सास बहू की रंगरेलियां- 4
(Saas Bahu Sex Ki Kahani)
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सास बहू सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी सास से लेस्बियन सेक्स करती थी. एक दिन मेरी सास ने मेरी चूत चाट कर मुझे बेशुमार मजा दिया. आप भी पढ़ कर मजा लें.
यह कहानी सुनें.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मयूरा है, मैं 38 वर्ष की शादीशुदा महिला हूँ. मैं मुंबई में रहती हूँ.
यह मेरी एक सच्ची सास बहू सेक्स की कहानी है, जो मेरी सासू मां और मेरे बीच में हुए लेस्बियन सेक्स की कहानी है.
इस भाग को बहुत देर से लिखने के लिए मैं सभी से माफ़ी चाहती हूँ.
मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
सास बहू की रंगरेलियां- 4
में आपने हम दोनों के बीच हुई खुली सेक्स मस्ती को पढ़ा था.
मैंने अपनी सास को अपने पति के साथ हुई चुदाई का सीधा प्रसारण दिखाया था.
अब इस कहानी को मैं आगे प्रस्तुत कर रही हूँ.
उस दिन का सेक्स पूरा मजे में बीता.
पति मेरे नए स्टाइल से हुए सेक्स को लेकर बहुत खुश थे.
इधर मांजी के मन में क्या ख्याल चल रहा है, ये देखने के लिए मैं उतावली हो गई थी.
लेकिन ये सब सोचते वक्त मैंने ये समझ रखा था कि अगर मैं सीधा मांजी को ये बोल दूँ कि अपने बेटे से चुदवा लो तो मांजी को बुरा लग सकता था.
तो मैंने ये सोचा कि कुछ भी हो जाए लेकिन ऐसा मुझे करना ही पड़ेगा कि मांजी खुद ही अपने बेटे के लंड लेने के तरस जाएं.
इसके लिए मांजी की सेक्स की इच्छाएं और भी ज्यादा बढ़ानी होंगी.
इसलिए मैंने ज्यादा से ज्यादा मांजी के साथ लेस्बियन सेक्स करने की ठान ली.
उस दिन से मांजी और मैं बहुत खुल गई थीं.
जब भी मौका मिलता, हम एक दूसरे में खोए हुए रहते थे.
जिंदगी में मैंने कभी इतना खुद को फ्री महसूस नहीं किया था जितना उस वक्त मैं महसूस कर रही थी.
अब मैं अपने सेक्स को लेकर सारी जरूरतें मांजी के साथ शेयर कर सकती थी और मांजी भी अपनी इच्छाएं और अपनी सारी करतूतें मेरे साथ शेयर करने में बिल्कुल भी नहीं झिझकती थीं.
जब भी मेरा मन करता, मैं मांजी के पास चली जाती. जब भी सेक्स करने की इच्छा होती, मैं मांजी से बोल देती.
अपनी सास से पहले मैंने अपनी चुत कभी किसी से चुसवाई नहीं थी.
मेरी सास को भी मेरी चुत को चूसना बहुत अच्छा लगता था.
मैं भी अपनी चुत को साफ़ रखा करती थी.
उनके मजे के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार थी तो मैं भी उनकी चुत चूसती थी.
मुझे उनकी चुत चूसने में अलग ही मजा आने लगता था.
एक दिन मेरा मन हुआ कि जब तक मेरा मन चाहे, तब तक कोई मेरी चुत चूसे और मेरे कहने पर भी वो मुझे ना छोड़े.
उस दिन सास ने मेरी ये कामना पूरी कर दी थी.
आज वही घटना लिख रही हूँ.
उस दिन सुबह जब मैं फ्रेश होकर लंच की तैयारी कर रही थी, तब मांजी मेरे पास आईं और गैस ऑफ कर दी.
मैं जब तक कुछ कहती, वो मुड़कर एकदम से मुझे किस करने लगीं.
मैं बहुत अचंभित हो गई कि एकदम से मांजी को क्या हुआ कि वो इस तरह से मुझे किस करने लगीं.
मैंने पूछा- मांजी, अचानक से क्या हुआ?
मांजी- कुछ नहीं बेटा, बस किचन में तेरा एक पैर उठाकर तेरी चुत का पानी पीने का मन हो गया.
मैं- अच्छा, मांजी जरा रुको, किचन का काम तो हो जाने दो.
मांजी- काम तो होता रहेगा बेटा, लेकिन मेरा मूड मत ख़राब करो.
मांजी घुटनों पर बैठ गईं, उनका मुँह ठीक मेरी चुत के सामने आ गया.
उन्होंने धीरे से साड़ी को ऊपर उठा दिया और वो साड़ी के अन्दर घुस गईं.
मांजी मेरी चुत के दाने को छेड़ने लगीं.
पहली बार मेरी चुत को किसी ने मेरा मूड न होते हुए छुआ था.
मांजी हल्के से अपनी जीभ से मेरे चुत के दाने को रगड़ने लगीं.
उनकी इस कामुक हरकत की वजह से मेरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई और मैं कराहने लगी.
मैं- आंह मांजी, ये क्या कर दिया आपने! आह आंह जोर से चूसो मांजी … स्स्स्स ओह गॉड … और जोर से मांजी प्लीज … ओह्ह्ह माय गॉड.
मांजी ने अपनी जीभ से जोर से मेरी चुत को ऊपर से नीचे तक चूसना चालू कर दिया, लेकिन ऊपर से साड़ी होने की वजह से उनको तकलीफ हो रही थी.
तो मैंने खुद ही साड़ी हटा दी और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
अब मैं नीचे से पूरी नंगी थी और जोर जोर से कसमसा रही थी.
मैं- मांजी प्लीज और जोर से चूस लो … आह ऐसे ही चूसती रहो … स्सस्स स्स स्स.
इस जोरदार चुसाई की वजह से मेरे पैर कांपने लगे थे.
मुझे नहीं लग रहा था कि मैं खड़ी रह पाऊंगी. फिर भी मांजी को न तकलीफ देते हुए, मैं धीरे से नीचे बैठने लगी.
मांजी थोड़ा सा हट गईं और मैं फट से नीचे बैठ गई.
मैंने दोनों पैरों के घुटनों के पीछे से हाथ लेकर पैरों को सर तक खींच लिया और इस तरह से बैठने से मांजी के सामने मेरी पूरी चुत खुल गई.
अब मांजी अपना पूरा सिर मेरी खुली चुत पर घुमाने लगीं.
मैं- आह यस मांजी … अन्दर तक जीभ डालो मांजी … बहुत मजा आ रहा है.
मैंने बड़े प्यार से मांजी के सिर पर हल्के से हाथ रख दिया.
मुझे मांजी पर बहुत प्यार आ रहा था.
मैं चाहती थी कि मांजी और जोर से मेरी चुत चूसें.
तो मैं धीरे से मांजी के सिर को अपनी आग उगलती चुत पर दबाने लगी.
मांजी ने मेरी चुत खोल कर पूरी जीभ अन्दर तक डाल दी और जोर से जीभ को अन्दर बाहर करने लगीं.
मैं थरथराने लगी थी और पूरी हिल रही थी. मेरे पूरा शरीर अकड़ने लगा था.
मैंने मांजी का सिर जोर से अपनी चुत पर दबा दिया और मैं जोर से झड़ने लगी.
बहुत सारा पानी चुत से निकलने लगा था लेकिन वो सारा पानी मांजी के मुँह में जाने लगा.
उन्होंने भी वो सारा पानी पी लिया, मैं बहुत संतुष्ट हो गई.
मांजी ने पूरा पानी चाट लिया था और उनका मुँह पानी से सना हुआ था.
मैंने पैर छोड़ दिए और मांजी को बहुत प्यार किस करने लगी.
उनके मुँह पर लगा, अपनी चुत का पानी मैंने चाट लिया.
उसके बाद उनके मुँह में मैंने अपनी जीभ डाल दी और किस करने लगी.
तभी मांजी ने हल्के से अपनी दो उंगलियां भी मेरे मुँह में डाल दीं और उसे गले तक उतार दिया.
फिर उंगलियां निकाल कर अपने मुँह में डाल लीं व चूसने लगीं.
मांजी को मैंने फिर से पकड़ लिया और किस करने लगी.
मैंने मांजी को अपनी बांहों में भर लिया था. मैं उन्हें जोर जोर से किस कर रही थी.
मांजी ने अपनी उन्हीं दो उंगलियों को मेरी चुत में डाल दीं और हल्के हल्के से अन्दर बाहर करने लगीं.
फिर भी मैंने मांजी को नहीं रोका और अपना किस चालू ही रखा.
मांजी ने अब दो उंगलियों की जगह तीन उंगलियां अन्दर डाल दीं.
मैं रुक गई और मांजी का मुँह फिर से अपनी चुत पर लगवा दिया.
मांजी ने मेरा हाल बेहाल कर दिया था.
वो मेरी चुत के दाने को अपनी जीभ से कुरेद रही थीं और नीचे चुत में उंगलियों से गर्मी बढ़ा रही थीं.
इस वजह से मैं सातवें आसमान पर थी.
मैंने पैर फिर से पीछे ले लिए ताकि मांजी और ज्यादा जोर से उंगलियां चुत में डाल सकें.
मैं- हां मांजी … फ़क मी … डाल दो सारी उंगलियां … स्सा स्साह स्सास्स.
मांजी ने एक हाथ बढ़ा कर मेरे एक चुचे को पकड़ लिया और उसके निप्पल को अपनी दो उंगलियों से मींजने लगीं.
मैंने अपने पैर हवा में उठा दिए और अपने स्तनों को पकड़ लिया. मैं खुद से अपने मम्मों को दबाने लगी.
अब मैं बेकाबू हो रही थी. मेरी कमर पूरी उठ चुकी थी लेकिन बीच बीच में मांजी एकदम से चुत चूसना छोड़ देती थीं.
उस वजह से मैं बहुत कसमसा उठी.
उसी बीच में मांजी चुत पर चमाट भी मार देती थीं.
मैं- आंह मांजी, प्लीज बीच में ऐसे मत छोड़ो … और जोर से मारो इस निगोड़ी चुत को … ये आपके ख्यालों में बहुत पानी छोड़ती है … सारा वक्त गीली रहती है. आह आज से इसे आपके और आपके बेटे के हवाले कर रही हूँ … खा जाओ पूरी की पूरी … निचोड़ दो पूरा पानी.
मैंने मांजी का हाथ हटाया और जितना हो सका, उतनी जोर से मैं खुद अपनी चुत पर चमाट मारती रही.
मैं- प्लीज मांजी, मेरी चुत को चोदो … बहुत फुदक रही है साली … प्लीज मांजी कुछ तो घुसा दो इसमें!
मांजी ने जोर से चुत को खोल दिया और अन्दर अपनी जीभ घुसा दी.
वो जीभ से मेरी चुत को चोदने लगीं.
मैंने मांजी का सर पकड़ लिया और अपनी कमर हिलाने लगी.
मांजी ने जितनी हो सकता था, अपनी जीभ बाहर निकाल रखी थी और मैं अपनी चुत को उनकी जीभ पर घिसने लगी.
साथ ही मैं बहुत जोर जोर से आहें भर रही थी.
मैं- यस यस फ़क मी …. फ़क मी … चोदो मांजी … आह घुसा दो अपनी जीभ … प्लीज … मांजी फ़क मी प्लीज आह.
आज एक अलग ही अहसास मुझे हो रहा था.
मैं बीच बीच में अपनी कमर भी उचका रही थी.
मछली की तरह मेरा शरीर ऐंठ रहा था.
मांजी बहुत जोर से ये सब कर रही थीं.
मैं- यस यस फ़क मी प्लीज … आह आह.
मांजी ने एकदम से अपनी तीन उंगलियां अन्दर घुसा दीं और जोर से अन्दर बाहर करने लगीं.
अब मैं झड़ने की कगार पर थी.
मांजी अपना हाथ जोर से चला रही थीं और मेरी चुत को बहुत ज़ोर से सहला रही थीं.
मैं- ओह्ह माय गॉड … ओह्ह.
मेरा पूरा शरीर कंपकंपाने लगा था, मैं बहुत जोर जोर से झटके मार रही थी.
मेरी चुत से चुत रस निकलने लगा था.
आज तक सबसे ज्यादा देर तक मेरी चुत से चुतरस बहता रहा था.
एक धारा सी लगी थी.
उसकी मादक गंध पूरे किचन में फ़ैल गई थी.
चुत से निकला पूरा पानी मांजी ने अपने मुँह पर ले लिया था.
मांजी खड़ी हो गईं, चुत का सारा पानी मेरी मांजी के मुँह से टपकते हुए पूरे शरीर पर फैल रहा था.
मांजी का पूरा मुँह मेरी चुत को घिसने की वजह से लाल पड़ गया था.
मैंने मांजी के पैरों को प्यार से चूम लिया और वहां से किस करते करते उनकी चुत को प्यार भरी चुम्मी दे दी.
मेरी चुत के रस की बूंद उनकी चुत के दाने पर मोती सी चमक रही थी.
मैंने उसे चूस लिया और खड़ी होकर मांजी को प्यार से किस करने लगी.
उनकी जीभ को, होंठों को मैं बेताबी से चूस रही थी.
सास बहू का ये लिपकिस अद्भुत था.
आज मुझे सास बहू सेक्स में एक स्वर्ग जैसा अनुभव मिला था.
दुनिया की सबसे खूबसूरत और प्यारी सासु मां मुझे मिली थीं.
मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे, जो ख़ुशी के आंसू थे.
मांजी को मैंने पूरे दस मिनट तक गले लगाए रखा.
मैं- लव यू मांजी … आप दुनिया की सबसे खूबसूरत मां हो. मैं ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करूंगी कि मुझे ऐसे सासु मां मिली है.
मैं वहां से मांजी को लेते हुए हमारे घर के मंदिर के सामने गई.
मांजी को वहीं पर खड़ी करके मैंने फिर से एक बार उनके पैर छुए, उनके पैरों को एक बार फिर से प्यार से चूम लिया और माथा टेक दिया.
मैं- तेरा लाख लाख शुक्र है मालिक, जो मुझे इस मां की गोद में डाल दिया.
अब मैं मांजी को लेकर हॉल में आ गई और उनको सोफे पर बिठा दिया.
वो बहुत थक गई थीं.
मैंने मांजी के माथे को चूमा और कहा- मांजी, आप यहां जरा बैठिए, थोड़ा आराम कीजिए. मैं किचन साफ कर लेती हूँ. आपके लिए और मेरे लिए नहाने के लिए गर्म पानी रख देती हूँ, आज हम दोनों साथ में नहाएंगी.
मांजी- ओके बेटा!
मांजी पैर फैलाकर और हाथ को सोफे के पीछे डाल कर आराम करने लगीं.
मैंने किचन में आकर सारे गंदे बर्तन सिंक में डाल दिए और कपड़े से फर्श पर पड़ा हुआ चुतरस साफ करने लगी.
ये सब करते हुए मैं पूरी नंगी थी. मेरे चुचे काम करते वक्त झूल रहे थे. उनको मैं देख रही थी तो एक ठंडी सी हवा की लहर आ गई.
मेरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई. मेरे चुचे एकदम से कड़े हो गए.
मैंने दोनों चूचों पर ज़ोर से तमाचे मार दिए और खुद से कहा.
मैं बुदबुदाई- नसीब वाली है मयूरा तू … और बहुत गन्दी होती जा रही है. जब देखो तेरे दिमाग में सेक्स ही सेक्स चलता रहता है.
मैंने खुद के सर के पीछे एक थपकी मार दी और खुद पर ही हंसने लगी.
ये एकदम सच्ची सास बहू सेक्स की कहानी है.
आप अपने सुझाव मेरी इस ईमेल आईडी पर भेज सकते हैं.
[email protected]
धन्यवाद.
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