5 साल हो गए शादी को लेकिन उसको अभी तक बच्चा नहीं हुआ।’
‘तो मैं क्या कर सकता हूँ?’
‘नहीं नहीं, मैं आपको कुछ करने के लिए नहीं कह रही!’
‘तो फिर?’
‘मैं सोच रही थी मैं अकेली आपको पूरी तरह चुदाई में तसल्ली नहीं दे पाती शायद?’
‘नहीं नहीं, ऐसा मत सोचना कभी, तुम मेरे लिए काफी हो।’
‘वही तो…’ लेकिन मालकिन कह रही थी कि छोटे मालिक के लिए एक और कामवाली ढूंढनी चाहिए। इसीलिए मैं सोच रही थी कि मेरी सहेली बिंदू को यहाँ आप के काम के लिए रखवा दूँ क्यूंकि पता नहीं कब मेरा पति भी वापस आ जाए? तब आपके पास कोई कामवाली नहीं रहेगी ना!’
‘हाँ कह तो ठीक रही हो, कौन है यह बिंदू?’
‘अरे छोटे मालिक देखोगे तो देखते रह जाओगे, बिल्कुल चम्पा की तरह है उसकी बनावट, और उसका पति भी मुम्बई गया है और लौट के नहीं आ रहा।’
‘अच्छा तो कल लाना उसको, मैं देख लेता हूँ उसको?’
और फिर मैंने फुलवा को नंगी करके चोदना शुरू कर दिया, पहले धीरे और फिर बाद में तेज़ी से।
वो आम दिनों की तरह 3-4 बार छूट गई और हम नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सो गए।
अगले दिन दोपहर को वो एक काफी अच्छी दिखने वाली लड़की को लेकर आई और बोली- यह बिंदू है मेरी सेहली।
मैंने कहा- इसको काम बता दो, अगर इसको वो सब मंज़ूर हो तो मम्मी से बात कर लो।
फुलवा बोली- इसको सब समझा दिया है और जैसा हम करती हैं, वैसे ही यह भी करेगी।
‘ठीक है, कितनी उम्र इसकी?’
‘यह 21-22 की है और 4 साल शादी के बाद भी इसके बच्चा नहीं हुआ अब तक… तो बेचारी बहुत परेशान है।’
‘आखरी बार इसका पति कब आया था?’
‘2 साल हो गए छोटे मालिक!’
‘अच्छा, चलो मम्मी से पूछ लेना और मुझ को बता देना, ठीक है?’
मुझको बिंदू ठीक ही लगी और थोड़ी देर बाद मम्मी फुलवा और नई लड़की बिंदू के साथ मेरे कमरे में आई और बोली- सोमू, यह नई लड़की तुम्हारे काम के लिए रखी है तुम और फुलवा इसको सारा काम समझा देना। ठीक है न?
मैंने कहा- ठीक है मम्मी, लेकिन अब मैं बड़ा हो गया हूँ मुझको कामवाली लड़कियों की कोई ज़रुरत नहीं है।
‘अरे नहीं सोमू, फुलवा बता रही थी कि तुम रात को बहुत डर जाते हो कभी कभी। इसका मतलब है कि तुमको अभी भी बुरे सपने बहुत आते हैं। ये दो लड़कियाँ रहेंगी तुम्हारे पास तो पूरा ख्याल करेंगी तुम्हारा। क्यों लड़कियो? रखोगी न पूरा ध्यान?’
‘जी मालकिन!’ दोनों एक साथ बोल पड़ी।
‘अच्छा ठीक है फुलवा, तुम सोमू की पूरी देखभाल करोगी और बिंदू तुम्हारी इस काम में मदद करेगी, दोनों रात इसी कमरे में ही सोना। ठीक है?’
दोनों ने सर हिला दिया और फिर मम्मी चली गई।
तब फुलवा बिंदू को काम समझाने लगी। अभी वो बातें कर ही रही थीं, मैं सो गया। शाम को उठा तो फुलवा को आवाज़ लगाई।
जब वो आई तो मैं उससे चम्पा का हाल पूछा।
वो कहने लगी- चम्पा को बहुत उल्टियाँ आ रही हैं और बेचारी कुछ खा पी नहीं रही है। कह रही थी कि जब तबियत थोड़ी ठीक होगी तो वो आपसे मिलेगी।
मैंने कुछ सोचते हुए फुलवा से कहा- देखो मुझको इस नई कड़की के बारे में चिंता हो रही है। क्या तूने चुदाई का कार्यक्रम भी उसको बता दिया था?
फुलवा बोली- बताया तो था छोटे मालिक, लेकिन पूरी तरह खोल कर नहीं बताया था।
‘क्या तुमने उसको चुदाई के खेल के बारे में बताया था?’
वो सर नीचे करके बोली- नहीं मालिक, पूरी तरह से शायद उसको अभी समझ नहीं आया होगा। मैंने तो सिर्फ यह कहा था कि हम दोनों वहाँ मौज करेंगी।
‘अरे वाह! उसको समझा देना अभी से… वरना वो हमारे लिए मुसीबत बन सकती है फुलवा!’
मैं परेशान हो गया यह जान कर कि बिंदू की सहमति नहीं हमारे चुदाई कार्यकर्म के बारे में। यानि उसको पूरी बात की जानकारी नहीं है अभी तक।
मैं फुलवा को डाँट कर बोला- क्या फुलवा, तुमको यहाँ लाने से पहले उसकी रज़ामंदी ले लेनी थी। खैर तुम अब जाकर उसको समझा देना, अगर कुछ न नुकर करे तो वापस भेज देना या दूसरे काम पर लगा देना। समझ गई न?
फुलवा रुआंसी हो रही थी और जल्दी से बाहर चली गई। रात हुई तो खाने के बाद मैं अपने कमरे में आकर लेटा ही था कि फुलवा आ गई, साथ में बिंदू भी थी।
फुलवा मेरे दूध का गिलास लेकर आई थी और बिंदू पूरा पल्लू सर पर ढक कर खड़ी थी।
फुलवा बोली- छोटे मालिक, आज हम दोनों आप शरीर को दबाएँगी क्यूंकि बड़ी मालकिन कह रहीं थी कि आज आप बहुत थक गए होंगे स्कूल में खेल कर… हम दबाएँ आपको?
यह कहते हुए फुलवा ने मेरे को आँख का इशारा किया।
मैंने कहा- ठीक है मैं आज बहुत थक गया हूँ।
मैं बीच मैं लेट गया और वो दोनों मेरी बगल में आकर बैठ गई। पहले फुलवा ने शुरू किया और मेरे टांगों को हल्के हल्के दबाना शुरु कर दिया।
एक टांग फुलवा दबा रही थी और दूसरी बिंदू दबा रही थी। बिंदू का हाथ बहुत हल्का था जबकि फुलवा काफी ज़ोर से दबा रही थी।
मैंने आँखें बंद कर ली।
तभी महसूस किया कि फुलवा का हाथ मेरी जांघों को दबा रहा था और बिंदू अभी भी हल्के हाथ से टांग को ही दबा रही थी।
मैंने अधमुंदी आँख से देखा कि फुलवा ने बिंदू को इशारे से ऊपर को दबाने के लिए कहा।
बिंदू झिझकते हुए अपना हाथ मेरी जांघों तक ले आई, 5-7 मिन्ट ऐसे ही दबाती रहीं दोनों।
तभी फुलवा ने शरारत करते हुए अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और फिर जल्दी से हटा भी लिया।
इस हरकत से मेरा लंड अपने आप खड़ा होने लगा और मेरा पायजामा एक तम्बू बनता गया।
मैं आँखें बंद किये पड़ा रहा और तब दबी मुस्कान से फुलवा ने बिंदू का हाथ भी मेरे लौड़े पर रख दिया और बिंदू ने झट से हाथ हटा लिया और जांघों पर दबाती रही।
फुलवा अब दबाते हुए मेरे लंड से भी खेलने लगी।
कहानी जारी रहेगी।
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