पापा की चुदक्कड़ सेक्रेटरी की चालाकी-3
(Papa Ki Chudkkad Secretary Ki Chalaki- Part-3)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left पापा की चुदक्कड़ सेक्रेटरी की चालाकी-2
-
keyboard_arrow_right सौतेली माँ के साथ चूत चुदाई की यादें-1
-
View all stories in series
अब तक मेरी सेक्स स्टोरी ले पिछले भाग में पढ़ा था कि मेरी सौतेली माँ बिंदु ने मेरी चुत की सील तोड़ने के लिए अपनी मेरे सौतेले भाई को कह दिया था.
अब आगे..
रात को दस बजे बिंदु माँ मेरे कमरे मे आकर बोलीं- अपने कपड़े उतारो और चूसो मेरी चूत को. आज तेरी चुदाई का शिलान्यास होगा.
मुझको पूरी तरह से नंगी करवाकर उन्होंने आशीष को आवाज़ दी. आशीष भी पूरी तरह से नंगा ही कमरे में आया. वो अपने लंड को खड़ा किए हुए था. अब रूम में हम तीन लोग ही थे, आशीष, मैं और बिंदु माँ.
आशीष की रियल माँ और उसके बेटे समेत हम तीनों नंगे थे. आशीष से बिंदु माँ ने अपनी चुत खोलते हुए कहा- देख… तेरी जन्मभूमि, जिसमें से तू पैदा हुआ है.
यह कह कर बिंदु माँ ने अपनी चुत को खोल कर अपने बेटे को दिखाया. फिर मेरी तरफ इशारा करके बोलीं- यह मेरे पति ने एक चूत पैदा की है, जिसकी आज तुझे नथ उतारनी है. आज पूरा दम लगा कर चोद दे इस कली को.. वरना मेरी चूत भी बदनाम हो जाएगी कि इस चूत ने दुनिया में किस गांडू लंड को निकाला था.
आशीष तो अपने लंड के लिए चुत को खोजता रहता था. उसे तो उसकी माँ ने आज थाली में सज़ा कर चोदने को दे दी थी.
वो बोला- माँ, मैं तो तुम्हें भी चोद देता मगर माँ का रिश्ता ही ऐसा है कि मैं नहीं कर सकता… मगर इसको तो आज किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ूँगा.
बिंदु माँ ने मेरी चूत के होंठों को खोल कर अपने बेटे को परोसा और उसका बेटा मेरी चूत की फांकों में अपना लंड रख कर सहलाने लगा.
आशीष बोला- लो माँ, अब गया इसकी चूत में…
इतना कहते ही उसने जोर का झटका मारा तो उसका लंड फिसल गया और लंड मेरी चुत के अन्दर नहीं गया.
मुझे हंसी सी आ गई.
उसने अपने लंड के सुपारे को गुस्से से देखा. तब तक बिंदु माँ ने उसके सुपारे को अपने मुँह में ले कर चाटा और बहुत सारा थूक उसके लंड पर लगा कर बोलीं- अब मार साले जोर का झटका.
उसने वैसा ही किया तो उसका सुपारा मेरी चूत में जाकर फँस गया और मेरी चीख निकल गई. साथ ही चूत से खून भी बहने लगा. बिंदु माँ ने मेरे मुँह पर अपना मुँह रख कर दबा दबा कर चूसना शुरू किया ताकि मेरी आवाज़ ना निकले. इसी के साथ उन्होंने आशीष को इशारा किया कि लंड के झटके पर झटके मारता रह.. जब तक पूरा लंड अन्दर ना चला जाए.
मेरी आवाज़ नहीं निकल पा रही थी क्योंकि बिंदु माँ ने अपने मुँह से मेरे मुँह को दबा कर रखा हुआ था. मुझे चुत में बहुत दर्द हो रहा था और मैं मरी जा रही थी. उधर आशीष ने भी पूरा लंड मेरी चूत में घुसा कर ही दम लिया.
चूत में पूरा लंड घुसा कर उसका ध्यान मेरे मम्मों पर गया मगर वहाँ तो अभी अच्छी तरह से कुछ निकला ही नहीं था. मेरी छाती पर मेरी चुची अभी छोटी छोटी सी ही थी. वो फिर भी मेरी छाती पर अपना हाथ फेरता रहा और मेरे निप्पलों को जो अभी चने के जितने ही थे, अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
उसके द्वारा यह सब करने से मुझे मज़ा भी आ रहा था और कुछ अजीब सा भी लग रहा था. मैं चाहती थी कि वो ऐसा ही करता रहे.
फिर वो अपनी माँ बिंदु को देख कर बोला- माँ इसमें यहाँ तो कुछ है ही नहीं!
बिंदु माँ ने जवाब दिया कि अब तू आ गया है तो मुँह में भर कर खींच खींच कर इसके नींबुओं को संतरा बना दे ना.
आशीष बोला- माँ, मेरा बस चले तो मैं तो इनको खरबूजा बना दूं.
बिंदु माँ बोलीं- तो ठीक है, संतरे के बाद खरबूजा बना कर चूस लेना, दोनों को बहुत मज़ा आएगा.
अब तक मेरा दर्द भी कुछ कम हो गया था और बिंदु माँ ने मुझे पूरी तरह से छोड़ कर अपने बेटे के हवाले कर दिया था. मगर वो खुद अभी भी वहीं नंगी बैठी थीं और अपने लड़के को चुदाई के डायरेक्शन दे रही थीं कि चुदाई किस तरह से करनी है.
वो बार बार बोल रही थीं- धक्का मार जोर से.. लंड को आधा ही बाहर निकाल.. फिर जोर से अन्दर कर.. होंठों को किस करके चूस.. लंड का पानी नहीं निकलना चाहिए.. तू पूरा लंड बाहर निकाल कर इसकी चूत को किस करके चूस, अपना लंड भी इसके मुँह में डाल कर इससे चुसवा.
माँ मुझसे बोलीं- तुमने देखा नहीं था कि तुम्हारे पापा मुझसे क्या कर रहे थे और मैं उनसे क्या कर रही थी. अब तू बिंदु बन जा और आशीष को पापा मान ले.. फिर करो उसी तरह से, जैसे मैंने उस दिन तुमको दिखाया था.
एक तो मैं डर रही थी कि कहीं यह सब पापा को कुछ बता ना दे और दूसरा मुझे भी लंड चाहिए था, जो आज मिल रहा था इसलिए मैं बिंदु माँ की बातों के अनुसार सब कुछ करती रही.
फिर वो आशीष से बोलीं- अब इसके मुँह से लंड को निकाल ले और दबा कर मार इसकी चूत में..
इस तरह से चुदाई फिर से शुरू हो गई. पूरी रात वो मुझे चोदता रहा और बिंदु उसको चुदाई के उपदेश देती रहीं.
सुबह लगभग चार बजे वो आशीष से बोलीं- जाओ अपने रूम में और किसी को कुछ भी भनक नहीं लगनी चाहिए कि आज यहाँ पर क्या हुआ है.
फिर माँ ने मेरे रूम को अन्दर से बंद करके मुझसे अपनी चूत चुसवानी शुरू की वो भी पूरी रात भर चुदाई को देख कर अब तक बहुत गरम हो चुकी थीं. मगर कुछ कर नहीं पाई थीं क्योंकि आशीष उनका बेटा था.
जब माँ का मूत उनकी चूत से निकल गया तो वो अपने कमरे में चली गईं.
जब सुबह मैं जागी तो वो मुझसे बोलीं- तुम अपने पापा से कुछ ना बोलना, मैं सब संभाल लूँगी.
मुझे सोता देख कर जब पापा वापस आए तो उन्होंने पूछा कि क्या हुआ है इसको, जो अभी तक सोई हुई है.
बिंदु माँ ने उनसे कहा- इसको माहवारी शुरू हो गई है इसलिए इसे आराम करने दो, मैं सब देख लूँगी.
पापा निश्चिन्त होकर ऑफिस चले गए. जब मैं उठी तो रात भर की चुदाई से मेरी टाँगें पूरी तरह से खड़ी नहीं हो पा रही थीं. बिंदु ने मेरी टांगें मरोड़ कर आशीष से मेरी चुदाई करवाई थी.
खैर.. कुछ देर बाद वो मुझसे पूछने लगीं- बोलो मज़ा आया या नहीं असली लंड से.. चख लिया ना स्वाद.. अब नहीं रहा जाएगा इसके बिना. जब तक आशीष है, तब तक तो तुझे लंड की कोई चिंता नहीं, वो तुमको मिलता ही रहेगा. जब यह चला जाएगा, तब मैं सोचूँगी कि क्या करना है. बस तुम्हारा काम है रात को सोने से पहले दरवाजा खोल देना और जब वो पूरा काम कर ले तुम्हारे साथ तो डोर को बंद कर लेना.
मैं रात को सबसे गुड नाइट करके अपने रूम में चली गई और फिर दरवाजा जो आशीष के रूम में खुलता था, उसे खोल दिया. वो तो इंतज़ार ही कर रहा था कब दरवाजा खुले और कब वो अन्दर कर मुझे चोदे.
दरवाजा खुलते ही आकर बोला- गुड नेहा.. आज हमें कोई कुछ नहीं कहने वाला आज हम अपनी मर्ज़ी से ही जो करना है करेंगे. माँ समझती है कि मैं अनाड़ी हूँ. मैंने उनकी उम्र वाली भी चोदी हुई हैं.. तो वो किस खेत की मूली है. तुम देख लेना, जाने से पहले मैं उनको भी चोद कर ही रहूँगा, वो भी तुम्हारे सामने ही चोदूँगा. क्या मैं समझता नहीं हूँ कि उनका मेरे सामने नंगी होकर आने का क्या मतलब था.
मैं कुछ नहीं बोली.
फिर उसने मुझको नंगी किया और खुद भी नंगा होकर मुझे चोदने में लग गया. मुझे आज मजा आ रहा था और मैं भी उसके लंड के साथ अपनी चूत को नचवा रही थी.
इस तरह पूरा महीना भर वो मुझको चोदता रहा और मेरे निंबुओं को खींचता रहा.. जो अब कुछ बड़े होने लगे थे.
फिर जाने से पहले वो बोला- अगले साल जब मैं वापिस आऊँगा तब तक यह पूरे संतरे बन चुके होंगे.
जाने से एक दिन पहले जब पापा ऑफिस में गए हुए थे और हम तीनों ही घर पर थे तो उसने बिंदु माँ से कहा- माँ आज फिर फर्स्ट डे जैसा प्रोग्राम करो ना.
बिंदु माँ ने हंस कर कहा- ठीक है मैं आती हूँ.. तुम चलो अपने रूम में.
बिंदु माँ अपने रूम में जाकर नंगी होकर मेरे रूम में आ गईं और आशीष और मेरे कमरे के बीच का दरवाजा खोल दिया. आशीष भी पूरा नंगा ही था और लंड को खड़ा किए हुए था. बिंदु माँ ने मुझसे बोला आकर चुदाई रिकॉर्ड करवा ले.. कल भी देखेंगे.
मगर आज आशीष के मन में तो कुछ और ही था. जैसे ही बिंदु माँ ने मुझे कुछ कहना चाहा तो आशीष बिंदु माँ को पीछे से पकड़ कर उनके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा. बिंदु माँ ने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है.
वो बोलती रहीं- बेटा मैं तेरी माँ हूँ यह काम सही नहीं है.
आशीष बोला- मैं जानता हूँ तुम्हारा नंगी होकर मेरा सामने आना कहाँ तक ठीक है. अब मैं सिर्फ एक लंड हूँ और तुम सिर्फ एक चूत हो.. और चूत और लंड का आपस में जो रिश्ता होता है, वो तुम जानती हो. इसलिए बिना किसी फालतू की बात किए मुझसे कोऑपरेट करो.
जब तक वो कुछ सोच पातीं, उसने माँ को पलंग पर चित लिटा दिया और बिना समय गंवाए अपना खड़ा हुआ लंड अपनी माँ की चूत में घुसेड़ दिया. पूरा लंड अन्दर करने के बाद वो बिंदु माँ से बोला- अब तुम मेरे ऊपर होकर मुझे चोदो.
अब तक माँ जान चुकी थीं कि आशीष के ऊपर चुत चुदाई का भूत सवार है और वो बिना चोदे नहीं मानेगा.
तो उन्होंने कहा- ठीक है मैं ही तुमको चोदती हूँ. मेरी किस्मत भी क्या है, जिसके लिए यह सब किया, वो ही मुझे आज चोद रहा है. यही दिन देखना बाकी बचा था. जिस लंड को नौ महीने पेट में रख कर अपनी इसी चूत से निकाला था. क्या पता था कि एक दिन वो इसी चूत को चोदेगा.
अगले दिन मैंने बिंदु माँ से कहा- माँ, देखो आपका बेटा आपके साथ क्या कर गया. आपने इस बेटी को पराया समझ कर अपने बेटे से चुदवा दिया और आपका असली बेटा आपको ही चोद कर वापिस गया है. अब उसके मुँह में खून लग चुका है, अब जब भी उसका दिल करेगा, वो आपको चोद देगा.
बिंदु माँ कुछ कह नहीं पाईं, बस एक अजीब से निगाह से मुझे देखती रहीं.
इसके आगे भी बहुत कुछ हुआ पर अभी आपसे विदा ले रही हूँ.
भाई बहन और माँ बेटा चुदाई की कहानी आप लोगों को पसंद आई? प्लीज़ मेरी मेल आईडी पर जरूर लिखिएगा कि कैसी लगी ताकि मैं अगली सेक्स स्टोरी लिखने की भी सोचूँ.
आपकी पूनम चोपड़ा
[email protected]
What did you think of this story??
Comments