कॉल सेंटर की एक रात

रंगबाज़ 2010-06-24 Comments

इस कहानी के पात्र व घटनाएँ काल्पनिक हैं।

निखिल ने अभी अभी पढ़ाई ख़त्म करके कॉल सेंटर की नौकरी शुरु की थी। यहाँ आकर वह बहुत उत्साहित था- कॉलेज जैसा माहौल, बढ़िया फर्नीचर, माडर्न साज सज्जा और उसके जैसे स्मार्ट और हैंडसम लड़के। वैसे भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के दफ़्तरों में ऐसा माहौल होता ही है। उसने अभी से लड़कों को नज़रों से टटोलना शुरू कर दिया था- किसका लंड बड़ा होगा, कौन उसे दबा-दबा कर चोदेगा, वगैरह वगैरह !

एक दिन जब निखिल की शिफ्ट ख़त्म हो गई तभी उसकी नज़र राहुल नाम के एक ट्रान्सपोर्ट-सुपरवाइज़र पर पड़ी। राहुल का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता था- ६ फुट ४ इंच लम्बाई, चौड़ी छाती, हट्टा-कट्टा, जिम में ढला शरीर ! उसे तो किसी नाईट क्लब में बाउंसर होना चाहिए था। राहुल ठेठ हरियाणा का जाट था, वैसे भी जाट तगड़े और बांके होते हैं।

एक मिनट को तो निखिल उसे देख कर चौंक गया लेकिन उसके आस पास काफी लोग थे. उसने फ़ौरन अपना ध्यान राहुल से हटा लिया, कहीं लोग उसे राहुल को घूरते देख न लें।

उस दिन निखिल को नींद नहीं आई, अब वो ऑफिस में राहुल को लाइन मारने के बहाने ढूंढता था, कभी किसी की शिकायत करने पहुँच जाता, कभी उसके ऑफिस की ज़िरोक्स मशीन इस्तेमाल करने चला जाता।

राहुल को भी निखिल बहुत पसंद था, उसके मुलायम गुलाबी होंट, गोरा चिट्टा रंग, बड़ी-बड़ी काली-काली आँखें, प्यारी सी मुस्कराहट उसे बहुत आकर्षित करते थे। जब भी वो और निखिल आमने सामने होते, वो निखिल से हंस हंस कर बातें करता, उसके शरीर से अंदाजा लग जाता कि उसकी गांड कितनी मुलायम होगी, छाती चिकनी होगी या बाल होंगे।

जबसे उसने अपने मोहल्ले में ब्लू फिल्म देखने के बाद अपने दोस्त के छोटे भाई की गांड मारी थी, उसे लड़के बहुत अच्छे लगने लगे थे लेकिन आज तक उसकी हिम्मत नहीं हुई कि ऑफिस में किसी तरफ बढ़े। इसी तरह राहुल और निखिल पास आते गए, कुछ समय बाद उसकी ट्रेनिंग ख़त्म हुई और टीम में आ गया। रोज़ पार्किंग एरिया में आने के समय, जब सब घर जाने के लिए कैब में बैठ रहे होते, राहुल और निखिल एक दूसरे से गले मिलते, इसी बहाने दोनों एक दूसरे से लिपट जाते थे, एक दूसरे के शरीर को छू लेते थे।

एक बार निखिल एक लम्बी कॉल पर फंस गया, एक हरामजादा अमरीकी बवाल मचा रहा था, निखिल की शिफ्ट भी खत्म हो गई लेकिन बेचारे को रुके रहना पड़ा उस बेवकूफ फिरंगी का मसला सुलझाने के लिए।

लेकिन उसे नहीं मालूम था कि आज उसकी मुराद पूरी होने वाली है। उसकी शिफ्ट की सारी गाड़ियाँ आधे घंटे पहले जा चुकी थी, रात के तीन बजे उसे कोई बस-ऑटो गुड़गांव से वसंत कुञ्ज नहीं ले जाने वाला था। उसे राहुल के दफ़्तर में जाने का एक और बहाना मिल गया ! वो ट्रान्सपोर्ट ऑफिस में पहुँचा तो देखा कि राहुल अपनी डेस्क पर था। वो मन ही मन मुस्काया।

“हाय राहुल ! मैं कॉल में फंस गया था, अपनी कैब से नहीं जा पाया. अभी कोई गाड़ी मिल सकती है?” उसने राहुल से अपनी समस्या बताई।

राहुल मुस्कुराया और अपने हरियाणवी लहजे में बोला- कोई बात नहीं जी… अभी देखते हैं।

उसने किसी से फ़ोन पर बात की और राहुल को लेकर पार्किंग एरिया में आ गया। वहाँ पर पूरा सन्नाटा था।

राहुल बोला- मेरी अभी एक कैब वाले से बात हुई है, वो तुम्हें ले जायेगा, बस थोड़ी देर इन्तजार करना पड़ेगा।

“कोई बात नहीं… कम से कम घर तो पहुँच जाऊँगा।” निखिल खुश होकर बोला।

राहुल के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कराहट दौड़ गई- और सुनाओ जी, आपकी कॉलिंग-शौलिंग कैसी चल रही है?”बस चल रही है, किसी तरह से ! उकता गया हूँ इन चूतिये अंग्रेजों से !” निखिल की गाड़ी आने में समय था। दोनों पार्किंग एरिया में बातें करते, साथ-साथ टहलते रहे। बातों-बातों में राहुल ने अपना हाथ निखिल के कंधे पर रख लिया, निखिल के मन लड्डू फूटने लगे, वो राहुल से और सट कर चलने लगा, दोनों समझ गए कि उनको एक दूसरे से क्या चाहिए लेकिन वो खुले पार्किंग एरिया में कुछ नहीं कर सकते थे।

तभी राहुल के मोबाईल फोन की घंटी बजी, दूसरी तरफ कैब का ड्राईवर था, अभी उसे थोड़ी और देर लगेगी और वो सामने साइबरग्रीन बिल्डिंग में आएगा।

“यार निखिल.. अभी कैब वाले को थोड़ी देर और लगेगी और वो सड़क के उस पार सायबरग्रीन टॉवर के बेसमेंट में आएगा।” राहुल ने उसे बताया।

“कोई बात नहीं !” निखिल को राहुल के साथ थोड़ा और समय मिल जायेगा।

दोनों सड़क पार करके सायबरग्रीन बिल्डिंग पहुँच गए और बेसमेंट लेवल-2 में जाने के लिए सीढ़ियाँ उतरने लगे। उस विशाल बेसमेंट में भी सन्नाटा था, सिर्फ चार-पांच खाली सूमो-क्वालिस के अलावा वहाँ कुछ नहीं था। दोनों एक कोने में खड़े हो गए। दो पल की शांति के बाद राहुल ने पूछा- और निखिल… तेरी कोइ गर्लफ्रेंड नहीं है?

निखिल ने खींसे निपोरी और बोला- नहीं !

“क्यूँ? इतने स्मार्ट हो… कोइ तो होगी?” राहुल ने चुटकी ली।

“हैंडसम और स्मार्ट तो तुम भी हो… इस हिसाब से तो तुम्हारी तीन चार होनी चाहिए, क्यों?” निखिल ने जवाब दिया।

राहुल मुस्कुराया और बोला- मेरी तो एक भी नहीं है।

राहुल ने एक बार फिर से निखिल के गले में बांह डाल दी, निखिल फिर से राहुल से सट गया।

थोड़ी देर तक दोनों इधर उधर की बातें करते रहे, राहुल ने फिर सवाल किया.. “कभी किसी लड़की का काम लगाया है?”

“नहीं.. अभी तो मैं बच्चा हूँ” निखिल ने हंसते हुए जवाब दिया।

“हाँ साले… इतना चिकना जवान लौंडा हो गया है, और खुद को बच्चा कह रहा है?” इतना कहकर राहुल ने निखिल के चूतड़ पर चिकोटी कट ली।

“अरे.. ये क्या कर रहे हो..!!” निखिल चौंका और उसने राहुल का हाथ जो उसकी गांड पर था, पकड़ लिया।

हाथ पकड़ तो लिया, मगर छोड़ा नहीं ! राहुल ने निखिल का हाथ कस कर पकड़ लिया, दोनों के लंड खड़े हो गए। राहुल को बहुत समय हो गया चोदे हुए और निखिल की गांड से सीटी बज रही थी।

अभी तक दोनों एक दूसरे से सटे एक सूमो के पीछे खड़े हुए थे, अब दोनों आमने-सामने खड़े हो गए और एक दूसरे की आँखों में आँखें डालकर देखने लगे। अब दोनों से रहा नहीं जा रहा था।

“इधर आ !” राहुल बोला और निखिल को गले से लगा कर उसे पतले पतले मुलायम मुलायम होंठ को अपने होटों में दबा लिया।

निखिल राहुल के मांसल शरीर से बेल की तरह लिपट गया, अपने हाथों से सहला सहला कर उसके मस्सल्स महसूस करने लगा। राहुल अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को दबा रहा था… इतनी मुलायम गांड उसने पहले कभी नहीं देखी थी. उसकी पैंट में कैद उसका लौड़ा उछलने लगा।

दोनों कुछ देर तक एक दूसरे के आगोश में चूमते रहे, फिर राहुल ने कपड़ों के ऊपर से ही निखिल के उंगली करनी शुरू कर दी।

“पैंट उतार…!” राहुल ने हवस भरी आवाज़ में कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

निखिल अपनी पैंट उतारने लगा। इधर राहुल ने अपनी जिप खोली और अपना आठ इंच का खालिस हरियाणवी लंड बाहर निकाला।

राहुल का लंड देख निखिल के मुंह में पानी आ गया, उस पर नसें उभर आईं थी, उसका गुलाबी सुपारा फूल गया था और उसकी मोटाई भुट्टे जितनी थी। ज्यादातर लोगों के लौड़े खड़े होने पर हलके से मुड़ जाते हैं, पर राहुल का लौड़ा बिल्कुल सीधा खड़ा था।

इतना बड़ा लंड निखिल ने ज़मानों बाद देखा था। इससे पहले जब उसके कॉलेज के सेक्योरिटी गार्ड (वो भी हरियाणा का ही था) ने उसे चोदा था, तब उसे प्रचंड लंड के दर्शन हुए थे, और उसकी गांड फट गई थी। राहुल का लंड मोटाई में उतना ही था, मगर थोड़ा सा लम्बा था।

निखिल से रहा नहीं गया और उसने घुटनों पर झुक कर राहुल कर फुंफकारता हुआ लौड़ा अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा।

राहुल के मुंह से हलकी से आह निकल गई- इतने दिनों बाद उसका लंड किसी के गरम-गरम, गीले मुंह में गया था।

निखिल ने लंड अपने गुलाबी होटों से दबा लिया और अपनी जीभ से सहला सहला कर उसे चूसने लगा। उसे लंड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था, उसका मन कर रहा था कि वो पूरा का पूरा लंड अपने मुंह में भर ले, लेकिन बड़ा होने के कारण सिर्फ आधा ही ले पाया था। निखिल पूरी लगन से राहुल के लौड़े का रस पी रहा था, “सप.. सप…”

राहुल ने निखिल का सर पकड़ लिया और हल्की-हल्की आह भर के अपना लंड चुसवा रहा था। उसकी आँखें नशीली हो गई थी।

करीब दस मिनट तक निखिल राहुल की जांघों से लिपटा उसके लंड को ऊपर से नीचे तक चाट-चाट कर चूसता रहा। अब राहुल से रहा नहीं जा रहा था।

“उठ..” उसने अपना लंड पीछे हटाते हुए कहा।

निखिल के उठने पर राहुल ने उसे कमर झुका कर खड़े होने को कहा और उसकी पैंट और अंडरवियर नीचे खसका दी। निखिल सूमो के पिछले दरवाज़े पर दोनों हाथ रख कर झुक गया, राहुल निखिल के पीछे खड़ा हो गया, उसने उसकी गांड का छेद टटोला और अपने लंड का सुपारा उस पर टिका कर उस पर थूक कर धक्का मारा। निखिल कई बार चुदवा चुका था लेकिन इतना बड़ा लंड उसने कम ही लिया था।

लंड गप से अन्दर चला गया लेकिन निखिल उछल गया,”हा….आह्ह्ह…!!” उसके मुंह से हल्की सी आह निकल गई।

राहुल ने अपना लौड़ा पूरा का पूरा अन्दर तक घुसेड़ दिया था, निखिल को तो चीखना ही था। राहुल ने डाँट लगाई…”श श … कोइ सुन लेगा !”

और उसके कन्धों को पकड़ कर अपना भूखा लंड हल्के-हल्के हिलाने लगा लेकिन उसके लंड के थपेड़े निखिल से सहे नहीं जा रहे थे। उसने अपने होटों को भींच लिया और सर झटक-झटक कर चुदवाने लगा। राहुल अब फुल स्पीड में उसकी चिकनी चिकनी गांड मारने लगा, उसका लौड़ा मज़ा ले लेकर उसकी गांड के अन्दर-बाहर आ-जा रहा था। राहुल आनंदातिरेक में इतना खो गया कि उसने चोदते-चोदते निखिल के चूतड़ पर एक चपत लगा दी।

बेचारा निखिल चिल्ला उठा,”ईएह्ह…!!!”

“चुप साले… मरवाएगा क्या?” राहुल हांफते हुए बोला।

“कम से कम मारो तो मत…” निखिल कराहते हुए बोला।

राहुल ने कोई जवाब नहीं दिया और कमर हिला हिला कर गांड मारने में लगा रहा। उसका लंड किसी पम्प की तरह निखिल की गांड को गपा-गप चोद रहा था। निखिल उसके धक्के झेल नहीं पा रहा था, कभी कभी उसकी पकड़ गाड़ी पर से फिसल जाती थी, तो कभी हल्की सी सिसकारी निकल जाती थी, बेचारा चिल्ला भी नहीं पाता था।

करीब 15 मिनट तक राहुल निखिल की गांड में अपना गदराया लंड अटकाए उसकी सवारी करता रहा, फिर उसने जोर से निखिल के कन्धों को दबोचा और हलकी सी आह के साथ उसकी गांड में झड़ गया,”हा..अह..!!”

निखिल ने उसका गर्म-गर्म वीर्य अपनी गांड में महसूस किया। करीब एक मिनट तक वो सर झुकाए, उसी तरह निखिल को जकड़े खड़ा रहा।

तभी अचानक बेसमेंट के एक कोने में रोशनी चमकी और एक गाड़ी की आवाज़ आई। निखिल की कैब आ गई थी, दोनों ने फटाफट अपने कपड़े पहने और सामने आ गए।

अब भी जब दोनों का ऑफ साथ पड़ता है, राहुल निखिल के साथ लॉग-इन कर लेता है।

थैंकयू फ़ॉर कॉलिंग अवर कॉल सेन्टर एण्ड हैव अ ग्रेट डे अहैड !!

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