बेटे की कामवासना पूर्ति
(Bete Ki Kamvasna Poorti)
मेरा नाम सुषमा है. मैं एक हाउस वाइफ हूँ. मेरी उम्र 42 साल है. मेरे पति मुझसे 20 साल बड़े हैं. उनकी उम्र 62 साल की है. आपने कई बार सुना होगा कि प्यार अंधा होता है. प्यार में उम्र जैसा कुछ भी नहीं होता. अब आपका ज्यादा टाइम वेस्ट न करते हुए मैं आपको कहानी बताती हूँ.
यह कहानी मेरी और मेरे बेटे राजन की है. मेरा बेटा राजन 20 साल का है. हमारे पास दो मकान हैं. एक मकान पुराना है जिसमें काफी गर्मी होती है, इसलिए हमने एक फ्लैट भी लिया हुआ है. हमारा फ्लैट घर के नजदीक ही है. वह ज्यादा बड़ा तो नहीं है क्योंकि उसमें केवल एक बेडरूम और एक रसोई है. बाथरूम अलग से बनाया गया है. मेरे पति अधिकतर फ्लैट पर ही रहते हैं. मैं और राजन पुराने मकान में ही रहते हैं. कई बार राजन मुझसे फ्लैट की चाबी मांग लेता था. जब भी मेरे पति नहीं होते थे राजन मुझसे दूसरे मकान की चाबी ले जाता था. मैं भी उसको चाबी दे देती थी. कुछ दिनों से राजन मुझसे नाराज था क्योंकि हम दोनों में झगड़ा हो गया था. इसलिए जब वह चाबी मांगता था तो मैं उसको कोई न कोई बहाना बनाकर चाबी देने से मना कर देती थी.
ऐसा कई बार हो चुका था कि वो चाबी मांगता था और मैं नहीं देती थी. अगर मैं सच कहूँ तो मुझे उसका अपने पास रहना ज्यादा अच्छा लगता था. वह जब घर में होता था तो उल्टा होकर अपना लिंग गद्दे के साथ घिसाने लगता था और मैथुन करता था. मैंने उसको कई बार ऐसा करते हुए देखा था. मुझे भी यह देखकर अच्छा लगता था.
या यूं कहें कि मुझे उसको ऐसा करते हुए देखने की लत सी लग गई थी.
फिर एक दिन हम माँ-बेटे का झगड़ा हो गया. उसने मुझसे फ्लैट की चाबी मांगी लेकिन मैंने उसको चाबी देने से मना कर दिया.
उसने फिर कहा- माँ, मुझे चाबी दे दो.
मैंने कहा- नहीं दूंगी, पापा के आने के बाद दूंगी.
उसने कहा- मैं क्या छोटा बच्चा हूँ अब?
हम दोनों में झगड़ा शुरू हो गया. हम दोनों का झगड़ा बढ़ता जा रहा था. झगड़ा जब बहुत ज्यादा बढ़ गया तो मैंने गुस्से में आकर चाबी को राजन की तरफ फेंक दिया.
वह चाबी लेकर चला गया. जब शाम हो गयी तो राजन बाहर जाने लगा और जाते हुए उसने कहा कि वह रात का खाना बाहर ही खाएगा.
मैंने पूछा- बाहर कहां पर खाएगा?
उसने कहा- मैं दोस्तों के साथ खाना खा लूंगा.
मैं उसको नहीं जाने देना चाहती थी. मैं चाहती थी कि वह मेरे पास ही रहे. लेकिन मैं ये तो भूल ही गई थी कि पुराने घर में कुछ रिनोवेशन (मरम्मत) का काम चल रहा है और मेरे पति अपने दोस्तों के साथ बाहर गए हुए हैं.
फिर मैंने सोचा कि आज मैं भी अपने बेटे राजन के साथ फ्लैट पर ही सो जाती हूँ.
रात काफी हो गई थी और बाहर ठंड भी पड़नी शुरू हो चुकी थी. रात को करीब 10 बजकर 15 मिनट के आस-पास मैंने अपने घर का रूम लॉक किया और मैं बाहर निकल गई.
रात तो काफी हो गई थी लेकिन मैंने सोचा कि पैदल ही चली जाती हूँ. इसलिए मैं पैदल ही अपने दूसरे फ्लैट की तरफ जाने लगी. रास्ते में मौसम खराब हो गया.
कुछ ही देर के बाद बारिश भी होना शुरू हो गई.
मैंने अपने पल्लू को अपने कन्धे पर रख लिया. मेरे चूचे काफी बड़े हैं. मैं शरीर से काफी भारी हूँ. या यूं कह सकते हैं कि मेरे शरीर पर चर्बी बहुत है. इसलिए मेरा साइज भी बड़ा है. मैं 36 के साइज का ब्रा पहनती हूँ.
मेरे साइज को जानकर आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि मेरे चूचे कितने बड़े होंगे. मेरी कमर 32 की है और मेरे नितंब 50 के साइज के हैं.
जब मैं भीगी हुई अपने फ्लैट पर पहुंची तो मैंने बेल बजाई और मेरे बेटे राजन ने दरवाजा खोला. घर में अंदर की ओर अंधेरा ही मालूम पड़ रहा था. बेडरूम की और हॉल की लाइट बंद थी, केवल किचन की लाइट ही जल रही थी.
मैं अब अंदर आ गई थी और दरवाजा बंद कर दिया था. मैं पूरी तरह से भीग गई थी. मेरी पूरी साड़ी गीली हो चुकी थी.
मेरे चूचे मेरे कपड़ों से बाहर आने ही वाले थे. मेरे चूचे बहुत भारी थे इसलिए मेरे कपड़े मेरे बड़े-बड़े चूचों को संभाल नहीं पा रहे थे.
जब मैं अंदर आ गयी तो देखा कि मेरा बेटा राजन लुंगी में ही था. जब मेरी नजर उसकी लुंगी पर पड़ी तो उसका लिंग मुझे अलग से दिखाई देने लग गया था. उसका लिंग अंदर लुंगी में खड़ा हुआ था. वह लुंगी से बाहर ही आने वाला था.
जब मैंने राजन की तरफ देखा तो वह शर्म के कारण नीचे देखने लगा. कभी-कभी वो बीच में मेरी तरफ भी देख लेता था.
मैंने कहा- राजन, रास्ते में बारिश आ गई थी इसलिए मेरे कपड़े गीले हो गए हैं.
उसने कहा- माँ, लेकिन आप यहां पर कैसे आ गईं?
मैंने कहा- क्यों, जब तू यहां आ सकता है तो मैं क्यों नहीं आ सकती यहां पर?
इतना कहकर मैं अंदर बेडरूम में चली गई और अंदर जाकर अपनी साड़ी का पल्लू खोलना शुरू कर दिया. मैंने राजन को अंदर आने के लिए आवाज लगा दी. जब राजन अंदर आ गया तो मैंने उससे पूछा- यहां पर मेरे पहनने के लिए कुछ है क्या?
राजन ने कहा- मेरे पास एक शर्ट है. हो सकता है कि वह आपके काम आ जाए.
मैंने कहा- ठीक है बेटा, तू शर्ट ले आ.
जल्दी ही वो शर्ट लेकर आ गया और मेरे पास ही खड़ा होकर मुझे साड़ी खोलते हुए देखने लगा. मैं थोड़ी सी टेढ़ी होकर अपनी साड़ी को खोल रही थी. मेरी पीठ उसकी तरफ ही थी. मैं अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी.
मैंने देखा कि मेरे ब्लाउज के बटन खोलते वक्त राजन बाहर जाने लगा. मैंने राजन को जाने से रोक लिया और उसको वहीं पर खड़ा रहने के लिए बोल दिया.
मैंने उसके सामने ही अपना ब्लाउज और ब्रा निकाल कर जमीन पर फेंक दिए और शर्ट को उसके हाथ से लेकर मैं पहनने लगी और फिर मैं शर्ट के बटन लगाने लगी.
लेकिन शर्ट के बटन ठीक से लग नहीं पा रहे थे. नीचे से मेरा पैटीकोट भी गीला था और मेरी पेंटी भी गीली हो गई थी.
मैंने उसकी तरफ मुंह घुमाया और उससे कहने लगी- मैं नीचे क्या पहनूँ अब?
मैं उसके सामने खड़ी थी और मेरा बेटा राजन मुझसे कुछ ही दूरी पर खड़ा हुआ था. हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे. मैंने देखा कि राजन मेरे शरीर को देख रहा था.
किचन की लाइट से हल्का सा उजाला अंदर की तरफ आ रहा था. मुझे भी राजन की लुंगी में उसका लिंग तना हुआ दिखाई दे रहा था. उसके लिंग का साइज बहुत ही ज्यादा बड़ा लग रहा था और मुझे लग रहा था कि उसका लिंग बस बाहर आने ही वाला है.
मैंने एकदम से अपना हाथ उसकी लुंगी की तरफ बढ़ा दिया और अपने हाथ में पकड़ कर उसकी लुंगी को खींच दिया.
राजन एकदम से डर सा गया और उसने अपने दोनों ही हाथों को अपने लिंग के ऊपर रख लिया और अपने लिंग को छिपाने की कोशिश करने लगा. वह डर भी रहा था और उसको शर्म भी आ रही थी.
फिर मैंने उसकी लुंगी को अपनी कमर पर लपेटना शुरू कर दिया. उसकी लुंगी को लपेटते हुए मैं राजन की तरफ ही देख ही रही थी. मैंने पेटीकोट निकाल कर नीचे डाल दिया और फिर अपनी गीली पेंटी भी निकाल दी.
जब मेरी नजर बेड पर पड़ी तो वहां पर तीन तकिये डाले हुए थे.
मैंने राजन से कहा- बेटा, तू इन तीन तकियों के साथ क्या कर रहा था?
वह बोला- मैं तो कुछ नहीं कर रहा था माँ.
मैंने कहा- सच बता, क्या कर रहा था? क्या तू बेड पर इन तकियों के साथ मैथुन कर रहा था अपने लिंग से?
वह बोला- नहीं माँ, मैं तो कुछ नहीं कर रहा था. उसने डरते हुए कहा.
फिर मैंने सोचा कि यह डर के मारे बता नहीं रहा है. लेकिन उसका लिंग साफ बता रहा था कि वह बेड पर तकिया लगाकर नकली चुदाई का खेल खेल रहा था.
मैंने कहा- राजन बेटा, डर मत. इधर मेरे पास आ और मुझे भी दिखा कि तू कैसे कर रहा था इन तकियों के साथ मैथुन?
पहले तो वह मना करता रहा लेकिन फिर मैंने उसको गुस्से में चिल्ला कर कहा कि मुझे अभी दिखा कि तू कैसे कर रहा था मैथुन.
वह एकदम से बेड पर चढ़ गया. बेड पर जाकर वह उल्टा होकर पेट के बल लेट गया और तकियों के बीच में अपने लिंग को लगाकर अपनी कमर को हिलाने लगा. कमर हिलाते हुए वह झटके भी देने लगा था.
उसकी यह हरकत देखकर मेरे बदन में गर्मी आनी शुरू हो गई थी.
मेरे अंदर भी हवस जागने लगी थी. मैं उसकी कमर की हरकत देखती जा रही थी. उसकी इस क्रिया से मेरे अंदर भी सेक्स जागने लगा था. मैंने उसको और ज्यादा उत्तेजित करने के लिए अपनी लुंगी को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया और मैं उसकी नजरों के सामने जाकर खड़ी हो गई.
अब राजन मेरी तरफ भी देखने लगा था. वह मेरी टांगों को देखकर अपनी स्पीड बढ़ाने लगा था. मैं भी उसको वासना की नजर से देख रही थी.
वह तेजी से तकिया की चुदाई करने में लगा हुआ था. ऐसे करते करते 20 मिनट बीत गए थे. लेकिन वह अभी भी अपने लिंग को तकिए पर घिस रहा था.
अब मुझसे भी रहा नहीं गया, मैंने राजन से कहा- रुक जा.
मगर राजन अभी भी नहीं रुका और वह अपने लिंग को तकिए पर घिसता ही जा रहा था.
मैंने कहा- रुक जा बेटा.
अब वो रुक गया और जब वो मेरे सामने खड़ा हुआ तो उसका लिंग किसी मोटे डंडे की तरह तना हुआ था. मैंने उसके पास जाकर उसके लिंग को हाथ में ले लिया. अपने हाथ में पकड़ कर मैं उसके लिंग की गर्मी को महसूस करने लगी. उसका लिंग बहुत ही गर्म हो गया था. मैंने उसके लिंग को अपने हाथ में लेकर धीरे से सहलाना शुरू कर दिया. फिर मैंने उसके लिंग को सहलाते हुए उसके होंठों को चूसना भी शुरू कर दिया. मुझे उसके होंठों को चूसने में दिक्कत हो रही थी क्योंकि मेरी हाइट 5 फीट 2 इंच ही है. मेरे बेटे राजन की हाइट 6 फीट की थी.
मैंने उसके लिंग को हाथ में पकड़ कर सहलाना जारी रखा. मैंने देखा कि वो अभी भी थर-थर कांप रहा था. मैंने कहा- बेटा, तू इतना डर क्यों रहा है? अब डरने की कोई बात नहीं है. मैं तो तेरी दोस्त ही हूँ. दोस्त के साथ ये सब करने में तुझे डरने की क्या जरूरत है.
जब मैंने उसको समझाया तो उसने अपना हाथ मेरी गांड पर रख दिया और मुझे ऊपर की तरफ खींचने लगा. हम दोनों अब एक दूसरे के होंठों को फिर से चूसने लगे. वह मेरे चूतड़ों को अपने हाथों में लेकर दबा रहा था और फिर मुझे कमरे के एक कोने में लेकर चलने लगा. लेकिन अभी वह और कुछ नहीं कर रहा था. वह अब मेरे चूचों को भी दबाने लगा था.
मैंने कहा- बेटा, तूने मेरे बोबे नहीं देखे हैं न? क्या तू मेरे बोबों को देखना चाहता है? क्या तू मुझे नंगी देखना चाहता है?
उसने कहा- नहीं मां, बाद में देख लूंगा.
उसने मेरी लुंगी को ऊपर किया और अपने लिंग को मेरे नितम्बों पर रगड़ने लगा. उसने अपने लिंग का सुपारा मेरी गांड के छेद पर रख दिया.
मैंने कहा- बेटा, तेरा लिंग तो बहुत ही बड़ा है. काफी लंबा भी है.
उसने फिर मेरे चूचों को दबा दिया.
मैंने कहा- चल बेटा, अब बेड पर चलते हैं.
उसने कहा- नहीं मां, बेड पर तो सब लोग ही करते हैं. हम तो बाथरूम में करेंगे.
मैंने कहा- बाथरूम तो बहुत ही छोटा है बेटा और वहां पर तो खिड़की से बारिश भी आ सकती है अंदर.
उसने कहा- कोई बात नहीं माँ. हम बाथरूम में ही करेंगे.
वह पीछे से मेरे बदन को चूमते हुए काट रहा था. मैंने कहा- अगर बाथरूम का फर्श गीला हुआ तो मुझे तकलीफ होगी वहां पर.
राजन ने कहा- हम वहाँ पर गद्दी डाल देंगे.
मैंने कहा- ठीक है. तू गद्दी डालकर आजा.
वह बोला- लेकिन माँ, अभी तुम नंगी मत होना.
मैंने कहा- ठीक है. मैं अभी नंगी नहीं हो रही.
वह बाथरूम में चला गया. हमारे फ्लैट का बाथरूम छोटा ही था.
राजन बाथरूम में गद्दी डालकर वापस आ गया. मैं भी बाथरूम में गई और मैंने फालतू का सामान बाहर निकाल दिया क्योंकि उस सामान का गिरने का डर था.
जब हमने अंदर जाकर दरवाजा लगाया तो पूरे बाथरूम में अंधेरा हो गया. हम दोनों एक दूसरे के सामने थे. बाथरूम में अंधेरा ही था. हमारे फ्लैट की एक बात अच्छी थी कि हमारा फ्लैट पीछे की तरफ टॉप फ्लोर पर था. इसके साथ ही वह आठवें माले पर था और पीछे की तरफ खेती थी. वहां पर साथ में कोई दूसरी सोसायटी भी नहीं थी.
फिर मैंने राजन के लिंग को हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया.
मैंने कहा- राजन बेटा, तेरा लिंग तो बहुत बड़ा है. मेरी तो मुट्ठी में भी नहीं समा रहा है ये.
राजन ने अपने हाथ मेरी शर्ट में डाले और मेरे बोबों को दबाने लगा.
हम दोनों एक दूसरे के चूमने लगे. वह मेरे बोबों के साथ खेल रहा था और मैं उसके लिंग को सहला रही थी. कुछ देर तक एक दूसरे के बदन के साथ खेलने के बाद उसने मुझे नीचे बैठा दिया और फिर हम गद्दी पर लेट गए.
बाथरूम काफी छोटा था इसलिए हम दोनों को थोड़ा सा टेढ़ा होना पड़ा. फिर उसने मेरी चूत में अपनी उंगली को डाल दिया. मेरी चूत से पानी निकल रहा था.
उसने लाइट वाली घड़ी पहन रखी थी. मैंने घड़ी में टाइम देखा तो 11 बजकर 10 मिनट हो चुके थे.
जब मैं 10 बजकर 30 मिनट पर फ्लैट पर आई थी तो तब से ही उसका लिंग तना हुआ था. बल्कि उससे भी पहले से ही वो तकिये के साथ मैथुन करने में लगा हुआ था.
उसका लिंग काफी टाइम से खड़ा हुआ था और वह अब और ज्यादा वेट नहीं कर सकता था. उसने जल्दी ही मेरी चूत से उंगली निकाल दी और अपने लिंग को मेरी चूत के मुंह पर लगा दिया. फिर उसने एक धक्का दे दिया और उसका लिंग मेरी चूत के अंदर चला गया.
मेरी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी इसलिए लिंग आराम से अंदर चला गया. उसका लिंग वैसे तो बहुत बड़ा था लेकिन मेरी चूत भी खुली हुई थी और चिकनी भी हो चुकी थी.
फिर मेरे बेटे राजन ने मेरी चूत को चोदना शरू कर दिया. उसका लिंग अपनी चूत में लेकर मुझे मजा आने लगा. उसका लिंग मेरे पति से बहुत बड़ा था और मैं उसके लिंग की चुदाई का आनंद लेने लगी.
राजन भी तकिया चोदकर बोर हो चुका था और आज उसको असली चूत मिल गई थी इसलिए मेरा बेटा मेरी चूत को अच्छी तरह चोद रहा था. हम दोनों के मुंह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं.
राजन ने मेरी चूत में और तेजी के साथ धक्के लगाना शुरू कर दिया. उसकी चुदाई में मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था. 10 मिनट की चुदाई के बाद ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. लेकिन राजन अभी भी मेरी चूत की चुदाई करने में लगा हुआ था.
उसके बाद राजन ने 4-5 जोर के धक्के लगाए और वह हाँफते हुए रुकने लगा. उसके लिंग का गर्म पानी मेरी चूत में अंदर गिरने लगा. अपने बेटे के लिंग के वीर्य को मेरी चूत ने पूरा अंदर ले लिया.
उसके बाद हम दोनों कुछ देर तक वहीं पर पड़े रहे. फिर हमें सर्दी लगने लगी और हम बाहर आ गए. राजन नंगा ही था.
हम दोनों ऐसे ही सो गए. रात को जब मेरी नींद खुली तो राजन फिर से मेरी चूत में उंगली कर रहा था. कुछ ही देर में मेरे अंदर भी हवस जाग गई और फिर मैंने राजन को अपने ऊपर लेटा लिया. इस बार राजन ने वहीं रूम में मेरे ऊपर लेट कर मेरी चुदाई की. उसके बाद हम दोनों सो गए.
जब सुबह हुई तो हम दोनों अपने पुराने फ्लैट पर वापस आ गए.
अब राजन को गद्दे तकिये की चुदाई नहीं करनी पड़ती है क्योंकि अब मैं उसको अपनी चूत का मजा दे देती हूँ और उसके लिंग का मजा भी ले लेती हूँ.
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