सेक्स बिना भी क्या जीना- 3
(Love Maid Wife Sex Kahani)
वाइफ लव मेड कहानी में मालकिन की मृत्यु के बाद मेड ने मालिक की सेवा की. दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे पर मेड डरती थी. एक दिन मालिक ने उससे शादी की बात की.
कहानी के पहले भाग
पति पत्नी की नंगी चुदाई का नजारा
में आपने पढ़ा कि घरेलू नौकरानी को अपनी मालकिन और मालिक की पूरी सेक्स मस्ती का पता था. एक रात उसने दोनों की चुदाई का पूरा नजारा देखा.
लेकिन कोविड में मालिक राजेश और मालकिन बीमार हो गए.
मालकिन प्रिया चल बसी.
उसके बाद राजेश का सारा कार्य आशा ही करती.
धीरे धीरे उसकी सेवा से राजेश पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गये.
अब आगे लव मेड वाइफ कहानी:
आशा को आस पड़ोस की औरतें टोकने लगीं- अकेली एक पराये मर्द की सेवा कैसे करोगी, नौकरी छोड़ दो.
आशा उनसे कहती- मैं कोई नौकरी थोड़े ही करती हूँ.
“पर फिर क्या करती हो?”
इसका जवाब आशा के पास भी नहीं था.
इसी तरह छह महीने बीत गए प्रिया को गए.
अब राजेश शारीरिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ था.
पर उसका मन हर समय उचाट रहता.
एक रात खाना खिलाने के बाद राजेश सोफे पर बैठा टी वी देख रहा था.
आशा ने उससे धीरे से कहा- पड़ोस की औरतें ऐसे कहती हैं. तो क्या मुझे कहीं और काम ढूंढ लेना चाहिए?
राजेश एकदम से चौंक गया.
उसने आशा को अपने पास बुलाया.
आशा कभी उसके सामने सोफे पर नहीं बैठती थी.
प्रिया और मांजी तो हमेशा उसे अपने पास ही बिठाती थीं.
पर राजेश से आशा ने दूरी बनायी हुई थी शुरू से.
राजेश ने आशा को अपने पास बुलाया.
वह पास आकर खड़ी हो गयी.
राजेश ने कहा- बैठो.
वह खड़ी रही.
राजेश ने दोबारा प्यार से कहा- बैठो!
तो दूसरे सोफे पर आशा बैठ गयी.
राजेश ने उससे पूछा- तुम्हें कोई दिक्कत है यहाँ?
आशा ने ना में सर हिलाया.
राजेश ने फिर पूछा- क्या प्रिया ने तुम्हें अपनी सहेली जैसा ही माना या नौकरानी?
आशा रो पड़ी, बोली- दीदी ने तो मुझे सहेली जैसा ही माना.
राजेश फिर बोला- तुमको क्या लगता है कि मुझे इस हाल में छोड़ कर तुम्हें जाना चाहिए?
आशा फफक कर रो पड़ी और राजेश के घुटनों के पास आकर बैठ कर रोने लगी और बोली- मैंने दीदी से वायदा किया है कि आपका ध्यान रखूंगी.
राजेश ने पूछा- तो फिर?
आशा रोते रोते बोली- इस जमाने को कौन समझाए.
राजेश बोला- मुझे जमाने की परवाह नहीं है. तुम मेरा और घर का ध्यान रखो बस!
कहकर राजेश ने आशा को उठाया और नजदीक लाते हुए उसके सर पर स्नेह से हाथ फेरा.
पता नहीं आशा को क्या हुआ, वह राजेश से लिपट गयी.
मेड लव के ख्याल में राजेश ने भी उसे अपनी बाँहों में थाम लिया.
अब राजेश की बांहों में एक महिला का जिस्म था जिसे आज तक उसने इसे देखा ही नहीं था.
पर आज पहली बार उसे आशा के मांसल मम्मों का दबाब अपनी छाती पर महसूस हो रहा था.
आशा की गर्म साँसें उसकी गर्दन पर पड़ रही थीं.
उसने आशा को और कस के भींच लिया.
आशा को अब अहसास हुआ कि अब इस राजेश के अंदर मर्द जाग रहा है.
उसे यह अहसास राजेश के पजामे के अंदर उठते तनाव से महसूस हुआ.
आशा के मन में कोई भाव नहीं था … पर पता नहीं क्यों वह भी राजेश की गिरफ्त से छूटना नहीं चाह रही थी.
पर जब राजेश ने उसके गालों को अपने हाथो में लेकेर उसे चुप कराना चाहा तो आशा झटके से अलग हुई और अपने हाथों से अपने आंसू पौंछती हुई अपने कमरे की ओर चल दी.
राजेश ने उसे रोका, फिर उसके कंधे पर आहिस्ता से हाथ रख कर उसे अपनी ओर घुमाया.
अब राजेश बोला- आज से दस साल पहले अगर मम्मी ने तुम्हें नहीं सहारा दिया होता तो तुम्हारी जिन्दगी ख़त्म सी ही थी. और इन छह महीनों में अगर तुमने मुझे और घर को नहीं सम्भाला होता तो मेरा बचना नामुमकिन था. मेरा अब तुम्हारे अलावा कौन है जो ध्यान रख सके. तुम इस घर को अपना मानते हुए अधिकार से रहो. पर हाँ, जैसा प्रिया चाहती थी, आज से तुम उसी तरह साफ़ सुथरी होकर रहना. जमाने की मुझे कोई परवाह नहीं है. अब जाओ और फ्रेश होकर कपड़े बदलकर आओ और आकर अपने और मेरे लिए कॉफ़ी बनाना.
आशा थोड़ी देर तो सन्न खड़ी रही.
राजेश ने फिर गंभीर होकर कहा- मेरा तुम्हारे ऊपर कोई अधिकार नहीं है. अगर तुम अपने को मेरे घर पर असुरक्षित महसूस करती हो तो तुम स्वतंत्र हो कहीं भी, कभी भी जाने के लिए!
कह कर राजेश घूमकर अपने कमरे में जाने लगा.
अब आशा उसके दौड़ कर रोती हुई उसके पैरों में लिपट गई, बोली- मैं कहाँ जाऊंगी. मेरी जिन्दगी तो मां ज़ी और बाद में दीदी के पास अमानत है. मेरी वजह से आपकी बदनामी न हो, बस इससे डरती हूँ.
राजेश ने उसे उठाया और गले लगा लिया, बोला- बस तुम मेरा ख्याल रखो, जमाने से मैं निबट लूंगा.
और अबकी बार राजेश ने आशा के आंसू से भरे गालों को चूम लिया.
आशा एक सूखी बेल की तरह लिपट गयी राजेश से और ताबड़ तोड़ उसे चूमने लगी.
राजेश ने उसे शांत किया और कहा- जाओ और जैसे प्रिया रात को अच्छे से तैयार होती थी, वैसे ही तैयार होकर आओ और कॉफ़ी बनाओ.
अब आशा के चेहरे पर मुस्कान आ गयी.
वह शरारत से बोली- आप दीदी को तैयार होना तो दूर, कपड़े ही कहाँ पहनने देते थे?
कह कर वह भाग गयी अपने कमरे में!
थोड़ी देर में आशा एक ट्रे में कॉफ़ी लेकर आई.
उसने मुंह धोकर कपड़े बदल लिए थे. पर एक साफ़ सुथरा सूट डाला हुआ था. चेहरे पर मुस्कान थी और होंठों पर हल्की सी लिपस्टिक.
राजेश उसे देख कर मुस्कुराए, बोले- तुम्हारी कॉफ़ी कहाँ है?
आशा बोली- आप लीजिये, मेरा मन नहीं था.
राजेश ने आशा का हाथ पकड़ कर बगल में बिठा लिया.
फिर वो उसका हाथ पकड़े पकड़े उसकी आँखों में आँखें डाल कर बोले- साथ दोगी मेरा?
आशा चुप रही, बस पैर के अंगूठे से जमीन कुरेदती रही.
राजेश ने फिर कहा- प्रिया के बाद मैं बहुत अकेला हो गया हूँ. जीने की कोई इच्छा नहीं है. क्या करूं समझ में नहीं आता. कई बार तो मन में आता है कि आत्महत्या कर लूं!
आशा ने झटके से सर उठाया और अपने हाथों से राजेश का मुंह बंद कर दिया और एक बार फिर लिपट गयी उससे!
वह रुंआसी होकर बोली- मेरे ऊपर आपका पूरा अधिकार है. मैं आपकी कोई बात नहीं टाल सकती. पर मैं दीदी की जगह नहीं ले सकती.
राजेश बोला- दीदी की जगह तो कोई भी नहीं ले सकता. पर जाते-जाते उसके आखिरी शब्द यही थे कि मैं उसकी याद में रोऊँ नहीं. अब तुम ही बताओ मैं कैसे न रोऊँ. अब जीऊँ तो किसके सहारे. इसीलिए अभी मन में यह ख्याल आया है कि क्यों न हम एक दूसरे के सहारे बन जाएँ.
आशा शांत थी.
राजेश चुपचाप कॉफ़ी पीते रहे.
बाद में आशा कप उठाकर ले गयी.
राजेश धीरे धीरे क़दमों से अपने रूम में चला गया.
अब राजेश नीचे ही शिफ्ट हो गया था.
आशा किचन में कुछ उठापटक कर रही रही.
रात के 10 बज गए थे.
राजेश ने अपने कमरे की लाइट बंद कर ली और लेट गया.
आशा को अचानक ध्यान आया कि राजेश के कमरे में पानी तो रखा ही नहीं है.
कमरे की लाइट बंद थी.
आशा दबे पाँव पानी का जग राजेश के कमरे में रख कर लौट ही रही थी कि राजेश ने उसका हाथ पकड़ लिया.
कोई जबरदस्ती का माहौल नहीं था.
आशा भी हाथ छुड़ाना नहीं चाह रही थी.
राजेश ने उसे अपनी ओर खींचा तो आशा सीधी उसकी गोद में जा गिरी.
अब आशा खुद बखुद राजेश से लिपट गयी.
फिर बुदबुदाती हुई बोली- हम ये गलत कर रहे हैं.
राजेश ने उसके होंठों पर अपने होंठ भिड़ाते हुए कहा- हम एक दूजे की जरूरत पूरी कर रहे हैं.
आशा एक दो पल तो ठहरी फिर वो भी राजेश का चूमाचाटी में साथ देने लगी.
राजेश ने उसे कस के भींच लिया.
दोनों अब बेड पर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए.
आशा ने राजेश की आँखों में झांकते हुए कहा- ज़माना तो इसे नाजायज ही कहेगा न!
राजेश ने उसको अपनी से चिपटाया और कहा- ज़माना कुछ भी कहे … पर आज तुम्हें राज़ की बात बताता हूँ. जाने से एक दिन पहले प्रिया ने मुझसे यह वादा लिया था कि अगर उसे कुछ हो गया तो मैं तुम्हें उसकी जगह दूंगा और स्वीकार करूंगा. मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पा रहा था. पर तुम्हारे बिना जीवनयापन सोच भी नहीं पा रहा था. इसलिए आज ये निर्णय लिया. प्रिया जहाँ कहीं भी होगी हमारे मिलन को उसकी स्वीकारोत्ति होगी. कल ही मैं कोर्ट मैरिज करके वैधानिक रूप से तुम्हें अपनी पत्नी बनाऊंगा. जमाने को जो कहना है कहता रहे.
कहकर राजेश खड़ा हो गया.
उसने प्रिया की अलमारी खोली और उसकी एक सितारों वाली लाल साड़ी और ब्लाउज आशा को दिया और कहा- आज से ये सब तुम्हारा है. दुल्हन की तरह तैयार हो जाओ. हम अभी शादी करेंगे.
आशा हतप्रभ थी.
उसकी समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है.
पर वह इतना जानती थी कि कहीं दूर से प्रिया ही ये सब करवा रही है.
राजेश ने अपने लिए एक कुर्ता पाजामा निकाला और वो दूसरे कमरे मैं चला गया.
आशा कुछ पल तो यूं ही खड़ी रही फिर जब राजेश की आवाज आई जल्दी करने के लिए तो बाथरूम में घुसी.
आधा घंटे बाद जब आशा तैयार होकर बाहर आई तो उसे देख कर राजेश भी सकते में आ गए.
एक अछूता सौन्दर्य उसके सामने था.
बहुत हल्के मेकअप में भी आशा का सौंदर्य दमक रहा था.
राजेश उसे लेकर घर में बने मंदिर में ले गया.
वहां रोली से आशा की मांग में सिंदूर भर दिया.
मेड वाइफ बनकर आशा रो पड़ी.
उसने झुककर राजेश के पैर छू लिए. राजेश ने उसे उठाया और गले लगाया. अब दोनों पति पत्नी के रूप में आपस में लिपटे खड़े थे.
राजेश आशा का हाथ थामकर रूम में आया और बोला- मुंह दिखाई में मैं कोई पुराना जेवर नहीं देना चाहता. मुंह दिखाई की रस्म का जेवर कल दूँगा.
आशा धीमे से बोली- आपने जो कुछ मुझे दे दिया, इसका अहसान तो मैं सात जन्म में भी चुका पाऊँगी. अब मुझे कुछ नहीं चाहिए.
दोनों बेड पर आ गए.
रात गहरा चुकी थी.
थोड़ी देर तक बाकी जिन्दगी के लिए कसमें वादे होने के बाद राजेश ने बहुत संकोच से आशा से कहा- रात ज्यादा हो गयी है. तुम कपड़े बदल लो, फिर सोते हैं.
आशा उठी, उसने कमरे की लाइट बंद कर दी और अपनी गले की ज्वेलरी उतार बेड पर आ गयी और राजेश से लिपटकर बोली- आज रात सोना नहीं है, आज हमारी सुहागरात है.
अब जो कुछ सुहागरात पर धमाल होता है, उस सब की उम्र तो नहीं थी, पर दोनों के मन में एक अटूट ख़ुशी थी उस खालीपन को भरने की.
राजेश ने शुरुआत की आशा के और अपने कपड़े उतारने की.
आशा का हाथ राजेश के लंड से जा टकराया.
यूं तो इन छह महीनों में जब राजेश भी मरणासन्न था, आशा ने कितनी ही बार उसके पूरे कपड़े बदले थे.
पर तब मन में कोई भावना नहीं थी.
आज आशा को छड़ बने लंड के स्पर्श मात्र से ही रोमांच हो गया.
आशा के मम्मे प्रिया की तरह भारी तो शायद नहीं थे पर कसाव पूरा था.
अब कपड़ों से दोनों पूरी तरह आजाद हो गए थे.
राजेश ने आशा को चूड़ियाँ और पाजेब नहीं उतारने दी.
अब राजेश ने लिपटा लिया आशा को अपने से!
दो नंगे जिस्म जब लिपटे तो आग भड़कना स्वाभाविक था.
दोनों के होंठ भिड़ गए.
आशा की जीभ राजेश की जीभ में समा जाना चाहती थी.
राजेश का लंड आशा के हाथ में था, जिसे वो मसल रही थी.
आशा के मम्मे राजेश के हाथों की गिरफ्त में थे.
अब राजेश ने आशा से लेटने को कहा और उसकी टांगें चौड़ायीं.
आशा समझ गयी कि राजेश उसकी चूत चाटना चाहता है.
उसे मालूम था कि प्रिया तो हर समय अपनी चूत चिकनी रखती थी तो इसीलिए आशा ने अभी नहाते समय वेक्सिंग कर ली थी और अच्छा बॉडी स्प्रे कर लिया था.
आशा की चूत में जीभ लगाते ही राजेश को प्रिया की याद ताज़ा हो गयी.
पर अब तो प्रिया नहीं … आशा थी उसके बेड पर.
आशा कहीं से भी किसी से हल्की साबित नहीं हो रही थी.
राजेश ने अपनी जीभ घुसा दी आशा की चूत में!
उसके नथुनों में मीठी मीठी महक घुस गयी.
राजेश ने उसकी टांगें और चौड़ायीं और जीभ पूरी गहराई तक उतार दी.
आशा ने उसके बाल पकड़ लिए और अपनी टांगें और खोल दीं और बाल पकड़ कर राजेश का सर और अंदर कर लिया.
वह कांप रही थी.
उम्र के इस पड़ाव पर ऐसा शारीरिक सुख दोनों ने सोचा भी नहीं था.
आशा की पाजेब के घुंघरू और चूड़ियाँ उनके मिलन की गवाह थीं.
राजेश से अब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह सीधा आशा के ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मे दबाता हुआ अपना लंड पूरा झटके से पेल दिया आशा की चूत में!
आशा की चूत में कसाव था और किसी मर्द का लंड अंदर लिए बहुत ज़माना हो गया था तो आशा की चीख निकल गयी.
उसने राजेश को कस के पकड़ लिया.
उसके हल्के बढ़े नाख़ून राजेश की पीठ पर गड़ गए थे.
अब राजेश की धकापेल शुरू हो गयी.
आशा की आहें पूरे कमरें में गूँज रही थीं.
उसकी चूत पानी बहा चुकी थी तो राजेश का लंड भी फच फच की आवाज के साथ अंदर बाहर जा रहा था.
राजेश नीचे झुकता तो आशा भी जितना हो सकता सर उठाती.
दोनों के होंठ मिलते.
अब आशा ने राजेश से कहा- लाइए, आज दीदी की कमी पूरी करती हूँ.
कहकर उसने राजेश को नीचे किया और चढ़ गयी उसके ऊपर … और अपने हाथों से राजेश का लंड अपनी चूत के मुंहाने पर सेट किया और लगी उछलने!
राजेश हैरत में था की आशा को ये सब कैसे मालूम?
फिर उसे ध्यान आया कि प्रिया आशा से कुछ छिपाती नहीं थी.
राजेश आशा के मम्मे मसल रहा था और आशा उसकी छाती पर हाथ टिका कर उछल कूद मचा रही थी.
उसकी चूड़ियों की खनखनाहट और घुंघरुओं की आवाज उनकी चुदाई के साथ संगत करती लग रही थी.
अब राजेश का भी होने को था.
उन्होंने आशा को नीचे किया और फाइनल राउंड की चुदाई शुरू की.
दोनों हांफ रहे थे पर रुकने को कोई तैयार नहीं था.
राजेश ने आखिरी दम मारते हुए पेल लगायी और आशा से पूछा- कहाँ निकालूं?
आशा ने उसे कस के पकड़ लिया और कहा- अंदर ही निकालो.
राजेश ने एक झटका मारा और आशा की चूत अपने माल से भर दिया और एक और लुढ़क गया.
आशा ने मुस्कुरा कर उसकी ओर करवट ली और चूमते हुए कहा- आज आपने मुझे वो सुख दिया है जिसे कुदरत ने मुझसे छीन लिया था.
राजेश ने पूछा- अंदर क्यों निकलवाया? अब इस उम्र में बच्चे …
आशा हँसती हुई बोली- नहीं, अभी मैं सेफ थी. बच्चों का तो प्रश्न ही नहीं उठता. आपको कोई परमानेंट इंतजाम करना होगा.
दोनों ऐसे ही एक दूसरे की बाँहों में सो गए.
अगले दिन सुबह ही राजेश ने कुनाल से अमेरिका बात की और बताया कि वे आशा से शादी कर रहे हैं.
कुनाल बहुत खुश हुआ.
उसने कहा- पापा, आज आपने मम्मी की इच्छा पूरी की है. आशा आंटी मम्मी को भी बहुत पसंद थी और इन दिनों में सिर्फ उन्हीं की वजह से आप ठीक हो पाए हैं. अब आप लोग अमेरिका आइये.
उसके बाद राजेश ने प्रिया के भाई जो इसी शहर में रहते थे, उन्हें बताया और उन्हें कोर्ट में बुलाया.
दो चार दोस्तों की मौजूदगी में राजेश और आशा की मैरिज रजिस्टर्ड हो गयी.
दोनों अब कानूनी रूप से पति पत्नी थे.
मोहल्ले की एक दो औरतों ने कुछ कटाक्ष करना चाहा तो राजेश ने ऊँची आवाज़ में कह दिया- हमारे घर के मामले में किसी को दखलंदाजी की जरूरत नहीं है.
आशा ने राजेश से कहा- अब आप कल से दोबारा दूकान जायेंगे. पहले हम वहां पूजा करेंगे, फिर कारोबार शुरू करेंगे.
राजेश ने ख़ुशी ख़ुशी अपनी सहमति दे दी.
तब राजेश ने आशा से कहा- इस घर के कायदे कानून तुम्हें मालूम ही हैं. मैं कोई कोताही बर्दाश्त नहीं करूंगा.
आशा सहम गयी और धीरे से बोली- मैं समझी नहीं?
राजेश हंस पड़ा और बोला- घर के अंदर कोई कपड़ा नहीं!
आशा शर्मा गयी और धत्त कहती हुई किचन में चली गयी.
राजेश बाजार की कहकर निकले कि कल से दूकान पर बैठना है तो नौकर को कहना पड़ेगा और पूजा के लिए पण्डित ज़ी से भी कहना पड़ेगा.
गेट खोलते खोलते राजेश रुके और आशा को बुलाया- एक काम जो प्रिया मुझे दूकान भेजने से पहले करती थीं, वो अब तुम्हें करना होगा.
आशा नजदीक आई और उचक कर राजेश को होंठों पर चूम लिया.
राजेश मुस्कुराते हुए बोला- तुम्हें कैसे मालूम?
हंसती हुई आशा बोली- दीदी चुम्मी इतनी जोर से लेती थीं कि आवाज नीचे तक आती थी.
राजेश ने आशा को बाँहों में भरते हुए कहा- प्रिया के कपड़ों की अलमारी पिछले छह महीने से कल ही खुली थी. अब वो सब तुम्हारा है. एक बार उसे संभाल लेना.
आशा बोली- हाँ मैं समझ गयी कि रात को क्या पहनना है. ये मुझे अलमारी की नीचे की दराज़ में मिलेगा.
यह फिर राजेश के लिए आश्चर्य की बात थी.
अब आशा खीजती हुई बोली- अलमारी मैं ही तो लगाती थी दीदी की! उन्हें तो खुद नहीं मालूम रहता था कि कहाँ क्या रखा है. पर हाँ, एक चीज़ मैं आपको भी नहीं इस्तेमाल करने दूँगी.
राजेश बोले- क्या?
आशा हँसती हुई बोली- वाइब्रेटर! जब ज़िंदा है तो रबड़ का क्या करना?
इससे पहले राजेश कुछ कहता, आशा ने उसे प्यार से बाहर जाने का रास्ता दिखाया.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी लव मेड वाइफ कहानी?
मुझे मेरी मेल आईडी पर लिखिएगा.
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