वर्मा जी का पाल
नमस्कार दोस्तो, यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है।
बात करीब पांच साल पहले की है जब मैं नौकरी करने सिराहुबाद आया।
मैं आपको बता दूँ कि इस नौकरी से पहले अपने गाँव में नौटंकी में काम करता था जिसके कारण मुझे लड़कियों जैसे मेकअप करने का बहुत शौक था। कंपनी में भी मैं वैसा मेकअप तो नहीं कर सकता था पर पाउडर, क्रीम वगैरह जरुर लगाया करता था। मैं खूब मन लगा कर काम सीखने लगा। मैं कंपनी में एक गार्ड के तौर पर भारती हुआ था पर कुछ ही दिनों में मैं सबका चहेता बन गया।
नाईट ड्यूटी में मेरे साथ सुपरवाइजर वर्मा जी होते थे। मैंने शुरुआती दिनों में ही गौर किया कि वो मेरे ऊपर कुछ ज्यादा ही ध्यान देते हैं। शुरू में तो मैंने सोचा कि सब मेरे ही नज़रों का दोष है, फिर उन्होंने स्पर्श करना भी शुरू कर दिया तब मुझे लगा कि नहीं, कुछ तो है उनके दिल में ! यह जानने के लिए कभी कभी मैं भी कातिल मुस्कान दे देता था, तब तो उनकी हालत देखने लायक होती थी।
फिर उन्होंने एक दिन मुझसे कहा- पाल सिंह, एक काम करो, तुम मेरे रूम में शिफ्ट हो जाओ तो खाना साथ में बनाने में आराम रहेगा। मैंने भी सोचा कि सही ही तो कह रहे हैं वर्मा जी।
अगले ही दिन सुबह ही मैंने शिफ्ट कर लिया उस दिन हम दोनों ही बाहर होटल से खाना खाकर आये और रात की ड्यूटी होने के कारण सोने लगे। मैं उस समय नया ही आया था तो मेरे पास पलंग नहीं थी मैं जमीन पर ही सोया करता था। उस दिन वर्मा जी ने मुझे अपने पास ही ऊपर सोने को कहा, तो मैं सो गया।
एक घंटे के बाद मैंने अपने गमछे के अन्दर वर्मा जी का हाथ महसूस किया, वो मेरे लंड को सहला रहे थे। मैं आपको बता दूँ कि वर्मा जी की उम्र लगभग 40 की होगी और लम्बे चौड़े कद काठी के हैं, उन्हें देख कर कोई यह नहीं कह सकता कि वो ऐसा कर सकते हैं पर घरवाली के अभाव में वो ऐसे हो गए थे।
मैंने भी उनके हाथ डालने का कोई विरोध नहीं किया क्योंकि मुझे भी मजा रहा था।
कुछ देर के बाद उन्होंने अपने लौड़े को हिल कर शांत कर लिया पर मेरा दिल कर रहा था कि उनके लण्ड को जी भर कर चुसूँ।
शाम को ड्यूटी के समय मैंने उन्हें खूब स्पर्श दिया। अगले दिन हमने खाना खुद ही तैयार किया, वर्मा जी ने पहले तो दारु पी, फिर मेरे हाथ का बना खाना खाया, फिर हम सोने लगे।
उसके बाद जो हुआ उस घटना ने मेरी ज़िन्दगी बदल डाली। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उन्होंने सोने के दौरान ही मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने भी अपना मुँह उनकी ओर घुमा दिया, वो मुझे चूमने लगे, मैं भी उनका लण्ड सहलाने लगा। तभी वो आँख खोल कर पूरी तरह से खुल गए और मैं भी। मैंने उनके गुज़ारिश करने पर उनके लण्ड को मुँह में भर लिया और जोर जोर से आगे पीछे कर के चाटने लगा।
उनके लंड को चूसते चूसते 15 मिनट हो गए पर वो शायद दारु पिए होने के कारण झड़ नहीं रहे थे। तभी उन्होंने धीरे से मेरी गांड पर हाथ रखा और सहलाने लगे।
उन्होंने मुझे घोड़ी बनने को कहा, मैंने वैसा ही किया। उन्होंने ढेर सारा तेल मेरी गांड के फूल पर और अपने लंड पर लगाया, फिर अपना लौड़ा मेरी गांड पेलने लगे। थोड़ी ही कोशिश में पूरा लंड मेरी गांड में उतर चुका था।
तभी मैंने उन्हें बताया कि गाँव में मैंने कई बार अपने चाहने वालों से गांड मरवाई है।
करीब आधे घंटे की ज़बरदस्त चुदाई के बाद वो मेरी गांड में ही झड़ गए और हम दोनों नंगे ही टांगों में टाँगें डाल कर सो गए।
फिर तो यह रोज का काम बन गया जैसे कि हमें और कोई काम ही ना हो।
कुछ दिनों के बाद यह बात पूरी कंपनी में फैल गई और मैं सभी का लाडला बन गया, मैंने दो और गार्ड से गांड मरवाई पर वो कहानी अगली बार।
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