आशा की चुदास
प्रेषक : नितिन राज
दोस्तो, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है, वैसे मैं अन्तर्वासना की अधिकतर कहानियाँ पढ़ चुका हूँ इसलिए मैंने अपनी कहानी भी आप लोगों को सुनाने की सोची। अब मैं बिना कोई देर किए अपनी कहानी आप लोगों को सुनाता हूँ मेरा नाम राज है, मैं नागपुर से इंजीनियरिंग कर रहा हूँ।
बात उस समय की है जब मैं इंजीनियरिंग के चौथे सेमस्टर में था। हम 3 दोस्त साथ में एक फ्लैट में रहते थे, हमारे घर पर खाना बनाने आशा नाम की एक बाई आती थी। वो कहने को बाई थी, पर थी एक नंबर की आइटम।
वो जब भी अपने आशिक से फोन पर बात करती थी, मैं उसकी बात सुन लेता था। वो ‘चोदने’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल ज्यादा करती थी, वो भी मेरे सामने।
पहले तो मुझे उसे चोदने का ख्याल नहीं आया, पर धीरे-धीरे हम दोनों में बात बनती गई और धीरे-धीरे उसका जादू मुझ पर भी हावी होने लगा।
फिर वो दिन आया जब मेरे दोनों रूम मेट्स घर गए हुए थे। उस रात क्या माल लग रही थी वो, उसे देख कर मेरा लंड फुफकार मारने लगा और मैंने भी उसे चोदने का प्रोग्राम बना लिया। मैंने जब देखा कि वो अब जाने वाली है, तो मैं जानबूझ कर अपने लैपटॉप पर ब्लू-फिल्म लगा कर सोने का नाटक करने लगा।
वो रोज़ जाने टाइम मुझे बोल कर जाती थी, सो उस दिन भी वो मेरे पास आई पर मैं जान बूझकर नहीं उठा। फिर उसकी नज़र मेरे लैपटॉप पर पड़ी, रूम की लाइट ऑफ थी। वो मेरे कमरे से बाहर गई और हर खुले दरवाजे को बंद कर दिया। मैं भी समझ गया कि वो भी आज चुदने के मूड में थी।
जब वो लौट कर आई, तब भी मैं सोने का नाटक कर रहा था। तब उसने मुझे उठाने की कोशिश की, मैंने जानबूझ कर अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को बाँध लिया।
वो बोलने लगी- राज कोई देख लेगा।
और साथ ही वो ‘आआ… आ… आउउ… उ…’ की आवाजें निकालने लगी, मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकाल रही थी। उसकी गर्म सासों से मैं पागल हो गया, वो मुझे चूमने लगी, हम दोनों की साँसें और शरीर गर्म हो गए।
मैंने उससे बोला- आशा, अपनी मम्मे दिखाओ ना !
पहले तो उसने मना कर दिया, फिर उसने अपने हाथों से अपनी ब्लाउज, साड़ी, पेटीकोट सब खोल दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी। मैंने उसके मम्मे जी भर कर दबाए।
मुझे कुछ देर समझ में नहीं आया कि क्या करूँ? फिर मैंने लैपटॉप को टेबल पर रखा और एक पॉर्न वीडियो चला दिया। वीडियो देख कर मैं पागल हो गया था। उसे मैं बेडरूम में ले गया और उसको चूमने और चाटने लगा। मैं उसकी चूत के पास आया और चूत को चाटने लगा तो उसने मुझे अपने पैरों से दबा लिया।
बोलने लगी- खूब चाटो मेरे राज मेरी चूत को, मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी प्यास बुझा दो !
और मैं उसकी चूत को चाटने लगा। पांच मिनट में वो मेरे मुँह में झड़ गई और मैं उसकी चूत के अमृत को चाट कर पी गया।
फिर उसने उठ कर मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे लंड को मुँह में लेकर चाटने लगी। अचानक वो उठी और डाबर हनी की बोतल निकाल लाई और मेरे लंड पर डाल कर खूब चाटने लगी।
कुछ देर बाद मैंने कहा- आशा, मेरा होने वाला है !
तो उन्होंने कहा- मेरे मुँह में झड़ो ! मैं तुम्हारा अमृत पीना चाहती हूँ!
और वो मेरे लंड को तब तक चूसती रही जब तक मैं उनके मुँह में झड़ नहीं गया।
वो मेरा लंड को लगातार चूस रही थी, जब तक मेरा लंड दोबारा खड़ा नहीं हो गया। उसके बाद वो बेड पर लेट गई और मुझे अपने ऊपर ले लिया और मेरे लंड को अपनी चूत में रगड़ने लगी।
मैंने पूछा- आशा ! क्या मैं तुम्हें चोद सकता हूँ?
वो बोली- और नहीं तो क्या ! तेरा लौड़ा मैं अपनी चूत पर इसीलिए तो घिस रही हूँ।
मैंने कहा-, क्या तुम्हें चुदाई करते वक़्त गन्दी बात करना पसंद है?
फिर मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और अपना लौड़ा उनकी चूत में डालने लगा तो वो चिल्लाने लगी, पर मैंने उनकी एक न सुनी और धीरे-धीरे अपना पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया।
मैंने अपना लंड निकाला और एक बार में पूरा लंड उनकी चूत में पेल दिया और उन्हें जम के चोदने लगा और वो भी बहुत बड़ी चुदक्कड़ थी, खूब गांड उछाल कर चुदवा रही थी और साथ में गालियाँ दे रही थी।
“चोद मेरे चोदू राजा… तेरे लौड़े में जान है, मेरा वो गांडू आशिक का तो खड़ा ही नहीं होता… और जोर से धक्के लगा.. मैं तो कब से चुदने को तैयार थी, तूने ही देर कर दी, आह… आह… चोद… साले… और जोर से पेल…”
उसकी मदहोश करने वाली आवाज़ पूरे कमरे में गूज़ रही थी, “आह… आआ… आईई… मरर… गईई… ईईईई… जोर से चोद ! फाड़ दे मेरी चूत को ! चोद और जोर से !”
मैं भी अब जोश में धक्के पर धक्के लगा रहा था, पर करीब 20-25 धक्कों के बाद मेरे लण्ड में भी हरकत शुरु हुई और मैंने भी उसको कस कर पकड़ लिया और उसकी जीभ चूसने लगा, फिर मैंने भी अपना सारा लावा उनकी चूत में उड़ेल दिया और पस्त होकर उसके नंगे बदन पर ढेर हो गया।
कुछ देर तक हम यूं ही पड़े रहे, फिर जैसे ही मैं उठ कर कपड़े पहनने लगा, उसने मुझे रोक कर एक लम्बी चुम्मी मेरे होंठों पर दी और मुस्कराते हुए बोली- अब जब भी मन करे, मुझे फोन कर देना, तुम जब बुलाओगे, मैं आ जाऊँगी, मैं आज से तुम्हारी हुई, आज मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन है।
उसने कपड़े पहने और मैंने भी उनको चूमते हुए उसे विदाई दी।
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