रीटा की तड़पती जवानी-2
(Rita Ki Tadapti Jawani- Part 2)
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दो दिन तक बैंगन से चुदी हुई रीटा की चूत और गांड में सुरसुराहट होती रही थी. टेबल टेनिस के बैट से ताबड़तोड़ पिटे हुए चूतड़ों में मीठी मीठी जलन भी भरपूर मजा दे रही थी. ब्ल्यू फ़िल्म देख कर बैंगन की चुदाई से और मोनिका की बातों से रीटा को चूत और लण्ड का मज़ेदार खेल समझ आ गया था. मोनिका के साथ रह कर रीटा भी खूब गालियाँ देना भी सीख गई थी. अब तो रीटा मोनिका की छत्रछाया में अपनी जवानी को दोनों हाथों से लुटाने को आतुर हो उठी. रह रह कर उस नन्ही नवयौवना के सुकोमल अंगों में तनाव व कसाव आ जाता और कोरी फुद्दी किसी फड़फड़ाते लण्ड को गपकने के लिये कुलबुला उठती थी.
फिर रीटा कभी कभी पढ़ने के बहाने अपने पड़ोसी राजू से टशन मारने और ठरक भौरने चली जाया करती थी. कई बार अकेले में आपस में मज़ाक और छेड़छाड़ करते धींगामुश्ती और लिपटा चिपटी में राजू कच्ची कली के घस्से मार कर ऊपर ऊपर से ठरक पूरी कर लेता था. रीटा को भी अपने अंग राजू के जिस्म से रगड़ कर बहुत सकून और आनन्द मिलता था. रीटा के जाने के बाद ठरकी राजू आँखें बंद किये सैक्सी रीटा के बारे सोच सोच कर घण्टों मुठ मारता रहता था.
अकसर राजू रीटा से जानबूझ कर धींगामुश्ती में हार जाता था. हारने को बाद जब रीटा राजू के ऊपर होती तो घोड़ा-घोड़ा खेल खलने से नहीं चूकती थी. राजू को पीठ के बल चित कर राजू की पैंट में फंसे हुऐ पप्पू को जब अपनी चूत से पीटती और रगड़ती तो राजू शदाई हो जाता था. राजू के धक्कों से रीटा के सन्तरे पागलों की तरह उछल उछल पड़ते थे. रीटा का चेहरा अन्तर्वासना से तमतमा उठता था. राजू इस पोज का फायदा उठा कर रीटा की गदराई जांघों पर हाथ फ़ेर देता था. कभी कभी रीटा ठरक में खुद ही राजू के हाथों को खींच कर अपनी चिकनी संगमरी रानों पर रख देती थी. इस सूखी चुदाई से कई बार तो राजू का पैंट में ही छूट जाता था.
बहुतेरी बार रगड़म रगड़ाई और ठरक के मजे से रीटा की भी आँखें मुंद सी जाती थी और सिसकारियाँ भी निकल जाती थी.
कभी कभी कुश्ती कुश्ती खेलते राजू भी रीटा के गुदाज बदन को बिस्तर पर दबोचे लुढ़कियाँ लगा कर घस्से मार लेता था. कभी कभी रीटा राजू से डाक्टर-डाक्टर, टिकलिंग-टिकलिंग और तलाशी-तलाशी जैसे सैक्सी खेल खेलती थी. टीकलिंग करते करते राजू रीटा के चूतड़ों और जांघों की चिकनाहट और गदराहट का मजा लेने से नहीं चूकता था. जब राजू के हाथ रीटा की चूत के पास पहुँचते तो सुरसुराहट से रीटा की लीची सी लाल चूत के रौंगटे खड़े हो जाते और वह लिसलिसा उठती.
फिर एक दिन रीटा राजू के कमरे में पढ़ाई करने के बाद सू-सूऽऽ करने अटेच्ड बाथरूम में घुसी. रीटा अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कच्छी को सुडौल चूतड़ों से नीचे खींचा और इण्डियन स्टाईल टायलट पर घुटने मोड़ कर बैठते ही रीटा की चाँद सी उजली चूत और गांड घूम कर सामने आकर लिशकारे मारने लगी. ऐसा लगा जैसे छोटी सी मछली मुँह खोल गिल्लौरी पान खा रही हो.
फिर सन्नाटे में रीटा की फुद्दी ने बड़ी जोर की फ़िच्च शीऽऽऽऽ की आवाज से पेशाब का जबरदस्त और जोरदार शर्ला छोड़ा. अनचुदी नन्ही सी नादान चूत के रस भरे होंट आपस में बिल्कुल चिपके हुऐ थे. चिपकी फाँकों और बेहद तंग सुराख के कारण रीटा की चूत का शिशकाराऽऽऽ भी हद से ज्यादा ऊँचा और सुरीला था. कल कल करती पतली मूत की धार चुकन्दर सी लाल चूत के मुँह से निकल कर टायलट में दम तोड़ रही थी. बिना झाटों की मूतती चूत बहुत ही प्यारी और मनमोहक लग रही थी.
आखिर छबीली रीटा की रसीली चूत ने छोटे छोटे पाँच छः झझाकों के साथ मूतना बंद कर, टप टप हीरे सी जगमगाती बूंदे टपकाने लगी. पेशाब से गीली चूत अब लिश-लिश कर शीशे सी चमकने लगी. ऐसा लगा की खिले हुए गुलाब पर शबनम की बूंदें!
रीटा भी झुक अपनी सुन्दर चूत को निहारा और एक ठंडी झुरझुरी लेकर रीटा ने अपनी पेशाब से लबालब चूत को दोबारा गुलाबी रंग पोल्का बिन्दियों वाली कच्छी में छुपा लिया और स्कर्ट नीचे गिरा दी. मूत से डबडबाई हुई चूत ने कच्छी को फटाक से गीला कर के पारभासक बना दिया.
जब रीटा टायलट से वापिस बाहर आई तो राजू को कमरे में न पाकर ढूंढती हुई बगल वाले कमरे में जाकर देखा तो ठिठक गई. राजू टायलट के दरवाजे में अब भी आँख लगाये टायलट के अंन्दर देख रहा था और जीन्स के ऊपर से अपने लन्ड को जोर जोर से रगड़ और मसल रहा था.
यह देख कर रीटा की ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की नीचे रह गई- साला! मां का लौड़ा! लड़की चौद! चूतीया मेरी चूत देख रहा है? और वो भी मूतते हुए?
शर्म और गुस्से से लाल, पैर पटकती राजू को बिना बताये घर वापिस आ गई.
गुस्से में रोते रोते जब रीटा ने मोनिका को यह सब बताया तो मोनिका की बांछें खिल गई. मोनिका ने एक हाथ की अुंगली और अंगूठे से मोरी बना और दूसरे हाथ की उंगली मोरी के अंदर-बाहर करती हुई बोली- ऐ भौंसड़ी की! शरमा नही़ं मौके का फायदा उठा. लौहा गर्म है, हथौड़ा मार दे. आजकल तो बहनें अपने सगे भाई को भी नहीं छोड़ती और सारे भाई बहनचौद होते हैं. फिर कभी न कभी तो चूत फटती ही है.
मोनिका ने रीटा को राजू से अपनी फ़ुद्दी मरवाने के लिये उकसा दिया.
उस दिन मोनिका कुछ ज्यादा ही मस्त थी. मोनिका ने रीटा को नंगा करके उसकी चूत को फ़ुट्टे से पीटा तो रीटा ठरक के मजे और पीड़ा से रो ही दी. रीटा के गोरे चूतड़ों रानो और चूत पर लाल लाल लकीरें पड़ गई और जब फिर मोनिका ने जलती हुई मोमबत्ती से गर्म गर्म मोम रीटा के चूतड़ों पर टपकाया तो रीटा मजे से बिलबिला कर कसमसा उठी.
अब ठरक के पागल रीटा कुछ भी करवाने के लिये राजी थी. मोनिका ने रीटा की चूत में उंगली करते करते रीटा के कड़े निप्पल पर कपड़े सुखाने बाली चुटकियाँ लगा दी, तो रीटा की खुशी के मारे सुरीली किलकारियाँ निकल गई.
टायलट की घटना ने रीटा को उस माँ के लौड़े राजू की बेईमान नीयत का पता चल गया था. अब राजू की हरकत सोच कर रीटा के दिल में लड्डू फूटने लगे और चूत में चींटियाँ सी रेंगने लगी. वह समझ गई कि राजू असल में महा ठरकी और नम्बर वन चोदू है. बुलबुल अपनी फुद्दी का पटाका बजवा कर भौसड़ा बनवाने को आतुर हो उठी. मोनिका ने बताया था कि लण्ड की पिटाई ही फुद्दी से चूत, चूत से भोंसड़ी और भौंसड़ी से भौसड़ा बनता है.
इस सबके बाद रीटा राजू को भईया तो कहती थी, पर दिल ही दिल में बहनचोद की नजर से देखने लगी थी. कई बार रीटा ने राजू को मज़ाक मज़ाक में द्वी-अर्थी बातें और उलटे सीधे इशारे किये, पर राजू रीटा को मासूम और स्कूल की बच्ची सोच कर और डर के मारे रीटा की हरकतों को नज़र-अंदाज कर देता था और ऊपर ही ऊपर से ठरक पूरा करता रहा.
मौका पाकर रीटा राजू से गलत-गलत सवाल पूछती, तो राजू के पसीने छूट जाते, जैसे
– लड़के खड़े होकर पिशाब क्यूँ करते हैं?
– क्या लड़कियाँ लड़कों का दैहिक शोषण नहीं कर सकती?
– लड़के अपने दुधू क्यों नहीं छुपाते?
– सुहागरात में लड़का लड़की क्या करते हैं?
– ब्लयू फ़िल्म क्या होती है?
– सैक्सी का क्या मतलब है?
– क्या मैं सैक्सी हूँ?
रीटा के उलटे-सीधे सवालों पर राजू बगलें झांकने लगता और रीटा को डाँट कर चुप करवा देता.
सेक्सी कहानी जारी रहेगी.
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