मकान मालकिन और उसके बेटे की चुदास -1

(Makan Malkin Aur Uske Bete Ki Chudas- Part 1)

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हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम देवराज है। मैं 6 फीट का सांवला लड़का हूँ। बहुत सी लड़कियाँ मुझ पर मरती हैं।
मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियाँ पढ़ीं.. तो मुझे लगा कि मुझे भी अपना सच्चा अनुभव शेयर करना चाहिए।

मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है। यह बात तब की है.. जब मैं कॉलेज में था। मैं गुड़गाँव में किराए पर रहता था। यह अप्रैल की बात है। उस घर की मकान मालकिन और उसके बेटे के बीच का ये वाकिया मेरी आँखों देखा हाल कुछ इस तरह से है।

‘रवि..’ दिव्या अपने लंबे-लंबे काले बालों को चेहरे से हटाते हुए अपने बेटे के बेडरूम के दरवाजे की ओर गुस्साई नज़रों से देखती है।
‘रवि, मैं जानती हूँ.. तुम वहाँ पर इस समय क्या कर रहे हो। मुझे तुम्हारी ये रोज़ाना हस्तमैथुन करने की आदत से नफ़रत है.. रवि.. क्या तुम सुन रहे हो?’

नई नई जवानी में कदम रख रहे.. उसके बेटे ने कोई जवाब नहीं दिया। बिस्तर की पुश्त की दीवार से टकराने की लगातार आ रही आवाज़ और उँची हो जाती है और रवि और भी आतुरता से अपने लण्ड को पीटने लग जाता है। उसकी कलाई उसके मोटे.. लंबे और सख्त लण्ड पर ऊपर-नीचे और भी तेज़ी से फिसलने लग जाती हैं।

‘रवि..’ दिव्या ने तैश में आते हुए ज़ोर से अपने पाँव को फर्श पर पटका।
वो 36-37 बरस की यौवन से भरपूर मस्त नारी थी, बड़ी-बड़ी काली आँखें.. लंबे बाल.. छरहरा बदन.. पतली कमर और उस पर मोटे-मोटे गोल-मटोल मम्मे उसके जिस्म को चार चाँद लगाते थे।

‘रवि.. मेरी बात को अनसुना मत करो..’
रवि एक गहरी सांस लेता है.. और बिस्तर की पुश्त की दीवार से टकराने की आवाज़ और भी उँची हो जाती है। शायद वो स्खलन के करीब था।
दिव्या गुस्से से लाल होती हुई दरवाजे से पीछे की ओर हटते हुए नीचे हॉल की तरफ बढ़ जाती है। उसने एक टाइट जींस और नीले रंग की शर्ट पहनी हुई है.. जिसमें से उसके मोटे मम्मे बिना ब्रा के काफ़ी उछल-कूद मचा रहे होते हैं। यह किसी भी घरेलू गृहिणी के घर पर पहनने के लिए नॉर्मल पोशाक मानी जा सकती थी.. मगर वो जिस हालत में से गुज़र रही थी.. वो नॉर्मल नहीं थे।

एक तो वो तलाक़शुदा थी और उसकी नौकरी से उसे बहुत ज्यादा तनख्वाह नहीं मिलती थी। उसके बेटे की पढ़ाई का ख़र्च उसके पति द्वारा दिए गए खर्च से होता था और उसकी अपनी तनख्वाह से घर का खर्च अच्छे से चल जाता था।

कुल मिलाकर वो कोई रईसजादी नहीं थी.. लेकिन जीवन की सभी आवश्यक ज़रूरतें पूरी हो जाती थीं। उसकी खुशकिस्मती यह थी कि तलाक़ के बाद उसके पति ने घर को खुद उसके नाम कर दिया था और अपनी पहली बीवी के बेटे की पढ़ाई के खर्च की ज़िम्मेदारी भी अपने ऊपर ली थी.. ताकि तलाक़ आसानी से हो जाए। इन सब के ऊपर रवि की हस्तमैथुन की लत ने उसे परेशान किया हुआ था।

यह 6 महीने पहले शुरू हुआ था.. जब उसका नया नया तलाक़ हुआ था। रवि 18 बरस का बहुत ही सुंदर और मज़बूत कद काठी का मालिक था। उसकी जींस में हर समय रहने वाले उभार को दिव्या शरम के बावज़ूद भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती थी।

दिव्या ने कहीं पर पढ़ा था कि किशोर युवकों में संभोग की बहुत ही तेज़ और ज़ोरदार चाहत होती है। मगर अपने बेटे की पैन्ट में हर समय रहने वाला उभार उसके लिए अप्रत्याशित होता था।
उसे लगता था कि शायद उसकी सुंदर काया उसके बेटे के हस्तमैथुन का कारण है।

दिव्या की कमर ज़रूरत से कुछ ज्यादा ही पतली थी और उसकी लंबी टांगें और उसकी गोल-मटोल उभरी हुई गाण्ड.. उसके जिस्म को चार चाँद लगाते थे। उसके बड़े-बड़े मोटे-मोटे मम्मे ऐसे लगते थे.. जैसे वे कमीज़ फाड़ कर बाहर आना चाहते हों। जैसे वे पुकार-पुकार कर कह रहे हों.. आओ और हमें निचोड़ डालो। उसका जिस्म हर मर्द को अपनी और आकर्षित करता था और उसे इसी बात से डर था कि उसका अपना बेटा भी कोई अपवाद नहीं है।

तलाक़ के बाद पिछले 6 महीनों में उसने अपने बेटे को अक्सर उसके जिस्म का आँखों से चोरी-चोरी से मुआयना करते हुए पकड़ा था और उसकी पैंट में उस वक्त बनने वाले तंबू को देखकर वो अक्सर काँप जाया करती थी।

‘कम से कम उसे खुद को रोकने की कोशिश तो करनी चाहिए..’ दिव्या सोचती ‘या कम से कम उसे यह कम धीमे-धीमे बिना किसी आवाज़ के करना चाहिए..’

इस वक्त दोपहर के साढ़े तीन बज रहे थे और रवि को घर आए हुए अभी आधा घंटा ही हुआ था। वो घर आते ही भाग कर सीढ़ियाँ चढ़ कर सीधे ऊपर अपने कमरे में चला गया, उसकी पैंट में सामने का उभार साफ़ दिखाई दे रहा था।
दो मिनट बाद है ‘ठप.. ठप..’ की आवाज़ आनी शुरू हो गई।

वो यह आवाज़ रोज़ाना कम से कम चार बार सुनती थी, उसने कई बार इस बाबत रवि से बात करने की कोशिश की.. नर्मी से भी.. और सख्ती से भी.. लेकिन रवि कभी भी उसकी सुनता नहीं था। उसने जवाब में सिर्फ़ इतना ही कहा था- मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाता..
जैसे ही उसका लण्ड खड़ा होता था.. उसके हाथ खुद ब खुद उसे रगड़ने के लिए उठ जाते थे।

‘नहीं ऐसे नहीं चलेगा, उसे खुद पर संयम रखना सीखना होगा..’ दिव्या ने सहसा अपने ख़यालों से बाहर आते हुए खुद से कहा।

वो उठकर हॉल के क्लॉज़ेट में से रवि के कमरे की चाभी निकालती है। पक्के इरादे के साथ वो रवि के कमरे की ओर वापस बढ़ जाती है.. यह सोचते हुए कि आज वो अपने बेटे को रंगे हाथों पकड़ने जा रही है। किसी युवक के लिए इतना हस्तमैथुन ठीक नहीं था। रवि को अपनी शारीरिक़ इच्छाओं को काबू में रखना सीखना होगा।

दिव्या ने दरवाजा खोला और अन्दर दाखिल हो गई। रवि को एक लम्हे बाद एहसास हुआ कि उसकी मम्मी दरवाजा खोल कर अन्दर आ गई हैं। उसे ऐसी आशा नहीं थी.. वो हमेशा डोर लॉक करके ही हस्तमैथुन करता था.. लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी मम्मी दूसरी चाभी से लॉक खोल सकती हैं।
जैसी दिव्या को आशंका थी.. वो पीठ के बल लेटा हुआ था और उसकी पैन्ट बिस्तर के पास नीचे पड़ी हुई थी।

बेबी आयल की एक बोतल बिस्तर के पास रखे स्टूल के ऊपर खुली पड़ी थी। रवि अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए अपनी कलाई को अपने लण्ड पर ऊपर-नीचे करते हुए और भी तेज़ी से चला रहा था।
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दिव्या अपने बेटे के लण्ड को निगाह भर कर देखती है.. यह पहली बार था कि वो अपने बेटे के पूर्णरूप से विकसित खड़े लण्ड को उसके असली रूप में देख रही थी। उसकी कल्पना के अनुसार उसके बेटे के लण्ड का साइज़ छोटा होना चाहिए था यदि वो पूर्ण रूप से वयस्क था।

मगर उसने पहली नज़र में ही जान लिया कि उसकी कल्पना ग़लत थी। रवि का लण्ड बहुत बड़ा था। घुँघराली झांटों के बीच में खड़े उस मोटे सख्त लण्ड की लंबाई कम से कम 8.5 इंच थी और उसकी मोटाई उसकी कलाई के बराबर थी। लण्ड का सुपारा किसी छोटे सेब जितना मोटा था और गहरे लाल रंग की सुर्खी लिए हुए था.. उसके मुँह से रस बाहर आ रहा था।

उसी पल तलाक़शुदा सेक्स की प्यासी कुंठित माँ ने अपनी चूत में एक नई तड़प महसूस की।

उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि अपने बेटे का सख्त लण्ड देखकर उसकी चूत इतनी गीली और गरम हो जाएगी।

‘रवि.. मैं कहती हूँ.. तुम इसी पल रुक जाओ..’

रवि सर उठाता है.. और ऐसे दिखावा करता है.. जैसे उसे अपनी मम्मी के अन्दर आने का अभी पता चला हो। वो एक गहरी सांस लेता है और अपने लण्ड से हाथ हटाकर अपने सर के पीछे बाँध लेता है। वो अपने लण्ड को छुपाने की कोई कोशिश नहीं करता है। उसका विकराल लण्ड भयंकर तरीके से झटके मार रहा होता है।

दोस्तो यह कहानी सिर्फ और सिर्फ काम वासना से भरी हुई.. जो भी मैं इसमें लिख रहा हूँ.. अक्षरश: सत्य है.. आप इसकी कामुकता को सिर्फ कामक्रीड़ा के नजरिए से पढ़िए.. और आनन्द लीजिए।
मुझे अपने विचारों से अवगत कराने के लिए मुझे ईमेल अवश्य कीजिएगा।

कहानी जारी है।
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