चुदाई नौकरानी की, गोद भरी
हैलो दोस्तो, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है, आशा करता हूँ कि आप सबको पसंद आएगी।
मैंने अन्तर्वासना की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। मुझे लगता है कि मुझे भी कहानी भेजनी चाहिए। मैं सभी लोगों की तरह ये बिल्कुल नहीं लिखना चाहूँगा कि मेरा लंड 8 या 9 इंच का है, न ही मुझे योनि चाटने में कोई दिलचस्पी है। ये सब मुझे पसंद नहीं है।
हम आप लोगों को अपने बारे में बता देना ज़रूरी है कि मेरा नाम पवन है। मैं लखनऊ में रहता हूँ। एक कंपनी में बड़ी पोजीशन पर काम करता हूँ। मेरे सेलरी भी ठीक है। मैं यहाँ एक फ्लैट में अकेले ही रहता हूँ। मेरा लंड सिर्फ़ 5 इंच का है और दो इंच मोटा है।
अब सीधे कहानी पर आते हैं। आप लोग बोर हो रहे हैं, मुझे पता है… मेरे साथ भी यही होता है।
मैं चूंकि अकेले ही रहता था। ऑफिस से आकर खाना बनाना मुश्किल था। फिर घर की सफाई भी नहीं हो पाती थी। अकेले क्या-क्या करता तो सोचा कि एक नौकरानी रख लेता हूँ। फिर क्या था सुबह ही मैंने अपने बिल्डिंग के गार्ड को नौकरानी के लिए बोल दिया।
दूसरे ही दिन एक औरत आई। उस मैंने देखा वो थोड़ा सांवली थी, उसका फिगर 32-30-32 का रहा होगा। उसकी लंबाई पाँच फुट रही होगी। तब तक मेरे दिमाग में कोई ग़लत विचार नहीं थे। मैंने उसे बता दिया कि एक टाइम का खाना, चाय नाश्ता, 3000 रुपए नकद दूँगा, वो तैयार हो गई।
वो पास की ही कॉलोनी में रहती थी, वो काम पर आने लगी। मैंने उससे कह दिया था कि जो सही लगे, वो बना लिया करो।
पैसे लेकर सब्जी, समान सब ले आती थी।
मेरी हमेशा नाइट-शिफ्ट ही रहती थी, इसलिए मैं सुबह 8 बजे तक रूम पर आ जाता था। उसके आ जाने के बाद से मुझे अपना घर थोड़ा अच्छा लगने लगा था।
एक दिन मेरे साथ किस्मत ने ऐसा किया, जो मैंने सोचा भी नहीं था।
सुबह मैं रोज की तरह ऑफिस से आया, उसने मुझे नाश्ता और दूध दिया।
मैं सोफे पर बैठा था, मैंने उस से कहा- तुम भी नाश्ता करो।
तो उसने कहा- मैं बाद में कर लूँगी।
मेरी ज़िद पर वो तैयार हो गई। एक बात आपको बताना भूल गया, वो शादीशुदा थी। तब तक मैंने उस के पहले जिंदगी के बारे में कुछ नहीं पूछा था।
उस दिन नाश्ता करने के बाद मैंने उससे पूछा- तुम्हारे घर मे कितने लोग हैं?
तो उसने कहा- सिर्फ़ दो, मैं और मेरे पति।
मैंने पूछा- वो क्या करता है?
तो उसने कहा- वो रिक्शा चलाते हैं।
फिर मैंने कहा- तुम्हारी शादी को कितना समय हो गया?
तो उसने कहा- जब मैं 17 साल की थी, तभी हो गई थी। 6 साल हो गए मेरे शादी को। अभी मैं 23 साल की हो गई हूँ।
अभी मेरे उमर भी 24 की थी। यह घटना 2010 की है।
मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई बच्चा नहीं है?
वो थोड़ी देर चुप रही, फिर रोने लगी।
हम लोग बाहर सोफे पर बैठे थे, मैंने सोचा बगल में कोई इसका रोना-पीटना सुन लेगा तो समस्या हो सकती है।
मैंने उसको बांह पकड़ कर उठाया, उसके बाद उस बेडरूम में ले गया, मेरे पास डबलबेड है, उस पर बैठा दिया।
मैं उसको समझाने लगा और उसको ढांढस बंधाते हुए अपने गले से लगा लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा, वो सिमट गई।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ? तुम्हारे पति कुछ ‘करते’ नहीं क्या?
तो उसने रोते हुए कहा- सुबह 7 बजे घर से रिक्शा लेकर चले जाते हैं, जितना कमाते हैं उतने की शराब पी कर शाम को दस बजे तक घर आकर सो जाते हैं। कभी अगर कुछ ‘करते’ भी हैं, तो ना ही मेरे को चूमते हैं, न ही कुछ और करते हैं। बस अपना ‘वो’ निकाला, मेरे साड़ी और पेटीकोट उठा कर ‘डाल’ दिया। एक मिनट में ही खेल ख़तम..! इसके बाद टांग पसार कर सो जाते हैं और मुझे उनके मुँह से शराब की महक भी नहीं पसंद आती है, लेकिन क्या करूँ, मेरी किस्मत में शायद यही लिखा है।
ये सब वो मुझे वो रो-रो कर बता रही थी।
मैंने उसे चुप कराया।
उसे देख कर मेरे अन्दर भी कुछ होने लगा था। मेरे लंड महाराज को भी ओखली की ज़रूरत थी।
क्या करता मैं भी तो एक जवान ही था और कुँवारा भी था।
मैंने उससे कहा- चिंता की कोई बात नहीं है, सब सही हो हो जाएगा, मैं हूँ न..!
यह कहानी आप लोग अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं, यह मेरी सच्ची कहानी है।
मैंने उससे हिम्मत करके कहा- अगर तुम्हारी इच्छा हो, तो तुम भी माँ बन सकती हो। तुम्हारी बदनामी भी नहीं होगी।
उसने बड़ी उत्सुकता से पूछा- कैसे..?
मैंने कहा- देखो मुझे एक साथी की ज़रूरत है और तुम्हें बच्चे की। मेरा अभी शादी करने का मूड नहीं है, तुम मेरा साथ दो, मैं तुम्हारा..!
तो उसने कहा- अपने पति को क्या कहूँगी?
मैंने- कह देना कि यह आपका ही है। उनकी किसी दिन की ‘मेहनत’ का फल बता देना कि बच्चा रूक गया।
उसने कहा- बदनामी हो सकती है?
मैंने कहा- कैसे..? किसी को पता ही नहीं चलेगा तो कैसे..? तुम यहाँ दिन में काम कर रही हो। मेरे साथ मेरी बीवी बन कर रहो। जिंदगी भर बिना बच्चे से तो अच्छा ही है।
वो कुछ नहीं बोली, चुप रही।
मैंने उससे कहा- सोच लो फिर बताना…!
फिर मैं सो गया, वो रसोई में चली गई।
दो घंटे बाद मैं उठा, खाना खाने लगा।
तो उसने कहा- जो आप कह रहे थे शायद वो ठीक ही है।
फिर क्या था मेरे मन की मुराद पूरी हो गई। तब शायद दो बज रहे थे। मैंने उसे बेड पर लिटाया, उसको जी भर कर चूमा और धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसने ना ही ब्रा पहनी थी और न ही कच्छी…!
उसकी योनि पर बड़े बड़े बाल थे, शायद उसने काफ़ी दिनों से बनाए भी नहीं थे।
मुझ पर तो जवानी का भूत सवार था सो इस सब को देखने की फुरसत किसे थी।
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए।
मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा, कहीं नहीं छोड़ा। सर से लेकर पाँव तक उसको खूब उत्तेजित किया। वो पूरी गर्म हो चुकी थी।
मैंने अपने लंड महाराज को उसकी चूत की दरार पर रख दिया, वो इतनी गीली हो गई थी कि लंड महाराज ने अपना रास्ता खुद ही बना लिया।
दो इंच जाने के बाद उसके मुँह से चीख निकल गई- अई..दर्द हो रहा है…!
मैंने उसके मुँह को अपने मुँह में भर लिया। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी पतले मुँह की बोतल में अपना लौड़ा डाल रहा होऊँ।
वो शादीशुदा लग ही नहीं रही थी।
मैंने उसके साथ जम कर दस मिनट तक चुदाई की, हम दोनों पसीने से भीग गए थे, मैंने अपना माल अन्दर ही डाल दिया।
वो भी अपनी गर्मी खो चुकी थी और उसके मुँह पर ख़ुशी दिख रही थी, उसने मेरे शरीर पर कई जगह नाखून से और दाँत से निशान बना दिए थे।
अब तो बस रोज सुबह आते ही हम दोनों बिस्तर पर ‘दो जिस्म एक जान’ हो जाते हैं।
आज वो एक बेटे की माँ है, जो मेरा ही बेटा है।
आज वो खुश है और आज भी मेरे यहाँ काम करती है। उसके साथ आज भी चुदाई होती है।
आप लोग अपनी राय भेजें, कैसी लगी आपको उसके बाद उसने कई ‘माल’ मुझे दिलाए। वो कहानी आप लोगों के मेल के बाद भेजूँगा।
आपका पवन
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