पुश्तैनी गाँव में चुदाई का मजा- 2

(Indian Desi Xxx Chut Kahani )

मानस यंग 2024-01-07 Comments

इंडियन देसी Xxx चूत कहानी में मैंने अपने गाँव की एक युवा भाभी को पूरी नंगी करके चोदा. वह भी पूरी गर्म हुई पड़ी थी और लंड मांग रही थी. मेरा लंड उसे बहुत पसंद आया.

नमस्कार दोस्तो,
कहानी के पहले भाग
देसी भाभी ओरल सेक्स का मजा
में आपने पढ़ा कि गाँव में हमारे खेत में काम करने वाली एक गर्म जवान भाभी मुझे पटाकर अपनी चूत मरवाना चाह रही थी. मुझे भी चूत की जरूरत थी.
तो एक दिन ऐसा आया कि हम दोनों एक कमरे में नंगे होकर फोरप्ले का मजा लेने लगे. हमने जम कर ओरल सेक्स का मजा लिया.

अब आगे इंडियन देसी Xxx चूत कहानी:

एक दो बार मैंने जम के उसके चूत का सड़का लगाते हुए मेरा लंड उसके गले तक घुसा के वहीं फंसा कर रखा ताक़ि लंड चुदाई के लिए ठीक से गीला हो सके.

मेरे लंड के सुपारे पर सक्कू के मुँह की गर्मी का असर हो चुका था, लंड अपनी सारीं नसें फ़ुलाकर चुदाई के लिए तड़प रहा था.

सक्कू के बदन से उठते हुए मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह से बाहर निकाला और बोला- साली रंडी, चुदवाने आयी है या बस चूसकर पानी पियेगी मादरचोद कुतिया?
वह तो चुदने के लिए कब से तैयार थी, झट से मेरा लौड़ा अपने हाथ में लेकर बोली- आह्ह्ह छोटे मालिक़, मैं तो आपक़ी रंडी बन के चुदवाने ही आयी हूँ, घुसा दो ज़ल्दी … बहुत आग लगी है राज़ा!

मुझे ज़्यादातर समय पर औरत को झुका कर उसको कुतिया की तरह करके पीछे से चोदने में मजा आता है क्यूंकि इस अवस्था में चूत में कसाव बढ़ जाता है और लंड अच्छे से चूत की दीवारें रगड़ देता है.

मैंने जैसे ही उसके बाल पकड़कर उल्टा घुमाया तो उस अनुभवी औरत ने झट से मेरे दिल की बात बिना कहें सुन ली और कुतिया बन कर मेरे सामने आ गयी.

सक्कू ने झुक कर अपनी गांड उठाकर मेरे तरफ की और और अपना सर बिस्तर पर टिका दिया.
उसकी चौड़ी गांड जैसे ही ऊपर उठी तो मुझे उसके गीले चूत और गांड के काले छेद के दर्शन हो गए.

गांड का आकार देख कर ना जाने कितने लोग इस गांड के दीवाने हुए होते.

मैंने भी बिना देर किये उसकी गांड को पकड़ कर फ़ैलाया और पीछे से मेरा लंड उसके भोसड़े के मुँह पर रख दिया.

एक हाथ से मेरा लौड़ा उसके चूत पर रगड़ते हुए मैंने कहा- मेरी रंडी सक्कू, अब देख कैसे मेरा लौड़ा तेरे भोसड़े की माँ चोद देता है बहनचोद!

बस इतना बोलकर मैंने पूरी ताक़त से लौड़े को सक्कू के भोसड़े में घुसा दिया.
तो तेज धक्के से सक्कू आगे की तरफ गिरने लगी.

मैंने तुरंत उसकी कमर थम कर उसको गिरने से बचा लिया और फिर से एक धक्का देकर पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया.

एक के बाद एक धक्कों से सक्कू का बदन हिलने लगा, खुली भोसड़ी में मेरा लौड़ा आराम से सैर करने लगा और चुदाई के आनन्द से सक्कू फिर से रंडियों की तरह आहें भरने लगी.

एक हाथ से उसकी कमर और दूसरे हाथ से उसके बाल खींचे मैं अपने लौड़े से उसके गांड के नगाड़े पीटने लगा.
बदन से बदन टकराने से थप-थप की आवाजें पूरे कमरे में गूंज उठी.

सक्कू ने अपनी गांड को अब अपने हाथों से फ़ैलाते हुए कहा- आईई ईईई छोटे राजा … आआआ चोद दे मेरे मालिक … फाड़ दी बहनचोद मेरी भोसड़ी कुत्ते … और जोर से पेल हरामी … रगड़ दे मुझे … रंडी बना दे मालिक!

सक्कू के नंगे चूतड़ मेरे धक्कों से थरथर काँप रहे थे.
उसकी इंडियन देसी Xxx चूत से निकलता पानी मेरे लौड़े पर अपनी परत चढ़ा रहा था.

चूत थोड़ी कसी होने की वजह से सुपारा उसकी चूत की दीवारों पर अच्छे से रगड़ रगड़ कर अंदर बाहर चल रहा था.
मेरे फ़ूले हुए टट्टे नीचे से उसके चूत का दाना चूम कर वापिस जा रहे थे.

सक्कू जैसी भरे हुए जिस्म वाली औरत को रंडियों की तरह चोदने का मज़ा लेते हुए मैं जंगली जानवर की तरह उस पर टूट पड़ा.
उसके चूतड़ पिट पिट कर मेरे उंगलियों के निशान सक्कू की गांड लाल कर रहे थे.

मैंने अब आगे झुकते हुए सक्कू के दोनों चूचे अपने हाथ में थाम लिए और उनको जोर जोर से मसलते हुए बोला- क्यों मेरे लौड़े की पालतू रंडी, कैसा लगा मेरा लौड़ा छिनाल, देख कैसे रंडी की तरह चुद रही है तू मादरचोद!

सक्कू ने बिना कुछ बोले अपनी गर्दन ऊपर उठाई और मेरे तरफ अपना मुँह करके वह मुँह जोर जोर से चूमने लगी.
मैं भी उसके आम मसलते हुए अपने धक्के तेज़ करने लगा.

लौड़ा जोर जोर से सक्कू का भोसड़ा फाड़ फाड़ कर चोदे जा रहा था.
पर इस बात की ना तो मुझे कोई चिंता थी और ना ही सक्कू को!

उसके लटकते चूचे मसलते मसलते मैंने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और उसकी गर्दन को चूमने लगा.
किसी भी औरत का यह बहुत ही संवेदनशील हिस्सा होता है.

मेरे हो रहे एक के बाद एक हमलों से सक्कू भी उफ्फ ह्म्म्म म्म ईश्श्श श्श्श्श करती हुई अपनी गांड पीछे धकेलने लगी.

उसकी गांड पर उठती तरंगें देखकर मुझे अपने मर्द होने का बड़ा गर्व हो रहा था.
किसी ने सच ही कहा है- किसी और की बीवी चोदने में जो मज़ा है वह और कहीं नहीं!

मैं भी दामू की जवान बीवी को नंगी करके उसके बदन को नोच नोच कर उसकी जवानी का रस पी रहा था.

पर मुझे थोड़ी थकान सी महसूस हुई तो गीली भोसड़ी से लौड़ा बाहर निकाल कर मैं सक्कू की बग़ल में जा गिरा, बिना कुछ बोले उसे मेरे लौडे की तरफ़ इशारा किया.
उसने भी मेरा इशारा समझकर बिस्तर पर बैठ कर उसने मेरे लौड़े पर थूक दिया और जोर जोर से हिलाते हुए मेरे गोटों पर अपनी जीभ घुमाने लगी.

सक्कू के हाथ खेतों में काम करने के कारण थोड़े कड़क हो चुके थे पर उस कड़क हाथों की मालिश क़ा भी अज़ीब मज़ा आ रहा था.
मैं बस उसकी वासना देखते हुए बिस्तर पर लेटा रहा कि वह कैसे एक पराये मर्द के सामने नंगी होकर बेशर्मों की तरह उस मर्द का लौड़ा हिला रही है.

उसके बाल पकड़ कर मैंने उसका मुँह लंड से दूर करते हुए कहा- भोसड़ी की कितना चूसेगी मादरचोद, चल बैठ मेरे लौड़े पर छिनाल!

मेरे आदेश का पालन करते हुए उसने तुरंत मेरे ऊपर आते हुए अपने पैर मेरी क़मर के इर्द गिर्द रखे और नीचे बैठते हुए मेरा लौड़ा अपनी चूत पर रखा.
उसकी चूत की गर्मी मुझे महसूस हो ही रही थी.

उसने झट से अपनी गांड को नीचे दबाते हुए मेरा लौड़ा फिर से एक बार अपने भोसड़े में भर लिया.

अपनी गांड मेरे लौड़े पर दबाते हुए वह अब लगभग पूरा लौड़ा अपने चूत से निग़ल रही थी और मेरे आँखों में देख मंद मंद मुस्कुरा रही थी.

सक्कू के झूलते हुए चूचे हाथों में लेकर मैंने उनको प्यार से दबाना चालू किया.
मेरे मसलने से वे बिल्कुल लाल हो चुके थे और उनकी निप्पल सूज कर फूल गयी थी.

चुदाई के नशे में उसे अपने दर्द की कोई चिंता नहीं थी.
वह तो मदहोश मादा बनकर अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए चुदने क़ा मज़ा ले रही थी.

पहले तो उसने लौड़ा अंदर लेकर अपनी क़मर आग़े पीछे करना चालू किया.
पर जैसे जैसे आग़ भड़कने लगी, वैसे वैसे वह लौड़े पर उछलने लगी.

सक्कू क़ो अपनी तरफ़ लाते हुए उसके दोनों आम मेरे मुँह के बिल्कुल क़रीब आये और एक एक करके दोनों क़ो चूसने लगा.

मेरे दोनों तरफ़ से होते हमले से सक्कू फ़िर एक बार हवस की रंडी घोड़ी बन कर ज़ोर ज़ोर से मेरे लौड़े पर उछलने लगी, अपनी गांड को हवा में जोर से उछालती हुई वह उतनी ही ज़ोर से मेरे लौड़े पर पटक रही थी.

ग़दरायी गांड नीचे आकर जैसे ही मेरे जांघों से टकराती तो थपथप की आवाज़ें चुदाई क़ा माहौल बनाने लगी.
वासना में अधीन होकर सक्कू आहें भरते हुए ख़ुद मेरे लौड़े से चुदवाने लगी.

उसकी दुधारू चूचियाँ कभी मसलते हुए तो कभी उनको चूसते हुए मैं आराम से बिस्तर पर लेटे लेटे सक्कू के भोसड़े का मजा लेने लगा.

उसके बदन से पसीने की खुशबू चुदाई का जोश और बढ़ा रही थी, नर्म नर्म भोसड़े की मालिश से मेरा लौड़ा और ज़्यादा फूलता जा रहा था.
मेरे सुपारे पर एक अज़ीब सी गुदगुदी होने लगी थी और सक्कू की चूत में फंसा मेरे लंड का सुपारा अब बिल्कुल उसके बच्चेदानी पर वार करने लगा था.

जिन जिन पाठकों ने इस अवस्था में चुदाई का मज़ा लिया होगा, उनको यह बात पता होगी कि अगर औरत लौड़े पर बैठ कर चुदवा ले तो ज्यादा ज़्यादा से लौड़ा उसके अंदर ले सकती है.
और इसी कारण सक्कू और कामुक होकर उछल रही थी.

काफ़ी देर तक सक्कू मेरे लौड़े पर उछल उछल कर अपना भोसड़ा चुदवाती रही.
पर काफी दिनों के बाद चुदने का मज़ा मिलने से वह ज़्यादा देर तक इस खेल में मेरा साथ नहीं दे सकी.

मेरे ऊपर लेटकर उसने मुझे कसकर अपनी बाँहों में भर लिया और जोर जोर से मुझे चूमने लगी.
सक्कू की नंगी पीठ सहलाते हुए मैं भी सक्कू के ओंठ काट काट कर चूसने लगा.

वह अब पूरे ताक़त से अपनी गांड ऊपर उठाते हुए मेरे लौड़े पर पटकने लगी थी.
उसके बदन में उठ रही कंपन से मुझे पता चल चुका था कि अब सक्कू का भोसड़ा ज़्यादा देर तक नहीं टिकने वाला.

आखिर के कुछ झटके देते हुए उसने पूरा लंड अपने चूत लेकर वहीं रुक कर बोली- आआ आह ह्ह माँआआ आआ आआआ कट गयी इ इइ इइइइ मालिक … उफ्फ मेरी भोसड़ी इइइ इइइ!

मेरी बाहों में होने के बावजूद उसका पूरा बदन थरथर काँप रहा था.
बीच बीच में वह ऐसे झटके दे रही थी जैसे कोई उसे बिजली का करंट लग रहा हो.

बड़े दिनों से जमा हुआ उसका कामरस फ़व्वारे की तरह मेरे लौड़े पर बरसने लगा.
जिससे मेरा लौड़ा, मेरे गोटे और बिस्तर सब कुछ गीला हो चुका था.

पर मैंने सक्कू के मन की दिशा समझते हुए उसको झड़ने का पूरा आनन्द लेने की सहूलियत दे दी और बिना कुछ किये या बोले चुपचाप उसके भरे हुए बदन के नीचे पड़ा रहा.

धीरे धीरे उसके भोसड़े में जमा हुआ सारा रस मेरे लौड़े पर निकल चुका था.

सक्कू जोर जोर से हाँफती हुई मेरे ऊपर लेटी रही और आंखें बंद करके वह झड़ने का आनन्द लेती रही.

जैसे ही उसका बदन शांत होता गया मैंने फिर से उसको चूमते हुए कहा- क्या बात है मेरी सक्कू रांड, तूने तो आज सारा ख़जाना मुझ पर लुटा दिया. देख बहनचोद, पूरे बिस्तर पर मूत दिया तूने भोसड़ी की!

मेरे बोल सुनते ही सक्कू होश में आयी और झट से मेरा लौड़ा अपने चूत से बाहर निकालते हुए मेरे बगल में बैठकर बिस्तर देखने लगी.
उसके कामरस से भीगा बिस्तर देख कर उसे थोड़ी शर्मींदगी महसूस हुई.
पर उसके चेहरे पर जो संतुष्टि थी, उसके सामने बिस्तर गीला होने का कोई गम नहीं था मुझे!

बिस्तर पर ऐसे ही नंगी बैठी सक्कू को मैंने अपने और खींचा और फिर से उसे चूमते हुए उस गीले बिस्तर पर लिटा दिया.

झड़ने की वजह से सक्कू थोड़ी ठंडी पड़ चुकी थी.
पर जैसे ही मैंने उसके गर्दन और कान की पत्तियाँ चूसना चालू किया तो वह फिर से गर्माने लगी.

अपने हाथ नीचे ले जाते हुए उसने फिर से मेरा लौड़ा अपने हाथों में लिया.
उसके चिपचिपे कामरस से भीगा मेरा लंड उसके कड़क हाथों में टनटनाने लगा.

जैसे जैसे मैं उसके ऊपर आता गया वैसे वैसे उसने भी अपनी टाँगें खोली और लंड को चूत की तरफ बढ़ाते हुए मुझे अपने तरफ खींचने लगी.

मैंने भी सक्कू को अपने नीचे लेते हुए उसकी दोनों टाँगें फ़ैला दी और लौड़ा उसके चूत पर लाकर ऊपर ऊपर से रगड़ने लगा.

जैसे ही सुपारे से सक्कू के भोसड़ी का दाना रगड़ दिया वैसे ही वह उछल पड़ी, एक ज़ोरदार आअह के साथ उसकी गांड भी ऊपर उठती चली गई.

नशीले आँखों से मुझे देखती सक्कू की चूत रगड़ते हुए मैं बोला- ऐसे क्या देख रही है? मन नहीं है क्या चुदवाने का अब तुझे रंडी?
मेरे तरफ़ देख बेशर्मों की तरह वह बोली- ऐसे लौड़े के सामने तो मैं दिन रात नंगी लेट जाऊं राजा … बस अब जल्दी कर दो मालिक! लोगों का खाना खाकर वापिस आने का समय हो रहा है.

सक्कू चुदवाने तो आयी थी पर उसे समाज की भी चिंता थी.
समय सूचकता का पूरा ध्यान रखते हुए उसने मुझे मेरे कर्तव्य में आगे बढ़ने को कहा.

मैंने भी बिना देर किये लंड को इंडियन देसी Xxx चूत में धकेल दिया.
जोर जोर से धक्के लगाते हुए मैंने सक्कू के बच्चेदानी तक का रास्ता ख़ुला कर दिया.

मेरा लंड भी चुदाई के इस लड़ाई में बड़ी देर से डट कर खड़ा था पर अब उसका भी समय नजदीक आ चुका था, मेरे लौड़े में भरे रस को बाहर आने की व्याकुलता हो रही थी.

मैं भी आगे पीछे की ना सोचते हुए सक्कू के ऊपर चढ़ गया और जोर जोर से धक्के लगाते हुए उसका भोसड़ा फिर से चोदने लगा.
चिपचिपी गीली चूत में मेरा लौड़ा भी सरपट दौड़ने लगा.

सक्कू ने अपनी टाँगें और गांड और ऊपर करते हुए कहा- आआ ऊऊफ मालिक … और जोर जोर से चोदो मुझ रंडी को! फाड़ के भोसड़ा बना दो मेरे चूत काआआ आ आआआ!

मैंने भी उसकी हिलती हुई चूचियों को अपने मुट्ठी में भर कर मसलकर कहा- हां मेरे लौड़े की रांड, आज तो तेरे माँ का भोसड़ा भी चोद दूंगा रंडी की औलाद, ले चुद मेरे लौड़े से मादरचोद!

सक्कू के गदराये चरबीदार बदन को नोच-नोच कर मैं अपना लौड़ा उसकी बच्चेदानी तक घुसाने लगा.
गांड ऊपर उठने की वज़ह से मेरा लंड उसके बच्चेदानी पर जोर जोर से ठोकरें मार रहा था.

चूत में फिर से एक बार गर्मी बढ़ने लगी.
और सक्कू अब अपनी गांड उठा-उठाकर मेरे लौड़े को अपने अंदर लेने लगी.

चुदाई के खेल में सक्कू की हालत मैंने सच में किसी धन्धे वाली रंडी की तरह कर दी थी.
उसके बिख़रे हुए बाल, लाल पीला सीना और जगह जगह काटने के निशान से साफ़ पता चल रहा था कि मैंने उसे बिल्कुल एक मर्द की तरह चोदा है.

सक्कू की गर्म गर्म चूत ने मेरे लौड़े को कसके पकड़ रखा था जिससे मेरे लौड़े की आग भड़क कर शोला बन चुकी थी.
जैसे जैसे मैं अपनी रफ़्तार तेज करता चला गया, वैसे वैसे मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा वीर्य मेरे गोटों से बाहर निकलकर ऊपर की तरफ बढ़ने लगा है.

मेरे लौड़े के झड़ने का इशारा मिलते ही मैंने अपना लौड़ा जितना हो सके, उतना अंदर तक घुसा दिया और उसको कसते हुए बोला- ले मेरे लौड़े की रखैल, आज मेरे लौड़े से तेरी कोख़ भर दूंगा साली मादरचोद रंडी की पैदाइश!

पूरा लंड अंदर घुसने के कारण सुपारा सक्कू की बच्चेदानी की दीवार तोड़ते हुए उसके बच्चेदानी के भीतर घुसा चुका था.
और जैसे ही मेरे सुपारे को उसके बच्चेदानी ने चूमा, मेरे अंदर की सारी मर्दानगी वीर्य के रूप में बाहर आने लगी.
वीर्य की पिचकारियां सक्कू के बच्चेदानी को भरती चली गयी.

एक के बाद एक 7-8 पिचकारियों ने सक्कू का बंजर भोसड़ा फिर से हरा-भरा कर दिया.
मैं झड़ते हुए स्वर्गसुख की अनुभूति कर ही रहा था.
कि तभी मुझे भी मेरे लंड पर कुछ गर्म गर्म महसूस हुआ.
मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि वीर्य की गर्मी से सक्कू एक बार फिर से अपना रस मेरे लौड़े पर बरसा रही है.

झड़ने के बाद मैं वैसे ही सक्कू के ऊपर कुछ देर लेटा रहा.
उसने भी मुझे उठाने की कोई कोशिश किये बिना उल्टा मुझे अपने बाँहों में भर लिया और मेरे पसीने से भरे माथे को चूमने लगी.

मुझे ख़ुशी थी कि मैंने सक्कू जैसी एक जवान औरत का बदन आज मेरे लौड़े की मार से ठंडा कर दिया था.
और सक्कू भी आज बड़े दिनों के बाद मिले कामसुख से खुश थी.

चुदाई का पर्व ख़त्म करके हमने अपने आप को संवारा और कपड़े पहनकर हम फिर से एक दूसरे को चूमते हुए कमरे से बाहर आने लगे.

तभी हमारी नज़र मेरे गाँव की शोभा चाची पर पड़ी जो आंखें बंद करके अपना हाथ साड़ी के अंदर घुसाकर अपनी चूत रगड़ रही थी.

इसके बाद क्या हुआ, यह ज़रूर आपको बताऊंगा.
पर पहले आप बता दो कि आपको इंडियन देसी Xxx चूत कहानी कैसी लगी.
मानस पाटिल
[email protected]

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