मराठी सेक्स कहानी, हिंदी में अनुवाद
इस कहानी का हिंदी अनुवाद नीचे है.
रम रम सगलया इस्स वचकना। मे विसकी पुनयचा। मज़ वय 32। मे इस्स चया गोशति नेहमि वचतो। मे पहिलयनदच मज़ा अनुभव लिहितोय। मज़ा बुल्ला 7 इनचचा आहे आनि गेले 22 वरशे कम करतोय ( खोत वत्तया ना। )। आता मे गेलया 21 औगसत ला घदलेलि खरि घतना सनगतोय। हि गोशत आहे मजया कमवलिला गरम करुन करुन मज़ि पेरसोनल रानद बनवलयचि।
मज़या घरि वैशलि नवचि 20 वयचि कमवलि आहे। तिला कुनि कमवलि महनुच शकत नहि। हिनदि सिनेमतलया इतेम सोनग गनयचि हेरोइने वतते। पोरगि अजुन कुवरि होति। तिचया गलवरचा तिल मला नेहमि गरम करयचा। गेले 2 महिने मि तिला अनगखलि घययचा परयतना करत होतो।
मझया बेदरूम चि सफ़ै तिच करते। मज़ि बयको सकलि 9।00 वजता कमला जते। मज़ि पेहलि चाल : मे बथरूम मधये जऊन मझया फ़रेनचि उनदेरवेअर वर मुथ मरून मज़ा चिक गलयला लगलो। या चिकवर थोदा थुनकयचो आनि ति चद्दि दरमगे लतकवून थेवयचो। धूवयचे कपदे गोला करतना तो चिक तिला हतला चितकयचा। मे दोनदा तिचा हत चिकत झलेला चोरुन पहिला होता।
एक दिवशि मे मझया निघत पनतचया खलचया बतनतुन मझा बुल्ला बहेर कधला। दोन पयतुन मझया फ़सत गोतया दिसतिल असा पोतवर पय फ़कवून ज़ोपलो। मझा गोतयवर भरपुर झत होति। 9।15 ला वैशलि वर आलि। दोन मिनिततच तिचि नजर मज़या गोतयवर पदलि। तिन मे ज़ोपलयचि खत्रि केलि आनि गोतया बघू लगलि। हे सगला कपतचया आतलया आरशयत मे पहत होतो। पोरगि गरम वहययला लगलि। तिचा दवा हथ तिचया दवया आमयला चोलु लगला होता। ऊजवया हत ति मज़या गोतयकदे आनयला लगलि पन गोतयना हत ना लवतच ति मगे फिरलि आनि खलि निघून गेलि। ति गेलयवर 10 मिनितननतर मि ऊथलो, दात घसले आनि वरूनच तिला आनघोलिसथ गरम पनि आनयला सनगितले। आनि एकदुम मला नवि इदेअ सुचलि। मे मझया कखेत दधिचा सबन लवला, आअनि ऊजवया हतत दधिचे खोरे घेऊन तिचि वत पहु लगलो। ति येत असलयच चहूल घेऊन कखेतले केस कधू लगलो। यवेलि मज़या कमरेला फ़कत तोवेल गुनदलला होता। ति पनि घेऊन आलि। आनि तिने मला कखेतले झत कधतना बघितले। ति महनलि “सिर, पनि” आनि तिथून पलून गेलि।तया ननतर मे रोजचि मूथ मरलि। आनघोल केलि आनि आवरून कमला गेलो।
पोरितला बदल मज़या लक्षत येत होया। ननतरचे 4 दिवस मे तसला कहि केला नहि।मज़यकदे बरिच क्सक्सक्स पुसतक आनि सद आहेत। तयतलि 2 खूप घनेरदि फोतोचि पुसतके इसत्रिचया कपदयखलि लपवलयसरखि ऊघदून थेवलि। थेवतना वैशलिला पुसतके दिसतिल यचि खबर घेतलि। मग मे ओफ़्फ़िसेला निघून गेलो। तया दिवशि मे मुद्दम 4 वजता लवकर घरि आलो। बेल्ल वजवलयवर वैशलिला दार ऊघदयला वेल लगला। दरवजा ऊघदलयवर मे वैशलिला नित बघितले। ऐखदि गरम बै एकदुम गार ज़लयवर जशि दिसते तशि वैशलि दिसत होति। मि विचरले “ ज़ोपलि होतिस का?” ति हो महनलि। मग मे बेदरूम मधये गेलो आनि गुपचुप पूसतके बघितलि तर गदबदित ति पूसतक थेवलि होति। मे परत गेलो आनि 5 वजता आलो , आता पूसतक नित थेवलि होति। वैशलि पन आता रेलक्स वतत होति।
मे रोज तिथे पूसतक थेऊ लगलो। रोज पूसतक वचून परत वैशलि आहे तशि थेवयचा परयतना करयचि। पूसतकत फ़र हलकत ज़वज़विचे फोतो ति बघयचि। पूसतकत 2 बयकनचा समभोग, लवदा चतयचे फोतो पन होते। आता मि घरिच थमबयला लगलो। वैशलिचि खूप चिदचद ज़लि। आता तिला दुपरि पूसतके वचता येत नवहति। आता दुपरि मे क्सक्सक्स सद सोमपुतेर वर पहयला लगलो। वैशलि पन लपून हे पहू शकेल यचि मे वयवसथा केलि। दरवजला चैन लवून मे सद बघयचो। मोनितोर चया ससरीन दरवजकदे होता। आनि ससरीनवर दरवजचे रेफ़लेसतिओन दिसयचे। मला महिति होता कि मझ समन ( वैशलि ) यत पन फसनर, पन यला 12 दिवस लगले। तया दिवशि मे गनद मरयचि बलुए फ़िलम बघत होतो। लुनद बहेर कधून मुथ मरत हतो। मला दरवजयचया रेफ़लेसतिओन मधये हलचल दिसलि। मे जोरजोरत मूथ मरु लगलो। 5-7 मिनितत मझया चिकचा फ़वरा ऊदतना वैशलिने बघितला। मग मे मझा चिक मज़या छतिला चोलला आनि मज़या निप्पले वर पन लवला। थोदा चिक मुद्दम चतला। वैशलि सगले पहत होति। सद समपलि, वैशलि निघून गेलि होति, मे पस बनद केला । कपदे आवरून खलि गेलो। वैशलि चोरुन मज़या पनत कदे पहत होति।
आता मे या सगलया मेहेनतिचा फल खयचा निरनय घेतला, करन मज़ि बयको मुमबैला तिचया मवशिकदे पुजेसथि जनर होति। मे बयकोला सकलि 6।00 वजता पुने सततिओनवरुन वोलवो मधये बसवून दिले। घरि येऊन वशलिचया सवपनत ज़ोपि गेलो।मे 8।00 वजता ऊथलो, वैशलि 8।15 ला आलि। बरुश करून मे तिचयकदून चहा पिलो। शेवतचे तपवून मग तिचयवर चधयचे थरवले। मे मज़ि झत त्रिम्मेर ने सनदस मधये कपून तकलि आनि तशिच तिला दिसतिल अशि रहून दिलि, मग बथरूम मधये आनघोल केलि। खलि येवून वैशलि कदून नशता केला।
तिला सनगितले “मे आज ओफ़्फ़िसेला जनर नहि , वरति सोमपुतेर वेर कम करिन।” वरति येवून मे एक पतल दोरि दरवजयचया सतोप्पेरला आनि मज़या सोमपुतेर चैरला बनधलि। तयमुले मे जर चैर हलवलि तर दरवजा ऊघदेल। दरवजा दोन वेला चैर हलवून ऊघदतो का ते बघितले। 11।00 वजता पस चलु केला। खूप हलकत सद लवलि। मे नगदा ज़लो आनि मूथ मरयला लगलो पन आज मज़ सगला लक्षया दरवजकदे होते।11।20 ला वैशलि सनदस मधये गेलि। दहा मिनितननतर फ़लुशचा आवज आला। मला वततया पोरगि मज़ि झत बघून तिथेच गरम ज़लि असवि। 10-12 मिनितननतर मोनितोरचया ससरीनवर दरवजयचया परकशत थोदि हलचल दिसलि। मे समजलो मज़ि जवन हसिना आलि। मे मूथ मरना चलू थेवला। ति ससरीन वर ज़वज़वि बघत होति। मे 7-8 मिनुते वात पहिलि। आता मे जोरत मज़या उजविकदे चैर सरकविलि। दरवजा अरधा ऊघदला। तिचा उजवा हात सलवर वरुन पुच्चि चोलत होता आनि दवा हात दवया आमयला दबत होता। मे तिचयसमोर नगदा ऊभा झलो, 2 सेसोनद तिला कहि कलले नहि, तो परयनत मे तिचया जवल पोहोचलो होतो, तिने पलून जयचया परयतना केला पन तोपरयनत मे तिला मगून पकदले होते। तिचा उजवा थन (अम्मा) मझया दवया हततचया पनजत आनि दवा थन (अम्मा) उजवया हतचया पनजत पकदले। तिचे अम्मे गुबगुबित होते। मे तिला मज़या छतिवर दबून घेतले। मज़ा लवदा तिचया गनदिचया चिरेत दबला। आता ति कहि करु शकत नवति। मे लघेच तिचे थन दबयला सुरुवत केलि , कुत्रसरखे तिचया गनदिवर चधयला लगलो। तिचि मान चतयला लगलो , तिचया कानचि पलि दतत धरून ओधयला लगलो। ति कहि बोलयचया आत तिचा उजवा अम्मा आनि कमर पकदून तिला गदिवर तकले। तिचा दवा हात मजयखलि फसवला आनि उजवया हतने तिचा ऊजवा हात तिचया मनेखलून पकदला। तिचया दोनहि पयत मज़ा दवा पाय तकून तिचे पाय फकवले। आता मे तिचया सलवरचि नदि खोललि। सलवर मधये हात घतला, आत निसकेर नवति। मधलया बोतने तिचा दना चोलयला लगलो। तिचि जवन चाति वरखलि होत होति।
ति पहिलयनदा बोललि “ददा , खलि नको वर कर” मे लक्षया दिले नहि। पन मे मज़ि छति तिचया अम्मयवर दबून तिचया ओथला मज़या ओथनि बनद केले। 4-5 मिनुतननतर ति मला साथ दययला लगलि। तिने जीभ मज़या जिभेला घसयला सुरवत केलि आनि मज़या खलि अदकलेलया हतने मज़ि पाथ चोलु लगलि। पोरगि मज़यखलि ज़ोपयला आता तयर होति, मज़यकदून फलवून घयाला पन तयर होति। आता मे पुरनपने तिचयवर ज़ोपलो। मज़ा बुल्ला तिचया पुचिवर होता। मे किस्सिनग थमबवले। तिचे ओथ मज़या ललेमुले चिकत ज़ले होते। ति महनलि “ दोन मिनुते थमबा न” मे महनलो “कशला ?” ति बोललि “पलेअसे” । मे तिचयवरून बजुला हतलो। मज़या शरिरकदे नीत पहु लगलि। मज़या छतिवरून हात फरवत महनलि “रोज केस कधता क” मे महनलो “आता तुज़ि छति दखव, कपदे कध” ति महनलि “ तुमहिच कध” मे महनलो “मे फदून कधील” ति घबरलि आनि कपदे कधू लगलि। बरैस्सेर नवहति। नगदि ज़लयवर तिला जवल घेतले। ति अम्मे लपवत होति। मे तिला जवल घेऊन तिचा दवा अम्मा चतयला लगलो आनि उजवा दबयला लगलो। तिने मज़ि मान तिचया अमयवर दबलि। मि तिहया बोनदिवर जीभ फिरवु लगलो। तिला माज ययला लगला। मे आता तिचया कहेतले केस चतयला आनि दतने ओधयला लगलो। ति महनलि “मझि ज़त कधनर क” मे गप्प रहिलो। आता मे मधले बोत तिचया पुचिवर फिरवत होतो। मे बोत तिचया पुछित घतले। ति ताथ ज़लि, मज़ा हात दोन पयत पकदून थेवला आनि मज़े तोनद अम्मयवर दबून थेवले। वैशलिचा चिक निचत होता। मज़ा हात तिचया पनधरया चिकने बरबतला। थोदया वेलने ति रेलक्स ज़लि। मे तिचा चिक चतला आनि तिला पन तिचा चिक चतयला लवला।
तिला विचरले “खुश का?” ति हो महनलि। मे महनलो “आता मला खुश कर” ति महनलि “काय करु” मे महनलो “ लवदा चत”। ति लनचे तोक चतु लगलि। मे महनलो “पुरन चत” ति अक्कहा चतु लगलि। मग मे तिला गोतया चतयला सनगितले। तिने गोतया तोनदत घेऊन जीहेने चतु लगलि।
तयननतर तिला खलि ज़ोपवले। तिचे पाय फकवून तिचया पयत बसलो। तिचया दनयवर लनद घसयला लगलो। 5 मिनुते दना रगदलयवर लुनद तिचया फतित थेवयला लगलो तर महनलि “हलु करा, पहिलयनदा करतिय” मे महनलो “ मग रकत ययला पहिजे, तु नहयलिस केवह”ति समजलि आनि महनलि “दिरेसत चधा कहि कलजि करु नक” मे पहिला जोरदर दनका लवला, अरधा लुनद एका दनकयत तिचया पुचित होता, ति जोरत ओरदलि “आईईईइ……।ग्गग्ग”तिचया आवजनि मला जोर आला। मे जोरजोरत तिला ज़वु लगलो। तिचया कोवया तजया पुचवर मे 20 मिन। चधत होतो। ति आता सवरलि होति आनि ति पन खलून गनद उचलून ज़वून घेत होति। 3 वेला ति शनत ज़लि होति। मग 3 मिन। खूप जोरजोरत ज़वून तिचया पुचित मज़ा चिक फवरला। आनि तिचयवर निजून रहिलो।शनत ज़लयवर ऊथलो,बुल्ला पुचितुन बहेर कधला। तो तिचया चिकनि आनि रकतनि भरला होता। तिचि पुचि, झत, दना, गनद लल-पनधरया चिकनि बरबतलि होति। तिचया पुचिचे भोक मोथा ज़ल होत। मे तिला जबरदसतिन लुनद चतुन साफ़ करयला लवला। तिचा चिक आनि रकत तिचया अम्मयला चोलले। आनि तिलपन चतयला दिले। पन सगले होवूनसुद्दहा वैशलि खूश होति।
मला नोरमल्ली 40-45 मिन। लगतत , पन या पोरिन मला 20 मिनुतत ज़दयला लवले।
कामवाली को गरम करके चोदा
राम राम सबको, मैं विश्वजी पांडे हूँ।
मेरा उम्र 32 है। मैं इन चाय की कहानियाँ हमेशा पढ़ता हूँ।
मैं पहली बार अपना अनुभव लिख रहा हूँ।
मेरा लंड 7 इंच का है और पिछले 22 साल से काम कर रहा है (झूठ लगा ना?)
अब मैं पिछले 21 अगस्त को घटी सच्ची घटना बता रहा हूँ।
ये कहानी है मेरी कामवाली को गरम करके उसे मेरी पर्सनल रंडी बनाने की।
मेरे घर पर वैशाली नाम की 20 साल की कामवाली है।
उसे कोई कामवाली नहीं कह सकता।
हिंदी फिल्मों की आयटम सॉन्ग गाने वाली हीरोइन जैसी लगती है।
लड़की अभी कुंवारी थी।
उसके गले पर का तिल मुझे हमेशा गरम करता था।
पिछले 2 महीने से मैं उसे पटा लेने की कोशिश कर रहा था।
मेरे बेडरूम की साफ-सफाई वो करती थी।
मेरी बीवी सुबह 9:00 बजे काम पर जाती थी।
मेरा पहला कदम: मैं बाथरूम में जाकर अपनी फ्रेंच अंडरवियर पर मुठ मारकर अपना चीक (वीर्य) बहाने लगा।
इस चीक पर थोड़ा थूकता था और वो चड्डी लटकाकर रखता था।
धोने के कपड़े इकट्ठा करते वक्त वो चीक उसके हाथ से चिपक जाता था।
मैंने दो बार उसका हाथ चिपचिपा होते हुए चुपके से देखा था।
एक दिन मैंने अपनी ढीली पैंट के नीचे के बटन से अपना लंड बाहर निकाला।
दोनों पैरों से मेरी फटी हुई गोटियाँ दिखें ऐसी पोज़ में पैर फैलाकर सो गया।
9:15 पर वैशाली ऊपर आई।
दो मिनट में ही उसकी नज़र मेरी गोटियों पर पड़ी।
उसने मेरे सोये होने की पक्की जानकारी की और गोटियों की तरफ देखने लगी।
ये सब अलमारी के अंदर के शीशे में मैं देख रहा था।
लड़की गरम होने लगी।
उसका बायाँ हाथ उसके बाएँ चूचे को मसलने लगा था।
दाएँ हाथ से वो मेरी गोटियों की तरफ लाने लगी, लेकिन गोटियों को हाथ लगाए बिना वो पीछे मुड़ी और नीचे चली गई।
वो गई तो 10 मिनट बाद मैं उठा, दाँत साफ़ किये और ऊपर से ही उसे नहाने के लिए गरम पानी लाने को कहा।
और अचानक मुझे नया आइडिया सूझा।
मैंने अपनी कांख में दाढ़ी का साबुन लगाया और दाएँ हाथ में दाढ़ी का ब्रश लेकर उसकी राह देखने लगा।
वो आने की आहट पाकर कांख के बाल काटने लगा।
इस वक्त मेरी कमर पर सिर्फ़ तौलिया लपेटा हुआ था।
वो पानी लेकर आई और उसने मुझे कांख के बाल काटते हुए देखा।
वो बोली, “सर, पानी” और वहाँ से भाग गई।
उसके बाद मैंने मुठ मारी, नहाया और तैयार होकर काम पर गया।
लड़की में हो रहे बदलाव मैं देख रहा था।
अगले 4 दिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया।
मेरे पास काफ़ी XXX किताबें और CD हैं।
उनमें से 2 बहुत गंदे फोटो वाली किताबें इस्त्री के कपड़ों के नीचे छुपाये जैसे खुली रख दीं।
रखते वक्त वैशाली को किताबें दिखें, इसकी सावधानी ली।
फिर मैं ऑफ़िस के लिए निकल गया।
उस दिन मैं जानबूझकर 4 बजे जल्दी घर आया।
बेल बजाई तो वैशाली को दरवाज़ा खोलने में वक्त लगा।
दरवाज़ा खुला तो मैंने वैशाली को ठीक से देखा।
जैसे कोई गरम औरत अचानक ठंडी हो जाए वैसे वैशाली दिख रही थी।
मैंने पूछा, “सो रही थी क्या?
वो “हाँ” बोली।
फिर मैं बेडरूम में गया और चुपके से किताबें देखीं, तो जल्दबाज़ी में वो किताबें रखी थीं।
मैं वापस गया और 5 बजे आया, अब किताबें ठीक रखी थीं।
वैशाली भी अब रिलैक्स लग रही थी।
मैं रोज़ वहाँ किताबें रखने लगा।
रोज़ किताबें पढ़कर वैशाली जैसी थी वैसी रखने की कोशिश करती थी।
किताबों में बहुत गंदे चुदाई के फोटो वो देखती थी।
किताबों में 2 औरतों का समलैंगिक सेक्स, लंड चाटने के फोटो भी थे।
अब मैं घर पर ही रुकने लगा।
वैशाली बहुत चिड़चिड़ करने लगी।
अब उसे दोपहर में किताबें पढ़ने को नहीं मिलती थीं।
अब दोपहर में मैं XXX CD कम्प्यूटर पर देखने लगा।
वैशाली भी छुपकर ये देख सके इसके लिए मैंने इंतज़ाम किया।
दरवाज़े पर चेन लगाकर मैं ब्लू फिल्म देखता था।
मॉनिटर की स्क्रीन दरवाज़े की तरफ़ थी और स्क्रीन पर दरवाज़े का रिफ्लेक्शन दिखता था।
मुझे पता था कि मेरे सामने (वैशाली) आएगी लेकिन फँसेगी.
पर इसमें 12 दिन लग गए।
उस दिन मैं गांड मारने की ब्लू फिल्म देख रहा था।
लंड बाहर निकालकर मुठ मार रहा था।
मुझे दरवाज़े के रिफ्लेक्शन में हलचल दिखी।
मैं जोर-जोर से मुठ मारने लगा।
5-7 मिनट में मेरा चीक का फवारा उड़ते हुए वैशाली ने देखा।
फिर मैंने अपना चीक अपनी छाती पर मला और अपने निप्पल पर भी लगाया।
थोड़ा चीक जानबूझकर चाटा।
वैशाली सब देख रही थी।
फिल्म ख़त्म हुई, वैशाली चली गई थी, मैंने पंखा बंद किया।
कपड़े पहने और नीचे गया।
वैशाली चुपके से मेरी पैंट की तरफ़ देख रही थी।
अब मैंने इस सारी मेहनत का फल खाने का फ़ैसला किया।
क्योंकि मेरी बीवी मुंबई अपनी मौसी के पास पूजा के लिए जाने वाली थी।
मैंने बीवी को सुबह 6:00 बजे पुणे स्टेशन से वॉल्वो में बिठा दिया।
घर आकर वैशाली के सपनों में सो गया।
मैं 8:00 बजे उठा, वैशाली 8:15 को आई।
ब्रश करके मैंने उससे चाय पी।
आख़िरी बार उसे गर्म करके फिर उस पर चढ़ने का तय किया।
मैंने अपनी झांट ट्रिमर से टॉयलेट में काट दी और ऐसे ही उसे दिखे, ऐसा छोड़ दिया।
फिर बाथरूम में नहाया।
नीचे आकर वैशाली से नाश्ता किया और उसे कहा, “मैं आज ऑफ़िस नहीं जाऊँगा, ऊपर कम्प्यूटर पर काम करूँगा।”
ऊपर आकर मैंने एक पतली डोरी दरवाज़े के मुट्ठे से और अपनी कम्प्यूटर चेयर से बाँध दी।
इससे अगर मैं चेयर हिलाऊँ तो दरवाज़ा खुलेगा।
दरवाज़ा दो बार चेयर हिलाकर खुलता है क्या ये देखा।
11:00 बजे पंखा चालू किया।
बहुत गंदी फिल्म लगाई।
मैं नंगा हो गया और मुठ मारने लगा.
लेकिन आज मेरा सारा ध्यान दरवाज़े पर था।
11:20 को वैशाली टॉयलेट में गई।
दस मिनट बाद फ्लश का आवाज़ आया।
मुझे लगा लड़की मेरी झांट देखकर वहीं गरम हो गई होगी।
10-12 मिनट बाद मॉनिटर की स्क्रीन पर दरवाज़े के परावर्तन में थोड़ी हलचल दिखी।
मैं समझ गया, मेरी जवानी की हसीना आ गई।
मैं मुठ मारना चालू रखा।
वो स्क्रीन पर चुदाई देख रही थी।
मैंने 7-8 मिनट इंतज़ार किया।
अब मैंने जोर से अपनी दाईं तरफ़ चेयर खिसकाई।
दरवाज़ा आधा खुल गया।
उसका दायाँ हाथ सलवार पर से चूत मसल रहा था और बायाँ हाथ बाएँ चूचे को दबा रहा था।
मैं उसके सामने नंगा खड़ा हो गया।
2 सेकंड उसे कुछ समझ नहीं आया, तब तक मैं उसके पास पहुँच गया था।
उसने भागने की कोशिश की.
लेकिन तब तक मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया था।
उसका दायाँ चूचा मेरे बाएँ हाथ की पंजे में और बायाँ चूचा दाएँ हाथ की पंजे में पकड़ा।
उसके चूचे गोल-मटोल थे।
मैंने उसे अपनी छाती पर दबा लिया।
मेरा लंड उसकी गांड की दरार में दब गया।
अब वो कुछ नहीं कर सकती थी।
मैंने तुरंत उसके चूचे दबाना शुरू किया। और मैं कुत्ते की तरह उसकी गांड पर चढ़ने लगा, उसकी गर्दन चाटने लगा, उसके कान का लटकन दाँतों में पकड़कर खींचने लगा।
उसके कुछ बोलने से पहले उसका दायाँ चूचा और कमर पकड़कर उसे गद्दे पर फेंका।
उसका बायाँ हाथ मेरे नीचे फँसा दिया और दाएँ हाथ से उसका दायाँ हाथ उसकी गर्दन के नीचे से पकड़ा।
उसके दोनों पैरों में मेरा बायाँ पैर डालकर उसके पैर फैलाये।
अब मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला।
सलवार में हाथ डाला, अंदर चिकनाहट नहीं थी।
बीच की उँगली से उसका दाना मसलने लगा।
उसकी जवानी छाती पर ऊपर-नीचे हो रही थी।
वो पहली बार बोली, “दादा, नीचे नहीं, ऊपर करो।”
मैंने ध्यान नहीं दिया।
लेकिन मैंने अपनी छाती उसके चूचों पर दबाकर उसके होंठ मेरे होंठों से बंद कर दिये।
4-5 मिनट बाद वो मुझे साथ देने लगी।
उसने जीभ मेरी जीभ से रगड़ना शुरू किया और मेरे नीचे फँसे हाथ से मेरी पीठ मसलने लगी।
लड़की मेरे नीचे सोने को अब तैयार थी, मेरे से फटवाने को भी तैयार थी।
अब मैं पूरी तरह उस पर लेट गया।
मेरा लंड उसकी चूत पर था।
मैंने किसिंग बंद की।
उसके होंठ मेरी लार से चिपचिपे हो गए थे।
वो बोली, “दो मिनट रुक ना।”
मैंने कहा, “क्यों?”
वो बोली, “प्लीज़।”
मैं उस पर से हट गया।
मेरे शरीर की तरफ़ ठीक से देखने लगी।
मेरी छाती पर हाथ फेरते हुए बोली, “रोज़ बाल काटता है क्या?”
मैंने कहा, “अब अपनी छाती दिखा, कपड़े उतार।”
वो बोली, “आप ही उतारो।”
मैंने कहा, “मैं फाड़कर उतारूँगा।”
वो घबरा गई और कपड़े उतारने लगी।
उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
उसके नंगी होने पर मैंने उसे अपने पास खींचा।
वो अपने चूचे छुपा रही थी।
मैंने उसे पास लेकर उसका बायाँ चूचा चाटना शुरू किया और दायाँ दबाने लगा।
उसने मेरी गर्दन अपने चूचों पर दबाई।
मैं उसके निप्पल्स पर जीभ फिराने लगा।
उसे मज़ा आने लगा।
मैं अब उसकी कांख के बाल चाटने और दाँतों से खींचने लगा।
वो बोली, “मेरी झांट काटेगा क्या?”
मैं चुप रहा।
अब मैं बीच की उँगली उसकी चूत पर फिरा रहा था।
मैंने उँगली उसकी चूत में डाली।
वो तड़प उठी, मेरा हाथ दोनों पैरों में पकड़कर रखा और मेरा मुँह चूचों पर दबाकर रखा।
वैशाली का चीक निकल रहा था।
मेरा हाथ उसकी सफ़ेद चिकनी जाँघों से बारबट गया।
थोड़ी देर बाद वो रिलैक्स हो गई।
मैंने उसका चीक चाटा और उसे भी उसका चीक चटवाया।
उसे पूछा, “मजा आ रहा है क्या?”
वो “हाँ” बोली।
मैंने कहा, “अब मुझे खुश कर!”
वो बोली, “क्या करूँ?”
मैंने कहा, “लंड चाट!”
वो लंड का टोप चाटने लगी।
मैंने कहा, “पूरा चाट।”
वो पूरा चाटने लगी।
फिर मैंने उसे गोटियाँ चाटने को कहा।
उसने गोटियाँ मुँह में लेकर जीभ से चाटना शुरू किया।
उसके बाद उसे नीचे लिटाया।
उसके पैर फैलाकर उसके पैरों में बैठ गया।
उसके दाने पर लंड घिसने लगा।
5 मिनट दाना रगड़ने के बाद लंड उसकी चूत की फट में रखने लगा।
वो बोली, “हल्के करो, पहली बार कर रही हूँ।”
मैंने कहा, “तो खू/न आएगा. तू महीने से कब हुई थी?”
वो समझ गई और बोली, “डायरेक्ट चढ़ो, कोई चिंता मत करो।”
मैंने पहला ज़ोरदार धक्का लगाया।
आधा लंड एक धक्के में उसकी चूत में था।
वो ज़ोर से चिल्लाई, “आईईई… ग्गग्ग।”
उसकी आवाज़ से मुझे जोश आया।
मैं ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा।
उसकी कोमल ताज़ी चूत पर मैं 20 मिनट चढ़ता रहा।
वो अब मजा लेने लगी थी और वो भी नीचे से गांड उठाकर चुदवा रही थी।
3 बार वो शांत हो गई थी।
फिर 3 मिनट बहुत ज़ोर-ज़ोर से चोदकर उसकी चूत में मेरा चीक फवारा और उस पर लेट गया।
शांत होने पर उठा, लंड चूत से बाहर निकाला।
वो उसके चीक और खू.न से भरा था।
उसकी चूत, झाट, दाना, गांड लाल-सफ़ेद चीक से बारबट गई थी।
उसकी चूत का छेद बड़ा हो गया था।
मैंने उसे लंड चाटकर साफ़ करवाया।
उसका चीक और खू/न उसके चूचों पर मला और उसे भी चटवाया।
लेकिन सब होने के बावजूद वैशाली खुश थी।
मुझे नॉर्मली 40-45 मिनट लगते हैं।
लेकिन इस लड़की ने मुझे 20 मिनट में झड़वा दिया।
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