कामवाली जवान लड़की की चुदाई

(Kam Wali Jawan Ladki Ki Chudai)

नमस्कार दोस्तो, मेरी पिछली चुदाई स्टोरी
पड़ोसन चाची की चूत की चुदाई https://www.antarvasna3.com/series/padosan-chachi-ki-chut-ki-chudai-ki/
में आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने अपनी चाची को चोदा. इस कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैं चूतों के एक ऐसे भंडार में पहुंच गया, जहां मैं जब चाहूं, जैसे चाहूं चुदाई कर सकता था.
और हां, मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि मेरी पिछली कहानी और यह कहानी मेरी जिन्दगी की सच्ची घटनाएं हैं. आपको भले ही ये बनावटी लगें, पर ये सच्ची कहानी हैं. कहानी को मजेदार बनाने के लिए मैंने कुछ मसाला अपनी तरफ से जोड़ा है और नाम सारे काल्पनिक रखे हैं.

वैसे चूत चुदाई के मामले में मैं अपने आपको बहुत लकी मानता हूं क्योंकि मैं जहां भी रहता हूं, कहीं ना कहीं से चूत का जुगाड़ हो ही जाता है. एक समय तो ऐसा था कि 6 औरतें और 4 लड़कियां ऐसी थीं कि जिनकी चुदाई मैं जब चाहूं, तब कर सकता था. वो भी चुदाई के लिए हमेशा तैयार रहती थीं.

उन सबकी चुदाई के बारे में बाद में बताऊंगा, फिलहाल इस कहानी के बारे में बात करता हूं.

चाची की चुदाई के बाद मुझे चुदाई का ऐसा चस्का मुझे लग गया था कि अब चूत के बिना रहना मेरे लिए मुश्किल था. सन 2011 में मैंने इंटरमीडिएट पास किया. उसके बाद मेरे मम्मी पापा मुझे आगे की पढ़ाई के लिए किसी बड़े शहर के अच्छे कालेज में भेजना चाहते थे. पर मैं वहां नहीं जाना चाहता था क्योंकि बड़े शहर मेरे गांव से काफी दूर थे और वहां से मैं जल्दी घर नहीं आ सकता था. चूंकि अब मैं चूत के बिना रह नहीं सकता था और चाची की चूत के अलावा मेरे पास लंड को शांत करने का और कोई उपाय नहीं था.

तो मैं अपने घर से 35 किमी दूर एक छोटे से शहर में रहने को राजी हुआ ताकि मैं हर शनिवार को घर आ जाऊं और चाची की चुदाई करके वापस चला जाऊं. पर मुझे क्या पता था कि जहां मैं जा रहा हूं, वहां एक से बढ़ कर एक चूत मिलेंगी.

मैंने एक कालेज में एडमीशन लिया और वहीं किराए का कमरा लेकर रहने लगा. जहां मैं रहता था, वो 2 मंजिल का मकान था. इस मकान में नीचे कई कमरे थे, जिनमें से एक में सिर्फ मैं ही रहता था. दूसरी मंजिल पर मकान मालिक रहता था.

मेरा मकान मालिक राजनीतिक आदमी था, तो वो दिन भर घर से बाहर ही रहता था. मेरे कालेज की छुट्टी 12 बजे हो जाती थी. इस तरह घर में ज्यादातर सिर्फ चार ही लोग रहते थे. नीचे की मंजिल में मैं अकेला और ऊपर मकान मालकिन, उनकी भतीजी नेहा और उनकी कामवाली, जो कि लगभग 18-19 साल की थी. उसका नाम ऊषा था. मकान मालकिन का मायका थोड़ी ही दूर पर था, तो वो भी कभी कभी अपने मायके चली जाती थी.

उस मकान में मैं पूरे 3 साल तक रहा और मेरे अगल बगल के कमरों में कई भाभियां रहने के लिए आईं और गईं और लगभग सभी को मैंने चोदा. पर वो सब आगे बताउंगा.

जल्दी ही मैंने जिम जाना शुरू कर दिया ताकि शाम को दो घंटे जिम में कट जाएं. मेरा शरीर पहले से ही ठीक ठाक था. दो महीने जिम जाने के बाद और भी गठीला हो गया. बीच बीच में मैं घर जाकर चाची की चुदाई कर आता था, तो इसीलिए मेरा लंड ज्यादा उफान नहीं मार रहा था.

अब उस काम वाली ऊषा के बारे में बता दूं. वो लगभग 19 साल की हल्की सांवली छरहरे बदन वाली लड़की थी. शुरूआत में मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, पर आते जाते नजर पड़ ही जाती थी.

धीरे धीरे दो महीने गुजर गए. अब ऊषा मुझसे काफी बातें करने लगी थी. कभी कभी वो मुझे देखकर मुस्कुरा भी देती थी. मुझे लगा कि वो मुझे पसंद करती है. मैंने सोचा अगर ये पट जाए, तो चूत का जुगाड़ यहीं हो जाए … और ये कितना अच्छा रहेगा. यही सोच कर मैं भी उसे पटाने में लग गया और कामयाब भी रहा.

एक दिन हमेशा की तरह मकान मालिक और उनकी बीवी के जाने के बाद मैं और ऊषा घर में अकेले बचे. मैं नीचे की सीढ़ियों पर बैठा था. तभी ऊषा बालकनी में आयी. मैंने उसे फ्लाईंग किस दी, जिसका जवाब उसने फ्लाईंग किस से ही दिया. मैंने लंड पर हाथ फेर कर उसे नीचे आने का इशारा किया, तो वो थोड़ा रुकने का इशारा करके अन्दर चली गयी. मैं समझ गया कि ये भी चुदना चाहती है.

मैं झट से अन्दर गया, मैंने चड्डी उतार के सिर्फ कैप्री पहन ली और उसका इंतजार करने लगा. थोड़ी देर में वो मेरे कमरे में आ गयी तो मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और खुद उसके बगल में बैठ गया. थोड़ी देर तक मैं इधर उधर की बातें करता रहा. ऊषा काफी शरमा रही थी और मुझसे नजरें भी नहीं मिला रही थी.

फिर मैंने एक हाथ उसकी जांघों पे रखा और सहलाने लगा. धीरे धीरे वो गर्म होने लगी. फिर मैंने उसे बिस्तर पर ही लिटा दिया और उसके नाजुक मुलायम होंठों पे अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा. बस 5 मिनट तक किस करने के बाद मैंने सोचा जल्दी से चुदाई कर ली जाए क्योंकि मकान मालकिन कभी भी उसे बुला सकती थी.

मैं उसकी कुर्ती उतारने लगा तो उसने मना कर दिया … क्योंकि वो भी डर रही थी. मैंने भी ज्यादा जबरदस्ती नहीं की क्योंकि मुझे पता था कि अब तो ये मेरे हाथ में है. कभी ना कभी तो नंगी होगी ही. मैं उसे फिर से किस करने लगा और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. अपना एक हाथ सलवार में डालकर सीधे उसकी चूत पे रख दिया और सहलाने लगा.

ऊषा की चूत बिल्कुल गर्म थी और थोड़ा थोड़ा रिस रही थी. मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाली तो आराम से चली गयी. मैं समझ गया कि ये पहले से चुदी हुई है. बाद में उसने मुझे बताया कि मकान मालिक ही उसे कभी कभी चोदता था. खैर मैं उसकी चूत में उंगली डालकर अन्दर बाहर करने लगा और साथ में उसके होंठों का रसपान भी करता रहा.

मेरा लंड पूरा तन चुका था और कैप्री से बाहर आने को तड़प रहा था. मैंने झट से अपनी कैप्री उतार दी और नंगा हो गया और ऊषा का एक हाथ नीचे ले जाकर अपना लंड पकड़ा दिया. वो मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ कर आगे पीछे करने लगी और बोली- कितना बड़ा है तुम्हारा!
मैंने कहा- तभी तो मजा आता है … एक बार अन्दर ले लोगी, फिर बड़ा नहीं लगेगा.

पांच मिनट उसकी चूत में उंगली अन्दर बाहर करने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा. मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है. मैं और तेजी से उंगली डालने लगा. जल्दी ही वो झड़ गयी और उसकी चूत से रसधार बह निकली.
झड़ने के बाद ऊषा ने मुझे कस कर पकड़ लिया और किस करने लगी.

मैंने कहा- यार तुम्हारा तो हो गया, पर मेरा अभी बाकी है.
तो ऊषा ने कहा- आज नीचे मत करो … कहीं बीच में ही मालकिन ने बुला लिया तो तुम्हें भी मजा नहीं आएगा … लाओ मैं आज हाथ से करके तुम्हारा निकाल देती हूं … नीचे किसी और दिन कर लेना.
मैंने कहा- हाथ से नहीं … मुँह से करो.

मैं उठ कर घुटनों के बल उसके मुँह के पास बैठ गया और लंड को उसके होंठों पे रख दिया. पर उसने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया और बोली- मुँह से नहीं करूँगी … पता नहीं कैसी महक आ रही है.
मेरे काफी मनाने के बाद वो लंड मुँह में लेने को राजी हुई. उसने मेरे लंड को पकड़ कर चमड़ी पीछे की … और सुपारे को किस करके धीरे से मुँह में भर लिया. वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर आगे पीछे करने लगी.

मैं पूरी मस्ती में था, तो मैंने उसका सिर पकड़ा और आधा लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया. उसने छटपटा कर मुँह से लंड निकालने की कोशिश की, पर मैंने उसका सर कस कर पकड़ रखा था. उसी तरह मैं उसके मुँह को चोदने लगा. धीरे धीरे मैं अपना पूरा लंड उसके गले तक उतार के चोदे जा रहा था. वो मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी, पर हटा नहीं पा रही थी.

पूरे 5 मिनट तक उसके मुँह को चोदने के बाद मैं अपने चरम पर था. फिर मैंने अपना 8 इंच लम्बा लंड उसके मुँह में जड़ तक ठूंस दिया और उसके मुँह में ही झड़ गया. उसकी आंखों से आंसू आ गए. उसका दम घुटने लगा था. वीर्य की आखिरी बूंद निकलने तक मैंने लंड को उसके मुँह में ही रखा. फिर मैंने लंड उसके मुँह से निकाल लिया और बैठ गया.

वो भी उठकर अपने कपड़े सही करने लगी. फिर वो ऊपर चली गयी और मैंने भी कैप्री पहन ली.

उस दिन के बाद ये हमारा रोज का काम हो गया था. उसे जब भी टाईम मिलता वो मेरे पास आ जाती और हम चूमाचाटी कर लेते. दिन में एक दो बार मैं उसे लंड चुसवा ही देता और अपना माल उसके मुँह में ही निकालता, जिसे वो पी जाती. पर असली मजा तो चूत की चुदाई में ही आता है. लेकिन उसे चोदने का मौका मुझे नहीं मिल रहा था.

ऐसे ही 15 दिन निकल गए. एक दिन सुबह जब मैं नहाने जा रहा था, तो ऊषा ने मुझे सीढ़ियों पर बुलाया. मैं तुरंत पहुंच गया और उसे पकड़ कर किस करने लगा.

दो मिनट किस करने के बाद वो बोली- आज मालकिन तीन चार घंटे के लिए बाहर जाएंगी … नेहा (मकान मालकिन की भतीजी) भी स्कूल चली जाएगी.
इतना सुनते ही मैं खुश हो गया और मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने कहा- तो फिर आज तैयार रहना. आज तो मैं पूरा मजा लूंगा.

फिर वो मुझसे हाथ छुड़ा कर चली गयी और मैं भी सीधे बाथरूम में गया और मुठ मारने लगा क्योंकि मेरा लंड खड़ा हो चुका था. उसकी चूत को याद करते हुए मार रहा था. जल्दी ही मैं झड़ गया. फिर मैं नहाया और कॉलेज जाना कैंसिल कर दिया … क्योंकि ऐसा मौका पता नहीं फिर कब आता.

ठीक 9 बजते ही नेहा तो स्कूल चली गई, पर मैं मकान मालकिन के जाने का इंतजार कर रहा था.
थोड़ी देर बाद मकान मालकिन मेरे पास आईं और बोलीं- चार्ली मैं बाहर जा रही हूं … दोपहर तक आ जाऊंगी … ऊषा अकेली है, तो थोड़ा ध्यान रखना.
मैंने कहा- ठीक है आप जाइये … अगर लेट हो जाएँ आप, तो फोन कर दीजिये.

मन में तो आया कि कह दूं कि आप जाइये तो बस … फिर ऊषा का और घर का मैं बराबर ध्यान रखूंगा.

खैर वो चली गईं. उनके जाते ही मैंने मेन गेट अन्दर से लॉक किया और सीधे ऊषा के पास पहुंच गया. वो दरवाजे पर ही खड़ी थी. जाते ही मैंने उसे पकड़ा और किस करने लगा. मैंने उसे कमर से पकड़ कर उठा लिया और बेडरूम में ले गया.

बेडरूम में पहुंचते ही मैंने उसका कुर्ता और सलवार उतार दिया. उसने नीचे कुछ नहीं पहना था. वो भी आज चुदने की पूरी तैयारी में थी. वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. उसके छोटे छोटे संतरे जैसे बूब्स और उसकी जांघों के बीच छोटे बालों से घिरी छोटी सी चूत देखकर मेरा लंड उफान मारने लगा.

मैंने भी झट से अपने कपड़े उतार दिए. चड्डी उतारते ही मेरा लंड तन कर 90 डिग्री में खड़ा हो गया. फिर मैंने उसे बेड पर इस पोजीशन में लिटाया कि उसका सिर मेरी तरफ और पैर दूसरी तरफ थे. उसकी गर्दन बेड के किनारे से बाहर लटक रही थीं. इसी पोजीशन में मैंने अपना लंड उसके होंठों पे रख दिया. उसने भी मुँह खोल कर लंड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपाप की तरह लंड चूसने लगी.

मैं उसके मम्मों को दबा रहा था और धीरे धीरे उसके मुँह को चोद रहा था. फिर मैं उसके ऊपर झुक गया और उसकी नाभि के पास किस करने लगा, जिससे वो सिहर उठी. मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा और सहलाने लगा और उसकी चूत में उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगा.

वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी. मुझे उसकी चूत में उंगली डाले 2 मिनट ही हुए होंगे कि उसका शरीर अकड़ने लगा. उसने मेरे लंड पर अपने दांत गड़ा दिए और इधर उसकी चूत से कामरस बह निकला. पर मैं अभी नहीं झड़ा था क्योंकि मैंने थोड़ी देर पहले ही नहाते हुए मुठ मारी थी.

मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया और उसे बेड के किनारे पे सीधा लिटा दिया. फिर मैंने उसकी टांगें मोड़ कर ऊपर कर दीं और अपना एक पैर के घुटने को मोड़ कर बेड पर रखा. मेरा दूसरा पैर फर्श पर ही था. उसकी खुली हुइ चूत मेरे लंड के ठीक सामने थी और मेरे लंड को आमंत्रित कर रही थी. उसकी चूत का रस उसकी गांड से होते हुए नीचे तक बह रहा था.

मैं अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, तो वो आंखें बंद करके मेरे लंड की रगड़ को महसूस कर रही थी. फिर मैंने उसकी चूत की फांकों को फैलाया और लंड को चूत के मुहाने पर लगा कर हल्का सा धक्का दे दिया. तो मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया और उसके मुँह से ‘आह’ निकल गयी.

फिर मैंने उसकी कमर कस के पकड़ ली और जोरदार धक्का मारा. वो ‘अईईईईई उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करके चीख पड़ी. मैंने तुरंत एक हाथ उसके मुँह पे रख दिया. मैंने लंड को थोड़ा पीछे करके एक और झटका लगाया. इस बार मेरा लंड उसकी चूत को चीरते हुए जड़ तक समा गया. वो छटपटायी और रोने लगी, पर मैंने सोचा अगर मैंने लंड निकाल लिया, तो ये दोबारा डालने नहीं देगी. मैं उसके ऊपर लेट गया और किस करने लगा.

थोड़ी देर में जब वो नार्मल हुई तो मैंने धीरे धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू की. अब उसे भी मजा आने लगा था और वो नीचे से कमर उठा उठा के मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी.

दस मिनट तक मैं उसे ऐसे ही चोदता रहा. अचानक उसका शरीर कांपने लगा. मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है. उसने मुझे कस कर पकड़ लिया. तभी उसकी चूत का बांध फूट पड़ा. उसकी चूत के रस ने मेरे लंड को पूरा भिगा दिया.

अब मेरा लंड पिस्टन की तरह उसकी चूत में चल रहा था. चूंकि उषा झड़ चुकी थी, तो उसे अब मजा नहीं आ रहा था और मेरा शरीर उसे बोझ लग रहा था, ये बात मैं समझ रहा था. इसलिए मैं चूत में लंड डाले हुए ही पलट गया और उसे अपने ऊपर कर लिया.

अब मैं नीचे से धक्के लगाते हुए उसे किस करने लगा. थोड़ी ही देर में वो फिर से गर्म हो गयी और कमर हिलाने लगी.

फिर मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और घोड़ी बना दिया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल कर चोदने लगा. दस मिनट धकापेल चुदाई के बाद ऊषा फिर से झड़ गयी. मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी. दो मिनट बाद मेरे लंड ने पिचकारी मार दी और ऊषा की चूत को वीर्य से भर दिया.

मैंने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया. ऊषा ने मेरे लंड को साफ किया जोकि मेरे वीर्य और उसके चूत के रस से सना हुआ था. मैं लेट गया और वो अपनी चूत को साफ करने बाथरूम में चली गयी. बाथरूम से आकर वो मेरे ऊपर ही लेट गयी और हम दोनों काफी देर तक इधर उधर की बातें करते रहे. इस बीच वो अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी, जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

वो बोली- यार, तुम्हारा उस्ताद तो फिर से खड़ा हो गया.
मैंने कहा- तुमने ही खड़ा किया है, चूत रगड़ के … अब तुम ही करो.

उसने तुरंत पलट कर मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी देर चूसने के बाद वो अपने घुटने मेरी कमर के अगल बगल बेड पर टिका कर बैठ गयी. फिर उसने अपनी गांड ऊपर उठा कर लंड को चूत में सैट किया और धीरे धीरे नीचे बैठते हुए पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया.

अब वो उछल उछल कर चुद रही थी और मैं उसके बूब्स दबा रहा था. थोड़ी देर में वो थक गयी, तो मैंने उसे नीचे लिटाया और धकापेल चोदने लगा.

इस बार काफी देर तक मैंने उसकी जबरदस्त चुदाई की. मैंने उसकी गांड भी मारनी चाही, पर उसने मना कर दिया. इस तरह उस दिन मैंने मकान मालकिन के आने से पहले ऊषा को एक बार और चोदा.

उस दिन के बाद जब भी घर पे कोई ना होता, तब हम दोनों चुदाई कर लेते. कुछ दिनों बाद जब सर्दी ज्यादा बढ़ गयी, तब तो हद ही हो गयी. मकान मालिक, मकान मालकिन और उनकी भतीजी नेहा 9 बजे तक अपने बेडरूम में जाके सो जाते. ऊषा अलग रूम में रहती थी, तो वो चुपके से मेरे पास आ जाती और हम रात भर खूब चुदाई करते. वो भी चुदक्कड़ थी. उसका भी दिल कभी एक बार लंड से नहीं भरता था और मैं तो था ही बार बार चूत चुदाई के लिए.

जवान लड़की की देसी चुदाई स्टोरी आपको कैसी लगी, मुझे ईमेल करके जरूर बताएं.
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