कुवां मां डूब जाऊंगी

जीतू झा 2008-03-25 Comments

प्रेषक : जीतू झा

दोस्तो। मैं ज़ीत फिर से हाजिर हूँ। मेरी पिछ्ली कहानी विधवा भाभी की चुदाई को लोगों ने बहुत सराहा, मुझे काफ़ी सारी मेल आईं। सभी मेल देने वालों का धन्यवाद।

कहानी शुरु करने से पहले मैं कुछ बातें बताना चाहूँगा। मुझे कई मेल ऐसे आये हैं जिनमें कहा गया है कि मुझे कोई तरकीब बताओ।

मैं इस बारे में कहना चाहूँगा कि सेक्स एक ऐसी चीज़ है जैसे कि अपना आहार। सभी लोगों का अपना अलग-अलग आहार होता है, किसी को तीखी चीज़ें अच्छी लगती हैं तो किसी को मीठी चीज़ें, किसी को साफ़ सुथरा खाना अच्छा लगता है तो किसी को गन्दा। सेक्स बिल्कुल ऐसा ही है।

किसी को साफ सुथरा सेक्स अच्छा लगता है, जैसे कि आदमी औरत की चूत को चाटना तो दूर उसकी चूत को हाथ तक नहीं लगाता, और औरत भी आदमी के लंड को चूसना तो दूर, उसे पकड़ती भी नहीं है, बस ऐसे ही बच्चे पैदा हो जाते हैं। अगर ऐसा ही साफ़ सुथरा सेक्स होगा तो गांड मारना तो दूर की बात है।

किसी को गंदा सेक्स अच्छा लगता है, जैसे कि मैं। या दूसरे लफ़्ज़ों में कहूँ तो ऐसा सेक्स जो साफ़ सुथरा ना हो। जिसमें आदमी और औरत एक दूसरे के अंगों को चाटते हैं, एक दूसरे की गांड में उंगली डालते हैं, एक दूसरे की बगलों को चाटते हैं, आदमी औरत की चूत को मसल-मसल कर चाटता है, और ऐसे चाटता है कि जैसे एक प्यासा पानी के नल को चाटे, वो अपनी पूरी ज़ुबान उसकी चूत में अन्दर तक डाल देता है और अपनी ज़बान से उसकी चूत को चोदता है। (इसका मज़ा ही कुछ और है) उसी तरह, अपनी ज़ुबान उसकी गांड में भी डालता है और उसे चाटता है, जैसे कि कोई बर्फ का गोला हो।

इसी तरह औरत भी कोई कमी रहने नहीं देती, वो भी आदमी के लंड को पूरा अपने मुँह में ले लेती है, उतना अन्दर की लंड हलक तक पहुँच जाये और उसे लॉलीपॉप की तरह चूसती है, इस बीच अगर आदमी अपना पानी छोड़ दे तो वो उसे आम के रस की तरह पी जाती है, इतना ही नहीं, वो भी आदमी की गांड को चाटती है। आप कहेंगे कि यह सब तो होता रहता है, लेकिन गंदा सेक्स इससे भी आगे है। कई बार आदमी अपने पेशाब से औरत को नहलाता है, और कई बार औरत वो पी भी जाती है।

तो दोस्तो, सेक्स के बारे में जितना बताओ उतना कम है, लेकिन हाँ, अगर आप चाहो तो मैं आपको सेक्स के कुछ आसन बता सकता हूँ, मुझे मेल करना।

तो मैं अपनी कहानी शुरु करने जा रहा हूँ।

मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी अपने बेटे के पास राजकोट गई थी और मेरा लंड था कि तड़प रहा था।

इस पर एक गाना याद आ रहा है : (जो मैंने थोड़ा बदल डाला है)

हाथों की हथेली को हथियार बना लेते हैं, दर्द जब हद से गुज़रता है हाथ में थाम लेते हैं।

मैंने अपने दोस्त से यह बात कही, उसने कहा- चल यार, कोई प्रोग्राम बनाते हैं किसी को चोदने का।

मैंने उससे पूछा- तू किसी को जानता है?

उसने कहा- सब इन्तज़ाम हो जाएगा, तू बस हाँ बोल दे।

मैंने कहा- यह भी कोई पूछने की बात है !

फ़िर दो दिन बाद उसका फोन आया, उसने कहा- जीतू, आ जा इन्तज़ाम हो गया है।

मैंने कहा- वाह यार ! तूने तो काम बना दिया !

उसने कहा- लेकिन वो 250 रुपये लेगी।

मैंने कहा- यार, अगर माल अच्छा होगा तो मैं 500 भी देने को तैयार हूँ।

उसने कहा- ठीक है, तो कल सुबह दस बजे मेरे घर आ जाना।

दूसरे दिन रविवार था, मैं ठीक दस बजे उसके घर पहुँच गया, साथ में एक पेप्सी की बोतल, कुछ बिस्किट और एक व्यस्क फ़िल्म की डीवीडी भी ले गया।

मेरा दोस्त रवि, एक फ़्लैट में रहता था, मैं जब उसके फ्लैट में गया तो वहाँ बिल्कुल शांति थी।

मैंने दरवाज़ा खटखटाया, रवि ने दरवाज़ा खोला। मैं अन्दर गया, घर में कोई नहीं था।

मैंने पूछा- यार, कहाँ गये सब?उसने कहा- सब द्वारका गये हैं और पूरे फ़्लैट में हमारे अलावा कोई नहीं है।

मैंने कहा- वाह ! क्या मौका है। कहाँ है माल…॥

उसने कहा- थोड़ी देर ठहर ! दोनों आती ही होगीं।

मैंने पूछा- यार वो दोनों हैं कौन?

उसने कहा- एक तो हमारे यहाँ काम करने आती है और दूसरी ऊपर वाले के यहाँ जाती है।

मैंने कहा- अरे यार ! यह कैसी कामवाली तूने ढूंढी? तुझे और कोई नहीं मिली क्या?

मैं थोड़ा उस पर गुस्सा हो गया और कहा- मैं जा रहा हूँ।

उसने कहा- यार, एक बार तू उसे देख तो ले, बाद में चले जाना।

मैं मान गया।

दस मिनट बाद दरवाज़े पर घण्टी बजी, रवि ने आवाज़ दी- दरवाज़ा खुला है, आ जाओ !

मैं क्या देखता हूँ- एक पटाखा ! वाह, क्या बड़े-बड़े स्तन थे उसके, क्या मस्त ग़ांड थी उसकी ! जैसे नमिता ही देख ली हो।

रवि बोला- दूसरी कहाँ है?

वो बोली- वो आज नहीं आ सकी।

रवि बोला- क्यों?

वो बोली- अभी उसका महीना चल रहा है।

रवि बोला- तो अब हमारा क्या होगा?

वो बोली- क्यों मैं एक काफी नहीं हूँ क्या दो लौड़ों के लिए?

मैंने कहा- कभी एक साथ दो लौड़े लिये हैं क्या?

वो बोली- लिये तो नहीं हैं, लेकिन आज ले लूंगी।

तो फिर मैंने कहा- ठीक है, देखते हैं।

मैंने सोफे पर उसको अपने पास बैठाया और उसका नाम पूछा।

उसने बताया- गीता।

अपनी भाषा से वो पढ़ी-लिखी लग रही थी।

मैंने पूछा- कितना पढ़ी हो?

वो बोली- बी ए दूसरे साल तक !

मैंने पूछा- आगे क्यों नहीं पढ़ी?वो बोली- पैसे के लिये ! घर में मैं एक ही हूँ कमाने वाली।

मैं समझ गया।

थोड़ी इधर-उधर की बातें हुई, बाद में वो बोली- मुझे यहाँ क्या बातें करने के लिये बुलाया है या लौड़े लेने के लिये……?

मैं उसकी इस बात से बहुत खुश हो गया, मैंने कहा- तो फिर शुरु हो जाओ !

मैंने रवि से कहा- यार अब इस फ्लैट में कोई आने वाला तो नहीं है, क्यों ना इस चुदाई को और मज़ेदार बनाया जाये।

उसने कहा- हाँ बोल ! क्या करना है?

मैंने कहा- कोई मज़ेदार सा देसी गाना लगा दे, जैसे कि “कुवां मां डूब जाऊंगी”……

वो बोला- समझ गया, बड़ा अच्छा सोचा है।

उसने गाना चालू किया और मैंने गीता को खड़ा कर के कहा- चलो, अब नाचना शुरु कर दो।

वो भी समझ गई लेकिन बोली- इस ड्रेस में मज़ा नहीं आयेगा।

रवि बोला- अन्दर जाओ और अलमारी खोलो, अन्दर मेरी भाभी के कपड़े हैं, वो पहन लो।

वो अन्दर गई और थोड़ी देर बाद लाल रंग की साड़ी पहन कर आ गई और आते ही अपनी गाण्ड हिलानी शुरु कर दी। मैं और रवि भी उसके साथ नाचने लगे। थोड़ी देर ऐसे ही नाचते रहने के बाद मैंने अपने दोनों हाथ उसके वक्ष पर रख दिये और उसको साड़ी के ऊपर से ही दबाने लगा। उसने भी अपना हाथ मेरे लौड़े पर रखा और दबाने लगी। हम लोग अभी भी नाच रहे थे।

अब रवि ने उसकी साड़ी उतार दी और अपना टी-शर्ट भी उतार दिया। अब मेरी बारी थी, मैंने उसकी चोली उतारनी शुरु की, उसने अन्दर सफेद रंग की ब्रा पहनी थी, मैंने अपना शर्ट भी उतार दिया। हम अभी भी गाने पर झूम रहे थे और वो भी अपनी गांड और चूचियाँ हिला रही थी। बाद में मैंने उसकी घघरी उतार दी, रवि ने अपनी पैन्ट उतार दी, मैंने भी अपनी पैन्ट उतार दी। अब हम सब सिर्फ अन्डरवीयर में थे।

मैं नाचता हुआ गीता के पीछे गया और पीछे से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और अपना लौड़ा उसकी ग़ांड पर मसलने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी। अब रवि आगे से आया और नाचते हुए उसकी चूत पर हाथ फ़िराने लगा।

मैंने पीछे से उसकी ब्रा खोल दी और आगे आ गया।

वाह क्या स्तन थे उसके……॥

और उछ्लते हुए तो वो और भी कामुक लग रहे थे। मैंने दोनों को अपने हाथों में लिया और दबाने लगा। इसी बीच वो झुकी और मेरा अण्डर्वीयर उतारने लगी और वो भी इस तरह कि उसकी गांड अभी भी ऊपर ही थी। अण्डरवीयर उतारते ही उसने मेरे लौड़े को चूम लिया। अब रवि ने पीछे से उसकी पैन्टी उतार दी और अपना अण्डरवीयर भी उतार दिया।

वाह क्या चूत थी उसकी ! बिल्कुल साफ़ ! उस पर एक भी बाल नहीं था। अब हम तीनों बिल्कुल नंगे नाच रहे थे। मेरा और रवि का लौड़ा हमारे साथ उछ्ल रहा था तो गीता के दोनों स्तन भी ऊपर नीचे हो रहे थे……

दोस्तो उसके आगे क्या हुआ वो तो आपको मालूम ही होगा।

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