रिश्तों में वासना का खेल- 1
(Mom Son Porn Story)
मॅाम सन पोर्न स्टोरी में मैं मौसी के घर गया तो वहां का नजारा देख कर हतप्रभ रह गया. मेरी मौसी पूरी नंगी बैठकर अपने बेटे का लंड चूस रही थीं. उनकी बेटी पास बैठी नाश्ता कर रही थी.
दोस्तो, मैं राज हूँ. आपको रिश्तों में सेक्स कहानी का एक ऐसा वृतांत सुनाने आया हूँ, जो ना चाहते हुए भी खेला गया.
इस मॅाम सन पोर्न स्टोरी का आनन्द लीजिए.
मैं रात को अपनी मौसी के घर आया.
वे मुझे मिलने के लिए कई दिनों से बुला रही थीं क्योंकि मैं हॉस्टल में रहता हूँ इसलिए मैं सिर्फ गर्मी की छुट्टी में ही किसी से मिल पाता हूँ.
मौसी और मेरा घर एक ही शहर में है.
रात को आकर मैं खाना खाकर ऊपर वाले कमरे में सो गया.
मेरी जब आंख खुली तो घड़ी में सुबह के 8 बज रहे थे.
मुझे जोर से पेशाब लगी थी इसलिए बाथरूम जाना था.
मैं कमरे से बाहर निकला और सीढ़ियों से नीचे उतर कर बाथरूम में गया. उधर पेशाब की … और सीधे हॉल में आ गया.
हॉल में घुसते ही अपने सामने का नजारा देख मेरे होश उड़ गए!
सामने मेरी मौसी सुमन नंगी बैठकर अपने बेटे अरुण का लंड चूस रही थीं.
उनकी सपाट चौड़ी पीठ पर उनके लंबे भूरे बाल, उनके गोल मटोल बड़े बड़े चूतड़ों तक लहरा रहे थे.
मेरी मौसेरी बहन सोना स्कूल की शर्ट और स्कर्ट नीचे पैरों में लंबे मोजे पहने हुई थी, जो उसके घुटने के ऊपर तक के थे.
वह जूता पहनकर डाइनिंग टेबल पर ऐसे निर्विकार भाव से नाश्ता कर रही थी जैसे यहां कुछ हो ही नहीं रहा हो.
मैं सोना को शुरू से ही जानता हूँ. वह बहुत कम बोलती है और शांत रहती है … पर इतना शांत!
अरुण बड़े प्यार से अपने मां को लंड चुसवा रहा था.
तभी अरुण ने मुझे देखा और मुस्कुराने लगा.
बचपन से ही हॉस्टल रहने की वजह से मैं अपने मौसी के घर के बारे में ज्यादा नहीं जानता था.
सुमन मौसी मुँह में लंड लेकर अपना सर जोर जोर से घुमा रही थीं.
अरुण की मुस्कान ने मौसी को सर पीछे करने के मजबूर कर दिया और उन्होंने अपना सर पीछे घुमाया.
मौसी ने लंड को अपने एक गाल के अन्दर ऐसा दबाया हुआ था, जैसे लोग लॉलीपॉप अपने गाल में दबाए रखते हैं.
मुझे देख कर अपने मुँह से लंड निकाल कर मौसी बोलीं- आओ बेटा, तुम इतना घबरा क्यों रहे हो!
वे ऐसे बोलीं, जैसे ये कोई सामान्य कार्य चल रहा हो.
मैं वहां यूं ही गया था पर उधर यह सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था.
इधर मैं आपको अपनी सुमन मौसी के बारे में बता देता हूँ.
वे मेरी मम्मी से उम्र में दो साल बड़ी हैं, गेहुआं रंग की हैं. उनका चेहरा हल्का सा लंबा है. कद पांच फुट दस इंच का है … वे असाधारण लंबी औरत हैं.
उनके बाल, भूरे और काले दोनों हैं.
अभी तक उनका पेट भी नहीं निकला है.
वे एकदम टाइट चमड़ी की हैं, पर उनके बूब्स और गांड दोनों ही बड़े ही गोल मटोल हैं.
मौसी के सीने पर उनके बूब्स हमेशा तनी हुई अवस्था में रहते हैं.
वे चश्मा लगाती हैं.
सोना दीदी भी बिल्कुल शक्ल सूरत में ऐसी ही है, बस उसके बाल सिर्फ काले हैं. वह चश्मा नहीं लगाती है.
उसके बाल भी उतने लम्बे नहीं हैं … और ना ही उसके बूब्स और गांड.
मतलब मौसी के मुकाबले उसके उभार सामान्य साइज के हैं.
अरुण ने सोना दीदी को मेरी तरफ इशारा करके बताया.
सोना दीदी ने अपना खाना छोड़ दिया और मेरे आगे आकर बैठ गई.
वह अपना मुँह खोल कर बोली- आओ राज जल्दी करना, ड्रेस और मेकअप मत खराब करना … मुझे स्कूल जाना है.
यह कह कर उसने मेरा पैंट खींचा.
अरुण और सुमन मौसी की लंड चुसाई देखते हुए मेरा भी लंड खड़ा हो गया था.
लंड के बाहर निकलते ही सोना ने मेरा लंड पकड़ा और अपने मुँह के पास खींचा.
मेरा पूरा शरीर उसकी तरफ को आगे बढ़ गया.
उसने जीभ से मेरे लंड के टोपे को चाटते हुए पूरा लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी.
यह पहली बार था, जब कोई लड़की मेरा लंड चूस रही थी.
मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा था.
अरुण- मम्मी, मेरा गिरने वाला है आह … मेरे माल को पी जाओ … इसकी एक भी बूंद भी मत छोड़ना!
उसने अपना सारा वीर्य अपनी मां सुमन के मुँह में छोड़ा और मौसी उसके लंड को चाटती हुई सारा वीर्य पी गईं.
अब अरुण ने अपना पैंट ऊपर किया और बाहर की ओर ऐसे जाने लगा, जैसे यह उसका रोज का काम हो.
अरुण- मैं बाहर जा रहा हूँ दीदी. राज को खूब मजा देना!
मैं- रुको अरुण, कहां जा रहे हो? मौसी प्लीज मुझे बताओ न ये सब क्या हो रहा है?
अरुण- एंजॉय करो भाई!
वह बाहर चला गया.
अरुण का लंड चूसने के बाद मौसी कामुक मुस्कुराहट के साथ मेरी ओर चार पैरों पर कुतिया बन कर बढ़ने लगीं.
उन्होंने कहा- राज, तुम्हारा लंड बहुत मोटा और तगड़ा है. अपनी मौसी को भी अपने लंड का स्वाद लेने दो.
मैं खड़े खड़े वहां जम गया था.
दीदी की लंड चुसाई से मेरे दिमाग और शरीर दोनों ने काम करना बंद कर दिया था. दीदी के मुँह में मेरा लंड जैसे किसी गर्म भट्टी में पिघल रहा था.
पीछे से मौसी आईं और मेरे एक पैर उठा कर मेरे लटके हुए आंडों को चाटने लगीं.
मेरा भी लंड इतनी लंड चुसाई का जवाब देने वाला था और माल बस निकलने ही वाला था.
मैंने कुछ नहीं कहा और अचानक से अपने लंड का माल दीदी के मुँह में छोड़ दिया.
मैं मुठ नहीं मारता था जिसकी वजह से मेरे पास बहुत माल जमा हो गया था.
दीदी का पूरा मुँह मेरे माल से भर गया था.
उसने माल को अपने दोनों गालों में भर लिया.
उसके मुँह से वीर्य रिस कर आंडों पर चला गया था.
आंडों से मौसी ने वीर्य को चखा.
मौसी- राज, तुम बहुत जल्दी झड़ गए. लगता है तुम्हारा लंड आज पहली बार किसी ने चूसा है … ओ ये क्या किया … तुमने तो सोना का पूरा मुँह भर दिया. तुम्हारे पास तो बहुत ज्यादा लोड था? सोना अपना मुँह खोलो!
दीदी ने मुँह खोला और कुछ वीर्य मौसी के मुँह डाल दिया.
मौसी ने वीर्य का स्वाद लिया- मुझे तुम्हारा जवान और गाढ़ा वीर्य पसंद आया राज!
फिर दोनों मौसी और दीदी साथ में मेरी लंड को बीच में रख दिया और वे दोनों मिल कर मेरे लंड को किनारे किनारे से चाटने लगीं.
मेरे लिए ये एक सपने से भी बड़ा था कि एक खूबसूरत गदरायी औरत और एक एक खूबसूरत जवान लड़की मेरे लंड को एक साथ चूसे.
पर ये मेरी खुद की मौसी और बहन थी.
मैंने उन दोनों के लिए कभी ऐसा नहीं सोचा था.
अब मौसी मेरा लंड छोड़कर कर मेरे सामने झुक गईं.
मैं मौसी के बड़े और गोल गोल चूतड़ों को घूरने लगा.
उनके बड़े चूतड़ों के बीच नीचे की ओर उनकी हल्की काली चूत थी.
मैंने पहली बार किसी औरत की चूत को असली में देखा था.
उनकी चूत ब्रेड के बन की तरह मोटी थी और बीच में से बारीक पतली फटी हुई थी.
उनकी चूत पर कुछ कुछ हल्के छोटे व भूरे बाल थे.
मौसी- राज, मेरी चूत को भी अपने लंड का स्वाद चखा दो!
दीदी मेरे लंड को मौसी की चूत पर रगड़ने लगी.
मेरा लंड उनकी मुलायम चूत के हल्के बालों से मेरे पूरे बदन में सनसनी होने लगी.
दीदी मेरे लंड को मौसी की बारीक पतली चूत में डालने लगी.
मेरा लंड मौसी की चूत को चीरते हुए अन्दर जा रहा था.
देखते देखते मौसी की चूत मेरा पूरा लंड निगल गई.
मौसी- आह … जवान लंड कितने मजेदार होते हैं!
अपना लंड मौसी की चूत में आराम से जाते देख कर मुझे और जोश में आने लगा.
मौसी- सोना, हम मौसी भतीजे की पहली चुदाई तुम रिकॉर्ड कर लो. ताकि बाद में अरुण अपनी मां को राज के लंड से चुदते हुए देख कर अपनी मां को अच्छे से सजा दे सके.
सोना दौड़ती हुई एक कमरे में गई और वह उस कमरे में से कैमरा ले आई.
अब वह चुदाई की वीडियो रिकॉर्ड करने लगी.
सोना- मम्मी आप जल्दी जल्दी करिए … मुझे कॉलेज जाना है!
मौसी- बेटी मुझे सही से मजा तो लेने दो!
सोना कुछ नहीं बोली.
मौसी कैमरे में बोलीं- अरुण, मैं तुम्हारी मम्मी हूँ. जैसा तुमने कहा था कि मैं राज के साथ चुदाई करवा रही हूं. इसका लंड मेरी चूत को बड़े ही भयानक तरीके से चोद रहा है.
यह सुन कर मैं चौंक गया कि अरुण ने अपनी मम्मी को ऐसा करने को क्यों कहा!
चुदाई की वजह से मैं कुछ सोच नहीं पा रहा था.
भले ही ये सब मुझे गलत लग रहा था पर ना चाहते हुए भी मौसी को चोदते हुए मेरी कमर रूक ही नहीं रही थी.
मौसी- बेटा, तुम मेरी चूत को आज फाड़ दो. मुझे बहुत मजा आ रहा है.
दीदी सामने से सब कैमरे में रिकॉर्ड करती हुई अपनी चूत में उंगली कर रही थी.
सोना- मम्मी मैं लेट हो रही हूं!
मौसी- रुको बस, एक बार झड़ तो जाने दो!
सोना- मैं कुछ मदद करती हूँ!
सोना मौसी को कैमरा देकर मेरे पीछे आ गई.
मैं समझ गया कि वह मेरी गांड के छेद को चाटने आई है.
उसने मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से फैलाकर छेद को सूंघा और जीभ लंबी करके गांड चाटने लगी.
आगे से मां चूत चुदवा रही थी और पीछे बेटी गांड चाट रही थी.
मौसी- आह बेटा, जल्दी से अपनी मौसी की चूत भर दो!
मैं भी चरम पर आ गया था तो मौसी की चूत में झड़ने लगा.
अब मौसी के हाथ में कैमरा था.
वे कैमरे में देख कर बोलीं- देखो अरुण … राज तुम्हारी मम्मी की चूत में झड़ रहा है!
मौसी ने कैमरा को ऊपर किया, जिससे मैं मौसी की चूत में लंड डाल कर झड़ता हुआ दिखाई देने लगा.
मैं जोर जोर से मौसी की चूत में झड़ रहा था.
उनकी चूत मेरे माल को पीने लगी थी.
सोना मेरी गांड के छेद को छोड़ कर … मौसी की चूत को चाटने लगी.
मौसी- आह तुम बहुत ज्यादा झड़े हो राज … यही तो मैं चाहती थी.
सोना मौसी की चूत का रस और मेरे माल से भीगे हुए लंड को देखकर बोली- मम्मी यह देखने के बाद मुझे लगता है कि …
मौसी- यही ना कि आज तुम्हें घर पर रुकना चाहिए.
सोना हंस दी.
उसके बाद मुझे सोफे पर बैठाकर दोनों मां बेटी मेरे लंड को चाटने लगीं.
तभी सोफे पर रखा किसी का फोन बजा.
मैंने देखा कि स्क्रीन पर मेरी मम्मी का नाम लिखा है.
मैंने फोन उठाया.
मैं मम्मी को इस बारे में कुछ नहीं बता सकता था.
मैं- हैलो मम्मी?
मम्मी- अरे राज … ये तुम हो?
मैं- हां.
मम्मी- तुम कहां हो, बड़े थके लग रहे हो?
मैं- मैं मौसी के घर ही पर हूं.
मम्मी- ठीक है ज्यादा मस्ती मत करना … और सुमन को मेरा हैलो बोलना … ठीक है!
मैं- ठीक है, मैं मौसी को बोल दूंगा … बाय!
मम्मी ने फोन काट दिया.
मैं बहुत थक गया था. मौसी और दीदी मेरा लंड लगातार चाट चूस रही थीं.
तभी वहां अरुण आकर खड़ा हो गया.
अरुण- राज, तुम काफी समय बाद मेरे घर आए हो. कोई कमी तो नहीं है ना मेरी खातिरदारी में? तो बताओ कैसा लगा मेरा परिवार? राज मेरी मम्मी और दीदी अच्छी हैं ना?
अब तक मेरा नीचे का हिस्सा एकदम अकड़ गया था, कुछ काम ही नहीं कर रहा था.
फिर भी ना जाने कैसे मौसी और सोना ने मेरा लंड खड़ा रखा था.
मैं- राज यह सब क्या हो रहा है? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. तुम लोग ऐसे कब से हो गए?
अरुण मुस्कुरा कर बोला- मेरे पापा तुम्हारे पापा जैसे नहीं हैं. वे छोटे लंड वाले आदमी हैं … और वे यह भी जानते हैं कि मैं इन दोनों को अकेले नहीं संभाल पाऊंगा. इसलिए वे चाहते थे कि तुम मेरी मदद करो.
अरुण ने जब यह कहा तो उसी वक्त मेरे लंड की अकड़न के करण मैं बेहोश हो गया.
मुझे बस आखिर में हल्की सी मौसी की आवाज सुनाई दे रही थी- अरे क्या हुआ राज … राज?
फिर मेरी जब आंख खुली तो मैंने खुद को उसी सोफे पर सोया पाया.
मेरा पैंट नीचे गिरा पड़ा था.
मैंने उसे उठाकर पहन लिया और धीरे धीरे से ऊपर आ गया.
मैं अपना सामान पैक करने लगा.
कुछ देर बाद मैं नीचे आया और हॉल में आ गया.
तभी एक कमरे से मौसी निकलीं.
वे साड़ी पहनी हुई थीं.
इस समय वे बिल्कुल संस्कारी गृहणी लग रही थीं.
कोई नहीं कह सकता था कि कुछ देर पहले ये मुझसे चुद रही थीं.
मैं उनकी तरफ देख ही नहीं पा रहा था.
मौसी- राज, तुम उठ गए! तुमने ये बैग क्यों लिया हुआ है?
मैं- मौसी, यह सब सुबह क्या हुआ?
मौसी- बेटा, वह तो हम लोग तुमसे प्यार कर रहे थे. तुम्हारा भी अपनी मौसी और बहन की चूत पर कुछ हक है!
मैं चुप हो गया और सोचने लगा कि वे क्या बोलीं … ये सब वे इतनी आसानी से कैसे कह सकती हैं?
तब मैं बोला – मैं अपने घर वापस जा रहा हूँ.
मौसी हैरानी से बोलीं- तुम घर क्यों जा रहे हो?
मैं बहाना बनाते हुए- मुझे कुछ घर काम है!
मौसी- ठीक है, पर रुको … कुछ खाना खा लो. अभी सोना भी स्कूल से आती होगी.
मैं मना करके जाने लगा और घर से बाहर निकल आया.
बाहर शाम हो रही थी.
मैंने एक ऑटो ली और अपने घर की तरफ निकल गया.
रास्ते में रूक कर मैंने कुछ खाया और चला गया.
पूरे समय मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मेरे साथ ये क्या हुआ? क्या यह सब मेरी मम्मी जानती हैं? क्या वे भी इनसे मिली हुई हैं. अगर नहीं … तो मैं यह बात उन्हें कैसे बताऊंगा और क्या मुझे बताना भी चाहिए या नहीं? मेरे मन में हजारों सवाल आ रहे थे.
उसके कुछ दिन बाद मैं अपने घर पर बैठकर नाश्ता कर रहा था, अपनी ब्रेड को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ रहा था.
मम्मी किचन में बर्तन धो रही थीं.
मैंने मम्मी को कुछ नहीं बताया क्योंकि मुझमें मम्मी से ऐसी बात करने की हिम्मत नहीं थी.
जो हुआ उसे भूल कर मैं आगे बढ़ गया.
मैं कर भी क्या सकता था.
वह उनका परिवार था, वे लोग जो चाहें कर सकते थे. पर फिर भी मेरे मन में जिज्ञासा थी.
अरुण मेरे पापा से अपने पापा की तुलना क्यों कर रहा था?
क्या पापा भी इन सब में मिले हुए थे?
कुछ समय पहले ही मेरे पापा का एक्सीडेंट में देहांत हो गया था.
उसके बाद मम्मी हमेशा दुखी रहती थीं.
तब मेरे एग्जाम थे तो मुझे अपने पापा का अंतिम संस्कार करके जल्दी ही हॉस्टल वापस जाना पड़ा.
मम्मी फोन पर बात भी नहीं करती थीं.
मेरी गर्मी की छुट्टी होने वाली थी.
तभी मुझे पता चला कि मम्मी को अरुण के पापा ने कहीं नौकरी पर लगवा दिया है.
उसके बाद से मम्मी का काफी सामान्य रहने लगी थीं.
वे इस सदमे से बाहर आ जाएं इसलिए वे जो करने लगी थीं … वह सब मैं बिना कुछ पूछे उन्हें करने दे रहा था.
मैं- मम्मी आप इतनी जल्दी में क्यों हैं? आज तो आपकी छुट्टी है ना!
मम्मी- हां पर राज, आज अरुण का फोन आया था. वह कह रहा था कि उसे कुछ खरीदारी करनी है और सुमन की तबियत नहीं ठीक है. मैं आकर उसकी मदद करूं!
मैं अरुण का नाम सुन कर चौंक गया. मैं सोचने लगा कि अच्छा तो इसी लिए मम्मी आज तैयार होकर जल्दी से घर का काम खत्म कर रही थीं.
मम्मी- राज ब्रेड को तोड़ना बंद करो और जल्दी से अपना नाश्ता खत्म करके घर के काम में मेरी मदद करो.
मैं- मुझे भूख नहीं है!
यह बोलकर मैंने प्लेट को डिशवाशर के पास रख दिया.
मम्मी- तुम्हारी गर्मी की छुट्टियां खत्म हो रही हैं. अच्छा होगा तुम अपना सारा काम खत्म कर लो! तुम अपनी मौसी के घर गए थे, क्या तुमको वहां अच्छा लगा?
मम्मी जब भी मौसी के घर का कुछ भी बोलती हैं, तब मुझे वह सब सीन याद आने लगते थे.
मैं- हां मम्मी मुझे अच्छा लगा था. तो क्या आपने अरुण को घर बुलाया है?
मम्मी- नहीं, मुझे भी कुछ खरीदारी करनी है … तो वह मुझे आकर वहीं मिलेगा.
मैं- क्या आप अक्सर अरुण के साथ शॉपिंग करती हैं?
मम्मी- नहीं, मैं ज्यादातर तो तुम्हारी मौसी के साथ करती हूँ. हां कभी कभी वह भी साथ में रहता है.
मैं चुप हो गया.
मम्मी- क्या हुआ? तुम क्यों पूछ रहे हो? तुमको भी चलना है क्या?
मैं- नहीं, आप जाओ.
मुझे मम्मी पर शक नहीं था, पर अरुण … वह साला कुछ भी कर सकता है. इसलिए मैं आज मम्मी के पीछे चुपके से जाने वाला था.
तभी दरवाजे की घंटी बजी.
दोस्तो, यह मॅाम सन पोर्न स्टोरी का पहला भाग था. आपको कैसा लगा, प्लीज जरूर बताएं.
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