मेरी मम्मी की जवानी की कहानी-2

(Meri Mammi Ki Jawani Ki Kahani- Part 2)

अभी तक मेरी माँ के मेरी बुआ के साथ लेस्बियन और मेरे चाचाओं के साथ यौन सम्बन्धों की कहानी के पहले भाग
मेरी मम्मी की जवानी की कहानी-1
में पढ़ा कि मेरी मम्मी मुझे अपनी जवानी की, वासना की कहानी सुना रही थी.

“उ..उ..मम्म भाभी!” मेरे देवर अपने होंठों में मेरे होंठ कैद करके मेरे चुचों को मसलते हुए मुझे पुकार रहे थे, मैं सुन रही थी पर क्या करती … जो कर रहे थे करने दे रही थी।

और अचानक देवर जी ने मेरा ब्लाउज और ब्रा फाड़ दी … साड़ी फेंक के मेरा पेटीकोट और पेंटी भी उतार दी और पीछे बेड पर धक्का दिया।
मैं बेड पर गिर गयी जिससे मेरे पैर खुल गए और मेरी सूसू दिखने लगी.

मैंने हाथ लगा कर छुपाने की कोशिश की तो वो अपने कपड़े उतार कर बोलने लगे- भाभी हाथ हटा लो, चैन से देखने दो पहले!
पर मुझे शर्म आ रही थी।

उन्होंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और जैसे ही अंडरवियर उतारा … ये क्या है? कितना बड़ा और मोटा? मन में सोचते हुए कांप रही थी मैं। आज पता नहीं कैसा डर लग रहा था।

वो पास आये और मेरा हाथ हटा कर अपना मुँह लगा लिया मेरी सूसू पर!
“भैया आपका वो मेरी सूसू में नहीं जाएगा आप छाया दीदी के साथ कर लो न!” पता नहीं कैसे मेरे मुँह से निकल गया।
“नहीं जाएगा या दर्द होगा तो नहीं डालूंगा. बस आप थोड़ी देर सूसू को चूत बोलो और मैं आपको दर्द नहीं होने दूँगा. फिर भी दर्द हुआ तो नहीं करूँगा।”

अब थोड़ी जान में जान आयी पर मुझे क्या पता थी कि मेरी जान निकालने के लिए आये है ये आज!

उन्होंने अपनी जीभ मेरी सूसू मतलब मेरी चूत में घुसा दी और उसमें घूमने लगी।
क्या मज़ा आ रहा था … बता नहीं सकती।
मेरे हाथ अपने आप उनके सिर पर चले गए और मैं उसके बाल से पकड़ कर दबाने लगी कि पूरी जीभ अंदर जाने लगे।

“ये होता है क्या सेक्स? कितना अच्छा लग रहा है।” बस ये ही सोच रही थी कि एक मोटी से उंगली मेरी चूत में पूरी घुस गई।
“आ….ह … धीरे देवर जी!”
“दर्द हो रहा है हट जाऊँ भाभी?”
“नही। कभी मत हटना। बस ऐसे ही चूसते र…हो … अच्छा ल…ग रहा है भैया… काट लो न मेरी चूत… खा जाओ मुझे!”
“आ … हहह … नही … निकालो … दर्द हो रहा है निकाल लो.” अचानक घुसी दूसरी उंगली ने मुझे चिल्लाने पर मजबूर कर दिया।

उन्होंने फौरन उंगलियां निकाल ली और दांतों से पूरी चूत जकड़ ली और हल्के हल्के दाँत गड़ाने लगे। मैं तड़पने लगी थी और हर दर्द सहने को तैयार थी. पर मैं कैसे बोलूं कि बहुत अच्छा लग रहा है मुझे।
पर अचानक मेरा शरीर अकड़ने लगा और उन्होंने मुँह हटा कर कस के चूत का मुँह अपने हाथ से दबाकर बन्द कर दिया और अपने होंठों से मेरे होंठ बन्द कर दिए।

अपनी ही चूत की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी। होंठ से होंठ लगे हुए थे, हमारी सांसें लड़ रही थी।

और अचानक उनका लन्ड मेरी चूत के होंठ चूमने लगा। वो मेरे होंठ छोड़ ही नहीं रहे थे. लग रहा था कि आज मेरे होंठ चुचे चूत सब काट के अलग कर देंगे. और उनका लन्ड मेरी चूत पर रगड़ मार रहा था।
“आआआ … ईईईई … आआआ … हहह … नि…का…ल…आ.. ह…” उसने झटके में घुसेड़ दिया था। वो रोज़ डालते हैं पर कभी दर्द नहीं हुआ. मैंने हाथ लग कर देखा कि आधे से ज़्यादा तो बाहर ही है।

“आ..ह … आ…पने बोला.. आआआ… हहहह था कि दर्द होने पर नहीं आ…हहह करोगे… निकाल लो प्लीज…”
“आपका देवर हूँ, मज़ाक में झूठ बोल रहा था.” इतना बोल कर एक और झटका मारा जिससे पूरा एक साथ घुस गया और बच्चेदानी से टकरा गया।

मेरी सांस रुक गयी। मुझे चक्कर आ गया। आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे … मैं रो रही थी चिल्ला रही थी।
“कहाँ फंसा दिया छाया कुतिया कमीनी!” मैं रो भी नहीं पा रही थी. दर्द से बेसुध आवाज़ में छाया को गाली देते हुए और देवर जी से लन्ड निकालने की भीख मांगते हुए बेहोशी के गोते में जाने की कगार पे थी कि उन्होंने अपना लन्ड निकल लिया।

ऐसा लग जैसे मेरी चूत म्यान थी और लन्ड एक तलवार। ऐसा लगा जैसे मैं गहरे समुद्र में डूब चुकी थी पर आंख बंद होने से पहले किसी ने निकाल लिया। अचानक मुझे सांस आयी।

मैं कुछ बोल नहीं पाई और हांफने के लिए जैसे ही पहली सांस ली, वो पूरा लौड़ा फिर से मुझमें समा गया।

मेरी छाती में दर्द उठा। मेरी आवाज बन्द थी। मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था पर अच्छा ये था कि लन्ड निकलने पर सांस लेने का मौका मिल रहा था और 10 मिनट बाद उन्होंने अपना सारा माल मेरे अंदर ही डाल दिया।

अब अच्छा लगा था। ऐसा लगा कि मेरी चोट की किसी ने सिकाई कर दी हो। वो सुख इतना अच्छा था.

अब देवर का लन्ड सिकुड़ने लगा था और बाहर आने लगा था। अब मैं सांस ले पा रही थी। अचानक से मेरा पूरा दर्द गायब हो चुका था। उस गर्मी से मुझे इतना अच्छा लगा कि मेरी चूत भी पानी छोड़ गई जिससे उनका पूरा लन्ड भीग गया।
उनका मुरझाया हुआ लन्ड भी तेरे पापा के खड़े लन्ड से बड़ा था।

अभी तक मुझे दर्द और गुस्सा आ रहा था और अभी भी मैं दर्द से पेट पकड़ के बैठी थी पर मेरा मन कर रहा था कि ‘दोबारा डाल दो निकाल क्यों लिया देवर जी…’
मैं समझ गयी कि शर्माने से कुछ नहीं होगा।

मैं खड़ी होने लगी तो उन्होंने मना कर दिया, बोलने लगे- कहीं मत जाओ भाभी … 5 मिनट बाद दोबारा करेंगे।
“कही नहीं जा रही। मुझे अभी करना है इसीलिए मुँह में लेकर फिर से खड़ा करने जा रही थी।”

“इसका खड़ा नहीं हो रहा है तो मेरा ले लो न?”
“बड़े भैया आप?” मेरी आँखें और गांड फट गई जब देखा गेट पर छाया और बड़े भैया बिल्कुल नंगे खड़े हैं।
छाया हमेशा हंसती रहती है पर मुझे फंसा देती है।

“सॉरी भाभी, आप हो इतनी कमाल की … ये लोग रह नहीं पा रहे थे और दोनों मिल कर आपका नाम लेकर मेरी हालत खराब कर दी थी। इसीलिए मैंने ये सारा प्लान बनाया कि मुझे थोड़ी रहम मिल जाये। हम छोटे से ही ये खेल खेलते हैं. और जब बड़े हुए तो इसका मतलब और मज़ा आना शुरू हुआ। बड़े भैया को पता चल गया था कि वो नहीं कर पाते इसीलिए उन्होंने खेलना छोड़ दिया। फिर जब आपकी सुहागरात थी तो इन दोनों ने मिलकर पूरी रात मेरा शरीर तोड़ा। दोनों ने एक साथ तब तक किया जब तक मैंने आपके साथ सेक्स करवाने का वादा नहीं कर लिया।” एक सांस में छाया इतना बोल गए जो मेरी सोच के भी बाहर था।

“अगर मैं नहीं मानती तो?”
“भाभी बाथरूम में कैमरा लगाया था कि आप नहीं मानी तो आपको डरा कर मना लेंगे क्योंकि आप बहुत भोली हो तो आप डर जाओगी।”

इतने में छोटे भैया का लन्ड खड़ा हो गया और उन्होंने मुझे अपने लन्ड पर बैठा लिया। छाया आ गयी और मेरे सामने खड़ी हो गयी और अपनी चूत मेरे मुँह से लगा दी और अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी।

मेरा दर्द खुशियों में बदल चुका था पर तभी तेल से भीगी हुई एक उंगली मेरी गांड में घुसने लगी। मैं चिहुंक कर उछल गयी, मैं रोने लगी कि पीछे मत डालना।
बड़े भैया ने सॉरी बोला और सोफे पर बैठ कर अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे।

मैं छोटे भैया के ऊपर बैठी थी. अचानक उन्होंने मुझे अपने ऊपर ही लिटा लिया। मेरे चुचे उनकी छाती में घुस रहे थे। हमारी जीभ आपस में लड़ रही थी। मेरी गांड हवा में थी और वो मुझे पीठ से पकड़ के नीचे से लन्ड की तेज तेज़ थाप मार रहे थे।

उनके लन्ड से होती हुई मेरी चूत को छूकर मेरी गांड के छेद तक घुसने वाली छाया की जीभ हमारे मज़े को दोगुना कर रही थी।

“आआ…ह हहह…” की लंबी सीत्कार के साथ हम दोनों एक साथ छूट गए और मैं अपना शरीर ढीला छोड़ कर उनकी छाती पर गिर गयी। मैं थक गई थी, मुझे नींद आ रही थी. मेरा आंखें खोलने का मन नहीं कर रहा था।

मेरा मन नहीं कर रहा था कि छाया से मना कर दूं कि मेरी गांड जो थूक से तू गीली कर चुकी है उसमें जीभ मत घुमा अब।
अचानक ये क्या? बड़े देवर जी ने मेरी चूत से छोटे देवर का लन्ड निकाल के अपना डाल दिया। लम्बाई में लगभग बराबर था और मोटाई थोड़ी सी पर न के बराबर ज़्यादा थी।
फिर से दर्द हुआ मुझे … मैं सोना चाहती थी; फिर भी मुझे सब अच्छा लग रहा था।

मैं छोटे देवर जी के लन्ड पर घोड़ी बनी थी और बड़े देवर जी मुझे चोद रहे थे। पूरे दिन दोनों ने घमासान चुदाई की.

फिर तेरे पैदा होने तक यह सिलसिला रोज़ का हो गया। अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था। फिर तू पैदा हो गया और तेरे दादा जी के खत्म होने से सब अलग अलग रहने लगे। मैं भी सब कुछ भूल कर सिर्फ तुझमें खो गयी।

कभी साल दो साल में तेरे चाचा आते हैं और अगर तू नहीं होता या कोई नहीं होता तो कभी कर लेती थी. पर अब तो किसी के पास टाइम नहीं बचा. और आज जब छाया ने किंग के बारे में बताया तो मन मचल गया।

मुझे माफ़ कर दे बेटा … मैं तुझे बताती भी तो क्या बताती! इस छाया ने ही मुझे पहले भी फँसाया था तेरे दोनों चाचा के साथ और आज मेरे अपने सगे बेटे के साथ क्या करवा दिया।

मुझे छाया पर बहुत गुस्सा आ रहा था. पर छाया नहीं होती तो शायद मैं भी नहीं होता क्योंकि माँ पिताजी के सेक्स से खुश थी और उन्हें सच्चा सेक्स मिला भी नहीं था और उन्हें ढूंढना भी नहीं था.

मैंने माँ को उनके कपड़े दिए और नीचे जाकर सो गया।

थोड़ी देर में माँ भी मेरे पास आ गयी और मेरे बराबर आ कर लेट गयी। मेरी आँखें बंद थी पर मैं माँ के सुबकने का अहसास कर सकता था। मैं समझ सकता था कि वो मुझसे आंखें मिलाने से डर रही है और सच्चाई तो ये भी थी कि मैं भी डर रहा था उनसे आँखें मिलाने से … क्योंकि मैं भी तो कितनों से सेक्स करता हूँ; ये माँ जान चुकी थी।

इस उधेड़बुन में हम दोनों सो गए। सुबह आँख खुली तो माँ शादी में जा चुकी थी।
2-3 दिन में हम शादी से वापिस घर आ गए। पूरी शादी में माँ और छाया से नज़र नहीं मिला पाया था।

घर आकर भी घर में कम रुकता था और बाहर निकल जाता था। मैं खुद नहीं जानता था कि क्या बात मुझे परेशान कर रही है? मेरे और मम्मी के बीच में सिर्फ काम की बात होती थी जैसे ‘सब्जी ले आ …’ या अगर कोई काम हो तो।

ऐसे एक हफ्ता हो गया तो शाम को खाने में नमक के पीछे पापा मम्मी में कहासुनी हो गयी। वैसे मम्मी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं पर वो भी मेरी तरह परेशान रहती हैं तो शायद नमक डालना भूल हो गयी होगी.
तो वो बाहर हॉल में सोफे पर आ कर लेट गयी। वो मेरी माँ है और मैं उनसे बहुत प्यार करता हूँ।

“मम्मी, आप मेरे बेड पर लेट जाओ, आज मैं सोफे पर लेट जाऊँगा।”
“नहीं बेटा, मैं ठीक हूँ तू सो जा आराम से!”
“नहीं मम्मी, आप सोफे पे नहीं सोएंगी। पूरे दिन घर का काम करती हो; अगर आराम नहीं करोगी तो बीमार हो जाओगी।”

“इतनी चिंता है तो जॉब कर और नौकरानी रख ले।”
“आपकी बात ठीक है मम्मी … पर कोई अच्छी जॉब तो मिले तो … और जॉब मिल भी गयी तो आज ही सैलरी या नौकरानी तो आ नहीं जाएगी. तो आप मेरे बेड पर सो जाओ।” यह कहते हुए मैं माँ को गोद में उठा कर अपने रूम में ले जाने लगा।

पहले भी कई बार ले गया हूँ पर आज हम दोनों चुप हो गए। हम कुछ नहीं बोल रहे थे, बस मैं माँ को गोद में उठा कर चुपचाप चल रहा था।
बेड पर माँ को लिटा कर मैं बाहर हॉल में सोफे पर लेट गया।

तभी पता नहीं क्या हुआ मैं अचानक उठा और रूम में गया और माँ के होंठों से होंठ चिपका दिए। ऐसा लगा जैसे मैं नहीं आता तो माँ आ जाती। जितना जोश मुझमें था, उतना ही उनमें था। हम रिश्ता भूल चुके थे। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था। माँ को सिर्फ मैं चाहिए था और मुझे सिर्फ माँ।

हम इतने जोश में थे कि किस करते हुए ही माँ अपने दोनों हाथ के नाखून से मेरी पीठ में निशान बना चुकी थी। हमें नहीं पता कि कब कपड़े निकल गए हमारे … नहीं पता कि कब मेरी लौड़ा माँ की चूत के समुंदर की गहराई में गौते लगाने लगा।

करीब 10 मिनट बाद जब दोनों ढीले पड़ गए तब देखा गेट खुला है।

मैं गेट बंद कर के नंगा ही माँ के साथ लेट गया, उन्हें अपनी बांहों में भर कर चूमने लगा।
आज माँ खुश थी- आई लव यू किंग … मेरे बेटे, मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूँ।

“नहीं माँ, मैं किंग तो दुनिया के लिए हूँ। मेरी माँ का तो हमेशा मन्नू ही रहूंगा।”
फिर पूरी रात माँ घोड़ी बनी रही और पूरी रात मैंने अपनी पर्सनल घोड़ी की सवारी की।

मैंने छाया से बात की और छाया ने मुझे रजिस्टर्ड जिगोलो सर्विस में जॉब दिलवा दी। अब मैं सबको खुश करता हूँ। छाया मेरी परमानेंट क्लाइंट है। कभी कभी जब छाया घर आती है तो थ्रीसम भी करते हैं।

कभी कभी तो मम्मी भी बोल देती हैं- बेटा, नींद नहीं आ रही!
तो उन्हें भी थका के सुलाना पड़ता है।

किस्से तो बहुत हैं … पर अगर आपको मेरी कहानी पसंद आयी या नहीं? कृपया मेल में अपना रिस्पांस ज़रूर दें।
अगर पहले से ज़्यादा मेल आये तो आपको एक और सच्ची कहानी से रूबरू करवाऊंगा।
आपका अपना दोस्त और परेशान महिलाओं की उम्मीद
किंग
[email protected]

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