जब लंड में खून उबलता है तो …

(Desi House Maid Sex Kahani)

देवेश 4 2022-02-14 Comments

देसी हाउस मेड सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी खाना बनाने वाली औरत को बिना किसी भूमिका के कमरे में लाकर चोद दिया. यह मेरा पहली बार था.

आप सभी सुधि पाठकों का अभिवादन।

मैं देवेश उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गांव का रहने वाला शर्मीला लड़का और अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं।
बहुत सोचने के बाद मैंने अपनी कहानी भेजने का निर्णय लिया.
पहली कहानी है तो त्रुटियों से अवगत जरूर कराएं।

सीधे देसी हाउस मेड सेक्स कहानी पर आता हूं.

मैं उस समय 19 साल का था और इण्टर की परीक्षा खत्म होने के बाद भी गांव न जाकर कमरे पर ही रूककर तैयारी कर रहा था।

पढ़ाई में ज्यादा व्यवधान न हो इसलिए हम तीनों रूम पार्टनर ने मिलकर एक मेड की व्यवस्था की थी जो हमारे लिए दो टाइम खाना बना जाती थी। वो करीब 30 साल की होगी.

छुट्टियों की वजह से मेरे पार्टनर गांव चले गए थे और मैं अकेला था.

जब वह सुबह में खाना बनाने नहीं आई तो मैंने उसे फ़ोन किया.
उसने कहा कि छुट्टियों में सब गांव चले गए होंगे ये सोच कर वो काम पर नहीं आई अब शाम में आएगी और फोन काट दिया।

मुझे गुस्सा तो आया लेकिन पैसे हर महीने एडवांस में दिए जाते थे तो मैं कुछ कर भी नहीं सकता था।

खैर दिन भर की तो बात थी इसलिए मैं भूख को मारकर पढ़ाई करने लगा।

लेकिन भूखे पेट दिमाग की बत्ती नहीं जलती खैर मैंने अन्तर्वासना की गलियों में दिन भर का समय बिताया.

जब वो आई तब मैं सो रहा था।

रसोई में बर्तनों की खटपट से मेरी नींद खुली.

कुछ पल बिस्तर पर रहने के बाद मैं पानी पीने के लिए रसोई में गया.

वो रोटियां बना रही थी.
उसने मेरी तरफ एक बार सरसरी निगाह से देखा और फिर अपना काम करने लगी।

हालांकि वो कोई खूबसूरत नहीं थी और ना ही मैंने उसे कभी बुरी नजर से देखा था.
लेकिन उस दिन अकेलेपन का असर था या अन्तर्वासना का … उसके मुझे देखते ही मेरे भीतर एक सिहरन सी दौड़ने लगी।

मैं गिलास में पानी लेकर रसोई में ही पीने लगा.

उसके ब्लाउज और साड़ी से ढकने के बाद उसकी सांवली पीठ पर उभरती पसीने की बूंदें मुझे पागल बना रही थी।

पानी पीने के बाद मैंने एक गहरी सांस छोड़ी जो कि शायद उसकी पीठ पर टकराई.
वो सिहर उठी और मैं कांप गया.

लेकिन उसने कुछ कहा नहीं … मैं फौरन कमरे में चला आया और किताब लेकर बैठ गया.

परन्तु मेरा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था, बार बार आंखों के सामने वो पसीने की बूंदें और उसका सिहरना नाच रहे थे।

थोड़ी देर बाद उसकी आवाज सुनाई दी- खाना बन गया है और मैं जा रही हूं।
मैंने कहा- ठीक है।

उस रात सोने से पहले मुझे दो बार मुठ मारना पड़ा।

वैसे मैंने इस बारे में बहुत सी कहानियां पढ़ी थी पर खुद पर जब गुजरती है तो बात अलग होती है.
वो कहते हैं न
चोदन चोदन सब कहें, चोद ना पाए कोय
जब चोदन की बारी आए लंड खड़ा न होय।

खैर बहुत सोचने के बाद मैंने फैसला किया कि एक बार आजमाते हैं इसे … जो होगा देखा जायेगा।

वैसे भी जो लोग ब्यॉयज स्कूल में पढ़ें हैं वो जानते होंगे कि ज्यादातर फैसले हम यही सोच कर ले लेते हैं।

तो अब मैंने यह नियम बना लिया जब वो खाना बना रही होती तब मैं उसकी पीठ पर सांसें छोड़ता, वो सिहर जाती और मैं अपने कमरे में चला आता।

ऐसा तीन दिन हुआ.

फिर एक दिन खाना बनाने के बाद वो कमरे में आकर बोली- मुझे 200 रूपयों की जरूरत है, तुम दे दो. तनख़ाह में से काट लेना!
मेरे पास रूपए थे तो मैंने दे दिए।

उस रात जब वो खाना बना रही थी, तब मैं रसोई में गया मैंने इस बार सांस छोड़ने के लिए जब सांस भरी तो एक अजीब सी खारी खारी महक आई।

अब जो अनुभवी लोग हैं वो जानते होंगे लेकिन मुझे यह महक काफी रोमांचित कर गई मेरे कान गर्म होने लगे।
मेरे पैरों के तलवों में सनसनाहट होने लगी और माथे पर पसीना छलक आया.

उसने एक बार गर्दन मोड़ कर कनखियों से मुझे देखा और फिर अपना काम करने लगी।

मेरे खून में मानो बिजली दौड़ गई.

‘अब जो होगा देखेंगे’ यह सोचकर मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और हल्का सा दबाव दिया तो उसने कंधा झिड़क कर हाथ हटा दिया.

मैं डर गया कि वो शायद चिल्लाने वाली है.
लेकिन वह चुपचाप अपना काम करने में लगी रही.

तब मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैं उससे लिपट गया मैंने अपने दोनों हाथ उसके कमर में डाल कर कस लिए और उसके गर्दन पर अपने जलते हुए होंठ फिराने लगा.

वो बुरी तरह कसमसा गई और छुटने की कोशिश करते हुए फुसफुसाती हुई बोली- क्या कर रहे हो कोई देख लेगा।
मैं समझ गया कि इसकी तरफ से भी हां है।

मैंने कहा- सब छुट्टियों में चले गए हैं, सिर्फ हम दोनों हैं, कोई कहीं देखेगा।
अब उसने कसमसाना बंद कर दिया और हल्की हल्की सांसें लेने लगी.

मैंने उसकी कान की लटकन को बारी बारी से मुंह में लेकर चूसा और फिर गैस बंद करके उसे रूम में ले आया.
वो किसी जादू के वश में खिंची सी चली आई और बेड पर बैठ गई.

मैंने एक बार और बाहर आकर रसोई का दरवाजा बंद किया. फिर कमरे में आकर अंदर से दरवाजा बंद किया, बत्ती बुझाई और पंखा चला दिया।

मैं उसकी तरफ बढ़ा और उसके होंठों को चूसने लगा.
वो विरोध तो नहीं कर रही थी मगर साथ भी नहीं दे रही थी.

मुझे लगा कि सारी मेहनत अकेले ही करनी है.

मैं उसकी साड़ी सीने से खिसका कर ब्लाउज के हुक खोलने लगा.
दो तीन कोशिशों में जब कामयाबी नहीं मिली तो उसने खुद अपने ब्लाउज को ऊपर खिसका दिया।

ब्लाउज अब भी था तो सीने पर मगर मम्मे आजाद थे।
मैंने उनको अपने हाथों में भर लिया.

साईज का मैं कुछ कह नहीं सकता लेकिन वो हाथ में पूरा नहीं आ रहे थे.

मैंने निप्पलों को अपने अंगूठे और तर्जनी से मसलने लगा.
वो एक बार फिर कसमसाने लगी.

मैंने देरी ना करते हुए उसके मम्मों पर हमला किया और बारी बारी से उन्हें मुंह में लेने का असफल प्रयास करने लगा।
मैं निप्पलों पर कभी जीभ फिराता तो कभी उन्हें चूसता और हल्के हल्के दांत गड़ा देता।

अब उसने भी मेरे बालों में अपनी उंगलियां फिराने शुरू कर दी और उसका एक हाथ मेरे कमर के आसपास घूमने लगा।
मैंने उसकी मदद की और अपना तन्नाया हुआ लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया.

वो बड़े प्यार से हाथ फेरने लगी और मेरा प्रीकम रिसने लगा।

मैंने देर न करते हुए उसके कमर से साड़ी अलग करनी चाही.
मगर उसने मना कर दिया.

हम अलग हुए और वो बेड पर कमर तक साड़ी उठा कर लेट गई.
मैंने अपना लोवर और अंडरवियर उतारा और उसे इशारे से लंड चूसने के लिए कहा.
मगर एक बार फिर उसने मना कर दिया।

मगर मैं अन्तर्वासना के सभी अनुभवों का उपयोग करना चाहता था तो मैं उसकी चूत चाटने के लिए आगे बढ़ा.
मेरा सिर उसकी जांघों के आसपास था.

और तभी एक तेज खारी गंध मेरे नथुनों में भर गई. मैंने तत्काल चूत चाटने का विचार त्याग दिया.

लेकिन उसे बुरा न लगे इसलिए उसकी झांटों से भरी चूत में बुरदाना ढूँढने लगा.
जब मेरी उंगली उसकी चूत में हरकत कर रही थी तब मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बहुत लिसलिसी हो गई है.

जैसे ही मेरी उंगली ने उसके बुरदाने को ढूँढा, मैंने उसे चुटकी में भर कर बुरी तरह मसल दिया.
और वो एक बार फिर कसमसा उठी।

अब मैंने अपना लन्ड उसकी चूत में सेट किया और दबाव बढ़ाया।
मेरा लन्ड बिना किसी अवरोध के उसकी चूत में घुस गया.
उसने एक गहरी सांस ली.

मैं उसके ऊपर लेटकर उसके मम्मों को दबाने लगा, उसकी गर्दन के आस पास चूमने लगा और धक्के लगाने लगा।
उसकी सांसें भी किश्तों में बंट चली थी जो मेरे धक्कों से लय मिला रही थीं।

हम दोनों के शरीर पर पसीने की बूंदें चमकने लगी थी।

जल्द ही मुझे लगा कि मैं ज्यादा देर तक टिक नहीं पाऊंगा तो मैंने हल्का सा उपर उठ कर उसकी झांटों को अपनी मुट्ठी में भर लिया.
इस तरह मेरी हथेली उसके बुरदाने पर थी जिसे मैं लगातार घिस रहा था.

इस तरह बीस पच्चीस धक्के लगाने के बाद मेरी जांघें थरथराने लगीं और मैं वापस से उसके ऊपर लेट गया।

मैंने अपने दोनों हाथ उसके बगलों के नीचे से निकाल कर उसके सिर को थोड़ा ऊपर उठा लिया और उसके होंठों को वापस से चूसने लगा.
इस बार उसने भी भरपूर सहयोग किया।

तकरीबन बीस धक्के के बाद मेरी आंखों के आगे अंधेरा होने लगा, पूरा शरीर कांपने लगा.

मैंने उससे कहा- होने वाला है!
और अलग हटना चाहा.

लेकिन उसने बिना कुछ कहे अपनी टांगें मेरे कमर के आसपास और अपने हाथों से मुझे कसकर अपने सीने पर दबा दिया और मेरे होंठों को बहुत जोर से चूसने लगी.

मैं मानो जन्नत में था.
मुश्किल से मैंने चार पांच धक्के और लगाए और जैसे हवा में तैरने लगा।
मेरे शरीर की पूरी नसें खिंच सी गईं थीं और लन्ड से जैसे वीर्य की धार बह चली हो।

जब मैं सामान्य हुआ तो उसने अभी भी मुझे वैसे ही पकड़ा हुआ था.

मैंने उठने की कोशिश की तो उसने कोई अवरोध नहीं दिखाया, बस बड़े प्यार से मेरे चेहरे पर उंगलियां फिराईं.

मुझे एक बात याद आ गई कि ‘पुरुष अक्सर संभोग के दौरान वीर्यपात होने पर अलग हो जाते हैं और स्त्री को लगता है कि वह छली गई है।’

मैंने उसकी आंखों में देखने का प्रयास किया पर कुछ जान नहीं पाया.
और तब मुझे लगा कि कहानियों से आप सब कुछ नहीं सीख सकते।

मैं पुनः उससे लिपट गया और उसके होंठों के किनारों को चूसने लगा।
वो बड़े प्यार से मेरे बालों में और पीठ पर अपनी उंगलियां फिराती रही।

करीब दो मिनट बाद मुझे अपनी जांघों पर कुछ चिपचिपा सा गर्म अहसास हुआ और हम अलग हुए।
वो बैठकर अपने पेटीकोट के किनारे से अपनी जांघों को साफ करने लगी।

मैंने उसे अंगोछा दिया।

हम दोनों ने कपड़े पहने और वो चली गई।

दूसरे दिन जब वो आई तो उसने मुझे देख कर एक प्यारी सी मुस्कान दी.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- कुछ नहीं।

मैंने उसे कहा- खाना बनाकर कमरे में आ जाओ।

आगे की कहानी कभी बाद में!

पाठको, कुछ बातें जाने अनजाने मैंने इस कहानी में नहीं लिखी हैं. जैसे उसका नाम, शहर का नाम।
कुछ बातें मुझे वास्तव में पता नहीं हैं जैसे उसे सहवास के दौरान चरमसुख की प्राप्ति हुई या नहीं, उसका फिगर और उमर!

यह मेरे प्रथम सहवास की सत्य कथा थी।
आपको कैसी लगी देसी हाउस मेड सेक्स कहानी? मुझे जरूर बताएं!
आपके संदेश की प्रतीक्षा में देवेश
[email protected]

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