कुंवारा नहीं रहा
(Kunvara Nahi Raha)
प्रेषक : केदार राव
मेरा नाम केदार है, मैं मुंबई में रहता हूँ, 21 साल का हूँ और इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता हूँ। मैं एक बहुत शरीफ लड़का हूँ और औरतों की इज्जत करता हूँ। आज मैं अपने जीवन की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
यह बात है पिछले साल अगस्त की, जब मेरा कॉलेज चालू हुआ था और उन्हीं दिनों में मेरे पापा का तबादला नागपुर में हो गया था। गवर्नमेंट ऑफिसर होने के वजह से उन्हें जाना पड़ा। हमारे घर में मैं और माँ दोनों ही रह रहे थे। उन्हीं दिनों अचानक हमारी वफादार नौकरनी जयंती बहुत बीमार पड़ गई, मेरे परिवार ने उसके इलाज़ के लिए बहुत खर्च किया पर कुछ नहीं हुआ और उसकी कैंसर से मौत हुई।
मैं जब सातवीं कक्षा में था तब से वो हमारे यहाँ काम करती थी, उसके जाने का मुझे भी बहुत दुःख हुआ। लगभग दो महीने से घर में माँ ही सब काम करती थी। कभी कभी कोई दूसरों के यहाँ काम करने वाली कामवाली आती थी। पर वो हर रोज नहीं आती थी। इसलिए मेरी माँ बहुत परेशान हो गई थी।
मेरी माँ की एक सहेली पास की बिल्डिंग में रहती है। उसे यह पता चला कि मेरी माँ को एक कामवाली की जरुरत है।
एक दिन में कॉलेज से जब घर आया तो माँ ने बताया कि शर्मा आंटी ने शीतल नाम के एक कामवाली के बारे में बताया है।
तो मैं माँ के लिए खुश हो गया, उसका काम अब आसान हो रहा था।
मैंने कहा- यह तो बड़ी अच्छी बात है।
माँ बोली- क्या अच्छी? वो नई कामवाली शीतल महीने का 3000 रुपये मांग रही है।
मैं- अरे माँ, जाने दो न ! वैसे भी बड़े भाग्य से अपने को कामवाली मिली है, रख लो काम पर।
माँ मान गई और उसने फैसला किया की वो शीतल को काम पर रखेंगी।
मेरी माँ शनिवार और रविवार को काम में बहुत मग्न रहती है। वो सुबह से शाम तक घर पर नहीं होती, वो क्लास लेने जाती है।
तो उस हफ्ते शनिवार को सुबह में छुट्टी के वजह से घर पर था, तब माँ ने बताया- शीतल आएगी, उस 8 रोटियाँ बनाने के लिए बोलना और सारा इधर उधर का काम समझा देना।
मैंने बोला- ठीक है।
और वो घड़ी आ गई जब मैंने पहली बार शीतल को देखा।
टिंग टोंग !!!
मैंने घर का दरवाजा खोला तो देखा एक बहुत ही खूबसूरत औरत खड़ी थी। मेरी उसके बड़े बड़े स्तनों से आँखे हट नहीं रही थी। दुनिया का कोई भी आदमी उसे देखता तो उसकी पहली नजर उसके दोनों स्तनों पर ही जाए।
इतने बड़े स्तन देख कर मेरे लण्ड को जोर का शौक लग गया था। मैंने अपने आप को सम्भाला और पूछा- जी, आपको कौन चाहिए?
शीतल- जी मैं आपके यहाँ नई कामवाली हूँ। मेरा नाम शीतल है।
मैं- ओके, आ जाईये अंदर। माँ ने बताया मुझे कि आप आएंगी।
इतना कहने के बाद वो अंदर रसोई घर में चली गई। शीतल देखने में ठीक ठाक है मगर उसके स्तन तो किसी के भी लण्ड को खड़ा कर सकते हैं। वैसे तो वो थोड़ी काली थी मगर उसका बदन दिल धड़ाकाने को काफ़ी था।
उस दिन के बाद मैं शीतल बहुत गन्दी नजर से देखने लगा था। कचरा निकालते वक़्त जब वो झुकती थी तब उसके स्तनों की गली देखने के लिए मैं तत्पर रहता था। क्या करूँ, कण्ट्रोल ही नहीं रहता था। यह सब गलत था, यह पता होने के बाद भी मैं उसकी तरफ खिंचा जा रहा था, उसके स्तनों को जोर से दबाना चाहता था।
बस अब क्या था, उसके बारे में सोच कर मैं बहुत बार अपना लण्ड हिला चुका था। लण्ड हिला के माल निकालने के अलावा मेरे पास कोई चारा भी नहीं था।
शीतल को एक महीना हो गया था।
उस दिन रविवार था और माँ सुबह क्लास लेने चली गई थी। शीतल आ गई थी और पंजाबी ड्रेस में बहुत हॉट लग रही थी। मैं पढ़ाई कर रहा था, तभी मैंने शीतल को देखा तो मुझे झटका लग गया उसने दुपट्टा हटा रखा था और मुझे उसके स्तन पूरे दिख रहे थे। वो गली देख कर तो मेरा लण्ड पत्थर जैसा कड़क बन गया था, उस पर से नजर हट नहीं रही थी।
तभी अचानक शीतल बोली- केदार, आज इस ड्रेस में मैं कैसे लग रही हूँ? भाभी जी ने मुझे उनका ड्रेस दिया है।
मैं थोड़ा बौखला गया और बोला- आप मेरे माँ के ड्रेस में बहुत सुन्दर दिख रही हो।
शीतल- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
अब तो मैं हक्का बक्का रह गया था, मैंने कहा- जी नहीं है।
इतना बोलने के बाद वो नीचे झुकी और मुझे उसके चूचों के पूरे दर्शन हो गए। उसने दुपट्टा उठाया और वो दूसरे कमरे में काम करने चली गई।
अब वो जिधर भी जाती, मैं उस कमरे में कुछ काम से जाता और उसको देखता।
उसके ऐसे नटखट अंदाज़ बढ़ गए। वो बार बार झुक कर मुझे अपने स्तन दिखाती थी या दूसरी तरफ झुक के अपनी गर्म गांड दिखाती थी। उसके बोलने के अंदाज़ से भी मैं कामोत्तेजित होता था।
एक दिन अचानक शनिवार को बारिश हो रही थी और शीतल आ गई। वो बहुत भीग गई थी। पानी की वजह से उसके चोली में एकदम कसे हुए स्तन दिख रहे थे।मैंने कहा- शीतल आँटी, मैं आपको तौलिया देता हूँ, आप अपने आप को सुखा लीजिए, उसके बाद काम कीजिये।
शीतल- धन्यवाद, पर क्या तुम मुझे कुछ पहनने को दोगे?
मैंने शीघ्रता से उसे एक माँ का ड्रेस दे दिया। उसने मुझे अपनी नटखट नजरों से देखा और कहा- मैं अन्दर के कमरे में अपने आप को सुखाती हूँ और कपड़े बदलती हूँ। तुम्हें कोई दिक्कत नहीं ना? और हाँ, यह सब अपनी माँ को मत बताना, वो गुस्सा हो जाएँगी क्योंकि वो हमेशा कहती हैं कि छाता लेकर आया करो।
मैंने अपनी नजर उसके स्तनों से हटाकर कहा- जी चलेगा।
शीतल दूसरे कमरे में गई तो मैंने सोचा कि चलो कुछ दीखता है क्या, उसका प्रयास करता हूं।
मैंने देखने की कोशिश की मगर कुछ नज़र नहीं आया। तभी अचानक मुझे एक शीशे में शीतल का बराबर से प्रतिबिम्ब दिखाई देने लगा। वो खुद को पौंछ रही थी और फिर उसने अपनी साड़ी निकाली। वो सिर्फ चोली और नीचे पेटीकोट पहने थी, अपने खुले बालों को तौलिये से बहुत सेक्सी अंदाज़ से सुखा रही थी। उसने फिर अपना पेटीकोट खोला और सिर्फ पैंटी और चोली में खड़ी खुद को सुखा रही थी। और फिर मैं जिस पल का इन्तजार कर रहा था, वो आ गया।
उसने अपनी चोली खोली और अन्दर से दो थोड़े भीगे भीगे से स्तन बाहर आ गए। उसने अपने स्तनों पर तौलिया चलाया और उन्हें सुखा दिया और फ़िर से बालों को सुखाने लगी। उसके स्तन बहुत मुलायम लग रहे थे और वो गेंद की तरह उछल रहे थे। दोनों निप्पल कड़क लग रहे थे, मुझे उन्हें चूसने का दिल कर रहा था।
दस मिनटों तक इस आयटम को नंगा देखने के बाद मेरा चिक तो लंड से निकल गया था। फिर उसने कपड़े पहनना चालू किया तो मैं वहाँ से खिसका।
बाहर आने के बाद वो बोली- इस दरवाजे की कड़ी नहीं है, इसे बंद कैसे करते हैं? नहीं तो कोई भी अन्दर क्या हो रहा है, देख सकता है।
उसके चेहरे पर एक कमीनापन दिख रहा था।
मैंने उसे कहा- उस फिरकी को इस तरह घुमाया तो वो दरवाजा बंद होता है।
शीतल- अच्छा ठीक है।
इतने दिन मैं इतना बेवकूफ बना रहा, मगर अब मुझे पता चल गया था कि शीतल एक नंबर की रांड है। बस उसको बिस्तर में लाकर चोदना, यह एक ही मकसद मेरे सामने था। पर मैं भी उसे सिर्फ शनिवार और रविवार को ही देख पाता तो मेरे लिए यह मुश्किल था।
एक दिन मेरे माँ को शादी के लिए पापा के साथ पूना जाने का था। वो पूरे सात दिनों तक पूना में रहने वाले थे। शीतल को चोदने के लिए मैंने अपना प्लान बना दिया।
उस दिन सुबह मैं कॉलेज गया नहीं, मैंने कंडोम तैयार रखे थे। और शीतल भी आ गई। उस दिन वो गुलाबी रंग की साड़ी में बहुत सेक्सी लग रही थी। प्लान का पहला चरण उसे घूरना था।
शीतल- केदार, तुम्हारी मम्मी कब आने वाली हैं?
उसे घूरते हुए मैंने बताया- वो तो अगले हफ्ते आएँगी, तब तक मैं और आप घर में अकेले होंगे।
शीतल- जी..!!
मैं- मेरा मतलब मैं घर में अकेला हूँगा।
उसके बाद वो रसोई में गई पर मैं आज उसे इस तरह से घूर रहा था कि वो थोड़ी घबरा गई थी। फिर मैंने अपने प्लान का दूसरा चरण चालू किया।
मैंने टीवी पर एक ब्लू फिल्म लगा दी और नहाने चला गया। इससे उसे मेरे इरादों की कल्पना होने वाली थी। फिर मैंने भी उसके सामने नंगा होकर कपड़े बदले। पर मैंने सब कुछ इस तरह से किया कि वो मुझे देख रही है, यह मुझे पता नहीं। अब मैंने उसे जबरदस्त कामोत्तेजित कर दिया था।
प्लान का आखिरी चरण एक ही था.. उसको अपनी भावनाओं के बारे में बताना। पर पहले दो चरणों ने शीतल को पूरी तरह से बौखला दिया था, वो पसीना-पसीना हो गई थी। वो थोड़ी घबरा गई है, यह मुझे पता चल गया था पर आज इस लंड को कोई रोकने वाला नहीं था। आज वो अपने साड़ी का पल्लू संभाल कर बेडरूम में कचरा निकल रही थी।
तभी मैं सिर्फ चड्डी पहने उसके सामने चला गया।
मैंने कहा- शीतल, आज मुझे तुम से कुछ पूछना है।
शीतल नज़रें झुका कर ही बोली- बोलो, क्या हुआ?
फिर मैंने अपने चरण तीन के लिए लिखे हुए सारे डायलोग बोलना चालू किया- शीतल, कुछ दिनों से मैं आपकी तरफ बहुत आकर्षित हुआ हूँ। यह सब बहुत ही शारीरिक आकर्षण है। मुझे आप बहुत सुन्दर लगती हो। आपके लाल होंठ, पतली कमर, लम्बे बाल और आपके खूबसूरत स्तन मुझे आपकी तरफ खींचते हैं। मगर मैंने कभी आपसे कुछ कहा नहीं और आपसे बदतमीजी नहीं की। मगर आजकल मैं आपके बारे में ही सोचता हूँ और मेरा पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता इसलिए मैंने अपनी भावनाएँ आपको बताना उचित समझा।
इतना कहते कहते मैं भी बहुत डर गया था क्योंकि यह औरत बवाल भी बना सकती है।
वो अब मेरी आँखों में आँखे डाल कर देख रही थी और मैं घबरा गया था। थोड़ी देर की शांति के बाद वो बोली- तो तुम क्या चाहते हो? हाँ? मैं क्या करूँ?
इतना कह कर वो चुप हो गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
फिर मैं बोला- शीतल, मुझे तुम्हारे स्तन देखने है और उन्हें छूना है। मेरा यकीन करो, मैं तुम्हें कुछ पैसे भी दूँगा, पर आज मुझे मत रोकना। मैंने हमेशा तुम्हें साड़ी में दखा है, नंगा कभी नहीं ! मुझे तुम्हें पूरी तरह से नंगा देखना है।
मैं कुछ कहने वाला था, तभी उसने झाड़ू नीचे फ़ेंका और चिल्लाई- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई पैसे की बात करने की? है कौन तू? तुम्हें क्या लगा कि मैं एक रंडी हूँ? तुम पैसे फेंकोगे तो मैं तुम्हारे साथ बिस्तर गरम करुँगी?
मैं तो डर गया- आई ऍम सॉरी शीतल, मेरी गलती हो गई, मुझे पैसे की बात नहीं करनी चाहिए थी। प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो।
मैंने शीतल की आँखों में देखा, वो हंस रही थी। मैं कुछ समझा नहीं।
तभी वो बोली- चलेगा चलेगा, माफ़ कर दिया तुझे। आईंदा ऐसे पैसों की बात मत करना।
मैंने मुंडी हिलाई।
शीतल- केदार, तुम बहुत झूठ बोलते हो। तुम कहते हो तुम्हें मुझे नंगा देखना है, मगर मुझे ऐसा लगता है कि तुमने मुझे एक बार नंगा देखा है। क्यों हाँ या ना? पिछले हफ्ते मेरा आईने में प्रतिबिम्ब कौन देख रहा था? तुम मुझे आज यह गन्दी पिक्चर दिखा कर गर्म कर रहे हो। पर मैंने तुम्हें अपने स्तनों की गली दिखाकर और फिगर दिखा कर पिछले दो महीनों से पागल कर दिया है। तुम्हें क्या लगा कि मेरी साड़ी का पल्लू गलती से नीचे गिरता था? तुम्हें क्या लगता है, मुझे झुक झुक कर तुम देखते हो तो मुझे पता नहीं चलता?
इतना कह कर उसने अपने बाल छोड़ दिए। फिर मैंने अपनी चड्डी निकाली और उसके सामने नंगा खड़ा हो गया- देखो मेरा लंड तुम्हारे लम्बे बाल देख कर कितना लम्बा हो गया है।
उसने हंसते हुए कहा- वाह क्या बात है ! तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है। तुम्हारी चौड़ी छाती और तुम्हारे पर्सनैलिटी से तो में कब की प्रभावित हूँ। बस तुम्हारे में थोड़ी आत्मविश्वास की कमी है। तुम मुझे पसंद करते हो इतना कहने के लिए इतने दिन लगा दिए। पर चलो कोई बात नहीं देर आये दुरुस्त आये।
इतना कहते ही उसने अपनी पूरी साड़ी निकाल दी और मेरे सामने नंगी खड़ी हो गई। मैं कुछ कहूँ, उसके पहले ही उसने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और मेरे होंठो से अपने रसीले होंठ मिला दिए।
उफ्फ्फ ओह्ह्ह्ह….उसके होंठों का रस पीकर मेरे जिंदगी की प्यास चली गई। मैं उसे पूरे दस मिनट तक चूमता रहा था। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और आखिरकार जिस पल के लिए मैं तरस रहा था, जिस पल को सपनों में देख कर पचास बार अपना लंड हिलाया था वो पल आ गया।
मैंने उसके स्तनों को कस के दबाया और चूसने लगा।
शीतल- उफ्फ्फ ! हाए ! ओह ओह ओह…क्या बात है केदार ! तुम बड़े प्यासे लग रहे हो.. ओह्ह ओह्ह और जोर से दबाओ। आज कोई काम नहीं….ओह्ह ओह..आह..। चुसो…आह उह्ह..और चुसो मेरे बबले.. आह आह… इस दिन का में…आह …कब से इन्तेजार कर रही थी..उम् आह आह..
उसके बाद शीतल ने मुझे कंडोम पहना दिया और फिर मैं उसे दनादन चोदने लगा। मेरा चिक बहुत जल्दी निकल गया था। मगर थोड़ी ही देर में मैं अच्छे से चोदने लगा। उसे मैं बहुत जबरदस्त शारीरिक सुख दे रहा था और वो उससे आनंदित हो रही थी।
सच में जब लंड चूत में जाता है तब जो आनंद मिलता है उससे कोई आनंद बड़ा नहीं।
हाए ओह ओह ओह…. आज मैं एक कामवाली के वजह से कुंवारा नहीं रहा, मेरा पहला सेक्स हो गया था।
इतने में शर्मा आँटी का कॉल आया- केदार, आज शीतल नहीं आई हमारे यहाँ काम करने।
मैं- हाँ, वो आज हमारे यहाँ भी काम करने नहीं आई, वो कल आएगी, आज उसकी तबियत ख़राब है।
मैं और शीतल हंसने लगे। पर शीतल अचानक थोड़ी बैचेन हो गई।
मैं- क्या हुआ?
शीतल- हमने जो भी किया वो सब गलत है, मैं एक शादीशुदा औरत हूँ। पर मैं भी…..
इतना कह कर वो चुप हो गई।
मैं- क्या हुआ शीतल? पर तुम क्या.. अगर मैंने कुछ गलत किया है तो मुझे माफ़ कर दो।
शीतल- देखो हमारे बीच जो हुआ, वो प्यार नहीं था, वो सिर्फ शारीरिक सम्बन्ध थे। मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ। देखो, मेरा पति एक नंबर का कमीना आदमी है। वो बहुत दारू पीता है और पैसे भी कुछ कमाता नहीं। मैं ही सब जगह काम करके पैसे कमाती हूँ। शादी के कुछ साल बाद ही उसका मेरे लिए प्यार कम हो गया। अब मैं अपने बच्चे के लिए उसके साथ जीवन गुजार रही हूँ। मैंने उसे बहुत बार रंडी बाज़ार में जाते हुए देखा है। मैं पूरा एक साल उसके साथ बिस्तर में सोई नहीं। उसे मुझमें कोई दिलचस्पी नहीं है। तो ठीक है, मैंने भी तय कर लिया कि मैं भी कुछ कम नहीं। आज भी मैं किसी को भी पागल कर सकती हूँ।
जब मैं तुम्हारी सोसाइटी में काम करने आई तो मैं किसी ना किसी आदमी के साथ सोना चाहती थी। पर मैं एक शादीशुदा औरत हूँ और अब भी में अपने पति से प्यार करती थी तो मैंने सिर्फ काम पर ध्यान दिया। जब मैं तुम्हारे घर आई तब तुम्हारी आशिकी भरे नजरों ने मुझे पागल कर दिया था। तुम मुझे बहुत घूरते थे, मुझे समझ आ गया था कि तुम किस नजर से मुझे देख रहे हो। हा हा हा…फिर एक दिन मैंने मेरे पति एक दो रंडी औरतो के साथ घर में सेक्स करते हुए पाया और फिर मैंने तय किया कि मैं तुम्हें मुझे चोदने पर मजबूर कर दूंगी। उसमें मैं सफल हो गई। आज मेरे शरीर को शांति मिली। पर क्या मैं गलत कर रही हूँ? तुम ही बताओ?
मैं- सच में तुम्हारा पति मूर्ख है जो उसने तुम्हारी जैसी आयटम को छोड़ कर रंडियों को चोदने जाता है। तुम कुछ गलत नहीं कर रही हो।
इतना कह कर मैंने उसके बालों में हाथ घुमाया तो वो और भी कामोत्तेजित हो गई और फिर हमें कोई रोकने वाला नहीं था। मैं उसके साथ नहाया और उसके पूरे बदन की मस्त मालिश कर दी।
अगले दिन तो वो सुबह जल्दी आ गई।
मैंने कहा- शीतू आज सुबह दूध नहीं आया। क्या करें?
शीतल- कोई बात नहीं, आज तू मेरा दूध पी। हा हा हा हा….
यह कह कर उसने मेरा सर पकड़ा और अपने स्तनों को लगा दिया। फिर क्या मैंने उसे चोदना चालू किया।
अब हर शनिवार, रविवार या फिर माँ घर पर नहीं होती तब मैं उसे चोदता हूँ। अब तक लगभग 200 कंडोम, 50 गर्भ निरोधक गोलियाँ सेक्स के लिए ख़त्म कर दी। मेरे सारे पैसे कंडोम खरीदने में जाने लगे हैं। हा हा हा हा..
शीतल ने मुझे लड़की पटाने की भी बहुत टिप्स दी। आज मेरी एक खूबसूरत गर्लफ्रेंड होने की वजह से कभी कभी शीतल को ना चोदने का मन करता है। दो औरतों को लेने जितनी मेरी सहनशक्ति नहीं है।
पर क्या करूँ, आज शीतल मेरी रखैल नहीं है, बल्कि मैं उसका रखैल बन चुका हूँ।
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