सीधी सादी लड़की ने भरे जिन्दगी में नए रंग- 3
(First Sex In Life)
फर्स्ट सेक्स इन लाइफ का मजा लिया एक इंजिनियर लड़के ने अपने यहाँ काम करने वाली सुंदर जवान लड़की के साथ. दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे और दोनों का यह पहला सेक्स था.
कहानी के दूसरे भाग
सीधी सादी लड़की दिल को भा गई
में आपने पढ़ा कि एक इंजिनियर लड़के को उसके यहाँ काम करने वाली एक जवान लड़की पसंद आई. लड़की को भी अपने साहब अच्छे लगे तो दोनों ने यौनाकर्षण में चुम्बन भी कर लिया था.
सारे बाँध टूट गए.
दीपा कस के लिपट गयी हर्ष से.उसने फुसफुसाते हुए कहा- आप मुझे पहली नज़र से ही अच्छे आदमी लग रहे हैं. मुझे सोचने दें.
हर्ष को भी ये सुनकर अच्छा लगा. यह फील आई कि दीपा भी मात्र जिस्म की आग बुझाने के लिए उसके नजदीक नहीं आ रही.
अब आगे फर्स्ट सेक्स इन लाइफ का मजा:
हर्ष ऑफिस चला गया.
ठेकेदार ने काम शुरू किया था.
वही औरत जो पिछले इंजीनियर के मुंह लगी थी, ऑफिस मैं सफाई के लिए आई और उसने अपने डोरे हर्ष पर डालने चाहे.
हर्ष ने उसे साफ़ कह दिया कि वह सिर्फ अपना काम करे, ऑफिस के लिए रामू है यहाँ पर!
रामू को हर्ष ने एक ओफर दिया कि अगर वह डबल ड्यूटी करना चाहे तो रात को यहीं सोया करे. इस काम के उसे तीन हज़ार रूपये एक्स्ट्रा मिलेंगे. पर शराब नहीं पी जाएगी ड्यूटी पर! और चोरी की कोई शिकायत न मिले अबकी बार.
रामू की तो लाटरी निकल गयी.
उसने बड़ी बेशर्मी से दांत निकलते हुए हर्ष से पूछा- साब, अगर दिन में थोड़ी बहुत पी लूं अपने घर पर तो सरकार को तो कोई एतराज़ नहीं?
हर्ष ने हँसते हुए कहा- थोड़ी सी पीना. और अगर बिलकुल न पियो तो मैं पांच सौ रूपये हर महीने के अपनी और से दूंगा.
रामू हाथ जोड़े खींसें निपोरता रहा.
तो अब यह तय हुआ कि रामू शाम को खाना खाकर यहाँ आ जाया करेगा और सुबह हर्ष के ऑफिस आने पर वापिस जाया करेगा.
हर्ष ने कुछ रूपये रामू को दिये कि दीपा को दे देना और फोन पर बात करा देना. उसे बाज़ार जाना है.
रामू के फोन से दीपा का फोन आया- साहब, क्या आना है बाज़ार से?
हर्ष ने उससे बड़े प्यार से कहा कि वह चाहता है कि आज से दीपा वेसे ही बन-ठन कर रहे जैसे वह अंकल आंटी के रहती थी. तो ये रूपये भेजे हैं कि ब्यूटी पार्लर हो आओ.
और फिर झिझकते हुए हर्ष ने दीपा से कहा- हेयर रिमूवर क्रीम भी ले आना अपने और मेरे लिए!
दीपा शरमा गयी और फिर संभल कर बोली- फोन रखते हैं.
हर्ष काम में जुट गया.
कम्पनी हेड ऑफिस रिपोर्ट की.
उसके हेड उससे बहुत खुश हुए कि इतनी जल्दी न केवल उसने काम शुरू करवा दिया बल्कि काम पर पकड़ भी खासी अच्छी बना ली.
उसने छह महीने में काम ख़त्म करने का वादा भी किया.
उसके हेड ने उससे कहा कि वह खर्च की चिंता न करके, बस काम आगे बढ़ाये … जो भी खर्चा होता हो, उसे कम्पनी से लेता रहे.
दोपहर बाद रामू उसका लंच बॉक्स लेकर आया.
हर्ष ने रामू को वापिस भेज दिया तुरंत ही … क्योंकि उसने बताया था कि जब वह वापिस जाएगा, तब ही दीपा बाज़ार जायेगी.
शाम को हर्ष 7 बजे के करीब घर आ गया.
पहले वह बाज़ार गया था और एक पाजेब खरीद कर लाया था.
दीपा गेट पर आई.
उसने चादर लपेटी हुई थी और सर पर चुन्नी का पल्ला था.
दीपा ने मुस्कुराते हुए हर्ष से पूछा- काफी देर कर दी आपने? रामू आपका इंतज़ार करते करते अभी थोड़ी देर पहले गया है.
हर्ष अंदर आया तो दीपा ने गेट का ताला लगा लिया.
दीपा ने हर्ष से कहा- आप मुंह हाथ धो लीजिये. मैं चाय बनाती हूँ, पकोड़े बनाए हैं अभी अभी. वैसे आपका डिनर भी तैयार है.
हर्ष मुस्कुरा दिया.
उसने पूछा- ये चादर क्यों लपेटी हुई है?
दीपा बोली- गेट के बाहर मैं ढक कर ही रखती हूँ.
हर्ष बोला- अब तो गेट के अंदर हो, अब तो हटा लो.
दीपा ने हँसते हुए चादर हटा दी.
उसका चेहरा दमक रहा था.
उसने बाल भी कटवाए थे.
उसकी उँगलियों के नाख़ून थोड़े से बड़े थे किसी कॉलेज गर्ल की तरह.
उसने लाल रंग के नेल पेंट लगाए थे, पैर में पाजेब भी पहनी थी.
मतलब वह पार्लर हो आई है.
अब आगे कुछ पूछने की गुंजाईश नहीं थी.
हर्ष वाशरूम में घुस गया और फ्रेश होकर टीशर्ट और तहमत पहन कर आ गया.
दीपा चाय लगा चुकी थी.
हर्ष ने अधिकार से कहा- अपनी चाय भी लेकर आओ.
दीपा बोली- साहब, अब आदत नहीं रही.
तो हर्ष मुस्कुरा कर बोला- अब आदत डाल लो.
दीपा वापिस किचन में गयी और अपनी चाय बना लायी.
वह फिर नीचे बैठी तो हर्ष ने जबरदस्ती उसे कुर्सी पर बैठाया.
दोनों चाय पीने लगे.
दीपा ने उससे पूछा- सिगरेट नहीं पियेंगे?
हर्ष बोला- पिला दो.
दीपा ने सिगरेट उसके होंठों से लगायी और लाइटर से जला दी.
हर्ष ने उसे भी सुट्टा लगाने को कहा तो दीपा ने मुस्कुरा कर मना कर दिया कि ऐसे तो आदत पड़ जायेगी.
चाय निबटाकर दीपा बर्तन किचन में ले गयी और हर्ष से पूछा कि खाना कितनी देर में खायेंगे.
हर्ष ने कहा- तुम आज रात यहीं सोना. जाओ नहाकर कपड़े चेंज कर लो. कुछ अच्छे से पहनना.
दीपा बोली- साहब, हम छोटे लोग हैं. किसी को मालूम पड़ गया तो मैं कहीं की न रहूंगी. सुबह मैं बहक गयी थी. पर अब मुझे लग रहा है कि ये गलत होगा. आपने मुझे सहारा दिया, अच्छा लगा. मैं अभी नहाकर कपड़े चेंज कर लूंगी, पर आपको खाना खिला कर चली जाऊंगी.
हर्ष ने उसे बाँहों में लेते हुए कहा- दीपा, तुम मेरे मन को भा गयी हो. निश्चिन्त रहो, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. और हो सकता है कि मैं तुम्हें हमेशा के लिए यहाँ से ले जाऊं. अभी कुछ कहना जल्दी होगी. अभी जाओ और नहाकर कपड़े चेंज कर लो, फिर मिलकर खाना खायेंगे.
दीपा चुपचाप चली गयी और एक फ्रॉक और चादर ले आई और घुस गयी बाथरूम में.
नहाकर उसने फ्रॉक के ऊपर चादर डाल ली.
उसे देख कर हर्ष हंसा और उसने हँसते हुए चादर की ओर इशारा किया.
दीपा बोली- नहीं, ये ठीक है. आज फ्रॉक छोटी और स्लीवलेस है.
हर्ष ने उससे आगे कुछ नहीं कहा.
उसने खाना खाया और दीपा से कहा कि वह भी खा ले.
दीपा ने संकोच से कहा- अपना खाना मैं क्वार्टर में जाकर खा लूंगी.
हर्ष ने कहा- नहीं, यहीं खाओ. और कल से अपना खाना भी यहीं बढ़ा कर बनाना और मेरे साथ ही खाना.
दीपा किचन संभाल रही थी.
इस बीच हर्ष नहाकर आ गया.
उसने दूसरी तहमत और टी शर्ट पहनी थी.
हर्ष ने कोठी का मेन गेट लगा दिया.
वह कमरे में आया तो दीपा किचन से निकल रही थी.
दीपा संकोच से बोली- साहब, मैं जाती हूँ.
हर्ष ने उसे बाँहों से थाम लिया और उसकी आँखों में झांकते हुए कहा- मैं कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा. पर मैं तुम्हें अपनी बनाना चाहता हूँ. तुम्हारी तरह मैं भी दुनिया में अकेला हूँ. पर इतने बड़े निर्णय के लिए मुझे भी वक्त चाहिए. फिलहाल तो तुम्हारा साथ अच्छा लगा तो हमबिस्तर होना चाहता हूँ.
दीपा ने बहुत धीरे से कहा- साहब कुछ हो गया तो?
हर्ष ने उसे अपने से चिपटाते हुए कहा- किसी को पता नहीं चलेगा. और रहा सवाल कुछ होने का … तो तुम मेरे बच्चे की मां बनो या न बनो, यह तुम्हारे ऊपर है. फिलहाल मैं तुम्हें दवाई दे दूंगा.
दीपा लिपट गयी हर्ष से.
हर्ष ने उसे गोद में उठा लिया और बेड पर धीरे से लिटा दिया.
उसने कमरे की लाइट बहुत धीमी कर दी.
हर्ष दीपा के नजदीक आया.
दीपा के होंठ थरथरा रहे थे.
हर्ष ने उसके चेहरे को हाथों से साधा और अपने होंठ उसके होंठों के पास आया. दोनों के होंठ मिल गए.
दीपा सूखी बेल की तरह लिपट गयी हर्ष से!
दोनों पागलों की तरह चूम रहे थे एक दूसरे को.
वे दोनों बेड पर एक दूसरे में समाने को बेताब मछली की तरह तड़फ रहे थे.
दीपा की फ्रॉक उठ गयी थी पीछे से!
उसकी गुलाबी पेंटी पर हर्ष का हाथ घूम रहा था.
हर्ष की तहमत खुल गयी थी और टी शर्ट उसने उतार फेंकी.
तब हर्ष ने दीपा के कपड़े भी उतार दिए.
दीपा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया; बस दीपा ने अपने और हर्ष को चादर में छिपा लिया और चिपक गयी हर्ष से.
हर्ष ने उसके मांसल मम्मों को चूमा और निप्पल को दांत से हल्के से काटा.
दीपा बोली- ऐसे बदमाशी मत करो वरना मैं भी कम नहीं.
तभी दीपा ने उसका लंड पकड़ कर कस के मसल दिया.
हर्ष ने दीपा की चूत पर हाथ लगाया तो पाया कि मखमली चूत उसके लिए तैयार की है दीपा ने.
तब हर्ष ने दीपा से पूछा- कहाँ से सीखा ये?
तो दीपा मुस्कुरा के बोली- आंटी बहुत शौक़ीन थीं और मेरे से कुछ छिपाती नहीं थीं. उन्होंने मुझे अपने जैसा सलीकेदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
उनसे छिपा कर मैंने उनके बेड के बराबर में रखी कई पोर्न मग्जीन देखी थीं.
हर्ष नीचे खिसक आया और दीपा की टांगें चौड़ा कर अपनी जीभ उसकी मखमली चूत में घुसा दी.
दीपा को बड़ी उलझन हुई.
उसने ऐसा सोचा भी नहीं था.
हर्ष के लिए किसी चूत को चाटने का पहला मौक़ा था.
उसने ये सब सिर्फ पोर्न में ही देखा था.
दीपा कसमसा उठी.
हर्ष को स्वाद अजीब सा लगा पर वह और गहराई में उतरा.
दीपा की टांगें अब बहकने लगी और उसकी आहें निकलने लगी.
वह हर्ष के बाल पकड़ कर खींच रही थी. उसकी चूत में चीटियाँ सी रेंग रही थीं.
हर्ष को भी अपने लंड में तनाव महसूस हो रहा था.
वह उठा और दीपा के ऊपर लेट सा गया और अपने लंड को दीपा की पानी बहाती चूत के मुहाने पर रख दिया.
हर्ष ने अपनी छाती से दीपा की गोलाइयों को दबाया और अपने होंठ दीपा के जलते हुए होंठों पर रख दिए.
दीपा ने उसे कस के भींच लिया.
वह नीचे से ऊपर उठने की कोशिश कर रही थी, मानो कह रही हो कि मेरी चूत की आग बुझा दो.
हर्ष ने अपने लंड को चूत में धकेलने की कोशिश की.
पर अनाड़ीपन में उसका लंड चूत की चिकनाहट से फिसल कर अंदर नहीं घुस पाया.
अब दोबारा कोशिश करने में हर्ष ने अपने हाथ का सहारा दिया लंड को और घुसा ही दिया दीपा की मखमली सुरंग में!
दीपा की चीख निकल गयी.
हर्ष डर गया.
दीपा बोली- धीरे से करो, लगता है.
हर्ष ने सुना और पढ़ा था कि पहली बार में लड़की को तकलीफ बहुत होती है पर धीरे धीरे करने से मजा आता चला जाता है.
उसने अपने को साधा और दीपा की जीभ से अपनी जीभ लपेटते हुए अपने लंड को पूरा धक्का दे दिया.
दीपा कांप गयी.
उसे लगा कि वह बेहोश होती जा रही है.
पर हर्ष ने उसे खूब चूमा और प्यार से लपेटते हुए धक्कम पेल धीरे धीरे शुरू की.
अब उसने अपने जिस्म के दबाब को दीपा के ऊपर से कम किया और ऊपर होकर चुद्दी में रंगत लानी शुरू की.
अब दीपा भी उसका साथ दे रही थी.
थोड़ी देर में ही दीपा के पायल के घुंगरू भी समाँ बाँधने लगे.
हर्ष रुक रूककर उसके मम्मे भी रगड़ता और चूमता.
दीपा ने अपने नाखूनों से हर्ष की पीठ पर निशाँ बना दिये थे.
इस समय दीपा के जहन में पोर्न मैग्जीन के पन्ने चल रहे थे.
वह हर्ष में समा जाना चाहती थी.
हर्ष ने अपनी स्पीड अब बढ़ा दी और अब वह स्पीड से धकापेल कर रहा था.
उसके और दीपा दोनों के मुख से आहें और थूक निकल रहा था.
पूरा कमरा वासनामय हो गया था.
सही मायनों में दोनों की यह सुहागरात थी.
पहली बार दोनों सेक्स का आनन्द ले रहे थे.
हर्ष का लंड पूरी गहराई में उतरा हुआ था और दीपा उसे महसूस कर रही थी.
तभी हर्ष को लगा कि उसका होने वाला है.
वह कुछ सोचकर एक झटके में बाहर आ गया और अपना सारा माल दीपा के पेट पर निकाल दिया.
दीपा उससे गुस्सा हुई कि बाहर क्यों निकाला.
हर्ष ने बस यही कहा- क्योंकि मुझे तुमसे प्यार हो गया है.
फर्स्ट सेक्स इन लाइफ का मजा लेने के बाद दोनों काफी देर ऐसे ही पड़े रहे.
हर्ष ने दीपा की आँखों में झाँका तो दीपा बोली- एक बात बताऊँ?
हर्ष ने पूछा- क्या?
दीपा बहुत भोलेपन से बोली- आज जिन्दगी में पहली बार मेरी चूत को किसी ने छुआ है.
हर्ष चौंक गया.
दीपा बोली- मां कसम, आज तक रामू ने तो कभी उसे नंगी देखा ही नहीं है. वह कभी कभार उसे चिपका जरूर लेता है पर उससे आती बदबू दीपा को उसके नजदीक नहीं जाने देती थी.
बताते बताते दीपा की आँखों में आंसू आ गए.
पर ये आंसू ख़ुशी के थे.
दीपा आज संतुष्ट हुई थी और हर्ष को भी ऐसा अहसास हो रहा था कि आज उसने वाकई किसी लड़की को छुआ है.
प्रिय पाठको, इस फर्स्ट सेक्स इन लाइफ कहानी पर अपने विचार मुझे बताएं.
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फर्स्ट सेक्स इन लाइफ कहानी का अगला भाग: सीधी सादी लड़की ने भरे जिन्दगी में नए रंग- 4
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