ड्राईवर और नौकर से चुदी
सभी अन्तर्वासना पढ़ने वाले पाठकों को और गुरु जी कोटि कोटि प्रणाम !
इतनी पड़ रही सर्दी में भगवान् सब के लौड़े खड़े रखे और ऐसे ही चूतें बजती रहे !
मेरा नाम है अनु और मैं पंजाब की रहने वाली एक बहुत बड़े व्यापारी की हसीन बीवी हूँ। पैसों के लिए अपने से कहीं बड़े उम्र वाले से घरवालों के खिलाफ जाकर शादी कर ली थी लेकिन अब सब मुझे बुलाते हैं और हम दोनों के प्यार को समझ चुके हैं। मेरी उम्र महज़ तेईस साल और मैं एक हाउस वाईफ हूँ। नौकर-चाकर घर में बहुत हैं। एक साधारण से परिवार से निकल आलीशान बंगले की रानी बन गई।
मैं इतनी ज्यादा खूबसूरत और जवान औरत हूँ, शादी से पहले न जाने कितने लड़कों से मेरे शारीरिक संबंध रहे थे और फिर शादी के बाद तो मैं प्यासी रहने लगी, ऊपर से मेरा बुड्डा पति बहुत डरता था कि कहीं उसकी खूबसूरत पत्नी किसी और की बाँहों का श्रृंगार न बन जाये, वो रोज़ रात मुझे गर्म तो करता लेकिन अपना पानी निकलते ही मुझे ऊँगली से ठंडी कर देता। लेकिन मुझे तो मोटे मोटे लौड़ों के बिना कहाँ मजा आता।
खैर चलो अब हम असली मुद्दे पर आते हैं। मेरे पति मेरे लिए बहुत बहुत महंगे कपडे लाते, सेक्सी ड्रेस ख़ास करके बेडरूम वीयर, जो मैं घर में आम तौर पर पहन लेती थी जिससे मेरा जवान जिस्म देख नौकर-चाकर आहें भरते थे अन्दर ही अन्दर !
तभी घर में मेरे साथ अजीबोगरीब सी घटना घटने लगी। मैं अपनी ब्रा पैंटी धोने के लिए रखती, धोकर वापिस भी आ जातीं लेकिन उन पर सफ़ेद धब्बे लगे मिलते जैसे कि किसी ने माल पौन्छा हो। अब यह आये दिन होने लगा। खैर मैंने भी सोचा कि अब तो दाल में कुछ काला है जो पता लगाना होगा।
फिर मैंने अपनी नज़र रखते हुए और अपनी पैंटी धोने डाल दी। मेरा नौकर उसे बाकी कपड़ों के साथ ले गया। मैं छुप कर देखने लगी। मशीन में डालने से पहले वो कमीना मेरी पैन्टी सूंघने लगा। मुझे भरोसा हो गया कि बाकी काम भी यही करता होगा।
उसने पैन्टी धो कर डाल दी और चला गया। उसके बाद रसोई में काम करना लगा। दोपहर को काम कर जब वो अपने क्वाटर में गया तो मैं छत पर गई और छुप कर बैठ गई। तभी मेरा ड्राईवर छत पर आया और उसने मेरी पैंटी तार से उतारी और ब्रा भी और जेब में डाल पीछे सर्वेंट क्वाटर में चला गया। वहाँ नौकर पहले से ही था।
साले, आज मैडम ने आग लगाने वाली पैंटी धुलवाई है ! वो मेरी पैंटी को चूमने लगा और बोला- चल देखतें हैं कौन पहले पैंटी गीली करता है ! मैडम है ही साली रांड-चुदक्कड़ !
ऐसी बातें वो खुद को उकसाने के लिए कर रहा था। दोनों ने एक साथ लौड़े निकाले, सोये हुए लौड़ों को जैसे ही पैंटी पर घिसाया तो खड़े होने लगे।
वाह ! कितने बड़े और कितने मोटे लौड़े थे दोनों के !
देख कर स्वाद आ गया ! दिल किया कि जाकर थाम लूँ दोनों को ! कई दिनों से भूखी थी, पति कनाडा गए हुए थे, सासू माँ और ससुर जी आजकल दूसरे बेटे के साथ थे, वो बारी बारी रहते थे।
मैं अपने कमरे में गई और पारदर्शी नाईटी पहनी, बाल खुले छोड़े और वापिस वहीं आ गई।
दोनों का अभी नहीं निकला था।
साले, अगर मैडम मुझ से चुदवाये तो उसको मायके में जाकर ना चुदवाना पड़े !
मैं हैरान रह गई, रुक न पाई।
कमीने, तू मेरी मुखबरी करता है !
मुझे देख दोनों ने मुठ मारनी बंद की और सफाई देने लगे।
रोज़ मेरी पैंटी को अपना माल खिलवाते हो ?
सॉरी मैडम !
मैं आगे बढ़ी और घनशाम का लौड़ा सहलाने लगी। कमीनो मेरे कमरे में आओ !
जी !
जाते ही नाईटी उतार दी और ब्रा पैंटी में ही बिस्तर पर लेट गई।
मेन-गेट पर बाहर से ताला लगाकर पिछले दरवाज़े से अन्दर आकर कुण्डी लगा दे !
कुत्ते, इधर आकर मेरी चूत सहला !
वो अपनी जेब से दारु का पव्वा निकाल कर डकार गया और मुझे पकड़ लिया- साली रंडी ! कुत्ता कहती है ?
उसने मेरे बाल खींचते हुए मेरी ब्रा फाड़ कर फेंक दी। पीछे से राधे ने पैंटी खींच दी- बहुत तड़फ़ाती हो मैडम !
मैं बोली- मैडम नहीं रांड कहो !
तेरी माँ की चूत ! तू तो सवा सेर निकली ! राधे मेरे चूतड़ चूम रहा था।
मैंने घनशाम को नंगा कर दिया और उसके लुल्ले को चूसने लगी।
वाह वाह मेरी छम्मक छल्लो ! आज मैं 101 रुपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा !
राधे मेरे पति की बार से अंग्रेजी दारू लाया, मेरे मम्मों पर डाल कर दोनों चाटने लगे, फिर अपने लौड़े पर डाल मुझसे चटवाते, कमीने !
तेरे कोठे पर आएँ हैं, अपने हाथ से जाम बना !
मैं नंगी चलती सोडा लाई, तीन पेग बना दिए। वो हैरान रह गए और मैं एक बार में ही पूरा हलक में उतार गई। कुछ पल बाद हम तीनों नशे में थे।
मादरचोदो, रोज़ पैंटी पर अपना कीमती माल खराब करते हो ?
मेरी चूत देख तो मानो वो पागल होने लगे। घनशाम ने तो अपने होंठ लगा दिए जिससे मैंने आंखें मूँद ली। मेरे जिस्म पर दारू डाल डाल कर चाट रहे थे। मेरी चूचियों के दाने को राधे चूस रहा था और घनशाम ने दोनों टांगें चौड़ी कर बीच में आकर अपना नौ इंच का लुल्ला जैसे ही मेरी चूत के दाने पर मसला, मैं कूद उठी और उसने झट से पूरा लुल्ला डाल दिया, पेल दिया मेरी चूत में, मेरी तो जान निकल गई क्यूंकि शादी के बाद मैंने कभी मोटा लौड़ा नहीं डलवाया था। पति का लौड़ा तो छोटा ही था।
हाय हाय फट गई मेरी ! फाड़ दी मेरी चूत ! आह अह चोद साले ! मुझे चोद दिलभर के चोद ! चाहे फट जाए ! राधे मेरे अंगूर चूस ! इनको दबा ! इनका रस पी ! मुझे तृप्ति दे दो मिल कर ! मेरी प्यास बुझा दो राजा !
बहन की लौड़ी, मालकिन अब से तू मेरी कुतिया है ! कुतिया समझी रांड !
हाँ मेरे राजा, मैं तेरी रांड ही सही ! तेरी रखैल ! पर अज मैंन्नूँ ठण्ड पा दयो !
वो जोर जोर से मुझे चोदने लगा, उसका एक एक झटका मुझे स्वर्ग दिखा रहा था।
हाय साईं ! मैं छूटने वाली हूँ ! तेज़ी से कर ! अह ! यह ले ! यह ले ! करते हुए दोनों एक साथ छूटे !
यह क्या करवा लिया मैडम आपने ! मुझे रोका नहीं और सारा माल अपनी चूत में डलवा लिया?
मुझे माँ बनना है ! सासू माँ मुझे कसूरवार ठहराती हैं ना कि अपने खूसट बेटे को !
आ राधे, तू मेरी गांड मार !
अभी लो मैडम !
उसने थूक लगा कर अपने लौड़े का सर मेरी गांड के छेद पर टिका दिया, झटका मारा और उसका लौड़ा फंस गया और मेरी चीख निकल गई।
हाय छोड़ दे हरामी ! मुझे क्या मालूम था कि तू फाड़ देगा !
बहन की लौड़ी ! तेरी माँ की चूत ! अब तो इसी में घुसेगा !
मैं उसके नीचे से निकल गई, वो मेरी टांग पकड़ मुझे फिर अपने पास लाया।
कमीने, चूत मार ले !
उसने जोर से थप्पड़ मारा मेरी गांड पर और बोला- साली ऐंठ रही है !
उसने मुझे पकड़ लिया और थूक लगा कर फिर से डाला !
छोड़ दे !
घनशाम ! इसे पकड़ !
उसने मेरी बाँहों को पकड़ लिया और राधे ने अपना लौड़ा मेरी गांड में घुसा के दम लिया। मेरी आँखों से आंसू निकल आए।
चिल्ला, और चिल्ला ! जोर से चिल्ला ! चल इस पर बैठ जा !
मैं उसकी तरफ पीठ करके गांड में डलवा बैठ गई और ऊपर-नीचे होकर चुदने लगी। अब मुझे मजा आने लगा, वो भी नीचे से मुझे उछालता हुआ चोद रहा था। घनशाम ने मेरे मुँह में डाल दुबारा खड़ा कर लिया और मेरी और राधे की टांगो के बीच घुटनों के बल बैठ कर मेरी चूत में ऊँगली डालने लगा।
उधर राधे गांड फाड़ रहा था। घनशान ने मुझे पीछे धक्का देकर उसने अपना लौड़ा भी मेरी चूत में घुसा दिया।
हाय कमीनो ! आज ही फाड़ दोगे ? मैं कहीं भागी जा रही हूँ ?
चल साली !
दोनों तरफ से ज़बरदस्त वार हो रहे थे, बीच में मैं फंसी हुई मजे ले रही थी। आखिरकार आज मेरे जिस्म को ठण्ड पड़ गई, मेरी प्यास बुझ गई।
फिर घनशाम किसी कारण छुट्टी पर चला गया और राधे से मुझे इतना मजा नहीं आता था। मैं घनशाम से मिलने उसके घर पहुँच गई जहाँ वो अपने तीन साथियों के साथ बैठा ताश खेल रहा था और पांचवां राधे जो मुझे लेकर गया।
मैंने उसे इशारे से बुलाया और पूछा- काम पर क्यूँ नहीं आता?
बोला- पैसे कम मिलते हैं इसलिए !
मैं दूंगी पैसे तुझे ! कल से वापस लौट आ !
कह कर मैं मुड़ी ही थी कि उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया, वहीं चूमने लगा- मैडम आप बहुत अच्छी हो ! पहली बार गरीब की चौखट पर आई हो, कुछ तो लेना होगा- चाय, कॉफी !
नहीं, बस फिर कभी ! कल आ जाना !
उसने मुझे खींच कर बिस्तर पर गिरा दिया।
उसके बाद क्या हुआ, जानने के लिए अगली कड़ी पढ़ना मत भूलना !
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